भूमिका
सन 1999 के आम चुनाव देश पर जबरन थोपे गए थे। इस अन्याय की पूरी जिम्मेदारी ऐसे पक्षों की थी जिनके लिए तुच्छ व्यक्तिगत लाभ और लोभ देश के भले से कहीं ऊपर थे। लोक सभा में 17 अप्रैल को केवल एक, वो भी अविश्वसनीय मत से, श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी। यद्यपि एक नयी सरकार को “पांच मिनट में” ले आने का दावा कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन ने किया था, मगर सांसदों की दल बदल की तमाम कोशिशों के वाबजूद वो सरकार नहीं बना पाए और इस तरह लोक सभा को भंग करके देश को एक और चुनाव का सामना करना पड़ा। एक काम करने वाली, सकारात्मक नतीजे दे रही सरकार को बिना जरूरत ही गिरा दिया गया। अभी देश इस अनिश्चितता के दौर से उबर भी नहीं पाया था कि उसे पकिस्तान द्वारा किये जा रहे सशस्त्र घुसपैठ का सामना कारगिल युद्ध के रूप में करना पड़ा। मौजूदा वाजपेयी सरकार इस संकट के सामने मजबूती से खड़ी हुई। एक नपे तुले मगर तेज़ जवाबी हमले से पाकिस्तानी घुसपैठियों को सीमा से खदेड़ा गया। कारगिल क्षेत्र में आखिरी पाकिस्तानी घुसपैठिये को 27 जुलाई को मुह की खानी पड़ी।
हमारी सशस्त्र सेना के वीरों को हमारा नमन है। अपनी मातृभूमि के सम्मान और उसकी सीमाओं के रक्षा के लिए हम पुनः स्वयं को समर्पित करते हैं। सशस्त्र सेनाओं की और उनके परिवारों, आश्रितों की बेहतरी के लिए हमारे प्रयास जारी रहेंगे। जिन्होंने भी मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया उनके परिवार की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए हम कृतसंकल्प हैं।
राष्ट्र की सुरक्षा हमारा प्रथम दायित्व है। इस कर्तव्य के निर्वाह के लिए हमें ये ध्यान रखना होगा कि पिछले दशकों में सैन्य सुधार के मामलों की जो अनदेखी हुई है, उन गलतियों को भी सुधार जाए। भारत की सुरक्षा और सेना की बेहतरी के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
राजनैतिक अस्थिरता, परिवारवाद-वंशवाद और कपट की राजनीती से मुक्ति पाने का ये आम चुनाव एक बड़ा मौका है। चुनौती की इस घड़ी में, जब देश की संवैधानिक संस्थाएं खतरे में हैं, लोगों का लोकतंत्र से भरोसा उठता जा रहा है, तो हम सभी राष्ट्रवादियों को एक जुट होने की जरुरत है। आज आगे की तरफ दबढ़ते और एक उभरते हुए प्रगतिशील भारत की और देखने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी में देश एक ऐसा नेता देखता है जो परम्पराओं और प्रगति के बीच संतुलन स्थापित कर सके। एक नेता जो देश को भी समझता है और विश्व पटल पर भी सभी वर्गों के लिए स्वीकार्य नेतृत्व है, सिर्फ तेरह महीनों में उस नेतृत्व ने शासन के नए प्रतिमान स्थापित कर दिए हैं। चाहे वो राष्ट्र की सुरक्षा का मुद्दा हो, राज्यों के बीच आपसी समन्वय हो, आर्थिक सुधार हों या फिर केंद्र और राज्य के परस्पर सम्बन्ध, हर क्षेत्र में नयी दिशाएं प्रशस्त हुई हैं। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग अपने अधूरे पड़े काम के लिए एक स्पष्ट जनादेश मांग रहा है।
भारत को एक नयी सदी में ले जाने के लिए राजग का एजेंडा तय है और वो इसी पर आगे बढ़ना चाहती है। इस मौके पर हमारी अपील है की हमारे लक्ष्य को ध्यान में रखा जाए :
राष्ट्रीय सुरक्षा – सशस्त्र बलों को सामरिक स्थिति के लिए तैयार रखना;
- राष्ट्रीय पुनःनिर्माण – भेदभाव को बढ़ावा देने वाले मुद्दों को जड़ से उखाड़ फेंकना, और आम सहमती की और बढ़ना;
- परिवर्तनशील कूटनीतिक प्रयास – अपनी मातृभूमि को वैश्विक पटल पर गौरव प्रदान कराना;
- राज्यों में समन्वय – राज्यों के बीच आपस में और केंद्र-राज्य संबंधों की स्थापना;
- आर्थिक सुधार – तकनीकी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करके तेज और सर्वांगीण विकास;
- धर्म निरपेक्षता – समुदायों के बीच भावनात्मक सौहार्द्य, साथ ही अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा;
- सामाजिक न्याय – कमज़ोर तबकों और महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ-साथ लैंगिक समानता स्थापित करने का प्रयास;
- ईमानदारी – फैसलों में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था;
प्रस्तावना
श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के गिरने से जब राजनैतिक शून्य वाली स्थिति बन गयी और अपने कहे मुताबिक कांग्रेस और उसके सहयोगी वाम दल “पांच मिनट” में सरकार नहीं बना पाए। ऐसे में जनता का विश्वास लोकतांत्रिक व्यवस्था से उठता जा रहा था। लोगों का विश्वास राजनीति और राजनेताओं से भी उठ रहा था; ऐसे में कुछ राष्ट्र के प्रति समर्पित राजनीतिक दल आगे आये और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग की स्थापना हुई। इसका मकसद भारत की राजनीति को एक नयी दिशा देना था।
राजग की स्थापना का उद्देश्य आम जनता के विश्वास में बढ़ोत्तरी, समान सोच वाले लोगों को साथ लाना, और सबसे जरुरी उन समान उद्देश्यों की पूर्ति करना था, जो हमारे लोकतंत्र का मूल है।
ये एक सामाजिक संज्ञान और ऐतिहासिक जरुरत थी जिसने हमें समझाया कि हमारा नवोदित लोकतंत्र हर रोज़ के चुनावों के झटके नहीं झेल सकता; इससे लोगों की व्यवस्था में आस्था कम हो जाती है। यही राजग के जन्म का कारण था। साझा मुद्दों और एक सामान विचारों के आधार पर हमने आपसी मतभेदों को भुलाकर, एकजुट शक्ति के रूप में अपने राजनीतिक विरोधियों का सामना करने की ठानी है, ताकि हम अपने देशवासियों को एक मजबूत, स्थिर और प्रगतिशील सरकार दे सकें।
हमें गर्व है कि राजग देश के हितों और देश की अपेक्षाओं दोनों का प्रतिनिधित्व करती है। राजग और कुछ नहीं बल्कि देश की विविधता में एकता, समरसता और संघीय ढांचे का प्रतिनिधित्व करती है।
हमारा उद्देश्य
राजग का राजनैतिक उद्देश्य सरकार और लोगों के बीच भरोसे का एक पुल बनाना है। केवल इसी तरीके से लोकतंत्र फल-फूल सकता है। ये दुःख की बात है कि पिछले पचास वर्षों में के एक ही राजनैतिक दल के शासन में इस बात की अनदेखी की गई है।
इसलिए राजग वादा करती है भारत को एक ऐसी सरकार देने का जो यहाँ के लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं पर खरी उतरे। जाति, धर्म और आर्थिक स्तर के भेदभाव से ऊपर उठकर, वो सबकी सरकार हो – ना कि मुट्ठी भर अभिजात्य लोगों की।
राजग नयी है, लेकिन उन्नति और न्याय के लिए राजग भविष्य है, और एक बहुमुखी आन्दोलन है।
हमारा उद्देश्य है कि आधुनिक योजनाओं के कार्यान्वयन के जरिये हम एक प्रबुद्ध भारत का निर्माण कर सकें।
हमने अल्पसंख्यकों की ओर अपने हाथ बढ़ाये हैं, और हम सभी को यकीन दिलाना चाहते हैं कि संविधान में वर्णित अधिकारों को बनाये रखा जायेगा। राजग पूरे भारत की जनता का के साथ है। यहाँ किसी को छोड़कर आगे नहीं बढ़ा जायेगा अथवा किसी तरह की नाइंसाफी नहीं होगी और कोई भेद भाव नहीं बरता जायेगा।
अल्पसंख्यक समुदायों के हमारे भाइयों और बहनों से हमारी अपील हम निम्न शब्दों में करते हुए अपना हाथ उनकी तरफ बढ़ाते हैं :
आइये हाथ मिलाइए और हम कदम से कदम मिलाकर एक प्रगतिशील और आधुनिक भारत का निर्माण करें।
आइये पुराने बैर-भाव को भूलकर आगे बढ़ें।
आइये बंटवारे की राजनीति को जड़ से मिटा दें।
आइये बहस के मुद्दों को आपसी बातचीत से सुलझाएं।
आइये विश्वास और मैत्री के डोर से एक दुसरे के साथ जुड़ें।
हम चाहते हैं कि एक ऐसा भारत बने जिसके भविष्य में हम सभी की हिस्सेदारी हो। अलगाववादी नहीं बल्कि एकता के भावों के साथ हम नयी सदी में एक नए विश्वास के साथ प्रवेश करें।
यह एकजुटता के लिए हमारी पुकार, अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति हमारी जवाबदेही को भी दर्शाती है।
सरकार गठन संबंधी हमारी कार्यसूची
अच्छे शासन का वादा
- हमारी पहली जवाबदेही जनता को एक स्थिर, ईमानदार, पारदर्शी और असरदार सरकार देने की है, जो बहुमुखी विकास करने में समर्थ हो। इसके लिए सरकार समयबद्ध योजनायें बनाएगी और उनके जरिये प्रशासनिक सुधार करेगी। इन सुधारों में पुलिस और कार्यपालिका के सुधार भी शामिल हैं।
अर्थव्यवस्था
हम आर्थिक सुधारों को जारी रखते हुए उसमें स्वदेशी की विचारधारा का समन्वय करेंगे ताकि भारत की अर्थव्यवस्था “भारतीय लोगों द्वारा निर्मित” पर निर्भर हो। सुधारों की प्रक्रिया का पुनः मूल्यांकन किया जायेगा ताकि बेरोजगारी की समस्या का निवारण हो और आधारभूत संरचनाओं, ख़ास तौर पर उर्जा और विद्युत् निर्माण का विकास हो सके। हम सकल घरेलु उत्पादन के विकास की दर को 7-8% के बीच रखते हुए राजकोषीय और राजस्व घाटे को नियंत्रण में लायेंगे। राजकोष जिम्मेदारी अधिनियम को लाने की संभावनाओं पर भी विचार किया जायेगा।
हम वो हर संभव प्रयास करेंगे ताकि राष्ट्र के हित में नीतियों का निर्धारण हो और विकास को एक मानवीय दृष्टिकोण दिया जा सके। इस कार्य हेतु “बेरोज़गारी हटाओ” हमारा नारा होगा। स्वदेशी कोई नया अविष्कार नहीं है। इसके जरिये हम सिर्फ स्थानीय उद्यम को बढ़ावा देंगे जिससे कि वो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मुकाबला कर सकें। हम चाहेंगे कि स्थानीय निकाय भी कल अंतर्राष्ट्रीय स्तर का दर्ज़ा हासिल कर सके। यहाँ ये ध्यान रखना चाहिए कि देश का काम विदेशी पूँजी निवेश के बिना नहीं चल सकता क्योंकि विदेशी पूँजी के साथ ही तकनीकी, और अन्तराष्ट्रीय मानक आते हैं और इसकी सबसे ख़ास बात ये है कि इससे रोजगार की संभावना बढती है।
हमारा उद्देश्य है कि हम हर साल कम से कम दस बिलियन डॉलर का निवेश ला सकें। पुराने वामपंथी ढांचे में सब कुछ सरकारी कब्ज़े में होता था और अतिदक्षिण पंथ में सब कुछ बाजार पर छोड़ दिया जाता है। हम दोनों से इनकार करते हैं। सरकार और उद्योग जगत को साथ मिलकर काम करना होगा ताकि हर रोज़ तेज़ी से बदलते बाजार को सुचारू रूप से चलाया और नियंत्रण में रखा जा सके। जिस तरह गुलामी, उपनिवेशवाद, स्माल पॉक्स, कॉलरा जैसी चीज़ें आज इतिहास की बाते हो गई हैं, हम चाहते हैं दरिद्रता-गरीबी भी इतिहास हो जाये। इसके लिए हमें अपनी प्राथमिकताओं को फिर से तय करना होगा। गरीबी उन्मूलन की योजनाओं को मुख्य योजनायें बनाना हमारी प्राथमिकता होगी – ताकि २१वीं सदी के पहले ही दशक में हम गरीबी को मिटा देने की अपनी नैतिक जिम्मेदारी पूरी कर सकें।
3. हम वैश्वीकरण के नतीजों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन करेंगे, उसकी प्रक्रियाओं को अपने राष्ट्रीय स्थितियों और जरूरतों के हिसाब से सजायेंगे। इससे वो हमारे राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती नहीं सहायक बन पायेगी और हमारी आर्थिक और सेवा की इकाइयों को मदद मिल सकेगी।
4. कृषि के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हमारा प्रयास होगा कि हम योजनागत निवेश के करीब 60% को कृषि, ग्रामीण विकास, जल आपूर्ति जैसे कार्यों में लगायें और उचित टैक्स बचत की योजनायें बनायें। इस से कृषि, मधुमक्खी पालन, मत्स्य उद्योग, इत्यादि को बढ़ावा मिलेगा और लोगों की खरीदने की क्षमता बढ़ेगी। पशु पालन ख़ास तौर पर गाय और उसके वंश पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। यह रोजगार बढ़ाने का एक उपाय है। सब्सिडी को इस तरीके से दिया जायेगा की वो सीधा किसान तक पहुँच सके। छोटे और माध्यम दर्जे के सिंचाई के कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाएगी और इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देकर इसका विकास होगा।
5. हम राष्ट्रीय जल नीति का निर्माण करेंगे ताकि पानी सम्बंधित मसलों का तेजी से निपटारा किया जा सके। गंगा-कावेरी नदियों को जोड़ने का काम समयबद्ध = तरीके से होगा और सेतु समुद्रम कैनाल योजना भी कार्यान्वित की जाएगी।
6. राष्ट्रीय बचत को सकल घरेलु उत्पाद के 30% पर पहुँचाने के लिए अगले पांच सालों में योजनायें लायी जाएँगी। जरुरी क्षेत्रों में विदेशी पूँजी निवेश के जरिये उसे बढ़ावा दिया जायेगा ताकि राष्ट्रीय प्रयासों को बल मिले। साथ ही गैर-जरूरी क्षेत्रों में विदेशी पूँजी निवेश को कम किया जायेगा।
7. स्वरोजगार के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के लिए आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक सुरक्षा की जरूरतों का अध्ययन किया जायेगा। एक विकास बैंक का निर्माण कर ऐसे स्वरोजगार उन्मुख उद्यमों को बढ़ावा दिया जायेगा। छोटे स्तर के और ग्रामीण खादी, हथकरघा, हस्तशिल्प और अन्य ऐसी छोटी श्रम योजनाओं को बढ़ावा दिया जायेगा ताकि रोजगार के इस असीमित विकल्प का भी लाभ उठाया जा सके।
8. आधारभूत संरचनाओं ख़ास तौर पर उर्जा और विद्युत् के क्षेत्रों में सरकारी खर्च को बढाया जायेगा। इस मामले में हम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार से लम्बे समय के लिए निवेश लेंगे तथा प्रशासनिक अवरोधों को हटाया जायेगा। इस तरह से तरक्की को तेज किया जा सकेगा। गैरसरकारी निवेशों को भी बढ़ावा दिया जायेगा।
9. कानूनों और नियमों की समीक्षा की जाएगी ताकि जो भी लाल फीताशाही की वजह से होने वाली देरी है, वो ना हो। नियमों ख़ास तौर पर टैक्स सम्बन्धी नियमों को इतना सुविधाजनक होना चाहिए कि लोग स्वेच्छा से उसमें सहयोग करें। सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों में भी जरुरी सुधार किये जायेंगे, विनिवेश और पुनःनिर्माण किये जायेंगे।
व्यापार और वाणिज्य
10. हम निर्यात के क्षेत्र में नयी संभावनाओं की तलाश करेंगे ताकि फूलों और अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात बढाया जा सके। हम मजबूत व्यवस्थाओं के निर्माण के जरिये एक विक्सित जी.एस.टी.पी. (global system of trade preferences) बनायेंगे ताकि विकासशील राष्ट्रों के बीच समन्वय बेहतर हों। हम भारत के हितों को आने वाले विश्व व्यापर संगठन की बैठक में (नवम्बर, 1999) ज्यादा मजबूती से रखेंगे। एक स्वस्थ प्रक्रिया का निर्माण होगा ताकि वो खुद ही अपने पर नियंत्रण रख सके।
श्रम
11. हम संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्र के मजदूरों को देश के विकास में बराबरी का हिस्सेदार बनायेंगे। पुरुष और स्त्री श्रमिकों के बराबर के काम और मजदूरी से सम्बंधित नियमों का कड़ाई से पालन करवाया जायेगा।
बेरोजगारी उन्मूलन
12. हम मानते हैं कि काम करना हर नागरिक का अधिकार है इसलिए नयी सरकार का मुख्य उद्देश्य ‘बेरोज़गारी हटाओ’ होगा। अभी के रोजगार विमुख विकास के बदले हमारी सरकार विकास को रोजगार से मापेगी। हमारे निवेश का मुख्य मुद्दा कृषि, असंगठित क्षेत्रों, आधारभूत संरचनाओं और निर्माण में होगा ताकि जल्दी से जल्दी रोजगार पैदा किये जा सकें।
13. हमारा गठबंधन गरीबों के हित में नीतियाँ बनाएगा ताकि गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहे लोगों को दया भाव से नहीं बल्कि एक राष्ट्र निर्माण की इकाई के तौर पर देखा जाये। हम हर संभव प्रयास करेंगे ताकि गरीबों को रोजगार के लिए इधर उधर ना भटकना पड़े। उनके हितों में चलायी गयी योजनाओं का सुचारू रूप से कार्यान्वयन होगा। इस क्षेत्र से जुड़े गैर सरकारी संगठनो, जिनका अनुभव इस क्षेत्र में काम करने का काफी ज्यादा है, हम उन्हें भी अपने साथ लेकर चलेंगे और उनके व्यापक अनुभवों का लाभ लेंगे।
खाद्य सुरक्षा और कीमतों का नियंत्रण
14. हम सबके लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे ताकि भारत अगले पांच सालों में भूख से मुक्त हो सके। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को दुरुस्त किया जायेगा तथा हम उसमे और सुधार लायेंगे ताकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के सबसे गरीब वर्ग को उसका लाभ मिल सके। हम कीमतों की बढ़ोत्तरी पर पर्याप्त नियम बनायेंगे ताकि कीमतों के उतार चढ़ाव पर नियंत्रण किया जा सके।
स्वास्थ्य एवं पेय जल
15. हम शुद्ध पेय जल की आपूर्ति हेतु हर संभव प्रयास करेंगे, जिससे अगले पांच सालों में हर गाँव तक पीने योग्य पानी पहुँच सके। परंपरागत तरीकों से जल संशोधन और जल संरक्षण के उपायों को गाँव और शहर दोनों जगह युद्ध स्तर पर शुरू किया जायेगा।
सर्व शिक्षा अभियान
16. हम निरक्षरता के सम्पूर्ण उन्मूलन के लिए कृतसंकल्प हैं। हम शिक्षा के क्षेत्र में निवेश को धीरे धीरे बढ़ा कर सकल घरेलु उत्पाद के 6% तक ले जायेंगे, जिससे सबको शिक्षा मिल सकेगी। प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त और कक्षा 5 तक सबके लिए जरुरी कर देने के संवैधानिक संकल्प के लिए वचनबद्ध हैं। हमारा मकसद है कि स्कूल छोड़ने तक सबको बराबर के मौके मिलें और स्तरीय शिक्षा प्राप्त हो। प्राथमिक विद्यालयों से लेकर विश्विद्यालय स्तर तक हम शिक्षा में सुधार को प्राथमिकता देंगे।
सबके लिए घर
17. मकान इंसान की बुनियादी जरूरतों में से एक है जिसे सबसे पहले प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसलिए हम राष्ट्रीय आवास नीति का राज्य सरकारों के साथ मिलकर विकास करेंगे। इस मकसद की पूर्ती के लिए हम सालाना बीस लाख मकान बनाने पर जोर देंगे। अन्य सभी कार्यक्रमों की तरह यहाँ भी गरीब और वंचित वर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी।
महिला सशक्तिकरण
18. हम संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का विधेयक लायेंगे। इसके साथ ही महिलाओं के लिए कॉलेज स्तर तक की शिक्षा (तकनीकी शिक्षा सहित) मुफ्त दी जाएगी, ताकि महिलाएं और सशक्त हों। महिला उद्यमियों के लिए एक विकास बैंक की स्थापना होगी ताकि छोटे और बहुत छोटे स्तर के उनके उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सके।
युवा शक्ति विकास
19. युवा आज हमारे समाज का एक बड़ा हिस्सा हैं। वो परिवार, ग्राम, स्थानीय समाज की शक्ति हैं। हम हर संभव प्रयास करेंगे कि विचारशील, उत्साही, आदर्शवादी, युवा वर्ग के सभी लोगों को राष्ट्र निर्माण में अपने साथ रखें। इस हेतु हम राष्ट्र पुनःनिर्माण दल (National Reconstruction Corps) का गठन करेंगे जिसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण सुरक्षा एवं संरक्षण, बंजर भूमि का विकास, वृक्षारोपण और शिक्षा होगा। खेलों के विकास के लिए भी हम समय बद्ध कार्यक्रम बनायेंगे।
बच्चे
20. हम बच्चों के लिए राष्ट्रीय चार्टर पेश करेंगे। हमारा मकसद है कि कोई बच्चा भूखा ना रहे, अशिक्षित ना हो, ना ही उसे स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं की कोई कमी हो। बाल श्रम के उन्मूलन हेतु भी हम प्रयासरत रहेंगे।
आबादी नियंत्रण
21. हम आबादी नियंत्रण के मकसद को 2010 में पा लेना चाहते हैं। इसके लिए मोहल्ले/ वार्ड/बस्ती तक के स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं, प्राथमिक शिक्षा और गर्भ निरोधकों का प्रसार किया जायेगा एवं महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जायेगा।
22. विधवाओं के लिए अर्थोपार्जन की योजनाओं का विकास होगा ताकि राज्य सरकारों के साथ मिलकर उन्हें रोजगारपरक शिक्षा दी जा सके।
23. भारत में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हम ये भी सुनिश्चित करेंगे कि उनके सम्मानित नागरिक होने का दर्ज़ा बरकरार रहे।
संवैधानिक और क़ानूनी सुधार
24. हम संविधान की समीक्षा के लिए एक कमिटी का निर्धारण करेंगे जो सिर्फ 1996 से नहीं बल्कि आजादी के बाद से हुए सारे बदलावों और अनुभवों के आधार पर संविधान की समीक्षा करेगी और अपनी राय रखेगी।
25. हमारा विश्वास है कि वो समय आ गया है जब राज्यों को और ज्यादा स्वायत्ता दी जाये। राज्य-केंद्र संबंधों को सुधारने के लिए सरकारिया कमीशन की सिफारिशों पर गौर किया जायेगा। हम विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देंगे और ग्राम स्तर तक पंचायतों और अन्य स्थानीय सरकार के विकास पर जोर देंगे। पिछले पांच दशकों के दौरान जिन इलाकों में ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं उन इलाकों पर विशेष जोर दिया जायेगा।
हर राज्य के लिए एक पिछड़े इलाकों की समिति बनाई जाएगी ताकि उनके विकास के उपाय सुझाये जाएँ। संविधान के अनुच्छेद 8 में शामिल सभी 19 भाषाओँ के सरकारी भाषा के रूप में इस्तेमाल किये जा सकने की संभावनाओं पर भी जोर दिया जायेगा। सीमावर्ती राज्यों में सरकारें पांच साल चल सकें, ये सुनिश्चित किया जायेगा। अभी के अविश्वास प्रस्ताव को जर्मनी के “अविश्वास के सकारात्मक मत” से बदले जा सकने की संभावना पर भी विचार किया जायेगा।
26. हम गोस्वामी कमिटी, इन्द्रजीत गुप्ता कमिटी और लॉ कमीशन की सिफारिशों के आधार पर जरूरी चुनावी सुधार करेंगे, जिस से राजनीती में अपराधीकरण और भ्रष्टाचार कम हो सके, चुनावी कुप्रथाओं पर रोक लगाई जा सके और दल बदल को रोका जा सके।
27. उत्तर पूर्व परिषद् को हम पुनःजीवित करेंगे, जिससे उत्तर पूर्व के राज्यों की सीमाओं की सुरक्षा हो सके, उनके विकास पर विशेष ध्यान दिया जा सके और वहां प्रशासनिक सुधर और सुरक्षा सम्बन्धी कार्यक्रम चलाये जा सकें।
28. हम राष्ट्रीय न्याय परिषद् की स्थापना करेंगे जो उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायलय में न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बन्धी सलाह दे सके और न्यायाधीशों के लिए व्यवहार के मापदंडों की स्थापना कर सके। राज्य विधानसभाओं, कार्यपालिका और न्यायालय के उच्च पदों पर सिर्फ जन्म से भारतीय नागरिक ही चुने जाएँ इसके लिए भी हम विधेयक लायेंगे। हम नागरिकों के लिए बहु उद्देशीय पहचान पत्र जारी करेंगे और नागरिकों का राष्ट्रीय पंजीकरण भी करेंगे।
29. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी क़ानूनी प्रक्रियाएं और व्यवस्थाएं हों जिससे सेना में काम करने वाले हमारे वीर सैनिक मतदान कर सकें।
भ्रष्टाचार
30. हम लोकपाल विधेयक लायेंगे जो किसी के भी खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर सके (प्रधानमंत्री तक की)। न्याय मिलने में अमीर और गरीब; शक्तिशाली और कमजोर का भेद नहीं रहने दिया जायेगा। कानून की सर्वोच्चता और राज्य की वस्तुनिष्ठ स्थिति सुदृढ़ की जाएगी।
नए राज्य
31. हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे और उत्तराँचल, वनांचल, और छत्तीसगढ़ के नए राज्य बनायेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा
32. आज के समय में ये जरूरी है कि भारत की सामरिक तैयारी हमेशा पूरी हो। सेना के मनोबल और उसकी युद्ध की तैयारियों में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
33. हाल में ही स्थापित किये गए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति का काम होगा इस मुद्दे पर सरकार को यथासमय सलाह दे और आणविक हमले को रोकने में सक्षम एक विश्वसनीय व्यवस्था का विकास करे। विश्व में व्याप्त ऊँच-नीच और बढ़े हुए खतरों के दौर में ये जरूरी है। राजग बजट में कमी की वजह से हो रही सुरक्षा सम्बन्धी तैयारियों की कमी को दूर करेगी और इसके लिए जरूरी बजट जारी करेगी। पेंशन में हो रहे ऊँच-नीच के भेदभाव को भी राजग दूर करेगी। भूतपूर्व सैनिकों के भले के लिए एक नयी व्यवस्था का निर्माण किया जायेगा।
आन्तरिक सुरक्षा
34. हम सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध हैं। इस उद्देश्य की पूर्ती के लिए हम भारत को दंगा मुक्त और आतंक मुक्त बनायेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
35. पिछले 13 महीनों के दौरान सरकार ने ये सिद्ध किया है कि वो भारत को विश्व पटल पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिला सकती है। हमने ये भी सिद्ध किया है कि हमारे दोस्ती के रवैये को हमारी कमजोरी ना समझा जाए। किसी भी घुसपैठ की कोशिश से पूरी सख्ती से निपटा जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संपर्क और आपसी समझ का भी निर्माण हुआ है। ये बातचीत की प्रक्रिया आगे भी जारी रखी जाएगी ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में हमारी पकड़ कायम रहे।
हम अतर्राष्ट्रीय समुदायों में और सार्क एवं एशियान जैसे उप महाद्वीपीय समुदायों में राजनयिक सम्बन्ध बढ़ाने के कुटनीतिक प्रयास जारी रखेंगे ताकि हमारे आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा सम्बन्धी चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके। जी.एस.टी.पी. जैसे किसी भी आर्थिक या व्यापारिक सहयोग के प्रयासों को बढ़ावा दिया जायेगा। भारत के हितों को और मजबूती से सामने रखा जायेगा। अगले दिसम्बर 1999 में होने वाले वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाईजेशन की बैठक में हम भारत को उभरती हुई विश्व की आवाज़ के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।
सच्ची धर्मनिरपेक्षता
36. हम एक सभ्य, मानवीय और न्यायप्रिय व्यवस्था के समर्थन में हैं जो जाति, धर्म, सामाजिक स्तर, रंग, समुदाय या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करती। हम धर्म निरपेक्षता के मुद्दे को भारतीय परम्पराओं के अनुसार ‘सर्व पंथ समादर’ के आधार पर देखते हैं और सबके लिए बराबरी का भाव रखते हैं। हम अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक विकास के लिए कृतसंकल्प हैं और इस दिशा में ही कदम बढ़ाएंगे।
अनुसूचित जातियां, जनजातियाँ और अन्य पिछड़ी जातियां
37. अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के हितों की पूरी सुरक्षा के लिए हमारी वचनबद्धता है। इसके लिए उचित क़ानूनी, कार्यपालिका और सामाजिक स्तर के प्रयास किये जायेंगे। अभी के आरक्षण के सरकारी स्तरों को केंद्र और राज्य स्तर पर बनाये रखने के लिए क़ानूनी मदद दी जाएगी। अगर जरुरत पड़ी तो संविधान में जरुरी संशोधन कर के आरक्षण को सुनिश्चित किया जायेया। अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए हर संभव सहायता दी जाएगी। इसके अलावा हम सामाजिक न्याय का राष्ट्रीय चार्टर लायेंगे जो सामाजिक समरसता के सिद्धांतों पर आधारित होगा। अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण को हम अगले दस वर्षों के लिए बढ़ाएंगे। कई राज्यों में जहाँ 50% से ज्यादा आरक्षण दिया जा रहा है वहां हम क़ानूनी सुधार कर के इसे जारी रखने की व्यवस्था करेंगे।
पर्यावरण
38. हम एक कानूनी दायरा बनायेंगे जिसके जरिये पर्यावरण की सुरक्षा की जा सके और राष्ट्रीय पर्यावरण नीति से समन्वय बनाया जा सके। वनवासी फण्ड का निर्माण किया जायेगा ताकि वनवासियों को सुविधा दी जा सके। अवैध शिकार को रोकने के लिए वन्य सुरक्षा शिकार रोधी संस्था का निर्माण किया जायेगा। गंगा और यमुना नदियों की सफाई के लिए नए पुराने सभी कार्यक्रमों को पुनर्जीवित किया जायेगा। अन्य जल स्त्रोतों के लिए भी ऐसी ही योजनायें चलाई जाएँगी।
प्रसार भारती
39. हम प्रसार भारती अधिनियम की समीक्षा करेंगे और एक ब्राडकास्टिंग बिल लायेंगे जिससे निजी प्रसारणकर्ताओं पर निगरानी रखी जा सके और भारतीय हितों की सुरक्षा की जा सके। टेलीवीजन प्रसारण में विदेशी पूँजी का निवेश को 20% पर स्थिर रखा जायेगा ताकि भारत में एकाधिकार वाले चैनल ना पनप पायें।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
40. भारत में सतत विकास की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए कई सालों से विज्ञान और तकनीकी समन्वय की जरुरत है। बरसों से भारत की उन्नति और समृद्धि के लिए जरुरी इस पहलु को नजरअंदाज किया जा रहा है। हम इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाएंगे ताकि इस क्षेत्र में जरूरी अनुसन्धान और विकास किया जा सके। राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का नवीनीकरण किया जायेगा और पहले से मौजूद संस्थानों को मजबूती दी जाएगी। नए संस्थानों की स्थापना भी की जाएगी ताकि वो नीतिगत फैसलों में बदलाव से अछूते रहें।
सूचना एवं तकनीक
41. सुचना तकनीक की नयी विधा दुनिया भर को अपने घेरे में ले रही है। तकनीकी देश को भविष्य की ओर ले जाने वाला वाहन है। हम इस बात के लिए समर्पित है कि भारत इस वैश्विक प्रक्रिया में पीछे ना छूटे। भारत सॉफ्टवेयर के मामले में विश्व पटल का एक मजबूत खिलाड़ी बनकर उभरा है। इस उद्देश्य के लिए हम राष्ट्रीय सूचना नेते लायेंगे जिसमें छोटे, मध्यम और लम्बे समय के लिए हमारे लक्ष्य स्पष्ट होंगे।
सर्व सम्मति की सरकार
42. शासन की व्यवस्था में हम ये बदलाव लायेंगे की सौ करोड़ की आबादी वाला दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा सिर्फ बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक की राजनीति पर नहीं चल सकता। बहुमत के दबाव ने अनावश्यक कटुता, दुर्भावना और आमने-सामने की स्थिति पैदा कर दी है। इसकी वजह से नकारात्मक राजनीति और राजनैतिक अछूतों का एक दौर शुरू हो गया है, जिससे फ़ौरन निपटने की जरूरत है। हम एक आम सहमती बनायेंगे जिस से राष्ट्र के सामने मौजूद सभी कठिन मुद्दों से निपटा जा सके। जहाँ तक हो सके हम आम सहमती से ही सरकार चलाने की कोशिश करेंगे।
निष्कर्ष
ये राष्ट्रीय एजेंडा एक विशाल और महान देश की राजनीती की दशा बदलने की दिशा में किया गया ईमानदार और गंभीर प्रयास है। हमारा इरादा है कि भूख, भय और भ्रष्टाचार के तीन दानवों से नवीन भारत को मुक्ति दिलाकर उसे एक संपन्न, समृद्ध, सुदृढ़ राष्ट्र की तरह आत्मविश्वास से दुनियां के कदम से कदम मिलाने लायक बनाया जाए। हम सभी राजनैतिक दलों और समाज के सभी वर्गों से अपील करते हैं कि हमारे इस महत्त प्रयास को सफल बनाने में हमें अपना सहयोग दें।
Charter of Commitments & Our Achievements
हमारे वायदे और उपलब्धियां
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
- भारत भारतीय लोगों द्वारा बनाया जायेगा।
- बेरोज़गारी हटाओ
- रोजगार के अवसरों के आधार पर विकास को मापा जाये
- भूख मुक्त भारत, सबके लिए खाद्य सुरक्षा
- सबके लिए स्वास्थ्य
- सभी गाओं में पीने योग्य पानी
- निरक्षरता का निवारण
- कक्षा पांच तक अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा
- बाल मजदूरी का उन्मूलन
- बच्चों के लिए राष्ट्रीय चार्टर का निर्माण
- पुलिस एवं प्रशासनिक सेवाओं के लिए व्यापक व्यवस्था सुधार
राष्ट्रीय सुरक्षा
- सशस्त्र सेनाओं के लिए लगातार तैयारी, हौसले और संसाधनों की आपूर्ति
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद् सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सलाह देगी और आणविक हमलों से निपटने की तैयारी करेगी
- रक्षा जरूरतों के लिए बजट में कटौती नहीं की जाएगी और पिछली कमियों को भी दूर किया जायेगा
- पेंशन सम्बन्धी अनियमितताओं को दूर किया जायेगा
- भूतपूर्व सैनिकों के भले के लिए बनी योजनाओं का पुनर्मूल्यांकन किया जाए और व्यवस्थाएं सुचारू की जाएँगी
अर्थव्यवस्था
- आर्थिक सुधारों को पुनःजीवित किया जाए जिसमें बेरोजगारी, आधारभूत संरचनाओं, कृषि सम्बन्धी उद्योगों और ग्रामीण विकास पर जोर दिया जायेगा
- सकल घरेलु उत्पाद के विकास की दर 7-8% तक पहुंचाई जाये
- राजकोषीय और राजस्व के घाटों को काबू में लाया जाये; राजस्व के नियमन के लिए विधेयक लाया जाएगा
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाये और परंपरागत, स्थानीय निकायों को बल दिया जाये
- राष्ट्रीय बचत को सकल घरेलु उत्पाद के 13% पर पहुँचाया जाए
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में और सुधार लाया जायेगा
कृषि
- योजना के 60% निवेश को कृषि, ग्रामीण विकास और सिंचाई जैसे कार्यक्रमों के लिए रखा जायेगा
- कृषि आश्रित आबादी को सब्सिडी का अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना
- पशुपालन के वैज्ञानिक तरीकों का विकास और संविधान में वर्णित गौ और गौ वंश की वृद्धि के लिए कार्य करना
वित्त व्यवस्था
- बीमा और प्रोविडेंट फण्ड के सरकारी इस्तेमाल में कमी करके मूलभूत संरचनात्मक योजनाओं के लिए लम्बे समय का निवेश उपलब्ध करवाना
- प्रोविडेंट फण्ड और बिमा कंपनियों द्वारा शेयर बाजार में निवेश सुनिश्चित करना
- खुदरा बचत की दिशा म्यूच्यूअल फण्ड के निवेश की और मोड़ना
- दवा निर्माण के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए निवेश
- निवेश विकास बोर्ड का निर्माण जो मौजूदा एफ.आई.पी.बी. से अलग हो
वाणिज्य और व्यापार
- निर्यात के उद्देश्य वाले विशेष उत्पादों पर विशेष ध्यान
- मधुमक्खी पालन और फूलों की खेती के लिए विशेष व्यवस्था
- विश्व व्यापार संगठन की नवम्बर 1999 की बैठक में भारतीय हितों का विशेष उल्लेख। अपने क्षेत्र में जी.एस.टी.पी. की तर्ज पर एक व्यवस्था का निर्माण और उसे सहयोग
- वस्तु विनमय को सुचारू रूप से चलने देने के लिए व्यवस्था का विकास
उद्योग
- उद्योगों के बंद होते समय के लिए और दोबारा शुरू करने की प्रक्रिया को आसान रखने के लिए Commercial Insolvency Tribunal की स्थापना
- कलाकारों, छोटे स्तर के और ग्रामीण बुनकरों और हस्तशिल्पियों को समर्थन देने के लिए तकनीकी सेवाओं को सहयोग उपलब्ध करवाना
मूलभूत संरचनाएं
- मूलभूत संरचनाओं के विकास में उर्जा और यातायात पर विशेष ध्यान देना
- सभी मुख्य हवाई अड्डों और बंदरगाहों के आस पास बड़े शीत भंडारण की सुविधा का इंतजाम
- उर्जा की खरीद बिक्री के इंतजाम करना, राष्ट्रीय परिचालन नेटवर्क की स्थापना, योजना के मंजूर होने की प्रक्रिया को आसान बनाना और एस.ई.बी. का परिवर्तन
- दिल्ली विद्युत् बोर्ड का पुनर्गठन
- पर्यटन के विकास को बुनियादी मुद्दा बनाना और पर्यटन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का निर्माण
खाद्य
- भारतीय खाद्य विकास बैंक की स्थापना
- भण्डारण के इंतजाम और ज्यादा क्षमता को वहन करने के तकनीकों का विकास। फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा अपने कृषि उद्योग के भण्डारण के लिए ठेकेदारों का प्रयोग
- राष्ट्रीय भण्डारण नीति का विकास
- अभी के शीत भण्डारण की क्षमता का विकास और बीमार उद्योगों को पुनः जीवित करना
श्रम
- सामान श्रम के मूल्यों और श्रम के घंटे निर्धारित करवाने वाले कानूनों का पालन करवाना
शिक्षा
- चुनिन्दा संस्थानों को पूर्ण प्रशासनिक और आर्थिक स्वायत्ता देना
- प्राथमिक शिक्षा को कक्षा पांच तक अनिवार्य और मुफ्त करना
निवास
- राष्ट्रीय गृह एवं आवास नीति का निर्धारण और सबको मकान मुहैया करवाना
स्त्रियों का विकास
- महिलाओं के संसद और विधानसभाओं में 33% आरक्षण के अधिनियम को पास करना
- कॉलेज स्तर तक महिलाओं के लिए शिक्षा को मुफ्त करना; तकनीकी शिक्षा भी मुफ्त मुहैया करवाना
स्वास्थ
- जनसँख्या नियंत्रण और चकित्सा सेवा उपलब्ध करवाना
- वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ मुहैया करवाना
केंद्र-राज्य सम्बन्ध
- केंद्र-राज्य संबंधों को सुचारू बनाने के लिए संविधान की समीक्षा समिति का गठन
- हर राज्य के लिए पिछड़े इलाकों की समिति
- आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओँ को एक समान सम्मान देने के लिए जांच समिति का गठन
- उत्तर-पूर्व परिषद् का पुनर्जागरण, सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना विशेष विकास योजनायें और सुरक्षा एवं प्रशासनिक सुधार
संविधान और क़ानूनी मसले
- चुनाव सुधारों के लिए गोस्वामी कमिटी की अनुशंसा के आधार पर राष्ट्रीय कमीशन का गठन
- लोकपाल विधेयक
- मंत्री परिषद् की ऊपरी सीमा का निर्धारण
- राज्य के वैधानिक, प्रशासनिक और न्यायिक विभागों के उच्च पदों पर केवल सामान्य रूप से भारत में जन्मे व्यक्तियों के चयन के लिए विधेयक
- सैनिकों के मताधिकार के लिए परोक्ष मतदान या अन्य कोई वैकल्पिक व्यवस्था करना
शोध एवं विकास
- राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का नवीनीकरण
- पुरानी प्रयोगशालाओं के साथ साथ नयी प्रयोगशालाओं का भी विकास
विदेश सम्बन्ध
- भारत को अन्य देशों के बीच एक सम्मानजनक स्थान दिलाना
- क्षेत्रीय संगठनो जैसे ASEAN और SAARC को बढ़ावा
- कुटनीतिक बदलाव लाकर आर्थिक और वाणिज्य की प्रगति, साथ ही ऊर्जा सुरक्षा
- भारत की आवाज़ को विकासशील देशों की आवाज़ बनाना
- पड़ोसी देशों से सम्बन्ध अच्छे करना।
सिंचाई
- अगले पांच सालों में 20 मिलियन हेक्टयेर जमीन को सिंचाई उपलब्ध करवाना
- अभी के 300 अधूरे पड़े सिंचाई योजनाओं में से 75% को अगले पांच साल में पूरा करवाना
मानव संसाधन विकास
राष्ट्रीय पुनःनिर्माण संघ को फिर से मजबूती दी जाएगी
खेलों के विकास के लिए समयबद्ध कार्यक्रम चलेंगे
विकलांगो/दिव्यांगों के लिए राष्ट्रीय कल्याण फण्ड का निर्माण
विकास परियोजनाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों का पुनर्वास
पर्यावरण
- जंगलों में रहने वालों के लिए वनवासी फण्ड का निर्माण
- शिकार प्रतिबंधित करने के लिए संस्था का निर्माण
- स्वच्छ गंगा और यमुना आदि नदियों के लिए परियोजनाएं चलाना
उर्जा
- राष्ट्रीय उर्जा नियमावली – 2000 का निर्माण उर्जा सुरक्षा के लिए करना
सुचना प्रौद्योगिकी
- सुचना जगत में शोध के जरिये भारत को विश्व पटल पर सूचना क्रांति के नेतृत्व के तौर पर स्थापित करना