विकास, सुशासन, शांति और सौहार्द्र के लिए राजग का एजेंडा


 

विकास, सुशासन, शांति और सौहार्द्र के लिए राजग का एजेंडा

 

 

14वीं लोकसभा के लिए चुनाव
अप्रैल-मई 2004

 

 

प्रस्तावना

पहली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार वर्ष 1998 में निर्वाचित की गयी। यह 1999 में पुनर्निर्वाचित हुई। 

राजग ने कांग्रेस पार्टी की खतरनाक अस्थिरताजनक युक्तियों द्वारा सृजित राजनीतिक अस्थिरता को खत्म करने का वादा किया था। हमने भारत को एक सक्षम नेता के नेतृत्व में एक स्थिर और उद्देश्यपूर्ण सरकार दे कर यह वादा पूरा किया।

गठबंधन धर्म के परस्पर विश्वास, नियमित विचार-विमर्श, सहमति निर्माण और साझा दृष्टिकोण की स्वीकार्यता जैसे नियमों का पालन करते हुए राजग ने दिखाया है कि जनता की आकाँक्षाओं को पूरा करने के लिए कैसे एक गठबंधन एकजुट हो कर काम कर सकता है।

हम 1999 के अपने घोषणापत्र की इस घोषणा पर खरे उतरे हैं कि : "राजग राष्ट्रीय हितों और क्षेत्रीय आकाँक्षाओं, दोनों का प्रतिनिधि है। राजग बहुआयामी विविधता, समृद्ध बहुलता और संघवाद में हमारे देश की एकता की प्रतिछाया है।"

राजग सरकार ने पिछले पाँच वर्षों के दौरान सभी मोर्चों पर भारत को आगे बढ़ाया है। 1999 के चुनाव में हमारे साझा घोषणापत्र को ‘गर्वित और समृद्ध भारत के लिए एजेंडा’ कहा गया था। आज, भारत पहले से कहीं अधिक समृद्ध है। भारतीयों में पहले से कहीँ अधिक गर्व, आशा और आत्मविश्वास है। आज भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर अधिक प्रतिष्ठा और मान्यता के साथ तन कर खड़ा है।

पाँच वर्षों में, हमारे देश ने अतीत की समस्याओं की विरासत से उबरने और 21वीं सदी के अवसरों को सीने से लगाने की अपनी क्षमता को प्रदर्शित किया है। भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय संबंधों को प्रकटतः कभी समाप्त न होने वाली शत्रुता से मित्रता की ओर ले जाने के सरकार के दृढ़ किंतु साहसिक प्रयासों के कारण सीमा पर शांति है। सभी बकाया मुद्दों को संवाद के माध्यम से सुलझाने के लिए वातावरण बनाया जा चुका है। यह सकारात्मक घटनाक्रम न केवल भारत और पाकिस्तान, बल्कि दक्षिण एशिया के भविष्य के लिए भी संभावनाओं से भरपूर है।

जम्मू और कश्मीर पुनः प्राप्त शांति की खुशी से दमक रहा है और अब विकास के पथ पर चलने को तैयार है। 2002 में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और संवाद प्रक्रिया के प्रति दृढ़संकल्प ने राज्य में नयी आशा उत्पन्न की है। पूर्वोत्तर के संकटग्रस्त इलाके राजग सरकार की संवाद के जरिये शांति और संघर्ष-समाधान के निरंतर प्रयासों का परिणाम देख रहे हैं। राजग सरकार इन इलाकों में अब कांग्रेस के लंबे कुशासन से विरासत के रूप में प्राप्त बची समस्याओं का समाधान कर रही है।

हमने आखिरकार ठहराव और सुस्त आर्थिक विकास के समय को पीछे छोड़ दिया है जो हमारी स्वतंत्रता के पहले 50 वर्षों के अधिकांश समय में दिखता रहा। 8% की जीडीपी वृद्धि दर, जिसका हमारे विरोधियों ने ‘मुंगेरी लाल के हसीन सपने’ कह कर मजाक उड़ाया था, वास्तविकता बन चुकी है और देश के राष्ट्रीय आपदाओं की श्रृंखला का सामना करने के बावजूद यह दर इससे भी आगे जायेगी। पिछले वर्ष 14 राज्यों में गंभीर सूखे की स्थिति में हमारे सक्षम और प्रभावी प्रबंधन की कोई मिसाल नहीं थी। आवश्यक जिंसों की कीमतें नियंत्रण में बनी हुई हैं।

कृषि उत्पादन सभी पूर्ववर्ती कीर्तिमानों को पार कर जायेगा। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 110 अरब डॉलर के पार हो चुका है।

भारत के विनिर्माण सेक्टर के कई क्षेत्रों, जिन्हें आलोचक पहले खारिज कर चुके थे, ने अब वैश्विक स्पर्धात्मकता प्राप्त कर ली है। पिछले पाँच वर्षों ने न सिर्फ ‘मेड इन इंडिया’ के लेबल को गौरवान्वित किया बल्कि ‘भारत से सेवा प्राप्ति’ को भी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की पहली पसंद बना दिया। इस दमकते सेक्टर ने नये रोजगार सृजित किये हैं। ज्ञान अर्थव्यवस्था के नये अंकुरण ने सॉफ्टवेयर निर्यात में भारत की वैश्विक रूप से स्वीकृत क्षमता को बढ़ाया है। सॉफ्टवेयर निर्यात पिछले पाँच वर्ष में पाँच गुना से अधिक बढ़ कर 48,000 करोड़ रुपये से पार चला गया है।

दयनीय और अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे, जो कांग्रेस शासनकाल की रुग्ण विरासत हैं, को भारत के लिए, भारतीयों द्वारा निर्मित और भारत में विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचे से प्रतिस्थापित किया जा चुका है। हमने जोड़ने का काम किया है जिसे प्रधानमंत्री ने ‘संपर्क क्रांति’ कह कर उपयुक्त शब्द दिया है। दूरसंचार संपर्क, इंटरनेट संपर्क, राजमार्ग संपर्क और ग्रामीण सड़कों का संपर्क इस क्रांति की महज शुरुआती द्रष्टव्य सफलताएँ हैं। हम बुनियादी ढाँचा, ऊर्जा, रेलवे, हवाईअड्डों, पत्तनों, सिंचाई इत्यादि, जिनमें समस्याओं ने आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को गंभीर रूप से बाधित किया है, के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इन सफलताओं की पुनरावृत्ति करने के प्रति दृढ़संकल्पित हैं।

पिछले पाँच वर्षों में आवास निर्माण में भारी तेजी देखी गयी है। हमने प्रत्येक वर्ष 20 लाख नये आवास के निर्माण को सुगम बनाने के 1999 में किये अपने वादों से ज्यादा पूरा किया है। हमें गर्व है कि इंदिरा आवास योजना की शुरुआत से इसके तहत पूर्ववर्ती 14 वर्षों में कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित सरकारों की तुलना में वाजपेयी सरकार ने ग्रामीण गरीबों के लिए ज्यादा आवास बनाये।

"1999 में हमारे साझा घोषणापत्र को ‘गौरवान्वित, समृद्ध भारत के लिए एजेंडा’ कहा गया था। आज भारत पहले के किसी भी समय से अधिक समृद्ध है। भारतीयों में पहले के किसी भी समय से अधिक गौरव, आशा और आत्मविश्वास है। आज भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर अधिक प्रतिष्ठा और मान्यता के साथ तन कर खड़ा है।"

1999 के हमारे घोषणापत्र में हमारा एक महत्वपूर्ण वादा एक वर्ष में एक करोड़ अतिरिक्त रोजगार अवसरों के सृजन का था। हमने इस वादे को काफी हद तक पूरा किया है। 2000-2003 के बीच औसतन हर वर्ष 82 लाख रोजगार और स्वरोजगार अवसर सृजित किये गये। हमारी सरकार द्वारा शुरू 1,000 करोड़ रुपये की संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना स्वतंत्रता के बाद से सबसे बड़ा ‘काम के लिए भोजन’ कार्यक्रम है।

हमारी सरकार ने विश्व में सबसे बड़ी सामाजिक विकास पहलकदमियों में कुछ को पेश किया। इसमें अन्त्योदय अन्न योजना और सर्व शिक्षा अभियान शामिल है। एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस), जो विश्व का सबसे बड़ा शिशु देखभाल कार्यक्रम है, का दायरा बहुत विस्तारित किया गया। सामाजिक न्याय के उद्देश्य को बढ़ाने के लिए आदिवासी मामलों के लिए पृथक मंत्रालय की स्थापना जैसी बड़ी पहल की गयी।

हम अब अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए पुनः नया शासनकाल चाहते हैं। राजग ने जनता की आकाँक्षाओं और आशाओं के अनुरूप ‘विकास’, ‘सुशासन’ और ‘शांति’ को 2004 के चुनाव के लिए मुख्य मुद्दा बनाया है। इस घोषणापत्र में इन मुद्दों के प्रति हमारे दृढ़संकल्प की पुष्टि होती है।

भारत समृद्ध और विकासशील है। लाखों-लाख भारतीयों को रोजगार मिला है, उन्होंने आवास खरीदे हैं, सेल फोन का उपयोग करते हैं और अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिला रहे हैं। लेकिन, लाखों-लाख और लोग महान भारतीय सपने से लाभान्वित होने और इसमें योगदान देने के लिए अवसर मिलने की अब भी प्रतीक्षा कर रहे हैं। ‘अन्त्योदय’ के लिए महात्मा गाँधी की पैरोकारी से प्रेरित राजग सरकार विकास के फल को सभी तक पहुँचाने के लिए दृढ़संकल्पित है; हम मानते हैं कि संसाधनों और भारतीय राज्य के तवज्जो पर पहला अधिकार वंचित और दरकिनार किये गये लोगों का है।

हमारी दृष्टि

एक विकसित राष्ट्र के रूप में भारत

हमारा लक्ष्य

वर्ष 2015 तक गरीबी उन्मूलन के साथ अगले पाँच वर्षों में टिकाऊ आधार पर 8 से 10% की जीडीपी वृद्धि दर प्राप्त करना। प्रत्येक राज्य और जिले के लिए आर्थिक प्रगति और सामाजिक विकास के सुस्पष्ट पंचवर्षीय पड़ाव निर्धारित किये जायेंगे।

हमारे दिशानिर्देशक सिद्धांत :

रोजगार, समानता, सामाजिक न्याय, क्षेत्रीय असंतुलन और शहरी-ग्रामीण विभाजन में कमी के साथ तीव्र विकास

राजग का मानना है कि टिकाऊ आधार पर 8 से 10% की वार्षिक दर पर जीडीपी वृद्धि दर प्राप्त करने योग्य है। यह भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की हमारी रणनीतिक दृष्टि को वास्तविकता में बदलेगा। हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने मेहनती किसानों और कामगारों, उद्यमशील व्यवसायियों और व्यापारियों, नवोन्मेषी प्रबंधकों, प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और समर्पित प्रशासकों पर पूरा विश्वास है।

राजग निम्न सात सूत्री रणनीति के माध्यम से भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए संकल्पबद्ध है :

1) विश्व की खाद्य फैक्टरी के रूप में भारत।
2) वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत।
3) विश्व के सेवा प्रदाता के रूप में भारत।
4) ज्ञान अर्थव्यवस्था के केंद्र के रूप में भारत।
5) वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में भारत।
6) वैश्विक स्वास्थ्य चिकित्सा स्थल के रूप में भारत
7) वैश्विक उच्च शिक्षा स्थल के रूप में भारत।

कृषि

राजग सरकार ने भारत के संपूर्ण विकास का मुख्य आधार कृषि के होने के कारण इसे शीर्ष प्राथमिकता दी है। हमारा मुख्य उद्देश्य है :

1) ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सक्रिय करना
2) वर्ष 2010 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कर के, खेती की लागत घटा कर, उपज बढ़ा कर और किसानों को मिलने वाली कीमत बढ़ा कर छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी कृषि को लाभकारी बनाना। इन अनिवार्यताओं को निबटाने के लिए हमने, स्वतंत्रता के पश्चात से पहली बार, राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया।
3) कृषि में सार्वजनिक और निजी निवेश की वृद्धि दर दोगुनी करना।
4) भारत के पूर्वी राज्यों, जहाँ उर्वर भूमि है और पानी की बहुलता है, को भारत का नया खाद्य टोकरा बनाना।
5) हमारे किसानों की बाजारों, वित्त के प्रतिस्पर्धी स्रोतों और ज्ञान तक पहुँच बढ़ाना जिससे उन्हें वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्पर्धा का अवसर मिले।
6) किसानों को उपभोक्ता से जोड़ कर हर चरण में मूल्यवर्धन बढ़ाना और बर्बादी को घटाना ताकि दोनों लाभान्वित हों।
7) वैश्विक बाजारों के लिए उच्च गुणवत्ता का प्रसंस्करित खाद्य उत्पादित कर भारत को विश्व की ‘खाद्य फैक्टरी’ बनाना।

इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, प्रधानमंत्री 15 अगस्त, 2004 को द्वितीय हरित क्रांति की औपचारिक शुरुआत करेंगे। चूँकि कृषि राज्य सूची में है, इसलिए राजग सरकार द्वितीय हरित क्रांति के तहत इन कार्यों को क्रियान्वित करने में राज्यों की भागीदारी हासिल करने के प्रयास करेगी जिससे यह ‘सर्वदा हरित’ क्रांति में परिवर्तित हो जायेगा।

भूमि, जल और ऊर्जा

1) नदी-जोड़ परियोजना पर काम शुरू होगा जिसके मुख्य लाभार्थी जलसंकट ग्रस्त इलाकों के हमारे किसान होंगे।
2) 3.5 करोड़ हेक्टेअर अतिरिक्त भूमि की सिंचाई के उद्देश्य से सभी जारी सिंचाई परियोजनाओं (वृहद, मध्यम और लघु) को पाँच वर्ष के भीतर पूरा करना।
3) देश भर में भूजल पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान क्रियान्वित किया जायेगा।
4) जल उपभोक्ता समिति जैसी प्रणालियों के जरिये सिंचाई परियोजनाओं की योजना, कार्यान्वयन और रख-रखाव में अनिवार्य सामुदायिक भागीदारी।
5) प्रत्येक जिला एक विस्तृत जल प्रबंधन और मृदा संवर्धन रणनीति तैयार करेगा।
6) टपक सिंचाई, फव्वारा सिंचाई और ग्रीनहाउस प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने के लिए एक अभियान शुरू किया जायेगा। इन जल-दक्ष प्रणालियों के अंतर्गत आने वाली भूमि को पाँच वर्ष में पाँच गुना किया जायेगा। इस अभियान के लिए हमारा नारा होगा ‘मोर क्रॉप पर ड्रॉप’ (प्रति बूंद जल, ज्यादा फसल)।
7) वर्षा पर आश्रित भारत के दो-तिहाई फसली क्षेत्र और 80% लघु एवम् सीमांत किसानों के लाभ के लिए राष्ट्रीय वर्षा आधारित कृषि मिशन की शुरुआत की जायेगी। यह वाटरशेड दृष्टिकोण, बेहतर बीजों के उपयोग, प्रासंगिक फार्म प्रौद्योगिकी के विस्तार, और खर-पतवार एवम् जंगली पौधों समेत शुष्क भूमि में उपजी सभी चीजों के वाणिज्यीकरण पर जोर देगा।
8) वर्ष 2009 तक सभी किसानों को गुणवत्तापूर्ण बिजली की यथेष्ट आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी।
9) कृषि, उद्यानिकी, वनीकरण, बायो-मास उत्पादन, बाँस और जैव-ईंधन की खेती और अन्य उत्पादक उपयोगों के लिए बंजर भूमि का विकास ध्येय की तरह किया जायेगा। सभी कार्यक्रमों, जो फिलहाल विभिन्न मंत्रालयों के अधीन हैं, को एकल एजेंसी के अधीन लाया जायेगा। सभी मौजूदा कार्यक्रमों के अधीन क्षेत्र की दर को दोगुना कर के वर्ष 2009 तक कम से कम 2.5 करोड़ हेक्टेअर बंजर भूमि को उत्पादक उपयोग में लाने के लिए राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड को पुनः सक्रिय किया जायेगा। सामुदायिक भागीदारी, निजी निवेश, कॉर्पोरेट-सहकारी सहयोग के जरिये और बंजर भूमि विकास की हर पहल में भूमिहीन श्रमिकों, लघु किसानों, पूर्व सैनिकों और बेरोजगार युवाओं को साझीदार बना कर भूमि और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार एक मॉडल कानून तैयार करेगी। यह मॉडल कानून इस महत्वपूर्ण ध्येय के क्रियान्वयन के लिए समान कानून पारित करने और उपयुक्त शंक्तिसंपन्न प्राधिकरण की स्थापना के लिए राज्य सरकारों का मार्ग प्रशस्त करेगा।
10) मृदा क्षय को पलटने और दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहे ‘प्राकृतिक’ खाद्य के उत्पादन के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जायेगा। जैव-उर्वरक और जैव-कीटनाशक के उत्पादन के लिए वित्तीय और अन्य रूपों में सहायता दी जायेगी।
11) सक्षम कानून बना कर किसानों के बीच पट्टा देने और पट्टा लेने की अनुमति दी जायेगी।
12) राज्य सरकारों के सहयोग से सभी भू-राजस्व अभिलेखों और भूमि हस्तांतरण प्रणाली को कंप्यूटरीकृत किया जायेगा और इसे भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) से संबद्ध किया जायेगा।

वित्त और बीमा

1) कृषि, सिंचाई, ग्रामीण विकास और संबद्ध क्षेत्रों के लिए वृहत्तर योजना राशि निर्धारित की जायेगी।
2) कृषि, विशेष कर लघु और मँझोली सिंचाई परियोजनाओं, कृषि अनुसंधान एवम् विकास, मानव संसाधन विकास, फसल-कटाई पश्चात प्रबंधन और विपणन में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नीतिगत और संस्थागत उपायों की सिफारिशें करने के लिए छह माह के भीतर एक कार्यबल का गठन किया जायेगा। सार्वजनिक और निजी निवेशों के साथ ही स्वयं किसानों द्वारा किये गये निवेश का साझीदारी के जरिये समन्वय किया जायेगा। यहाँ यह समझने की जरूरत है कि कृषि में निजी निवेश का अर्थ कॉर्पोरेट खेती नहीं होता।
3) किसानों को समय पर और समुचित कर्ज उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उसकी फसल को समय पर और समुचित पानी देना है। इसलिए कृषि क्षेत्र की ओर ऋण प्रवाह बढ़ाना, प्रधान ऋण दर (पीएलआर) से कम ब्याज दर पर
ऋण को वहन करने योग्य बनाना, प्रक्रियात्मक विलंब को खत्म करना और ऋण देने में वृहत्तर स्पर्धा शुरू करना सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाये जायेंगे। सभी योग्य किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देने की प्रक्रिया 15 अगस्त, 2004 से पहले पूरी हो जायेगी। कार्ड धारक एटीएम सुविधा, जहाँ भी उपलब्ध हो, का उपयोग करने में समर्थ हो जायेंगे। हमारा लक्ष्य एक सुविकसित कृषि ऋण प्रणाली सृजित करना है जो महाजन के पास जाने की किसानों की जरूरत को खत्म करेगा।
4) कृषि बुनियादी ढाँचा और ऋण के लिए हाल ही में घोषित 50,000 करोड़ रुपये की लोकनायक जयप्रकाश नारायण निधि के तहत परियोजनाओं को द्रुतगामी स्वीकृति दी जायेगी।
5) सरकार सहकारी बैंकों और अन्य सहकारी ऋणदाता संस्थाओं को मजबूत करने पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देगी। अंतरिम बजट में इस उद्देश्य से घोषित 15,000 करोड़ रुपये की निधि को परिचालन में लाया जायेगा। यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाये जायेंगे कि सहकारी संस्थाएँ पेशेवर और लाभकारी वाणिज्यिक मार्ग पर चलें जबकि उनकी लोकतांत्रिक चरित्र बना रहे।
6) सभी राज्यों को केंद्र द्वारा पारित बहु-राज्यीय सहकारी अधिनियम के तारतम्य में उनके सहकारी कानून लाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
7) कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, अन्न बैंक और चारा बैंक की स्थापना के लिए पूरी सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। मान्य गोदामों/अन्न बैंकों में अपनी उपज रखने वाले किसान विनिमेय वेयरहाउस रसीद प्रस्तुत करने पर बैंक ऋण प्राप्त करने के लिए अधिकृत होंगे।
8) व्यापक फसल बीमा योजना और हाल ही में शुरू कृषि आय बीमा योजना को और अधिक सघनता और दक्षता से क्रियान्वित किया जायेगा।

प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और प्रसार सेवाएँ

1) कम पानी की खपत वाले, सूखा-रोधी, अधिक पोषक तत्वों वाले,अधिक उपज देने वाले और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित पौधे विकसित करने के उद्देश्य से जैव-प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया जायेगा।
2) कृषि अनुसंधान और विकास के लिए संसाधनों को अगले पाँच साल में तिगुना किया जायेगा। इसका जोर नयी उपज बढ़ाने वाली और लागत घटाने वाली प्रथाओं, नये बीजों पर होगा। प्रयोगशाला और खेत के बीच के फासले को मिटाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि व्यवसाय कंपनियों और किसान संगठनों के बीच कई तरह की साझीदारी स्थापित की जायेगी।
3) निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ कृषि प्रसार और परामर्श सेवाओं को मुख्य ध्यानकेंद्रण क्षेत्र बनाया जायेगा। हर गाँव में कम से कम एक ‘कृषि सेवा केंद्र’ की स्थापना के लिए आवश्यक बैंक ऋण और संस्थागत सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। "किसान कॉल सेंटर" सेवा (जिसमें देशव्यापी स्तर पर शुल्क मुक्त टेलीफोन नंबर 1551 का उपयोग होता है) को देशव्यापी स्तर पर और सभी स्थानीय भाषाओं में परिचालित किया जायेगा। किसानों को लाभ देने के अलावा यह कृषि परामर्श सेवाएँ पाँच लाख से अधिक शिक्षित युवाओं और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों के लिए रोजगार सृजित करेंगी और आय बढ़ाने के अवसर उपलब्ध करायेंगी।
4) कृषि और संबद्ध गतिविधियों में शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसरों को अति विस्तारित किया जायेगा। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होगा कि हर किसान हर वर्ष किसी प्रशिक्षण से गुजरे या किसी कृषि शिक्षा कार्यक्रम में भागीदारी करे।
5) कृषि मशीनरी, सामग्री और औजारों के प्रौद्योगिकीय उन्नयन के लिए एक व्यापक, देशव्यापी कार्यक्रम शुरू किया जायेगा।

कृषि बाजार
1) कृषि उत्पाद एवम् विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम में संशोधन करने और मंडी शुल्कों को खत्म करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया जायेगा। यह किसानों को प्रतिस्पर्धी बाजारों तक पहुँच बनाने, अपने उत्पाद को सीधे प्रसंस्करण उद्योगों और उपभोक्ताओं को बेचने और बेहतर कीमत प्राप्त करने में समर्थ बनायेगा।
2) देश के किसी भी हिस्से में कृषि वस्तुओं की मुक्त आवाजाही पर लागू सभी प्रतिबंधों को एक वर्ष के भीतर हटा दिया जायेगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया जायेगा।
3) कृषि बाजारों के आधुनिकीकरण को समर्थन देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का मंडी विकास फंड सृजित किया जायेगा।
4) छोटे सौदा आकार के जरिये और फसलों के व्यापक दायरे को शामिल करते हुए सभी किसानों तक वायदा व्यापार सेवाओं की पहुँच बनाने के लिए कमोडिटी एक्सचेंज को प्रोत्साहित किया जायेगा। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर निर्भरता कम करेगा।
5) किसानों को और लाभ देने के लिए कृषि लागत एवम् मूल्य आयोग द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मौजूदा प्रणाली की समीक्षा की जायेगी।
6) खरीद, भंडारण और ढुलाई को सस्ता बनाने और खाद्यान्न के निर्यात के लिए भारतीय खाद्य निगम के जरिये खरीद की मौजूदा प्रणाली का पुनर्निर्माण किया जायेगा।
7) आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में ‘रैयत बाजार’ की तर्ज पर देश भर में किसान हाट की श्रृंखला स्थापित की जायेगी जहाँ किसान अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकेंगे।
खाद्य प्रसंस्करण
1) राजग का मानना है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उसी तरह जोशपूर्ण बना सकता है जिस तरह आईटी ने हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाया है। वर्तमान समय में हम हमारे कृषि उत्पादों के मूल्य के मात्र 2% का प्रसंस्करण करते हैं। अगले पाँच वर्ष में इसे 10% तक बढ़ाने के लिए एक कार्ययोजना के साथ कार्यबल का गठन किया जायेगा। यह भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की आकार, विखंडन, अक्षमता, निम्न मूल्यवर्धन, निम्न गुणवत्ता मानक और अपर्याप्त लॉजिस्टिक सहयोग जैसी मुख्य समस्याओं का विस्तार से निबटारा करेगा। यह निम्न वर्ग और उच्च वर्ग, दोनों तरह के भारतीय उपभोक्ताओं की आवश्यकताएँ पूरी करने में उद्योग को सक्षम बनायेगा। यह उद्योग को सीधे किसानों से कृषि उत्पाद हासिल करने में सक्षम बनायेगा और विदेशी संगठित खुदरा कंपनियों समेत निर्यात बढ़ाने के उपाय सुझायेगा।
2) खास कर पिछड़े क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए शुल्क और निवेश समर्थन बढ़ाया जायेगा।
3) भारत में खाद्य प्रसंस्करण में सबसे प्रमुख काम उत्पादन और प्रसंस्करण के बीच की दूरी को कम करना है। इसके लिए बैंकों की प्रत्येक ग्रामीण शाखा को उनके क्षेत्रों में कृषि-प्रसंस्करण संभावनाओं को तलाशने और ऐसे उद्यमों का वित्तपोषण करने की आवश्यकता होगी। स्थानीय प्रशासन को आवश्यक बुनियादी ढाँचा समर्थन उपलब्ध कराने की जरूरत होगी। हम किसानों के नजदीकी क्षेत्रों में प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों की श्रृंखला स्थापित करेंगे। यह केंद्र कृषि और बागवानी उत्पादों को बाजार में और आगे मूल्यवर्धन के उद्देश्य से भेजने के लिए इनकी छँटाई, स्तरीकरण, प्रसंस्करण, भंडारण और पैकेजिंग करेंगे।
4) एक एकीकृत खाद्य कानून, जिसका अभाव खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के तीव्र विकास में सबसे बड़ा अड़चन है, अगले छह माह के भीतर लागू किया जायेगा।
5) छह माह के भीतर एक स्वतंत्र खाद्य नियामक प्राधिकरण की स्थापना की जायेगी। यह सभी खाद्य उत्पादों के लिए मानक बनाने और उन्हें लागू करने के लिए उत्तरदायी होगा।
6) गन्ना उत्पादकों और चीनी मिलों की समस्याओं के समाधान के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों की संस्तुति करने और भारतीय चीनी उद्योग को वैश्विक बाजार में प्रमुख हस्ती बनाने के लिए तीन माह के भीतर एक कार्यबल की स्थापना की जायेगी। सह-उत्पादन संयंत्रों के जरिये एथेनॉल और बिजली का उत्पादन बढ़ाया जायेगा।
7) भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है। लेकिन कुल दुग्ध उत्पादन के 5% से भी कम हिस्से का प्रसंस्करण होता है। ग्रामीण आय और रोजगार सृजन बढ़ाने के मुख्य लक्ष्य के साथ छह माह के भीतर डेयरी उद्योग विकास योजना तैयार की जायेगी। इससे खास कर उत्तरी और पूर्वी राज्यों में डेयरी इकाइयों के लिए वित्त और निवेश समर्थन बढ़ाया जायेगा। इस योजना का जोर अगले पाँच वर्ष में क्षमता दोगुनी करने, प्रौद्योगिक उन्नयन, घरेलू बाजार के विस्तार और उद्योग की संपूर्ण निर्यात संभावना का दोहन करने पर होगा। यह योजना बेहतर नस्ल, चारा, पशु चिकित्सा सेवा, किसानों की कर्ज जरूरतों जैसी उद्योग को बढ़ाने की जरूरतों को भी पूरा करेगी।
8) अंडा उत्पादन दोगुना करने, पोल्ट्री मांस उत्पादन चौगुना करने और निर्यात 250 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 10,000 करोड़ रुपये करने के लिए कुक्कुट पालन पर प्रमुख रूप से ध्यान दिया जायेगा। इससे अगले पाँच साल में कुक्कुटपालन में रोजगार 20 लाख के मौजूदा स्तर से बढ़ कर 50 लाख होने का अनुमान है। कुक्कुटपालन को कृषि गतिविधि के रूप में मान्यता दी जायेगी और कृषि क्षेत्र को मिलने वाले सभी लाभ इस क्षेत्र को भी दिये जायेंगे।
9) खाद्य श्रृंखला में अपव्यय और क्षति को न्यूनतम करने के उपायों की संस्तुति करने के लिए 30 दिन के भीतर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जायेगा।
फसल
1) व्यापक फसल विविधीकरण, बहुफसलीकरण और सभी फसलों की प्रति एकड़ उपज को दोगुना करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जायेगी। हर गाँव को उसका स्वयं का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। सफल किसानों को समुचित सम्मान दिया जायेगा।
2) पाँच वर्षों में दालों और तिलहन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयास तेज किये जायेंगे।
3) पाँच वर्ष में बागवानी और पुष्पोत्पादन को दोगुना किया जायेगा। विशेष कर कस्बों और शहरों के निकट सब्जी और मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा।
4) भारत को चाय, कॉफी, नारियल, सुपारी, रबर, काजू और मसाले जैसी बागवानी फसलों में अपनी अग्रणी स्थिति बनाये रखने में सक्षम बनाने के लिए इन फसलों के उत्पादकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए अतिरिक्त उपाय किये जायेंगे।
5) पिछले वर्ष प्रस्तुत किये गये राष्ट्रीय जैव-ईंधन और बाँस विकास मिशनों को क्रियाशील बनाया जायेगा। औषधीय पौधों और सुगंधित पौधों की खेती, जिनमें अपार निर्यात संभावना है, को और बढ़ावा दिया जायेगा।
6) जूट उत्पादन में सुधार और मूल्यवर्धन के लिए एक प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया जायेगा।

पशुपालन और मत्स्यपालन

1) ग्रामीण संपन्नता और सामाजिक न्याय का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, दो करोड़ से अधिक भारतीयों को पूर्ण और आंशिक रोजगार उपलब्ध कराने वाले पशुपालन व्यवसाय को पूरी तरह बढ़ावा दिया जायेगा। पर्याप्त बजटीय सहायता के साथ एक राष्ट्रीय पशुधन विकास बोर्ड का गठन किया जायेगा। अन्य बातों के अलावा यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े देसी गाय, भैंस और अन्य मवेशियों के अनुवांशिक सुधार पर मुख्य रूप से ध्यान देते हुए पशुधन नस्ल में सुधार के लिए कार्यक्रम तैयार करेगा। गोशाला और पिंजरा खंभों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा। गाय और गोवंश के संरक्षण के उद्देश्य से एक केंद्रीय कानून पारित कराने के लिए आम सहमति बनाने के प्रयास किये जायेंगे। नवस्थापित राष्ट्रीय पशुधन आयोग की सिफारिशें लागू की जायेंगी।
2) समुद्री और अंतरदेशीय मत्स्यपालन के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने और मछुवारों की तीव्र सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए राष्ट्रीय मत्स्यपालन और जलीय कृषि आयोग की स्थापना की जायेगी। भारत के लंबे समुद्र तट और इसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र का लाभ उठाने के लिए गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के उद्योग को विकसित किया जायेगा। मछली पकड़ने के जाल के आधुनिकीकरण, कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और घरेलू और विदेशी बाजारों से प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करने में मछुआरा सहकारी समितियों की सहायता की जायेगी।
3) भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ऊन उत्पादक है। हालाँकि हमारे ऊन उद्योग की गुणवत्ता और मूल्य प्राप्ति का स्तर निम्न है। इसके आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए एक कार्ययोजना बनायी जायेगी। चरवाहा समुदाय के लिए नवस्थापित विकास एवम् वित्त निगम का परिचालन शुरू किया जायेगा।

कृषि श्रमिक

कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी के साथ वर्ष भर चलने वाला रोजगार सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाये जायेंगे। उन्हें असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना और प्रस्तावित अंत्योदय स्वास्थ्य योजना के दायरे में लाया जायेगा। उन्हें ग्रामीण आवास में वरीयता दी जायेगी। उनकी उत्पादकता और कौशल को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जायेगा।

अन्य मुद्दे

1) भारतीय कृषि में महिलाएँ प्रमुख भूमिका निभाती हैं हालाँकि उनकी अनदेखी की जाती है। किसान परिवारों में महिलाओं को शक्तिसंपन्न बनाने, उनकी क्षमताओं को बढ़ाने और उनकी आय में वृद्धि के लिए विशेष योजना शुरू की जायेगी।
2) भारतीय किसानों को कृषि पर हुए डब्लूटीओ समझौते और मात्रात्मक प्रतिबंध हटने के बाद कृषि में वैश्विक व्यापार की चुनौतियों और अवसरों के बारे में शिक्षित करने और यह बताने के लिए कि सरकार, व्यवसाय जगत, सहकारी संगठनों और किसानों के बीच भागीदारी कैसे चुनौतियों से निबटने और अवसरों का लाभ उठाने में सहायता कर सकता है, एक सुविस्तृत अभियान शुरू किया जायेगा।

‘द्वितीय हरित क्रांति’ प्रथम हरित क्रांति को परिभाषित करने वाली वाली रणनीति से बिल्कुल अलग रणनीति का अनुसरण करेगी। पहली हरित क्रांति में खाद्य अभाव से उबरने के लिए फसल की उच्च उपज वाली किस्मों को लोकप्रिय बनाने पर ही ज्यादा जोर दिया गया था। इसके विपरीत द्वितीय हरित क्रांति में किसान से ले कर उपभोक्ता तक, समस्त कृषि अर्थव्यवस्था को समाहित किया जायेगा। यह नयी प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, आईटी, बीटी आदि के गुच्छ से सुसज्जित होगी। यह जल-दक्ष सिंचाई प्रणाली, पर्यावरण अनुकूल कीटनाशक, सूक्ष्म कृषि, कृषि बाजार, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण बुनियादी ढाँचा आदि पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।

ऊपर उल्लेख की गयी कई गतिविधियों को विभिन्न विभागों और मंत्रालयों द्वारा देखा जाता है। बेहतर समन्वय के लिए कृषि एवम् ग्रामीण विकास पर कैबिनेट समिति का गठन किया जायेगा।

ग्रामीण विकास

आगामी पाँच वर्षों में सरकार का मुख्य जोर ‘पूरा’ (ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं का प्रावधान) कार्यक्रम के क्रियान्वयन के जरिये ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटने पर होगा। पाँच वर्षों में देश भर के दस हजार ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होने वाले इस कार्यक्रम के तहत, हर ग्रामीण क्षेत्र को चार प्रकार का संपर्क उपलब्ध कराया जायेगा :
(अ) भौतिक संपर्क, जिसमें अच्छी सड़कें और बिजली आपूर्ति शामिल है;
(ब) डिजिटल संपर्क, जिसमें आधुनिक दूरसंचार और आईटी सेवाएँ शामिल हैं;
(स) ज्ञान संपर्क, जिसमें अच्छे विद्यालय और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं; और
(द) बाजार संपर्क, जिसमें बाजार का अच्छा बुनियादी ढाँचा शामिल है।
विशेष रूप से,
• ग्रामीण विद्युतीकरण को, एक करोड़ घरों और एक लाख गाँवों को कवर करने के लिए कार्यक्रम के त्वरित क्रियान्वयन के जरिये 2007 तक पूरा कर लिया जायेगा।
• सभी गाँवों में गाँव के भीतर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पाँच से आठ किलोमीटर के भीतर डिस्पेंसरी और 20 किलोमीटर के भीतर रेफरल अस्पताल होंगे।
‘पूरा’ को 15 अगस्त, 2004 से पहले शुरू किया जायेगा।

ग्रामीण स्वच्छता

सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता का अभाव 80% बीमारियों और विकारों का कारण है। भारत की ग्रामीण जनसंख्या के 67% और शहरी जनसंख्या के 22% हिस्से के पास शौचालय की सुविधा नहीं है। यह युवाओं, विशेष कर युवा महिलाओं के बीच शर्मिंदगी और असंतोष का स्रोत है। राजग इस दुखद वास्तविकता को बदलने के प्रति दृढ़संकल्पित है।

राजग सरकार द्वारा 1999 में शुरू पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) विलक्षण रूप से सफल रहा है। शौचालय सुविधा से वंचित सभी 8.4 करोड़ ग्रामीण घरों की निजी या सामुदायिक स्वामित्व की मूल स्वच्छता सुविधा तक पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पाँच वर्ष में सभी टीएससी परियोजनाओं का पूर्ण क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक पूँजी जुटायी जायेगी। वर्ष 2005 तक कोई भी आंगनवाड़ी केंद्र या ग्रामीण/शहरी विद्यालय बिना पानी और शौचालय सुविधा के नहीं होगा। बालिका विद्यालयों और आदिवासी और दूरस्थ इलाकों के विद्यालयों को प्राथमिकता दी जायेगी।

पेय जल

केंद्र और राज्यों सरकारों द्वारा पिछले पाँच दशकों के दौरान ग्रामीण जलापूर्ति क्षेत्र में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। हालाँकि परिणाम इस निवेश के अनुपात में नहीं रहे हैं क्योंकि योजनाओं में जनभागीदारी, पंचायत स्वामित्व और नौकरशाही के उत्तरदायित्व के लिए अंतर्निहित प्रणाली नहीं थी। राजग सरकार ने दिसंबर, 2002 में पेश ‘स्वजलधारा’ कार्यक्रम के जरिये इन त्रुटियों को दूर कर दिया। इसके तहत, पूँजी लागत पर 90% धनराशि केंद्र सरकार द्वारा सीधे पंचायतों को दी जायेगी। शेष 10% राशि जुटाने का भार और पूर्ण परिचालन और रखरखाव का उत्तरदायित्व समुदाय द्वारा उठाया जायेगा।

सभी मौजूदा ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को ‘स्वजलधारा’ की सुधार कार्यसूची के दायरे में लाया जायेगा और इसे दीर्घकाल तक टिकाऊ रखना सुनिश्चित करने के लिए इन्हें आपूर्ति-प्रेरित की जगह माँग-प्रेरित बनाया गया है। निम्न संकल्पों के साथ इसके अभिवर्धित क्रियान्वयन के लिए समुचित धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी :

(अ) आंशिक रूप से आबाद या गैर-आबाद दर्जे के क्षेत्रों में खिसक गये लोगों समेत देश के प्रत्येक ग्रामीण घर को 2007 तक पेयजल आपूर्ति का सुनिश्चित स्रोत उपलब्ध कराया जायेगा;
(ब) जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक समुदाय-आधारित कार्यक्रम शुरू किया जायेगा;
(स) राज्य सरकारों के जलापूर्ति विभागों और निगमों में सुधार लाया जायेगा;
(द) वर्षा जल संचय, भूजल स्तर बढ़ाने और ग्रामीण तालाब, कुओं, छोटी नदियों आदि जैसे जल स्रोतों की वृद्धि और सफाई के लिए पंचायतों को प्रोत्साहन दिया जायेगा।

बुनियादी ढाँचा

राजग सरकार द्वारा प्रस्तुत संपर्क क्रांति, जिसके परिणाम पहले ही विभिन्न क्षेत्रों में दिख चुके हैं, को आगे बढ़ाया जायेगा। हमारी सरकार आगामी पाँच वर्षों में विशेष रूप से निम्न कार्य करेंगी :

सड़क

1) राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (लगभग 15,000 किलोमीटर) की समय पर पूर्णता : फेज-1 (स्वर्णिम चतुर्भुज) 2005 तक; फेज-2 (पूर्व-पश्चिम और ऊत्तर-दक्षिण गलियारा) 2008 तक; प्रधानमंत्री भारत जोड़ो परियोजना (सभी राज्यों की राजधानियों, जो एनएचडीपी में शामिल नहीं है, और साथ ही साथ सभी राज्यों में महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्रों को 4/6 लेन राजमार्गों के साथ एनएचडीपी से जोड़ते हुए अतिरिक्त 10,000 किलोमीटर) 2009 तक।
2) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना : 1,000 से अधिक जनसंख्या के सभी आबाद गाँवों को 2005 तक जोड़ना; 500 से अधिक जनसंख्या के सभी आबाद गाँवों को 2007 तक जोड़ना।
3) सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जायेगा। राज्यों को उनके सड़क परिवहन निगमों के पुनर्गठन को तेज करने के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा। एक विशेष निधि के जरिये हर वर्ष उनके बेड़े में कम से कम 5,000 नयी बसें जोड़ी जायेंगी। सभी अंतर-राज्यीय बस टर्मिनलों और जिला बस स्टेशनों के सुधार के लिए एक अलग निधि की स्थापना भी की जायेगी।
4) सड़क निर्णाण के अलावा पार्किंग सुविधा, होटल, दुकानें, चिकित्सा सुविधा, व्यावसायिक केंद्र, खाद्य बूथ आदि जैसी सड़क सेवाओं के सृजन के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया जायेगा।
5) भारत में सड़क सुरक्षा को पर्याप्त तवज्जो नहीं मिली है। हर वर्ष कमोबेश 78,000 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं। सरकार आवश्यक विधिक, नियामक, प्रौद्योगिकी और जनजागरुकता उपायों के साथ राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा मिशन शुरू करेगी।

"संपूर्ण सड़क संपर्क"

देश में सभी राज्य राजमार्गों और जिला सड़कों में सुधार के लिए ‘प्रधानमंत्री प्रदेश सड़क योजना’ (पीएमपीएसवाई) नामक एक नया कार्यक्रम शुरू किया जायेगा। यह हमारे सड़क नेटवर्क की कमजोर कड़ी है जिसमें एक ओर विश्वस्तरीय राष्ट्रीय राजमार्ग और दूसरी ओर ग्रामीण सड़कों में तीव्र गति से सुधार शामिल है। इसकी फंडिंग और निगरानी समेत इस कार्यक्रम का खाका राज्य सरकारों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किया जायेगा। राज्य पीडब्लूडी में सुधार और निजी क्षेत्र की भागीदारी इस नयी परियोजना के प्रमुख बिंदु होंगे। पीएमपीएसवाई ‘संपूर्ण सड़क संपर्क’ पहल नामक विशद सड़क संपर्क क्रांति में गुम कड़ी को जोड़ेगी जिसकी अन्य कड़ियों को हमारी सरकार पहले ही राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी), प्रधानमंत्री भारत जोड़ो परियोजना (पीएमबीजेपी) और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के क्रियान्वयन के जरिये जोड़ रही है।

रेलवे

रेलवे हमारे देश की जीवनरेखा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण ढुलाई सहायता प्रणाली है। अगले पाँच वर्षों में भारतीय रेलवे के बुनियादी ढाँचे का अभूतपूर्व विस्तार और आधुनिकीकरण हमारा संकल्प होगा।

1) दिसंबर 2002 में शुरू 15,000 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय रेल विकास योजना के तहत कार्यों का क्रियान्वयन समय पर पूरा किया जायेगा।
2) जनवरी, 2004 में अंतरिम रेल बजट में घोषित 20,000 करोड़ रुपये की सुदूर क्षेत्र रेल संपर्क योजना का क्रियान्वयन इस वर्ष शुरू किया जायेगा। इस महत्वाकाँक्षी नयी पहल के तहत हमारे देश के सुदूर और पिछड़े इलाकों में सभी अपूर्ण रेल परियोजनाओं, जिन्हें पूर्ववर्ती ‘कांग्रेसी क्रियान्वयन गति’ से पूरा करने में 20 से 25 वर्ष लगेंगे, को अगले पाँच वर्षों में पूरा किया जायेगा।
3) हम उधमपुर-कटरा-बारामुला रेलवे लाइन के तीव्र क्रियान्वयन के जरिये कन्याकुमारी से कश्मीर तक 4-लेन राजमार्ग संपर्क के पूर्ण होने के पूरक के तौर पर कन्याकुमारी से कश्मीर तक रेल संपर्क को पूरा करेंगे। कश्मीर घाटी में अब तक की पहली ट्रेन 15 अगस्त, 2007 से पहले चला दी जायेगी जिसमें प्रधानमंत्री इसके पहले यात्री के रूप में होंगे।
4) राजग सरकार द्वारा 2002 में स्थापित 17,000 करोड़ रुपये की विशेष रेलवे सुरक्षा निधि के तहत कार्यों का क्रियान्वयन समय पर पूरा किया जायेगा। रेलवे सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी मिशन का परिचालन 2004 में शुरू कर दिया जायेगा। हमारा लक्ष्य 2008 तक आधुनिक देशों में रेलवे सुरक्षा के मानकों को प्राप्त करना होगा।
5) महत्वपूर्ण लाइनों पर मालगाड़ियों की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की जायेगी।
6) रेलवे डिजाइन ऐंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) को विश्व स्तरीय शोध एवं विकास संगठन बनाने के लिए इसे हमारे रेल नेटवर्क के लिए आवश्यक नयी प्रौद्योगिकी जोड़ने में सक्षम मजबूत वाह्य कड़ियों के साथ इसका पूरी तरह कायाकल्प किया जायेगा।
7) भारतीय रेलवे को नयी छवि देने के लिए स्वच्छता अभियान को 2007 तक पूरा किया जायेगा।
8) कई और शहरों में मेट्रो रेल परियोजनाएँ शुरू की जायेंगी। ‘स्काईबस’ प्रणाली को प्रायोगिक आधार पर बढ़ावा दिया जायेगा।
9) कम से कम एक बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू की जायेगी।
10) सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों में पाँच वर्ष में यात्री सुविधाओं में सुधार के लिए 5,000 करोड़ रुपये की रेलवे स्टेशन सुधार निधि का गठन किया जायेगा। यह निधि रेलवे उपभोक्ताओं से जुटायी जायेगी और इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिये बढ़ाया जायेगा।

रेलवे सुधार

भारतीय रेलवे की संरचना और कार्यप्रणाली, इसके वित्त, शुल्क निर्धारण, निवेश योजनाओं और परियोजना क्रियान्वयन में लंबे समय से प्रतीक्षित सुधारों को तेजी से क्रियान्वित किया जायेगा। सभी गैर-प्रमुख गतिविधियों का कॉर्पोरेटीकरण उनके स्वयं के प्रभावी बोर्ड प्रबंधन के साथ किया जायेगा। गैर-बजटीय और निजी निवेश आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाओं को फिर से डिजाइन किया जायेगा। भारतीय रेलवे की संपत्तियों और इसकी अल्प-प्रयुक्त क्षमताओं में छिपे भारी मूल्य का दोहन किया जायेगा। जोनल और नीचे के स्तरों पर अधिकारों का हस्तांतरण प्रभावी किया जायेगा। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग की तर्ज पर एक स्वतंत्र रेल शुल्क नियामक प्राधिकरण की स्थापना की जायेगी।

पत्तन और जहाज

1) राजग सरकार द्वारा 2003 में परिकल्पित "सागर माला", भारत के पत्तनों, जहाज, शिपयार्ड और अंतरदेशीय नौपरिवहन के विकास और आधुनिकीकरण का अब तक का सबसे महत्वाकाँक्षी कार्यक्रम है। इसका लक्ष्य लंबे समुद्रतट, जिससे हमारा देश समृद्ध है, का उपयोग करते हुए भारत को विश्व में एक प्रमुख समुद्री देश बनाना है। दस वर्ष में पूरा होने वाले इस कार्यक्रम के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये से अधिक के नये निवेश का विचार किया गया है जिसमें अधिकांश निजी और विदेशी निवेशकों की ओर से आयेगा। "सागर माला" को 15 अगस्त, 2005 को प्रस्तुत किया जायेगा।
2) सभी प्रमुख भारतीय पत्तनों की परिचालनात्मक दक्षता पाँच वर्ष के भीतर वैश्विक मानकों तक बढ़ा दी जायेगी। इसके लिए सरकार प्रत्येक पत्तन के कॉर्पोरेटीकरण और निजी निवेश और प्रबंधन कौशल लाने समेत भारतीय पत्तनों के प्रबंधन में संपूर्ण कायाकल्प को प्रभावी करेगी।
3) तमिलनाडु में सेतुसमुद्रम परियोजना को तेजी से पूरा किया जायेगा।
4) पत्तनों तक रेल और सड़क संपर्क को और सुधारा जायेगा।
5) पत्तनों की अप्रयुक्त और अल्प-प्रयुक्त भूमि और उत्पादन संपत्तियों के मूल्य का दोहन किया जायेगा।
6) भारतीय ध्वज के अधीन वैश्विक नौपरिवहन को प्रमुख रूप से बढ़ावा दिया जायेगा।
7) संबद्ध प्रशिक्षण महाविद्यालयों के साथ भारतीय राष्ट्रीय समुद्री विश्वविद्यालय के जरिये जहाजरानी में रोजगार संभावनाओं को पूरी तरह उपयोग में लाया जायेगा।

हवाईअडडे और नागरिक उड्डयन

1) पहले तीस दिन के भीतर प्रस्तावित नयी "खुला आकाश" नागरिक उड्डयन नीति को अंगीकार किया जायेगा।
2) वैश्विक शहर के रूप में विकसित होने के लिए नामित दस भारतीय शहरों में विश्वस्तरीय हवाईअड्डे होंगे।
3) भारतीय एयरलाइंस और एयर इंडिया के योजित उड़ान अधिग्रहण कार्यक्रम को 2004 के अंत तक पूरा कर लिया जायेगा। एयर इंडिया को भारत के गौरवपूर्ण राष्टीय विमान कंपनी के रूप में बढ़ावा दिया जायेगा।
4) देश में सभी हवाईअड्डों को सार्वजनिक-निजी साझीदारी के ढाँचे के अधीन लाया जायेगा।
5) पूर्वोत्तर राज्यों जैसे सुदूरवर्ती इलाकों के लिए हवाई संपर्क को और मजबूत किया जायेगा।
6) दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु और हैदराबाद के लिए नयी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा परियोजनाओं को अगले तीन से चार वर्ष में पूरा कर लिया जायेगा और प्रधानमंत्री 15 अगस्त, 2008 के पहले इनका उद्घाटन करेंगे।
7) देश भर में सौ छोटी हवाईपट्टियाँ छोटे यात्री और मालवाहक विमानों के दिन में उड़ान के लिए सक्रिय की जायेंगी। यह सुदूरवर्ती और पिछड़े इलाकों में कई जिला केंद्रों को हवाई संपर्क से जोड़ेगा।

दूरसंचार और आईटी बुनियादी ढाँचा

1) 1999 में शुरू दूरसंचार संपर्क क्रांति को और तेज करने के लिए टेलीफोन की संख्या 7 करोड़ के वर्तमान स्तर से बढ़ा कर 2009 तक 30 करोड़ तक की जायेगी। यह प्रत्येक दूसरे भारतीय परिवार के पास टेलीफोन संपर्क को सुनिश्चित करेगा।
2) 2007 के बाद कोई भी भारतीय गाँव बगैर दूरसंचार सेवा के नहीं होगा। ग्रामीण दूरसंचार घनत्व पाँच वर्षों में पाँच गुना से अधिक बढ़ाया जायेगा।
3) इंटरनेट कनेक्शनों की संख्या को 40 लाख के वर्तमान स्तर से पाँच गुना बढ़ा कर 2 करोड़ किया जायेगा।
4) पीसीओ को सरकारी सेवाओं समेत सभी सेवा प्रदाताओं और नागरिकों के बीच ई-इंटरफेस के रूप में सेवा देने के लिए बहु-उद्देश्यीय आईटी बूथ बनने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। यह कई लाख नये रोजगार अवसर सृजित करेगा।
5) ब्रॉडबैंड कनेक्शन भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टरों में क्रांति ला सकता है। यह शिक्षा और मनोरंजन की सामग्री और पूर्ति में मिसालिया बदलाव ला सकता है। इसलिए वहनीय ब्रॉडबैंड कनेक्शन को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही सुविस्तृत नीति तैयार की जायेगी। यह सभी भारतीय लैंडलाइन और वायरलेस फोन उपयोगकर्ताओं, केबल, टीवी, घरों और सिनेमा हॉलों को समावेशित करेगी। अत्याधुनिक वायरलेस प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना इस नीति का मुख्य हिस्सा होगा।
6) भारत की अर्थव्यवस्था, सरकार और शिक्षा प्रणाली को हर स्तर पर आईटी-दक्ष बनाया जायेगा। 15 अगस्त, 2004 से पहले एक राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस रणनीति को क्रियान्वित किया जायेगा। बिजली, टेलीफोन, पानी आदि के बिलों के भुगतान, सरकारी फॉर्म हासिल करने और दाखिल करने के लिए ई-सेवा को नागरिकों के लिए साझा मंच बनाया जायेगा। हम नागरिकों को उन सेवाओं के लिए सरकारी कार्यालयों में जाने की जरूरत को जबरदस्त रूप से कम कर देंगे, जिन सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से दिया जा सकता है।
7) सामग्री सृजन के क्षेत्र समेत भारतीय भाषाओं में सूचना प्रौद्योगिकी पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।
8) डाक सेवाओं का पुनर्गठन और आधुनिकीकरण किया जायेगा और इसे लोगों को व्यापक वाणिज्यिक और सरकारी सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए आईटी-दक्ष बनाया जायेगा।
9) स्थानीय भाषा में समृद्ध शैक्षिक सामग्री तक पहुँच बनाने के लिए देश में प्रत्येक हाईस्कूल और प्रत्येक महाविद्यालय को उच्च गति के इंटरनेट कनेक्शन से लैस किया जायेगा।

जल की चुनौती को पूरा करना

1) नदी-जोड़ परियोजना 15 अगस्त, 2004 से पहले प्रस्तुत कर दी जायेगी। वर्ष 2015 तक सार्वजनिक भागीदारी के साथ निर्दिष्ट योजनाओं का शुरुआती समूह क्रियान्वित किया जायेगा। परियोजना प्रभावित लोगों के प्रभावी पुनर्वास के पैकेज को अंतिम रूप दिया जायेगा और उसे क्रियान्वित किया जायेगा।
2) वाटर-शेड प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, टपक सिंचाई, तालाबों, झीलों और जलाशयों को सिल्ट मुक्त करना, कुंओं की बहाली, पानी की रीसाइक्लिंग आदि जैसी स्थानीय और छोटी पहलकदमियों के लिए व्यापक प्रोत्साहन और कानूनी समर्थन।
3) सामुदायिक भागीदारी के साथ नदियों और पारंपरिक जल स्रोतों की सफाई को समर्थन दिया जायेगा।
4) तटवर्ती कस्बों में विलवणीकरण संयंत्र स्थापित किये जायेंगे।
5) औद्योगिक, वाणिज्यिक, आवासीय और कृषि उपयोग के लिए जल शुल्क पर फैसला करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक स्वतंत्र जल शुल्क प्राधिकरण की स्थापना की जायेगी।
6) पानी की हर बूँद के संरक्षण की जरूरत के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक अभियान चलाया जायेगा।

इस मुद्दे के अत्यधिक महत्व और आवश्यकता की दृष्टि से पहले तीस दिन के भीतर ‘राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम’ प्रस्तुत किया जायेगा। इस कार्यक्रम को समयबद्ध ढंग से क्रियान्वित करने के लिए वित्त मंत्रालय को सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया जायेगा। इस कार्यक्रम के लिए इसके वित्तपोषण के नवोन्मेषी तरीकों समेत विभिन्न तौर-तरीकों के निर्धारित करनेके लिए के कार्यबल की स्थापना की जायेगी।

बिजली

1998 में राजग सरकार को विरासत में न केवल अत्यंत कठिन बिजली स्थिति, बल्कि एक त्रुटिपूर्ण बिजली नीति और दोषपूर्ण सेक्टर सुधार कार्यक्रम भी मिला था। हमने स्थिति को सही दिशा में लाने की दृष्टि से सुधार की दिशा में परिवर्तन के लिए तत्काल कदम उठाये और नीति और कार्यक्रमों का पुनर्विन्यास भी किया। वितरण नेटवर्क सुधारने के लिए 20,000 करोड़ रुपये, राज्य विद्युत बोर्डों को उनकी हानियाँ घटाने के लिए 20,000 करोड़ रुपये का और प्रोत्साहन उपलब्ध करा कर वितरण में सुधार को प्राथमिकता दी गयी। विद्युत अधिनियम, 2003 लागू कर राजग सरकार ने बिजली क्षेत्र में सुधारों को एक बड़ा समर्थन दिया। इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में हमारे भावी संकल्प निम्न होंगे :

1) 2012 तक बिजली की कमी का उन्मूलन; 2009 तक इसमें कमी को उल्लेखनीय स्तर तक घटाना
2) अगले पाँच वर्ष के दौरान कम से कम 50,000 मेगावाट की अतिरिक्त उत्पादन क्षमता स्थापित की जायेगी। 12,000 मेगावाट (जिसमें 8,000 मेगावाट निजी क्षेत्र में होगा) की साझा क्षमता की परियोजनाओं पर काम वर्ष 2004 बीतने से पहले शुरू हो जायेगा।
3) सुदृढ़ राष्ट्रीय ग्रिड – वर्ष 2009 तक 25,000 मेगावाट की बिजली हस्तांतरण क्षमता।
4) राज्य विद्युत बोर्डों की हानियों को 24,000 करोड़ रुपये के वर्तमान स्तर से घटा कर वर्ष 2009 तक 5,000 करोड़ रुपये से भी कम करना।
5) पारेषण और वितरण हानियों में उल्लेखनीय कमी की जायेगी।
6) विद्युत अधिनियम में उल्लिखित बिजली क्षेत्र सुधार को 2004 बीतने से पहले पूरा कर लिया जायेगा।
7) भारत में किसानों समेत बिजली के प्रत्येक उपभोक्ता को अगले तीन वर्ष में डिजिटल, दखल मुक्त मीटरों से जोड़ा जायेगा।
8) 50,000 मेगावाट की पनबिजली पहल का क्रियान्वयन।
9) 1,00,000 मेगावाट की तापीय बिजली पहल का क्रियान्वयन।
10) गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के दोहन के लिए एक बड़ी पहल। ग्रामीण क्षेत्रों में बायोमास आधारित विकेंद्रित बिजली उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया जायेगा।
11) ऊर्जा बचत प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन देने के लिए ऊर्जा संरक्षण अभियान को तेज किया जायेगा।
हम वादा करते हैं कि उपरोक्त कार्य पूरे होने पर न केवल एक जोशपूर्ण और स्वस्थ बिजली क्षेत्र सृजित करेंगे, बल्कि देश बिजली क्षेत्र में सुधार के लाभों का उसी तरह अनुभव करेगा जैसे दूरसंचार क्षेत्र में किया जा रहा है।

उद्योग

1) फार्मास्युटिकल, ऑटोमोबाइल, ऑटो-कम्पोनेंट, इंजीनियरिंग वस्तु जैसे क्षेत्रों, जहाँ हमने हमारी प्रतिस्पर्धी मजबूती को स्थापित किया है, में भारत को वैश्विक निर्माण केंद्र बनाने के लिए छह माह के भीतर एक कार्ययोजना तैयार की जायेगी। ऐसी मजबूती विकसित करने के लिए विशेष रूप से उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नये उद्योगों की पहचान की जायेगी।
2) हाल के वर्षों में को स्वयं को पुनर्गठित करने वाली औद्योगिक इकाइयों द्वारा प्राप्त अच्छे परिणामों को देखते हुए सभी शेष इकाइयों के लिए इस प्रक्रिया को सुगम बनाया जायेगा। हमारा लक्ष्य पाँच वर्ष में भारतीय उद्योग में सभी निष्क्रिय और अल्प-प्रयुक्त क्षमताओं का उन्मूलन करना है।
3) भारतीय पूँजीगत वस्तु उद्योग, ऑटोमोबाइल उद्योग, फार्मास्युटिकल उद्योग, रसायन और पेट्रोरसायन उद्योग, रत्न एवं आभूषण उद्योग को प्रौद्योगिकी की मूल्यवर्धन श्रृंखला की राह चलने और वैश्विक महारथी बनने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
4) सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (पीएसयू) की लाभप्रदता बढ़ाने के लिए उनके पुनर्गठन को तेज किया जायेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों को वृहत्तर परिचालनात्मक स्वतंत्रता और लचीलेपन से लैस किया जायेगा। रुग्ण सरकारी उपक्रमों को हो रही हानियों को बंद करने के लिए प्रभावी उपाय किये जायेंगे। विनिवेश की प्रक्रिया, जिसने इस वर्ष अच्छे परिणाम दिये हैं, को मुख्य रूप से सार्वजनिक उद्यमों (पीएसयू) में छिपी संपन्नता का दोहन बढ़ाने के लिए जारी रखा जायेगा।
5) कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग की निगरानी में जारी 461 परियोजनाओं में से 100 को दो वर्ष में तेजी से पूरा करने के लिए चुना जायेगा।
6) केंद्र प्रत्येक राज्य, जो आवश्यक समर्थन देने के लिए तैयार हैं, में एक विश्वस्तरीय औद्योगिक पार्क के सृजन को सुगम बनायेगा।
7) हम विश्वस्तरीय भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सृजन को सुगम बनायेंगे।

कोयला

1) 5 करोड़ टन की वर्तमान क्षमता को बढ़ाने के लिए 2004 में नयी कोयला खनन परियोजनाएँ शुरू की जायेंगी। इनका जोर इस्पात संयंत्रों के लिए जरूरी कोकिंग कोल और तापीय बिजली स्टेशनों के लिए कोयला उत्पादन पर रहेगा।
2) कोयला क्षेत्र में निजी पहल को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक कानून पेश किया जायेगा।
3) कोयला पीएसयू को और दक्ष और लाभप्रद बनाने के लिए उनका पुनर्गठन किया जायेगा।

तेल एवं प्राकृतिक गैस

1) खुद के संसाधनों का दोहन बढ़ा कर और साथ ही साथ विदेशी तेल क्षेत्रों में स्वामित्व खरीद कर तेल उत्पादन बढ़ाया।
2) गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के दोहन के लिए एक संगठित अभियान के जरिये जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटायी जाने वाली है।
3) तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र में उत्पाद की आपूर्ति में बहुत सी कंपनियों को शामिल कर प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित किया जायेगा।
4) खोजे गये गैस क्षेत्रों का वाणिज्यिक दोहन 2005 तक शुरू किया जायेगा।
5) पूरे देश में विस्तारित गैस ग्रिड चतुर्भुज को 2007 तक पूरा कर लिया जायेगा।
6) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड को सक्रिय किया जायेगा।

इस्पात एवं एल्यूमीनियम

1) पाँच वर्ष में इस्पात उत्पादन क्षमता को दोगुना करने के लिए नीतिगत और बजटीय सहायता दी जायेगी।
2) विशेष और उच्च मूल्य के इस्पात उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी में सुधार।
3) एल्यूमीनियम संयंत्रों को वैश्विक दिग्गज बनने के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा।
खनन
1) खनन क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए तीन माह के भीतर नीति का पुनर्विन्यास किया जायेगा।
2) लौह अयस्क, चूना पत्थर, बॉक्साइट और कीमती धातुओं जैसे खनिज संसाधनों के पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ ढंग से दोहन के लिए एकल खिड़की मंजूरी।
3) खनन क्षेत्र में कच्चा माल उपयोग नीति लायी जायेगी।

कपड़ा

1) सरकार 1,000 करोड़ रुपये के शुरुआती आवंटन से कबीर एकीकृत हथकरघा विकास परियोजना नाम से एक नयी पहल शुरू करेगी। देश में सभी करीब दो सौ से ज्यादा हथकरघा क्षेत्रों में क्रियान्वित की जाने वाली इस पहल के पाँच विकास उद्देश्य होंगे :
(अ) हथकरघा उत्पादों के लिए घरेलू बाजार को टिकाऊ बनाना और इसमें और वृद्धि करना।
(ब) हथकरघा निर्यात को 3,000 करोड़ रुपये के वर्तमान स्तर से अगले पाँच वर्ष में 10,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाना।
(स) प्रत्येक हथकरघा बुनकर परिवार को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना।
(द) हथकरघा क्षेत्र में कम से कम 10 लाख और लोगों के लिए टिकाऊ रोजगार सृजित करना।
(य) हथकरघों को मूल्य श्रृंखला की ओर बढ़ने में मदद करना। उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक वित्तीय और अन्य सहायता दी जायेगी।
2) 2005 में मल्टी-फाइबर समझौता और कोटा राज का खात्मा भारत के कपड़ा उद्योग के लिए एक अवसर उपलब्ध कराता है। सरकार इस अवसर का लाभ उठाने के लिए उद्योग की सहायता करेगी। विशेष रूप से,
(अ) प्रौद्योगिकी उन्नयन, बिनाई नली मुक्त करघों को अपना कर और एकीकृत कपड़ा इकाई बन कर मूल्य श्रृंखला की ओर बढ़ने में विद्युत करघा उद्योग की सहायता की जायेगी।
(ब) मिल क्षेत्र में इकाइयों को संपूर्ण कपड़ा समाधान प्रदाता बनने के योग्य बनाया जायेगा। एकीकरण और समूहीकरण को प्रोत्साहित किया जायेगा।
(स) सबसे बड़ा सूत उत्पादक बनने की भारत की क्षमता का नवोन्मेषी ढंग से दोहन किया जायेगा।
(द) कपास उत्पादकों की समस्याओं को विस्तार से सुलझाया जायेगा।
3) घरेलू और निर्यात, दोनों बाजारों के लिए परिधान निर्माण में निवेश की दस गुना वृद्धि को उत्प्रेरित करने के उद्देश्य से परिधान उद्योग के लिए एक कार्य बल स्थापित किया जायेगा। वैश्विक रूप से, मध्यम कौशल रोजगार, खास कर महिलाओं के लिए रोजगार, सृजित करने के लिए सिले परिधान तीव्रतम मार्ग है। सूत के सबसे दक्ष आपूर्तिकर्ताओं में शामिल भारत को वर्ष 2009 तक विश्व में सबसे बड़ा परिधान निर्माता बनाया जायेगा।

लघु एवं मंझोले उद्यम

1) हमारे प्रयासों का जोर एसएमई को वैश्विक बाजारों में मजबूत उपस्थिति के साथ टिकाऊ तरीके से उन्नतिशील व्यवसाय बनने में सुगमता उपलब्ध कराना होगा। इसके लिए एसएमई विकास अधिनियम लागू करेंगे और इसे अन्य कानूनी सुधारों के जरिये समर्थन देंगे।
2) क्रेडिट गारंटी फंड योजना में शुल्क को घटा कर 1% कर के और इसकी सीमा 50 लाख रुपये तक बढ़ा कर इसका पुनर्गठन किया जायेगा।
3) एसएमई क्षेत्र में उभरते प्रौद्योगिक उद्यमियों के लिए 1,000 करोड़ रुपये की इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्क्यूबेशन विकास निधि स्थापित की जायेगी।
4) इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार का पोषण करने वाले, विकास संभावनाओं को खत्म करने वाले और हमारे उद्यमियों को हतोत्साहित करने वाले इंस्पेक्टर राज के अन्याय को खत्म करने के लिए छह माह के भीतर मजबूत उपाय किये जायेंगे। नियमों के अनुपालन की लागत और सरकारी कार्यालयों से काम कराने में एसएसआई उद्यमियों द्वारा खर्च किये जाने वाले समय को घटा कर न्यूनतम किया जायेगा।

कुटीर उद्योग

1) वर्ष 2004 के बीतने से पहले कुटीर उद्योग पर एक राष्ट्रीय नीति पेश की जायेगी। इसका जोर यह सुनिश्चित करना होगा कि गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन और सामाजिक न्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र को तेजी से बदलते वाह्य वातावरण में एक टिकाऊ उच्च वृद्धि मार्ग पर लाया जाये। नयी नीति में आवश्यक बुनियादी ढाँचा और क्रेडिट समर्थन, घरेलू और निर्यात बाजारों से मजबूत संपर्क, उपभोक्ताओं की माँग को पूरा करने के लिए उत्पाद नवोन्मेष, प्रौद्योगिक उन्नयन, प्रशिक्षण और पेशेवर प्रबंधन के प्रावधानों पर विस्तार से विचार किया जायेगा।
2) पिछले पाँच वर्ष में शानदार कार्य करने वाले खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) और इससे जुड़ी संस्थाओं को वृहत्तर समर्थन दिया जायेगा। इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए विशेष रूप से, देश भर में केवीआई दुकानों के व्यापक नेटवर्क का नवोन्मेषी ढंग से लाभ उठाया जायेगा।
3) विशेष रूप से, केवीआईसी के ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (आरईजीपी) को अगले पाँच वर्ष में 25 लाख अतिरिक्त रोजगार और स्वरोजगार अवसर सृजित करने के इसके लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह समर्थन दिया जायेगा।
4) सरकारी कार्यालयों, उपक्रमों और सरकार समर्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए केवीआईसी सेक्टर से उत्पादों का एक निश्चित प्रतिशत खरीदने को बाध्यकारी बनाया जायेगा।
5) खादी नाम वाले केवीआईसी उत्पादों की हाल की सफलता की दृष्टि से "खादी" ब्रांड की घरेलू रूप से पुनर्स्थापना की जायेगी और इसे वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया जायेगा।
6) शिल्पकारों और ग्रामीण दस्तकारों के परंपरागत कौशल और ज्ञान को संरक्षित करने, उन्हें उन्नत करने, और नयी चुनौतियों को स्वीकार करने में सक्षम बनाने के लिए "विश्वकर्मा पहल" शुरू की जायेगी। यह वर्षों पुराने कौशलों में नयी प्रौद्योगिकी और प्रबंधन प्रथाएँ लाने के लिए दस्तकार परिवारों के युवाओं को विशेष रूप से समर्थन देगी।

ज्ञान अर्थव्यवस्था

राजग भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था का केंद्र बनाने के लिए संकल्पबद्ध है।
1) भारत के आईटी उद्योग को लगातार मूल्य श्रृंखला को बढ़ाते हुए 2008 तक 50 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य तक पहुँचने के लिए पूरा सहयोग किया जायेगा। आधुनिक आईटी अप्लीकेशन को प्रोत्साहित किया जायेगा।
2) भारत के पास विश्व का ‘बैक ऑफिस’ सेवा प्रदाता बनने का अनूठा अवसर है। कॉल सेंटर व्यवसाय और बीपीओ उद्यम में भारत के अवसरों का पूरा दोहन किया जायेगा। इन आईटी-क्षम सेवाओं, खास कर हमारे प्रतिभावान पेशेवरों, शिक्षकों, डॉक्टरों, वकीलों, प्रबंधकों, एकाउंटेंटों, सलाहकारों, वैज्ञानिकों इत्यादि द्वारा दी जा सकने वाली उच्च-मूल्य सेवाओं में रोजगार अवसरों को तेजी से बढ़ाने के लिए विस्तृत उपाय किये जायेंगे।
3) भारत को घरेलू और निर्यात बाजार, दोनों के लिए दूरसंचार, आईटी हार्डवेयर और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का प्रमुख निर्माता बनाने के लिए वित्तीय और नीतिगत समर्थन दिया जायेगा। चिप की निर्माण सुविधाएँ लगाने के लिए विदेशी कंपनियों को प्रोत्साहित किया जायेगा।
4) सरकार विश्व स्तरीय आर ऐंड डी क्षमताओं के विकास के लिए वृहत्तर फंडिंग समेत विभिन्न किस्म के उपायों के जरिये जैवप्रौद्योगिकी उद्योग के लिए समर्थन को मजबूत बनायेगी। निजी आर ऐंड डी परियोजनाओं को समर्थन के अलावा उद्योग और अकादमिक संस्थाओं के बीच वृहत्तर सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जायेगा। पेटेंट व्यवस्था को मजबूत किया जायेगा।
5) जैवप्रौद्योगिकी उद्योगों के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जायेगा और वर्तमान नियामक एजेंसियों का पूरी तरह कायाकल्प कर के स्वीकृतियों में विलंब का उन्मूलन किया जायेगा। जैवप्रौद्योगिक उत्पादों के लिए एकल बिंदु स्वीकृति होगी जो 60 दिन के भीतर जारी की जायेगी।
6) भारत को शोध, डिजाइन और विकास का वैश्विक मंच बनाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जायेगी। सरकार आर ऐंड डी पर अपार खर्च करने वाली विदेशी कंपनियों को देश में आर ऐंड डी केंद्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन देगी। हमारा लक्ष्य यह देखना है कि कम से कम 50% ‘फॉर्च्यून 500’ कंपनियों की आर ऐंड डी सुविधा का एक बड़ा हिस्सा भारत में हो।
7) राजग सरकार को ‘प्रतिभा पलायन’ को पलटने का गर्व है। स्वतंत्र भारत में पहली बार हाल के वर्षों में ‘प्रतिभा आगमन’ शुरू हुआ है। हम विदेशों में रह रहे सर्वश्रेष्ठ भारतीय प्रतिभाओं को भारत लौटने या सहयोग कार्य में हिस्सेदारी के लिए आकर्षक स्थितियाँ सृजित कर इस ‘रिसाव’ को ‘बौछार’ में बदल देंगे। हम बड़ी संख्या में विदेशी वैज्ञानिकों और पेशेवरों को भी भारत आने और यहाँ काम करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। भारत को विविध क्षेत्रों में शीर्ष प्रतिभाओं के लिए अवसरों की भूमि घोषित करने का समय आ गया है।

विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी

राजग का मानना है कि द्वितीय हरित क्रांति से ले कर भारत के सामाजिक विकास स्तर को बढ़ाने तक – एजेंडा में उद्धृत लगभग प्रत्येक पहल की सफलता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमें गर्व है कि हमारी सरकार ने भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रतिष्ठानों के लिए समर्थन में गिरावट को न केवल रोका बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर खर्च को बढ़ते क्रम में ला दिया।

1) आगामी पाँच वर्ष में हमारा ध्यान त्रि-आयामी होगा :
(अ) विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर सार्वजनिक और निजी खर्च को और प्रोत्साहित करना।
(ब) वैश्विक मानकों से बराबरी के लिए इस खर्च के परिणामों और निष्कर्षों में और सुधार करना।
(स) वर्ष 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के भारत के अतिमहत्वपूर्ण लक्ष्य के साथ हमारे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों की गतिविधियों और लक्ष्यों को और संघटित करना।
2) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति को प्रबलता के साथ क्रियान्वित किया जायेगा।
3) अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग और रक्षा अनुसंधान के नागरिक उपयोग के क्षेत्रों में भारत की आत्मनिर्भर उन्नति के लिए इन्हें और प्रोत्साहित किया जायेगा। सीएसआईआर, डीआरडीओ, आईसीएआई, आईसीएमआर, इसरो, बार्क, आईआईटी, विश्वविद्यालय और अन्य सरकार समर्थित अनुसंधान संस्थानों के साथ भारतीय उद्योग की साझीदारी को तेजी से विस्तारित किया जायेगा।
4) इसरो के महत्वाकाँक्षी ‘चंद्रयान’ कार्यक्रम, जिसका लक्ष्य 2008 से पहले चंद्रमा पर भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन भेजने का है, को पूरी तरह समर्थन दिया जायेगा।
5) हमारे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों की कार्यप्रणाली में लालफीताशाही को खत्म करने के लिए और कदम उठाये जायेंगे। इनमें से प्रत्येक को अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रभुत्व प्राप्त करने के लिए उनके भावी विकास के लिए एक सुस्पष्ट दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
6) विविध क्षेत्रों में आधारभूत अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जायेगा।
7) विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की घरेलू परंपराओं को संरक्षित करने, वर्गीकृत करने और विकसित करने के हाल के प्रयासों को और बढ़ावा दिया जायेगा।
8) समाज में वैज्ञानिक मनोदशा सृजित करने के प्रयास, विज्ञान के प्रति लोकप्रिय जागरूकता को बढ़ाने और नवोन्मेष की भावना को प्रोत्साहन को पुनर्गठित किया जायेगा और समर्थन दिया जायेगा।

व्यापार एवं वाणिज्य

1) बीते दशक में वैश्विक व्यापार वातावरण में बड़े परिवर्तन आये हैं। साथ ही साथ, वैश्विक व्यापार में एक महत्वपूर्ण महारथी बनने की भारत की महत्वाकाँक्षा बढ़ती घरेलू क्षमताओं के तारतम्य में है। इन दो प्रवृत्तियों को देखते हुए केंद्रित तरीके से वैश्विक व्यापार की चुनौतियों से निबटने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए एक पृथक अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय सृजित किया जायेगा।
2) विशेष आर्थिक क्षेत्रों को संपूर्ण विकास के वाहक के रूप में प्रोत्साहित किया जायेगा। वाणिज्य मंत्रालय में एक शीर्ष संस्था के रूप में उद्योग की व्यापक भागीदारी के साथ एक एसईजेड संवर्धन परिषद का सृजन किया जायेगा।
3) निजी क्षेत्र और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिये, दोनों में बहु-कमोडिटी एक्सचेंजों को प्रोत्साहित किया जायेगा। यहाँ हमारा ध्यान कृषि जिंसों, धातु और अन्य वस्तुओं के व्यापक दायरे में वैश्विक व्यापार में भारत के लिए अग्रणी स्थिति प्राप्त करना होगा।
4) अंतरराष्ट्रीय तरीके से संगठित खुदरा व्यापार को उपयुक्त कानूनी और वित्तीय उपायों के जरिये व्यापार के विकास के नये इंजन के रूप में प्रोत्साहित किया जायेगा। खुदरा क्षेत्र में 26% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति दी जायेगी। विदेशी खुदरा श्रृंखलाओं द्वारा भारतीय उत्पादों की खरीद को प्रोत्साहित किया जायेगा।
5) भारत के विशाल बाजार के पास उच्च विकास उत्पन्न करने और इसके जरिये गरीबी और आर्थिक विषमताओं को घटाने की क्षमता है। आंतरिक व्यापार बाधाएँ विकास को अवरोधित करती हैं। इनकी पहचान कर के इन्हें खत्म किया जायेगा।
6) निर्यातकों को और कर्ज देने में सक्षम बनाने के लिए एक्जिम बैंक के पूँजी आधार को बढ़ाया जायेगा।

"बेहतर बाजार योजना"

बाजार सदैव भारत के सामाजिक जीवन का केंद्र रहा है और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गाँव के हाट से ले कर शहरों के थोक बाजारों तक की कमियों को दूर करना और इनमें नयी सामर्थ्य डालना हमारी प्राथमिकता होगी। केंद्र राज्य सरकारों के साथ ‘बेहतर बाजार कार्य योजना’ नामक एक समयबद्ध कार्ययोजना पर निकटता से काम करेगा जिसमें निम्न पहलकदमियाँ शामिल होंगी :
(A) देश में प्रत्येक शहर और तहसील कस्बे, लोगों की भागीदारी के साथ समस्याएँ पहचान कर और उनके समाधान निकाल कर अपनी स्वयं की ‘बेहतर बाजार कार्य योजना’ तैयार करेंगे।
(B) इन कार्ययोजनाओं का मुख्य बिंदु बाजारों से संपर्क को मजबूत करना और समुचित बुनियादी ढाँचा सुविधाएँ, बिजली,पानी, दूरसंचार और आईटी सेवाएँ, पार्किंग स्थल और जहाँ जरूरी हो, वहाँ पुनर्विकास/पुनर्स्थानांतरण के प्रावधान करना है।
(C) सार्वजनिक-निजी साझीदारी से क्रियान्वित होने वाली इस पहल का वित्तपोषण करने के लिए हडको और वाणिज्यिक बैंकों को प्रोत्साहित किया जायेगा। मुख्यत: कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन देने वाले बाजारों को कर्ज देने के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र माना जायेगा।
(D) भारतीय समाज में परंपरागत व्यापारी समुदायों, जिनके पास इस क्षेत्र के ज्ञान और अनुभव की पूँजी है, को पर्याप्त रूप से प्रोत्साहित किया जायेगा।

वैश्वीकरण

1) राजग सरकार विश्व व्यापार संगठन में भारत के हितों, विशेष रूप से हमारे किसानों के हितों की रक्षा करना जारी रखेगी। अन्य विकासशील देशों के साथ मिल कर हम वैश्विक व्यापार, निवेश, कृषि और सेवाओं में विकसित देशों को अनुचित लाभ लेने से रोकने के लिए काम करेंगे।
2) राजग सरकार वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रहे बड़े परिवर्तनों का लाभ लेने के लिए भारत को तैयार करेगी। यह परिवर्तन लागत, गुणवत्ता और प्रौद्योगिकी में पर्याप्त प्रतिस्पर्धी क्षमता विकसित करने वाले भारत जैसे निम्न लागत के देशों को निर्माण और सेवाओं में उच्च लागत की अर्थव्यवस्थाओं के ऊपर तवज्जो देता है। हमारी सरकार हमारी अर्थव्यवस्था में और सुधार कर के, हमारे बुनियादी ढाँचे को आधुनिक बना कर, भारत के मानव संसाधन को समृद्ध बना कर और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में हमारी क्षमताओं को बढ़ा कर इन क्षमताओं को और विस्तारित करेगी।

आवास

‘2010 तक सभी के लिए आवास’ के लक्ष्य के प्रति राजग सरकार का दृढ़संकल्प बना हुआ है।

1) प्रत्येक वर्ष 20 लाख अतिरिक्त आवास के निर्माण को सुगम बनाने के हमारे कार्यक्रम की सफलता से उत्साहित हो कर हम लक्ष्य को बढ़ा कर प्रत्येक वर्ष 30 लाख करने का प्रस्ताव करते हैं। 10 लाख अतिरिक्त आवास पूरी तरह से समाज के कमजोर तबके के लिए होंगे।
2) ग्रामीण जनसंख्या को निम्नतम ब्याज दरों पर आवास ऋण उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित किया जायेगा।
3) ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे घर वाले लोगों को उसे पक्के घर में परिवर्तित करने में सक्षम बनाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया जायेगा।
4) शहरों को गरीब और मध्यम वर्गों के लिए बड़े स्तर पर सामूहिक आवास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
5) राज्यों को शहरी भूमि सीमन अधिनियम को निरस्त करने, किराया नियंत्रण अधिनियम में संशोधन करने और संपत्ति के सौदों और लीज समझौतों पर स्टाम्प शुल्क को घटाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
6) किराये पर दिये जाने वाले आवासों की संख्या में भारी वृद्धि की जायेगी और आवास स्वामी और किरायेदार, दोनों के हितों को संरक्षित करते हुए एक मजबूत लेकिन साधारण कानूनी ढाँचा उपलब्ध करा कर आवास किराये पर देने को आसान बनाया जायेगा।
7) जीर्ण-शीर्ण भवनों की मरम्मत में निवेश के लिए प्रोत्साहन दिये जायेंगे।

शहरी नवीकरण

सरकार झुग्गी सुधार और पुनर्वास के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करेगी जो योजनाबद्ध शहरी विकास की अनिवार्यता के साथ शहरी गरीबों के बुनियादी जीवनयापन और आजीविका आधार के सुसंगत प्रगतिशील राष्ट्रीय नीति पर आधारित होगा। इस दृष्टि से वाल्मिकी अंबेडकर आवास योजना (वीएएमबीएवाई), जिसे उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है, को पुनर्डिजाइन किया जायेगा और झुग्गी आबादी के एकीकृत विकास के लिए इसका दायरा बढ़ाया जायेगा। इस पहल की सफलता के लिए वित्त जुटाने, लोगों की भागीदारी को अधिकतम करने और स्थानीय निकायों के संकल्प को मजबूत करने के लिए नवोन्मेषी मार्ग विकसित किये जायेंगे। इस पहल का दीर्घकालिक उद्देश्य वर्ष 2020 तक भारतीय शहरों को झुग्गी मुक्त बनाना है।
1) स्थानीय प्रशासन को मजबूत किया जायेगा।
2) अवैध अतिक्रमण बंद करने के लिए एक आदर्श केंद्रीय कानून लागू किया जायेगा। राज्यों को समान कानून पारित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
3) शहरी नवीकरण परियोजनाओं के लिए हुडको के कर्ज को और बढ़ाया जायेगा। स्थानीय निकायों को उनकी शहरी नवीकरण जरूरतों के लिए बॉन्ड मार्केट से संसाधन जुटाने में समर्थ बनाया जायेगा।
4) शहर चुनौती निधि का आकार 500 करोड़ रुपये के वर्तमान स्तर से बढ़ाया जायेगा।
5) विश्व स्तरीय हवाईअड्डों, दक्ष सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, उच्च गुणवत्ता के सामाजिक बुनियादी ढाँचे, जोशपूर्ण सांस्कृतिक जीवन और मजबूत वैश्विक संपर्क के साथ आर्थिक वृद्धि के लिए गतिशील वातावरण के साथ कम से कम दस भारतीय शहरों को वैश्विक शहरों के रूप में विकसित किया जायेगा।
6) देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई के बुनियादी ढाँचे और अन्य शहरी नवीकरण जरूरतों को पूरा किया जायेगा।
7) हमने स्वीकार किया है कि हमारी शासन प्रणाली में स्थानीय निकाय सबसे कमजोर कड़ी बन गये हैं। बड़े शहरों की समस्याओं और जरूरतों को भी पुराने तरीकों से निबटाना अत्यंत जटिल हो गया है। इसलिए, राजग दस प्रस्तावित वैश्विक शहरों में नगर निगमों को उनके संबंधित राज्यों के भीतर नगर सरकार के स्तर तक प्रोन्नत करने का प्रस्ताव करता है। इन निगमों को अपेक्षित वित्तीय, न्यायिक, योजना और कानून लागू करने के अधिकारों से संपन्न बनाया जायेगा। इस मुद्दे पर राजनीतिक आम राय बनाने के बाद आवश्यक कानूनी और प्रशासनिक परिवर्तन लागू किये जायेंगे।
8) कम से कम 20 नये शहरों और उप कस्बों को पूरी तरह भविष्य की दृष्टि की तर्ज पर विकसित किया जायेगा।
9) एनएचडीपी के लिए निधि के तर्ज पर एक शहरी सड़क विकास निधि स्थापित की जायेगी। यह निधि छोटे शहरों और बड़े कस्बों में एक वर्ष में 200 फ्लाईओवर के साथ ही साथ पैदल पारपथ और सड़कों के चौड़ीकरण का वित्तपोषण करेगी।
10) हम निम्न और मध्यम वर्ग के लिए शहरी व्यापक आवास के लिए राज्य द्वारा सुगम्य लेकिन निजी तौर पर वित्तपोषित और क्रियान्वित कार्यक्रम सृजित करेंगे।
11) हमारे शहरों को स्वच्छ रखने के लिए "निर्मल भारत अभियान" के दायरे और संसाधनों को बढ़ाते हुए इसे पुनर्डिजाइन करेंगे। इसे सभी स्तरों पर सरकार के मजबूत समर्थन के साथ जनता के अभियान में परिवर्तित किया जायेगा। प्रत्येक शहर में तीन वर्ष के भीतर "भुगतान करें-उपयोग करें" के सिद्धांत पर संचालित पर्याप्त संख्या में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जायेगा। कचरे के दक्षतापूर्ण एकत्रण और उत्पादक उपयोग को अनिवार्य किया जायेगा। सफलता के किस्से गढ़ने वाले शहरों और आसपास के इलाकों को समुचित रूप से मान्यता दी जायेगी।

अनौपचारिक क्षेत्र

अनौपचारिक क्षेत्र के प्रोत्साहन के लिए एक राष्ट्रीय नीति वर्ष 2004 बीतने से पहले पेश की जायेगी। यह इस क्षेत्र में संलग्न लाखों लोगों को जबरिया वसूली और उत्पीड़न के भय से मुक्त कर के उन्हें आजीविका सुरक्षा उपलब्ध करायेगी। अनौपचारिक क्षेत्र में उद्यमियों और स्वरोजगार में संलग्न लोगों और उनकी संपत्ति को कानूनी मान्यता दी जायेगी ताकि वे ठेका, बैंक ऋण, विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ और अपने उत्पाद और सेवाओं के लिए बेहतर बाजार पहुँच प्राप्त कर सकें। ये और अन्य उपाय उनके विभिन्न काम-धंधों को फलने-फूलने में मदद करेंगे और अधिक रोजगार अवसर सृजित करेंगे।

स्वयं सहायता समूह

भारत में स्वयं सहायता समूह पहले ही सफलता की बड़ी कहानियाँ लिख चुके हैं। अब तक 15 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह बन चुके हैं जो अपने सदस्यों को बैंक समर्थित सूक्ष्य ऋण उपलब्ध करा रहे हैं। ‘स्वशक्ति’ कार्यक्रम के तहत महिला स्वयं सहायता समूह ग्रामीण और शहरी गरीबों की पारिवारिक आय बढ़ाने और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ाने में विशेष रूप से सफल रहे हैं। बैंक ऋणों को चुकाने में भी उनका रिकॉर्ड सर्वश्रेष्ठ रहा है।

अब तक के अनुभव के आधार पर हमारी सरकार भागीदारीपूर्ण आर्थिक विकास के लिए जनता के आंदोलन के रूप में स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के लिए एक कार्य योजना तैयार करेगी। स्वयं सहायता समूहों, गैरसरकारी संगठनों, बैंकों और बाजारों के बीच नवोन्मेषी साझीदारी सृजित की जायेगी। इसमें निजी क्षेत्र को बड़े स्तर पर शामिल किया जायेगा। प्रत्येक पड़ोस में महिलाओं का स्वयं सहायता समूह गठित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जायेगा। यह हथकरघा बुनकरों का स्वयं सहायता समूह, जो उन्हें सूत प्राप्त करने, डिजाइन सुधारने और उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य प्राप्त करने के बाजार के बिचौलियों से बचने में सक्षम बनाता है; या सब्जी, मछली और अन्य कृषि उत्पादों में महिलाओं की सहकारी विपणन संस्थाओं जैसे विभिन्न प्रकार के ढेरों पेशों में संभव है। उत्तरी राज्य, और अन्य क्षेत्रों, जहाँ स्वयं सहायता समूह अब भी कमजोर और कम संख्या में हैं, को विशेष रूप से लक्ष्यित किया जायेगा।

हम स्वयं-सहायता समूहों को एक औपचारिक और कानूनी ढाँचा प्रदान करेंगे। सूक्ष्म ऋण परिचालन और उसका पैमाना बड़ा करने के लिए पोषण करने में सक्षम बनाते हुए एक उपयुक्त कानून लागू किया जायेगा।

पर्यटन

भारत को विश्व में एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए छह माह के भीतर एक कार्य योजना तैयार की जायेगी। विदेशी पर्यटकों की आमद 30 लाख के वर्तमान स्तर से बढ़ा कर 2009 तक 1 करोड़ करना और 2015 तक बढ़ा कर 2 करोड़ करना इस कार्य योजना के महत्वपूर्ण पड़ावों में एक होगा। इसकी अन्य विशेषताएँ निम्न होंगी :

1) एक मजबूत भारत पर्यटन ब्रांड प्राप्त करने के लिए समुचित फंडिंग के साथ एक रणनीतिक विपणन योजना (‘इन्क्रेडिबल भारत’ अभियान की तरह) क्रियान्वित की जायेगी।
2) पर्यटन से 3 अरब डॉलर की आय के वर्तमान स्तर को बढ़ा कर वर्ष 2009 तक 10 अरब डॉलर करना।
3) विभिन्न आर्थिक गतिविधियों पर पर्यटन के बहु-गुणात्मक प्रभाव के आधार पर वर्ष 2009 तक 1 करोड़ अतिरिक्त रोजगार और 2015 तक 2.5 करोड़ अतिरिक्त रोजगार का सृजन।
4) निजी निवेश के साथ आईआईएम की तर्ज पर पाँच भारतीय पर्यटन संस्थान की स्थापना।
5) आगमन पर वीजा, सार्क देशों के लिए संयुक्त पर्यटन वीजा, वीजा जरूरतों का सरलीकरण, वीजा शुल्क घटाना और 24 घंटे के भीतर वीजा प्रदान करना।
6) क्रूज और बीच पर्यटन के जरिये भारत के 6,000 किलोमीटर लंबे तट का एकीकृत विकास।
7) पर्यटन और महत्वपूर्ण शहरी विकास परियोजनाओं के लिए समुद्रतट नियमन जोन (सीआरजेड) प्रावधानों में ढील दी जायेगी।
8) करों का विवेकीकरण और सरलीकरण; पर्यटन में बड़े पूँजी निवेशों पर कर अवकाश।
9) भारत की सभ्यता और आध्यात्मिक विरासत के आधार पर कम से कम दो विश्वस्तरीय थीम पार्कों की स्थापना।
10) विदेशी पर्यटकों के लिए नये पर्यटन स्थल सृजित करने के लिए पूर्वोत्तर को विशेष तरह से प्रोत्साहित किया जायेगा।

घरेलू पर्यटन

घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसी के समान केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया जायेगा। हर जिले को उसके स्वयं के विशिष्ट आकर्षणों, लक्ष्य निर्धारण और अच्छे बुनियादी ढाँचे और संवहनीय नागरिक सुविधाओं की उपलब्धता का उपयोग करते हुए एक जिला पर्यटन विकास योजना तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। जोखिम पर्यटन और ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने के लिए नये सिरे से जोर दिया जायेगा। पाँच वर्ष में देश भर के 100 महत्वपूर्ण तीर्थ केंद्रों में बुनियादी ढाँचा, नागरिक सुविधाओं और स्वच्छता मानकों में सुधार के लिए एक तीर्थ पर्यटन विकास निधि सृजित की जायेगी। इस निधि का एक उल्लेखनीय हिस्सा उपभोक्ता शुल्क प्रणाली के जरिये स्वयं तीर्थयात्रियों की ओर से आयेगा।

मीडिया और मनोरंजन

1) हमारे देश के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में मनोरंजन उद्योग एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर हाल के दशकों में इसका आकार, पहुँच, मान्यता और प्रभाव उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। हमारी सरकार द्वारा लिये गये निर्णयों ने हाल के वर्षों में भारत के फिल्म एवम् टीवी उद्योग की बहुत मदद की है। दोनों में रोजगार सृजन के क्षेत्र समेत और वृद्धि की अपार संभावना है। इसकी वृद्धि संभावनाओं का उपयोग करने के लिए छह माह के भीतर भारत के मनोरंजन उद्योग पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार की जायेगी।
2) राष्ट्रीय मीडिया नीति विकसित करने के लिए एक व्यापक समिति गठित की जायेगी जो हाल के वर्षों में उभरे सभी जटिल मुद्दों का विस्तार से समाधान करेगी।

श्रम

1) राजग सरकार ने हाल ही में असंगठित क्षेत्र के 37 करोड़ लोगों के लिए एक प्रगतिशील सामाजिक सुरक्षा योजना प्रस्तुत की है जो स्वतंत्रता के पश्चात अपनी तरह का पहला है। इसका तेजी से और प्रभावी क्रियान्वयन हमारी प्राथमिकता होगी।
2) हमने माना है कि भारत जैसे एक श्रम-समृद्ध समाज में 8 से 10% जीडीपी वृद्धि दर प्राप्त करने के लिए हमारी रणनीति मुख्य रूप से श्रम उत्पादकता को बढ़ाने पर टिकी होगी। इसके लिए भारत की श्रमशक्ति में प्रशिक्षित मानव संसाधन का प्रतिशत पंचवर्षीय पड़ावों के साथ 10% के वर्तमान स्तर से बढ़ा कर 2020 तक कम से कम 50% करने के जरिये श्रम उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू किया जायेगा।
3) कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के कामकाज की समीक्षा की जायेगी और इसमें सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाये जायेंगे।
4) कल्याण, प्रशिक्षण और रोजगार सृजन प्रावधानों को और मजबूत करने के लिए द्वितीय श्रम आयोग की संस्तुतियों को आवश्यक संशोधनों के साथ क्रियान्वित किया जायेगा।

पर्यावरण संरक्षण

राजग भारत की बहुमूल्य पर्यावरणीय संपदा के ह्रास को बहुत चिंता के साथ देखता है। हमारा मानना है कि हमारी सभी पर्यावरणीय संपदाओं के प्रभावी संरक्षण के साथ टिकाऊ विकास संभव है। हम करेंगे :
1) भारत का वनक्षेत्र बढ़ाने में हाल की सफलता के आधार पर वनीकरण, सामाजिक वानिकी और कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए और उपाय किये जायेंगे। जिन राज्यों में क्षरण नाजुक स्थिति में पहुँच गया है, उन पर वृहत्तर ध्यान दिया जायेगा। सामुदायिक भागीदारी को संस्थागत बनाने वाले संयुक्त वानिकी प्रबंधन को और मजबूत किया जायेगा।
2) वाहन प्रदूषण को निर्माण के चरण में ही कड़े मानकों और स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दे कर नियंत्रित किया जायेगा।
3) विकास परियोजनाओं और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन को मजबूत बनाया जायेगा।
4) ‘हरित’ प्रौद्योगिकियों के विकास को और प्रोत्साहित किया जायेगा।
5) प्रदूषण नियंत्रण मानकों के नियमन को राज्यों और स्थानीय स्वशासी संस्थाओं तक विकेंद्रीकृत किया जायेगा ताकि निवारण प्रक्रिया में प्रदूषण से पीड़ित लोगों की सुनवाई हो।

रोजगार सृजन रणनीति

राजग बेरोजगारी उन्मूलन के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है। हमारी सरकार आर्थिक वृद्धि को तेज करने की रीणनीति का अनुसरण करना जारी रखेगी जो कार्य कर सकने वाले सभी लोगों के लिए लाभप्रद रोजगार सृजित करने में सक्षम है। इस रणनीति का एक अनिवार्य पहलू यह मानना है कि कई अन्य देशों की तर्ज पर भारत में रोजगार सृजन की प्रकृति हमारी अर्थव्यवस्था की बदलती प्रकृति के साथ परिवर्तित हुई है। इस रणनीति के अंतर्गत रोजगार सृजन में सरकारी कार्यालयों और उद्योग के पूँजी सघन खंड की कम भूमिका है। हालाँकि सेवाओं और असंगठित क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बड़े पैमाने पर आ रहे हैं जिनका भारतीय अर्थव्यवस्था में सापेक्षिक भारांक निरंतर बढ़ रहा है।

भारत के कई हिस्सों में रोजगार सृजन की यह नयी प्रवृत्ति पहले से ही दृष्टिगोचर है। न सिर्फ बड़े शहरों, बल्कि छोटे कस्बों में भी कई युवा विभिन्न सेवा क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार पा रहे हैं। पारंपरिक मायने में ये नौकरियाँ नहीं हैं लेकिन वे व्यक्तिगत विकास के लिए अवसर और नयी चुनौतियाँ प्रदान करती हैं। हमारी सरकार असंगठित क्षेत्र में लोगों को सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान समेत आवश्यक नीति और संस्थागत उपायों के जरिये इस प्रवृत्ति का पूरा समर्थन करेगी।

1999 में राजग के संयुक्त घोषणापत्र में, हमने प्रत्येक वर्ष 1 करोड़ अतिरिक्त रोजगार और स्वरोजगार अवसरों को सृजित करने का वादा किया था। यह संकल्प जारी रहेगा। हम इस वादे को पूरा करने के लिए त्रि-स्तरीय रणनीति का अनुसरण करेंगे :

(अ) 8 से 10% वार्षिक की उच्च जीडीपी वृद्धि दर को बनाये रखना; एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ज्यादा रोजगार और स्वरोजगार अवसरों का सृजन करेगी;
(ब) अर्थव्यवस्था के रोजगार सृजक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर अर्थव्यवस्था की रोजगार-सापेक्षता को बढ़ाना;
(स) कार्य के लिए खाद्य संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना जैसी रोजगार सृजन करने वाली सरकारी योजनाओं के दायरे को व्यापक करना। ऐसी योजनाओं को 100 पिछड़े जिलों में वृत्तर बजटीय सहायता दी जायेगी।

जैसा कि इस दस्तावेज में संकेत दिया जा चुका है, हमारी सरकार हमारे समाज के विभिन्न वर्गों के लिए रोजगार सृजन की पर्याप्त संभावनाओं वाली कई पहलकदमियों को बढ़ावा देना जारी रखेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में ये हैं : कृषि और कृषि प्रसंस्करण, बंजर विकास, कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी, दुग्धपालन, कुक्कुट पालन, पशु चिकित्सा, कृषि विस्तार सेवाएँ, कुटीर उद्योग, स्वयं सहायता समूह, आवास एवम् सड़क निर्माण, परिवहन इत्यादि।

शहरी क्षेत्रों में, हम खुदरा व्यापार, आवास एवम् निर्माण, खाद्य, परिवहन, पर्यटन, अनौपचारिक क्षेत्र में सेवाएँ, दूरसंचार एवम् आईटी, विनिर्माण, परिधान, मनोरंजन, वित्तीय सेवाएँ, शिक्षा एवम् प्रशिक्षण इत्यादि में रोजगार, स्वरोजगार और उद्यमिता अवसरों को बढ़ावा देंगे।

अर्थव्यवस्था में बदलती आवश्यकताओं और अवसरों की तर्ज पर रोजगार इच्छुक युवाओं की रोजगार योग्यता को बढ़ाने को प्राथमिकता दी जायेगी। रोजगार बुनियादी तौर पर शिक्षा से जुड़ा है। इसलिए हमने हमारी विद्यालयी और महाविद्यालयी शिक्षा में बड़ा बदलाव लाने के अपने संकल्प को और दृढ़ किया है। माध्यमिक विद्यालयों में कौशल प्रशिक्षण शुरू किया जायेगा। जब एक विद्यार्थी दसवीं पास करेगा/करेगी, तब उसको कोई रोजगारोन्मुख कौशल हासिल करना होगा। विद्यार्थियों को विषय के चयन में वृहत्तर लचीलापन देने और साथ ही साथ बहुरोजगारोन्मुख डिप्लोमा कोर्स करने में समर्थ बनाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग महाविद्यालयी पाठ्यक्रम को फिर से डिजाइन कर रहा है। महाविद्यालयों को अकेले या संयुक्त रूप से, कौशलपूर्ण मानव संसाधन की आवश्यकता वाले क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के विषय और कोर्सों का विकल्प उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।

भारत में लगभग 2,800 विविध पेशे हैं, प्रत्येक सार्थक कार्यक्षेत्र ज्ञान और अच्छे कौशल की आवश्यकता है। इनमें ज्ञान और कौशल को आईटी आधारित दूरवर्ती शिक्षा, टेलीविजन, ब्रॉडबैंड इंटरनेट संबद्धता के जरिये बड़े स्तर पर बढ़ाया जा सकता है। हमारी सरकार संवहनीय तरीकों से इन नयी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देगी। हम इन मंचों पर प्रयुक्त होने वाली शैक्षिक सामग्री के स्थानीय भाषा में सृजन को बढ़ावा देंगे। हम नयी सुनियमित प्रमाणन व्यवस्था को भी बढ़ावा देंगे। हम शहरी और साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्र, दोनों में बड़े पैमाने पर रोजगारोन्मुख शिक्षा और प्रशिक्षण में भागीदारी के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देंगे। इन कोर्सों में प्रवेश लेने के लिए उम्र की कोई बाधा नहीं होगी। हम आश्वस्त हैं कि यह सभी नयी पहलकदमियाँ लाखों युवक-युवतियों के जीवन को छूएंगी, उनके कौशल और उत्पादकता को बढ़ायेंगी, उनको रोजगार अवसर प्राप्त करने का अवसर देंगी और नि:संदेह भारत में उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता सुधारेंगी।

आर्थिक सुधार

1) कर आधार को और व्यापक और गहरा बना कर कर-जीडीपी अनुपात में सुधार किया जायेगा।
2) दो वर्ष के भीतर शुल्कों का विवेकीकरण और सरलीकरण और अधिकांश छूटों का खात्मा।
3) राज्यों को वैट प्रणाली में आने के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा। केंद्र छोटे व्यापारियों और व्यवसायों के लिए विशेष रूप से नये कर दौर में अड़चन मुक्त आगमन सुनिश्चित करेगा।
4) प्रशासनिक सुधारों और समस्त कर प्रणाली के शुरू से आखिर तक कंप्यूटरीकरण के जरिये कर चोरी और भ्रष्टाचार को घटाया जायेगा। सभी दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को तीन वर्ष में उनके सौदों को कंप्यूटर आधारित बनाने के लिए उपयुक्त प्रेरणा के जरिये प्रोत्साहित किया जायेगा।
5) सभी व्यवसाय श्रेणियों के लिए – केंद्रीय, राज्य या स्थानीय, सभी करों और नियमन शुल्कों के इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के लिए एकल स्थल होगा।
6) पेंशन सुधारों को तेज किया जायेगा। पेंशन नियामक को एक ऐसी योजना प्रस्तुत करने को कहा जायेगा जो निजी क्षेत्र में हो या सार्वजनिक क्षेत्र में, संगठित क्षेत्र में हो या असंगठित क्षेत्र में, सभी कामगारों के लिए व्यक्तिपरक लेकिन स्थानांतरणीय पेंशन निधि खाता सृजित करती हो।

वित्तीय क्षेत्र सुधार

1) बैंकिंग, बीमा, विदेशी निवेश और पूँजी बाजार में फिलहाल प्रस्तावित सभी वित्तीय क्षेत्र सुधारों को अगले छह माह में पूरा कर लिया जायेगा।
2) बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों का मुख्य लक्ष्य दक्ष बैंकिंग सेवाओं को प्रत्येक ग्राहक के दरवाजे तक ले जाना होगा। इसे प्राप्त करने के लिए पीएसयू बैंकों की पहुँच को फैला कर और निजी बैंकों की गतिविधियों का विस्तार कर वृहत्तर प्रतिस्पर्धा सृजित की जायेगी।
3) पीएसयू बैंकों के दृढ़ीकरण को प्रोत्साहित किया जायेगा।
4) भारतीय बैंकों को उनके कदम विदेशों तक बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
5) परियोजनाओं के लिए आवश्यक फंड उपलब्ध कराने के लिए विकास बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की भूमिका को व्यापक बनाया जायेगा।
6) अगले पाँच वर्ष में बीमा की पहुँच को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया जायेगा।
7) भारतीय बीमा क्षेत्र का दायरा और बढ़ाने और इसके वैश्विक संपर्क को मजबूत करने के लिए बीमा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा पर दोबारा चर्चा की जायेगी।
8) छोटी कंपनियों के लिए पूँजी बाजार से पूँजी जुटाना आसान बनाने और साथ ही साथ छोटे निवेशकों, विशेष रूप से छोटे कस्बों के लिए पूँजी बाजार में निवेश को आसान बनाने के लिए हम कदम उठायेंगे। हम अगले पाँच वर्षों में शेयरों का स्वामित्व रखने वाले व्यक्तियों की संख्या दोगुनी करेंगे।

राज्य वित्त

1) राज्य सरकारों द्वारा ऋणों के पुनर्गठन को और प्रोत्साहित किया जायेगा और अनुशीलन किया जायेगा।
2) राज्यों को राजकोषीय सुधार लाने और 2006 तक प्रत्येक राज्य में राजस्व घाटा शून्य तक लाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
3) अनुत्पादक व्यय को घटाने और राज्य के स्वयं के संसाधन संग्रह को बढ़ाने के लिए राजनीतिक सहमति बनायी जायेगी।

संतुलित विकास

1) राज्यों के भीतर और राज्यों के बीच विकास असंतुलन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक क्षेत्रीय असमानता निवारण निगरानी समिति का गठन किया जायेगा।
2) उत्तरी और पूर्वी राज्यों, जहाँ भारत की अधिसंख्य आबादी रहती है, में आर्थिक विकास और चौमुखी सामाजिक विकास को तेज करना आगामी वर्षों में हमारी प्राथमिकता होगी।
3) प्रत्येक राज्य में पिछड़े इलाकों के तीव्र विकास के लिए अतिरिक्त और समर्पित बजटीय संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे।

सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण

1) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, गैर-सूचित और आदिम जनजाति, ‘अगड़ा वर्ग’ के गरीबों और अल्पसंख्यकों के सामाजिक और आर्थिक न्याय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक सामाजिक असमानता उन्मूलन निगरानी समिति का गठन किया जायेगा। राज्यों को इसी तरह की समितियाँ गठित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
2) हमारे वनवासी भाइयों के चौमुखी सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक राष्ट्रीय जनजाति नीति बनायी जायेगी।
3) यदि आवश्यक हो तो वन कानूनों में उपयुक्त संशोधन कर के वन्य भूमि पर रह रही जनजातियों के भूमि अधिकारों का नियमन और वनोत्पाद पर आधारित उनकी आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा।
4) आरक्षण पर नीति के प्रावधानों को कड़ाई से क्रियान्वित किया जायेगा। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए नौकरी और प्रोन्नति में सभी रिक्त पदों को भरने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया जायेगा। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए और शैक्षिक, प्रशिक्षण, रोजगार और उद्यमिता अवसरों के सृजन के लिए निजी क्षेत्र उद्यमों को प्रोत्साहन दिया जायेगा।
5) अनुसूचित जाति और जनजाति के विकास के लिए विभिन्न आयोगों और वित्तीय निगमों की कार्यप्रणाली को सुधारा जायेगा।
6) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों के खिलाफ अत्याचार को रोकने के लिए कानून को कड़ाई से लागू किया जायेगा।
7) आदिम और गैर-सूचित जनजातियों के लिए नये घोषित आयोग का संचालन शुरू किया जायेगा।
8) ‘अगड़े वर्गों’ के बीच गरीबों को आरक्षण इस उद्देश्य के लिए गठित आयोग की संस्तुति मिलने के बाद दिया जायेगा।
9) अनुसूचित जाति और जनजाति की कलात्मक और सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण और उनके नायकों के सम्मान के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जायेगा।

अल्पसंख्यक

1) तीन-ई कार्यक्रम : शिक्षा (एजुकेशन), आर्थिक उन्नयन (इकोनॉमिक अपलिफ्टमेंट) और सशक्तिकरण (इम्पावरमेंट) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पहले छह माह में अल्पसंख्यक विकास एजेंडा प्रस्तुत किया जायेगा।
2) यह एजेंडा विशेष रूप से गरीब और पिछड़े परिवार के लोगों की आवश्यकताओं को, उन्हें शिक्षा, आवास इत्यादि की सरकार-समर्थित योजनाओं में समान हिस्सेदारी मिलना सुनिश्चित करते हुए पूरा करेगा।
3) अल्पसंख्यक आयोग के कामकाज को उनके विकास और कल्याण के मुद्दों को सुलझाने के लिए पुनर्केंद्रित किया जायेगा।
4) राजग सरकार ने उर्दू भाषा को बढ़ाने और मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण को अभूतपूर्व प्रोत्साहन दिया है। यह जारी रहेगा।
5) प्रशासन और सार्वजनिक संस्थाओं में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए एक संगठित प्रयास किया जायेगा।

सामाजिक विकास

सामाजिक विकास में हमारा लक्ष्य शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, पेयजल, आवास, स्वच्छता और सांस्कृतिक विकास में प्रत्येक नागरिक की मूलभूत जरूरतों को पूरा कर के सभी भारतीयों के जीवन की गुणवत्ता में सर्वपक्षीय सुधार लाना होगा।
इस अतिमहत्वपूर्ण उद्देश्य को प्राप्त करने और इस क्षेत्र में अपर्याप्त निवेश की पूर्ववर्ती प्रवृत्ति को पलटने के लिए सरकार अगले पाँच वर्षों में निवेश होने वाले 1,00,000 करोड़ रुपये का ‘सामाजिक विकास फंड’ सृजित करेगी।

सभी के लिए शिक्षा

1) शिक्षा पिरामिड के प्रत्येक स्तर पर सार्वजनिक-निजी साझीदारी को बढ़ा कर पाँच वर्षों में शिक्षा पर कुल खर्च बढ़ा कर जीडीपी के 6% तक लाया जायेगा।
2) पाँच वर्ष में 85% की साक्षरता दर प्राप्त की जायेगी। हमारी दृष्टि यह देखने की है कि 2015 तक भारतीय समाज पूरी तरह साक्षर बन जाये। इसके लिए, हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक बहु-आयामी अभियान शुरू करेंगे कि प्रत्येक बच्चा विद्यालय जाता हो, प्रत्येक विद्यालय समुदाय के प्रति उत्तरदायी हो और प्रत्येक गाँव और कस्बा अपनी गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक दर्जे के प्रति उत्तरदायी है। हमारे महत्वाकाँक्षी लक्ष्य के अनुरूप सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों स्रोतों से समुचित संसाधन जुटाये जायेंगे। कंप्यूटर आधारित और टीवी-प्रवर्तित क्रियात्मक साक्षरता जैसे नवोन्मेषी तरीकों का उपयोग किया जायेगा। ‘सर्व शिक्षा अभियान’ को जनांदोलन बनाया जायेगा।
3) अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के बीच शिक्षा के प्रसार और सभी स्तरों पर शिक्षा में लैंगिक असमानता को खत्म करने को लक्ष्यित गतिविधियों के लिए समर्थन बढ़ाया जायेगा।
4) पाँच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में सभी प्राथमिक विद्यालयों के भवनों में सुधार के लिए प्रति वर्ष 1000 करोड़ रुपये की विशेष निधि आंशिक रूप से सभी गैर-जरूरतमंद विद्यार्थियों पर सेस के जरिये सृजित की जायेगी।
5) राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के रूप में "अक्षय पात्र" को सक्रिय किया जायेगा।
6) संपूर्ण विद्यालयी और महाविद्यालयी शिक्षा प्रणाली में आद्योपांत परिवर्तन किया जायेगा और इसे रोजगारोन्मुख बनाया जायेगा। कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसरों को अधिकतम किया जायेगा।
7) महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (जो प्रतिष्ठित कोलकाता विश्वविद्यालय के अब तक के सबसे कम उम्र के कुलपति थे) के नाम पर एक मानक सुधार अभियान चलाया जायेगा। अच्छा प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को समुचित सम्मान दिया जायेगा।
8) कोई भी विद्यार्थी संसाधनों के अभाव के कारण उच्च शिक्षा तक पहुँच से वंचित नहीं रहेगा। सभी जरूरतमंद विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति और नरम ऋण व्यापक रूप से उपलब्ध कराये जायेंगे। इस उद्देश्य से एक राष्ट्रीय शिक्षा विकास निधि स्थापित की जायेगी।
9) निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के दौरान शिक्षा के व्यवसायीकरण पर अंकुश के लिए प्रभावी उपाय किये जायेंगे।
10) पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति, विरासत और नैतिक मूल्य पर मजबूती से जोर दिया जायेगा। विद्यार्थी के चरित्र निर्माण और उसके व्यक्तित्व के सर्वमुखी विकास पर जोर दिया जायेगा। शैक्षिक प्रणाली में खेल, शारीरिक प्रशिक्षण और समाज सेवा को मुख्य धारा में लाया जायेगा।
11) विद्यालयी और महाविद्यालयी शिक्षा में भारतीय भाषाओं के बढ़ते क्षरण पर अंकुश लगाया जायेगा। मातृ भाषा में शिक्षण को प्रोत्साहित किया जायेगा।
12) संस्कृत के प्रचार के प्रयास सघन किये जायेंगे।
13) विशेष रूप से महिलाओं की शिक्षा के लिए छात्रावासों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा।
14) हमारे शैक्षणिक संस्थानों के प्रशासन को नौकरशाही से मुक्त किया जायेगा। उनकी गतिविधियों के प्रबंधन और उनके प्रदर्शन की निगरानी में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जायेगा।
15) उच्चतर शिक्षा में उत्कृष्टता के केंद्र भारत का गौरव हैं। उन्हें विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए वांछित स्वायत्तता दी जायेगी।
16) 2005 से पहले पाँच नये आईआईटी स्थापित किये जायेंगे।
17) हमारा दृष्टिकोण उच्चतर शिक्षा में भारत को वैश्विक केंद्र बनाना और नालंदा युग के गौरव को दोबारा प्राप्त करना है। इसके लिए कम से कम 25 भारतीय विश्वविद्यालयों और 100 महाविद्यालयों को प्रत्येक संदर्भ में आगे बढ़ाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जायेगी। हमारे सभी आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम, आईआईएससी, एम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों (वर्तमान और प्रस्तावित, दोनों) और अन्य प्रतिष्ठित उच्चतर शिक्षा संस्थानों को और समर्थन दिया जायेगा। इस दृष्टि, जो न केवल भारत के कद को वैश्विक स्तर पर बढ़ा देगी बल्कि हमारे देश को उल्लेखनीय विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी समर्थ बनायेगी, को प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को पूरी तरह सक्रिय किया जायेगा।

सभी के लिए स्वास्थ्य

राजग के लिए, "सभी के लिए स्वास्थ्य" महज एक नारा नहीं है। यह हमारा स्वीकृत उद्देश्य, एक अभिलाषित लक्ष्य है; नि:सदेह यह हमारे लोगों के प्रति एक संकल्प है, जिसे पूरा करने का हम भरपूर प्रयास करेंगे। वहनीय चिकित्सा देखभाल तक पहुँच एक बुनियादी आवश्यकता है, जो अवश्य ही उपलब्ध होनी चाहिए।

1) वर्तमान समय में स्वास्थ्य देखभाल पर कुल सार्वजनिक व्यय जीडीपी का 2% है। इस आँकड़े को अगले पाँच वर्ष में दोगुना किया जायेगा। वित्त मंत्री और स्वास्थ्य एवम् परिवार कल्याण मंत्री की संयुक्त अध्यक्षता में राष्ट्रीय समष्टि अर्थशास्त्र एवम् स्वास्थ्य आयोग की स्थापना कर हमारी सरकार पहले ही इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा चुकी है। भारत में स्वास्थ्य देखभाल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रवासी भारतीयों समेत निजी क्षेत्र द्वारा निवेश को प्रोत्साहित किया जायेगा। सार्वजनिक-निजी साझीदारी को बढ़ाया जायेगा।
2) हम एक समय-बद्ध ढंग से प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का क्रियान्वयन करेंगे जिसके तहत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नयी दिल्ली की तर्ज पर छह पिछड़े राज्यों मे छह नये अस्पताल बनाये जा रहे हैं और अन्य राज्यों में छह मौजूदा अस्पतालों का उन्नयन एम्स के स्तर तक किया जा रहा है। यह देश के विभिन्न हिस्सों में जरूरतमंदों को उनके राज्य में या निकटवर्ती राज्य में संवहनीय सुपर-स्पेशियलिटी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के हमारे संकल्प का हिस्सा है।
3) बीपीएल परिवारों के बीच गरीबतम 2 करोड़ लोगों, जो फिलहाल अन्त्योदय अन्न योजना के लाभार्थी हैं, के लिए अन्त्योदय स्वास्थ्य योजना नामक एक बीमा आधारित स्वास्थ्य सुरक्षा योजना शुरू की जायेगी।
4) हम 2004 के अंत तक पोलियो के शून्य मामले की दिशा में प्रयास करेंगे और इस शून्य दर्जे को अगले तीन वर्ष तक बनाये रखेंगे ताकि भारत 2007 तक पोलियो मुक्त घोषित हो सके।
5) राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम अगले वर्ष के अंत तक संपूर्ण जनसंख्या को अपने दायरे में ले लेगा। इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त पूँजी आवंटित की जायेगी।
6) पाँच वर्ष के भीतर फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए सभी प्रयास किये जायेंगे।
7) हम राज्य सरकारों के समन्वय में मौजूदा प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा प्रणाली का पुनरोद्धार करेंगे। केंद्र, राज्य और ग्राम स्तर पर उपयुक्त समन्वय प्रणाली के जरिये सुरक्षित पेय जल, स्वच्छता, पोषण, परिवार कल्याण सेवा, महिला एवम् बाल सुविधा और प्राथमिक शिक्षा के बीच संपर्क को और मजबूत किया जायेगा।
8) पिछड़े इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का आधारभूत ढाँचा सुधारने के लिए सार्वजनिक-निजी साझीदारी के जरिये सरकार 1,000 करोड़ रुपये की निधि की स्थापना करेगी।
9) नवजात और प्रसूता मृत्यु स्तर को घटा कर आधा किया जायेगा। गर्भवती महिलाओं की देखभाल के लिए निजी क्षेत्र में महिला रोग विशेषज्ञों की नयी प्रस्तुत "वंदे मातरम्" योजना को मजबूत किया जायेगा। स्वास्थ्य केंद्र और गर्भवती महिला के बीच संपर्क स्थापित करने के लक्ष्य के साथ हमारे द्वारा पहले से ही परिकल्पित "जननी सुरक्षा योजना" को क्रियान्वित किया जायेगा। माँ के पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उसे पुत्र को जन्म देने के बाद 500 रुपये और पुत्री को जन्म देने के बाद 1,000 रुपये दिये जायेंगे।
10) "बेटी बचाओ" अभियान को और लोकप्रिय बनाया जायेगा।
11) एचआईवी/एड्स के प्रसार पर युद्धस्तर पर रोक लगायी जायेगी। रोग से बचाव के प्रयासों के साथ एड्स रोगियों की देखभाल और समर्थन को हाथों-हाथ लिया जायेगा।
12) हम मलेरिया, अंधता, कुष्ठ रोग और मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रमों को मजबूत करने के लिए प्रति संकल्पित हैं।
13) बुजुर्ग हो रही जनसंख्या को विशेष देखभाल की आवश्यकता है। सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए विशेष सुविधाएँ होंगी।
14) हम हमारी परंपरागत चिकित्सा प्रणालियों आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के साथ ही होम्योपैथी को भी बढ़ावा देंगे। स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा देने और चिकित्सा शिक्षा में विभिन्न प्रणालियों को सहगामी बनाया जायेगा।
15) हम भारत से आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों समेत फार्मास्युटिकल उत्पादों के उत्पादन और निर्यात को प्रोत्साहित करेंगे।
16) गाँवों में परंपरागत चिकित्सा सेवाओं के लगभग 6 लाख सेवाप्रदाता औपचारिक प्रणाली द्वारा सेवा से वंचित हमारी जनसंख्या के उन वर्गों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के बावजूद मान्यता और समर्थन से वंचित हैं। उन्हें ग्रामीण गरीबों की स्वास्थ्य स्थिति के सुधार में बड़ी और अधिक प्रभावी भूमिका का निर्वाह करने के लिए उपयुक्त सहायता दी जायेगी।
17) देश में चिकित्सा शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए उनकी निगरानी करने वाली नियामक संस्थाओं की कार्यप्रणाली की समीक्षा की जायेगी।
18) हम भारत को स्वास्थ्य देखभाल का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य बनायेंगे। हमारे अस्पतालों में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ कुशल डॉक्टरों, नर्सों और अन्य पैरामेडिकल कर्मचारियों के हमारे भंडार में अपार संभावनाएँ हैं जिन्हें अगले पाँच वर्ष में विकसित और सिद्ध किया जायेगा। साथ ही साथ, चिकित्सा शिक्षा, नर्सिंग और अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्टता के मानकों को सुधारने के लिए कदम उठाये जायेंगे। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2004 बीतने से पहले निजी क्षेत्र को उपयुक्त प्रोत्साहन के साथ एक कार्ययोजना तैयार की जायेगी।
19) नकली दवाओं के खतरे को नियंत्रित किया जायेगा।
20) स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और नागरिकों को स्वस्थ आदतें और जीवनशैली अपना कर खुद का अच्छा ध्यान रखने योग्य बनाने के लिए एक जन आंदोलन शुरू किया जायेगा; इसके लिए, सभी आयु-वर्ग के लोगों के बीच एक मजबूत शारीरिक और खेल संस्कृति को बढ़ावा दिया जायेगा।
खाद्य सुरक्षा
1) अगले पाँच वर्ष में "अन्त्योदय अन्न योजना" (जो 2 रुपये प्रति किलो गेहूँ और 3 रुपये प्रति किलो चावल उपलब्ध कराती है) का दायरा 2 करोड़ से बढ़ा कर 5 करोड़ गरीबतम परिवारों तक किया जायेगा। इसके क्रियान्वयन को विकेंद्रीकृत किया जायेगा।
2) इस योजना के अंतर्गत सभी लाभार्थियों को एक "अन्त्योदय कार्ड" दिया जायेगा जो उन्हें स्वास्थ्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, आवास सुरक्षा, शैक्षिक गारंटी और सरकारी कार्यालयों और पुलिस स्टेशनों में वरीयता के आधार पर ध्यान दिये जाने के लिए अधिकृत करेगा।
3) सामान्य समय और साथ ही साथ प्राकृतिक आपदाओं के समय खाद्य उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए निजी व्यापारियों, समुदाय और पंचायतों को शामिल कर एक सुव्यवस्थित आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की जायेगी।
4) सार्वजनिक वितरण प्रणाली को दक्ष और उत्तरदायी बनाने के लिए इसका जनभागीदारी के साथ पुनरोद्धार किया जायेगा। इसका उपयोग अन्य वस्तुएँ और सेवाएँ प्रदान करने के लिए भी किया जायेगा।
महिला सशक्तिकरण
1) वर्ष 2004 के समाप्त होने से पहले महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर एक राष्ट्रीय नीति प्रस्तुत की जायेगी। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक महिला के पास आजीविका का कोई साधन हो और विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं के सभी वर्गों की आय बढ़े। यह महिलाओं को कार्य और परिवार में संतुलन स्थापित करने में सक्षम बनाने के लिए रणनीतियाँ प्रस्तावित करेगी। इसके तहत राष्ट्रीय बाल देखभाल योजना, कार्यस्थल लचीलापन, वृहत्तर कैरियर अवसर, प्रत्येक कस्बे में कामकाजी महिलाओं के छात्रावास, और शिक्षा, मजदूरी भुगतान और संपत्ति के अधिकारों में लैंगिक असमानता की समाप्ति की नीतियाँ पेश की जायेंगी।
2) जरूरतमंद महिलाओं के लिए स्वरोजगार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने वाले "स्वावलंबन" और स्टेप (महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम को समर्थन) जैसे कार्यक्रमों के लिए समर्थन को वृहत्तर रूप से बढ़ाया जायेगा। दस्तकारी, खाद्य प्रसंस्करण, हथकरघा, परिधान आदि व्यवसायों में सक्रिय महिलाओं के लिए तकनीकी और प्रबंधकीय सेवाओं को मजबूत किया जायेगा। पूर्वोत्तर, जम्मू एवम् कश्मीर और वाम उग्रवाद प्रभावित इलाकों में इन कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए अतिरिक्त ध्यान दिया जायेगा।
3) महिलाओं को बढ़ावा देने वाले या बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार देने वाले उद्यमों को ‘द्रुतगामी’ सुविधा दी जायेगी।
4) महिला भ्रूणहत्या, दहेज, बाल विवाह, मानव तस्करी, बलात्कार और घरेलू हिंसा को रोकने के कानूनों को कड़ाई से लागू किया जायेगा। इन बुराइयों को रोकने के लिए सामाजिक प्रयासों को बढ़ावा दिया जायेगा।
5) परित्यक्त विधवाओं, मानव तस्करी की पीड़िताओं, मंदबुद्धि महिलाओं और आपदा पीड़िताओं के लिए स्वाधार कार्यक्रम और महिला हेल्पलाइन के लिए समर्थन को निजी और परोपकारी लोगों की भागीदारी के साथ व्यापक रूप से बढ़ाया जायेगा।
6) संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण के लिए विधेयक को संसद के सबसे पहले सत्र में ही पेश किया जायेगा। राजग आम सहमति पर आधारित इस प्रगतिशील कानून को शीघ्र पारित कराने के लिए काम करेगा।
विकलांगों का ध्यान
विकलांग व्यक्ति भारत की जनसंख्या के लगभग 5% हिस्सा हैं। वर्षों तक नजरअंदाज किये जाने ने सामाजिक मुख्यधारा में बड़े पैमाने पर उनके एकीकरण को विलंबित कर दिया है। उनका कल्याण और पुनर्वास हमारी ध्यान रखने वाले समाज और उत्तरदायी सरकार की दृष्टि का अविभाज्य अंग है। नवगठित विकलांग आयोग विकलांगों के लिए एक घोषणापत्र तैयार करेगा जिसमें निम्न बिंदु होंगे :
1) विकलांगों के लिए शिक्षा का अधिकार और व्यावसायिक प्रशिक्षण सुनिश्चित करना और क्रियान्वित करना।
2) सार्वजनिक सुविधाओं, सार्वजनिक भवनों और परिवहन में विकलांग उन्मुख पहुँच को सुनिश्चित करना।
3) विकलांगों के लिए और अधिक आय सृजन प्रारूप सृजित कर विकलांगों की अधिकतम आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
4) प्रत्येक जिले में सार्वजनिक-निजी साझीदारी के साथ विकलांगों के लिए एक व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना को सुगम करना।
5) विकलांग बच्चे को गोद लेने के लिए विशेष प्रेरणा उपलब्ध कराना।
6) विकलांगों का ध्यान रखने वाले स्वैच्छिक संगठनों को पूरा समर्थन दिया जायेगा।
इस घोषणापत्र को क्रियान्वित किया जायेगा।
बच्चे
राजग भारत के बच्चों का उज्ज्वल भविष्य प्राप्त करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, पुनर्सृजन, लैंगिक असमानता को खत्म करने, बालश्रम के उन्मूलन, अनाथ और सड़क के बच्चों के एकीकृत देखभाल और पुनर्वास के मुद्दों को देखने के लिए एक राष्ट्रीय बाल आयोग की स्थापना की जायेगी। यह बच्चों की आकाँक्षाओं और अधिकारों को हमारे विकास एजेंडा के केंद्र में रखेगा।
विश्व के सबसे बड़े शिशु देखभाल कार्यक्रम, एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) को और मजबूत किया जायेगा। इसके क्रियान्वयन का सामुदायीकरण किया जायेगा।
युवा
एक प्राचीन सभ्यता रहा भारत जनांकिकी के रूप में एक युवा भारत बन गया है। हमारी जनसंख्या का 65% हिस्सा 35 वर्ष से कम उम्र का है। इन युवक-युवतियों के पास स्वयं के लिए आकाँक्षाओं की उड़ान है और एक मजबूत और समृद्ध देश के रूप में भारत के उभार को देखने की प्रबल इच्छा है। राजग ने सपनों को वास्तविकता में बदलने के लिए इन युवाओं की सहायता करने की स्वयं से प्रतिज्ञा की है।
1) हम "सभी के लिए शिक्षा" और "सभी के लिए रोजगार" के लिए प्रयास करेंगे।
2) हम एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयास करेंगे जिसमें युवा भारतीय राष्ट्र निर्माण में योगदान और अपने स्वयं के सर्वमुखी विकास के अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
3) राष्ट्रीय कैडेट कॉर्प्स (एनसीसी) को मजबूत किया जायेगा। युवाओं के बीच स्वैच्छिक सेवा की भावना को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) को और नवोन्मेषी बनाया जायेगा। कला और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में प्रतिभाशाली युवा को प्रोत्साहन बढ़ाया जायेगा।
4) हम निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ प्रमुख शहरों और पर्यटन केंद्रों में नये युवा छात्रावासों के निर्माण को सुगम बना कर युवा छात्रावास आंदोलन को बढ़ावा देंगे।
5) राष्ट्रीय युवा आयोग की संस्तुतियों पर गंभीरता से ध्यान दिया जायेगा।

खेल

राजग सरकार का उद्देश्य भारत को विश्व में एक प्रमुख खेल शक्ति बनाना है।

1- इस दिशा में, खेलों के विकास के लिए प्रधानमंत्री के दस सूत्री कार्यक्रम को जोरदार ढंग से लागू किया जायेगा।
2- 500 करोड़ रुपये के वार्षिक आवंटन के साथ एक राष्ट्रीय खेल विकास निधि स्थापित की जायेगी। नागरिकों और व्यावसायिक घरानों को इसमें योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
3- खेल क्लब, जिम्नेजियम और प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना के जरिये प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय खेल रोजगार योजना लायी जायेगी, जिससे रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा होंगे।
4- परंपरागत भारतीय खेलों और ग्रामीण परिवहन को बढ़ावा देने के लिए वृहत्तर सहायता प्रदान की जायेगी।

वरिष्ठ नागरिक

बड़ों के लिए आदर हमेशा से भारत की सामाजिक परंपराओं और सांस्कृतिक लोकाचार के केंद्र में रहा है। ज्ञान और अनुभव का खजाना होने के नाते, वे समाज के लिए कीमती पूँजी रहे हैं। हालाँकि, तेजी से शहरीकरण और पारंपरिक संयुक्त परिवारों में परिवर्तन के कारण उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हमारी सरकार वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करेगी, जो उनकी आवश्यकताओं, समस्याओं और क्षमताओं को भली-भांति समझेगा ताकि आगे राष्ट्र के विकास में वे योगदान कर सकें।

आबादी नियंत्रण

1) राष्ट्रीय जनसंख्या नीति में तय उद्देश्यों और लक्ष्यों का प्राप्त करने के लिए जन आंदोलन शुरू किया जायेगा। यह विशेष रूप से उन राज्यों पर केंद्रित होगा जो पिछड़ गये हैं।
2) सरकार दो संतान के मानक के लिए गैर-आक्रामक हतोत्साहन नियम और एक कन्या शिशु के लिए प्रोत्साहन नियम लागू करेगी। कोई भी चुनाव लड़ने के लिए दो संतान के मानक को भविष्य में एक योग्यता बनाया जायेगा।

शासन सुधार

राजग सरकार 2004 के अंत से पहले व्यापक सुशासन सुधारों को प्रस्तुत करेगी, जिसमें ध्यान केंद्रित होगा :
1) भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने, निर्णय-प्रक्रिया में देरी को दूर करने के लिए प्रशासनिक सुधार; और सरकारी कर्मचारियों में जनता के साथ अपने स्वामी की तरह व्यवहार करने की भावना उत्पन्न करना।
2) धन शक्ति के बेजा प्रभाव पर अंकुश लगाने और राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए चुनाव सुधार।
3) तीव्र और सस्ते न्याय के लिए न्यायिक सुधार।
4) संसद, राज्य विधानसभाओं और अन्य निर्वाचित निकायों का स्तर और प्रभावोत्पादकता बढ़ाने के लिए राजनीतिक सुधार।
5) निर्णय-प्रक्रिया तेज करने और नीति निर्माण एवम् उनके क्रियान्वयन के लिए बेहतर क्षमताएँ विकसित करने के उद्देश्य से मंत्रालयों का सुधार।
6) कानून सम्मत और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं, शेयरधारकों के हितों की रक्षा और उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए अच्छे कॉर्पोरेट गवर्नेंस सुधार।

न्यायिक सुधार

1) न्यायालयों के भौतिक और संचालन सम्बंधी बुनियादी ढाँचे में सुधार के उद्देश्य से न्यायालयों के आधुनिकीकरण के लिए 1,000 करोड़ रुपये की निधि स्थापित की जायेगी। यह विधिक समुदाय से आंशिक योगदान के रूप में प्राप्त होगा। पारदर्शी तरीके से सुविधाओं की सुधार प्रक्रिया में समुदाय को शामिल करने के लिए न्यायिक अधिकारियों को शक्तिसंपन्न किया जायेगा।
2) तीव्र न्यायिक प्रक्रिया के लिए पाँच वर्ष में न्यायालयों की संख्या और न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी की जायेगी।
3) अनुबंध अधिनियम, समझौता विकल्प अधिनियम, और अन्य व्यावसायिक कानून जैसे विशिष्ट वाणिज्यिक कानूनों से जुड़े मामलों के लिए पृथक श्रेणी के न्यायालय गठित किये जायेंगे। इससे असंतुष्ट कारोबारों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा, और इसका आंशिक वित्तपोषण दोनों वादियों पर 'फास्ट ट्रैक' फीस लगा कर किया जायेगा।
4) न्यायिक प्रक्रिया को सरल, तीव्र और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार।
5) देश भर के सभी न्यायालयों की दक्षता में सुधार के लिए उनका कम्प्यूटरीकरण कर उन्हें नेटवर्क से जोड़ा जायेगा।
6) न्यायपालिका के सभी स्तरों के लिए फास्ट ट्रैक न्यायालयों का विस्तार।
7) लोक अदालतों और न्यायाधिकरणों के माध्यम से वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र का विस्तार।
8) न्यायाधीशों की नियुक्ति और न्यायिक नैतिकता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का गठन।
9) छह महीने के भीतर न्यायिक प्रक्रियात्मक सुधार समिति सुझाव देगी कि सिविल या आपराधिक, हर सुनवाई में लगने वाला समय आधा कैसे हो सकता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी अदालती मामलों में से तीन-चौथाई मामले बारह महीने में पूरे हो जायें।
10) जिन मामलों में सरकार एक वादी है, उनकी संख्या अगले तीन वर्ष में आधी की जायेगी।

प्रशासनिक, पुलिस, नागरिक सेवा और अन्य सुधार

1) प्रशासनिक प्रक्रियात्मक सुधार समिति छह महीने के भीतर सुझाव देगी कि कैसे अनावश्यक प्रक्रियाओं को खत्म किया जाये और अन्य का सरलीकरण किया जाये। आने वाले वर्षों में क्षमता, जवाबदेही, जिम्मेदारी और गरीब समर्थक रुख प्रशासनिक व्यवस्था की बानगी होगी।
2) भारत की प्रशासनिक व्यवस्था के लौह ढाँचे सिविल सेवा को सुधारा और मजबूत किया जायेगा। प्रशासन के सभी स्तरों पर पेशेवराना रुख लाने के लिए नयी कैडर प्रणाली और आधुनिक सेवा नियमावली को अपनाया जायेगा। वरिष्ठ अधिकारियों को समय से और साहसिक निर्णय लेने के लिए उपयुक्त ढंग से शंक्तिसंपन्न किया जायेगा। उद्देश्यों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की जायेगी। अधिकारियों को निजी क्षेत्र में काम करने की अनुमति दी जायेगी। इसी तरह, वरिष्ठ स्तर पर निजी क्षेत्र से प्रतिभावान पेशेवरों की समकक्ष नियुक्ति को प्रोत्साहित किया जायेगा।
3) सरकारी अधिकारियों में निहित विवेकाधीन शक्तियाँ कम की जायेंगी। ऐसी शक्तियों के उपयोग के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंड निर्धारित किये जायेंगे।
4) विकास परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी में विलंब को समाप्त किया जायेगा। अधिकारियों के लिए यह अनिवार्य किया जायेगा कि वे 45 दिनों के भीतर किसी भी प्रस्ताव को स्वीकृत या खारिज करें।
5) बेहतर कार्यालय सुविधाओं और सार्वजनिक संवाद; कम्प्यूटरीकरण, संचार और नेटवर्किंग; बेहतर शिकायत निवारण तंत्र; और जनता तक बेहतर पहुँच को गतिमान बनाने के लिए जिला और उप-जिला प्रशासन के आधुनिकीकरण के लिए एक निधि स्थापित की जायेगी। सुविधाओं में पारदर्शी ढंग से सुधार के उद्देश्य से स्थानीय समुदाय को शामिल करने और उससे संसाधन जुटाने के लिए प्रशासन को सशक्त किया जायेगा।
6) हमारे देश की बदलती विकासपरक आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में योजना आयोग में सुधार और पुनर्गठन किया जायेगा।
7) बजटीय संसाधनों और सार्वजनिक संपत्ति की दक्षता में सुधार करने के क्रम में, हम केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के सम्मिलन, और उपयुक्तता के आधार पर राज्यों को कुछ योजनाओं के हस्तांतरण की दिशा में काम करेंगे।

चुनाव सुधार

1) राजनीति में आपराधिक तत्वों का प्रवेश रोकने के लिए आम सहमति बनायी जायेगी।
2) सभी राजनीतिक दलों के सहयोग से, राजग संसद और राज्य विधानमंडलों का स्तर बढ़ाने की दिशा में काम करेगा।
3) निर्वाचित प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना की जायेगी।
भारत भारतीयों द्वारा शासित हो
यह सुनिश्चित करने के लिए कानून लाया जायेगा कि भारतीय राज्य के महत्वपूर्ण कार्यालयों में केवल उन लोगों को पदस्थापित किया जा सके जो अपने भारतीय मूल के कारण भारत के स्वाभाविक नागरिक हैं।

केंद्र-राज्य संबंध

इस संबंध में राजग सरकार की उपलब्धि को इस तथ्य से आँका जा सकता है कि केन्द्र-राज्य संबंध अब कोई राजनीतिक बहस का विषय नहीं रह गया है। संबंधों में उल्लेखनीय सद्भाव और सहयोग रहा, जो पिछले दशकों में बुरी तरह नदारद था। हमारी सरकार ने राजनीतिक आधार पर किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है। आगामी पांच वर्षों में हमारा यह दृष्टिकोण कायम रहेगा। संविधान के अनुच्छेद 356 के मुद्दे पर 2003 में श्रीनगर में हुई अंतर-राज्य परिषद की बैठक में बनी आम सहमति के प्रति हम अभी भी प्रतिबद्ध हैं।

पंचायतों का सशक्तिकरण

1) राजग सरकार तीन एफ : "निधि", "कार्य", और "तंत्र" के संदर्भ में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के प्रभावी वित्तीय और प्रशासनिक सशक्तीकरण के लिए काम करेगी। उपयुक्त न्यायिक, कार्यकारी, वित्तीय और भौगोलिक नक्शा योजना संबंधी शक्तियाँ इन निकायों को हस्तांतरित कर दी जायेंगी। इस उद्देश्य के लिए संविधान में संशोधन किया जायेगा।
2) प्रत्येक विकास कार्य पर चर्चा, आवंटन एवम् धन के खर्च की जाँच और पंचायत एवम् सरकारी तंत्र के प्रदर्शन का मूल्याँकन करने के लिए ग्राम सभा नामक संस्था को मजबूत बनाया जायेगा।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत

1) हमारी सरकार पहली ऐसी सरकार थी जिसने पांडुलिपियों, स्मारकों और भारत की सांस्कृतिक, कलात्मक और आध्यात्मिक विरासत के अन्य पहलुओं के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया। इसी तरह के मिशन स्थापित करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया जायेगा। हर कस्बा एक विरासत संरक्षण मिशन तैयार करेगा। इनका क्रियान्वयन समुदायों, व्यापारिक घरानों, पेशेवर संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों की व्यापक भागीदारी के साथ प्रभावी ढंग से किया जायेगा।
2) विश्व के सभी देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंधों के विस्तार के लिए समर्थन को निजी भागीदारी के साथ उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया जायेगा।
3) भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की जायेगी। यह आयोग आधुनिक युग में हमारी भारतीय भाषाओं के समक्ष मौजूद चुनौतियों का व्यापक अध्ययन और उनके निरंतर विकास के लिए कार्य की सिफारिश करेगा।
4) आध्यात्मिक महत्व के स्थानों का रख-रखाव।

सिविल सोसाइटी सशक्तिकरण  

1) राजग मानता है कि सरकार की सभी नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में लोगों की अधिकतम भागीदारी ही भारत के तीव्र और चौतरफा विकास की कुंजी है। इस दिशा में, राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन परिषद का गठन किया जायेगा। राज्यों को ऐसी ही परिषदों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
2) गरीबों को बड़े पैमाने पर भोजन कराने, अनाथों और बेसहारों की देखभाल, कन्या भ्रूण हत्या, पर्यावरण संरक्षण आदि जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान जैसे क्षेत्रों में भागीदारी के लिए सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय सभी संप्रदायों के धार्मिक प्रतिष्ठानों को प्रोत्साहित किया जायेगा।
3) विवादास्पद मसलों पर होने वाले छोटे से ले कर बड़े स्थानीय विवादों तक का निबटारा न्यायपालिका और सरकार के दायरे से बाहर रह कर करने के लिए सिविल सोसाइटी को उपयुक्त रूप से शक्तिसंपन्न किया जायेगा। नागरिक अनुशासन को मजबूत बनाने, कानून, कर अनुपालन और सार्वजनिक संपत्ति की देखभाल के लिए सिविल सोसाइटी का सहयोग लिया जायेगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा

राजग सरकार ने भारत की रक्षा क्षमता और तैयारियों को मजबूत करने के लिए पिछले छह साल में ऐतिहासिक कदम उठाये हैं। हम इस महत्वपूर्ण कार्य को और आगे ले जाने के लिए वचनबद्ध हैं। हमारी प्राथमिकताएँ होंगी :
1) आधुनिकीकरण, खरीद और क्षमता वृद्धि के सभी जारी कार्यक्रमों का तीव्रता से क्रियान्वयन;
2) 25,000 करोड़ रुपये की रक्षा आधुनिकीकरण निधि को सक्रिय करना, जिसकी घोषणा अंतरिम बजट में की गयी थी;
3) योजनाओं में देरी और उन प्रक्रियागत बाधाओं को न्यूनतम किया जायेगा, जिनकी वजह से लागत बढ़ जाती है और वह अनुपयोगी हो जाती है;
4) रक्षा व्यय में व्यापक दक्षता प्राप्त करना; रक्षा उत्पादन में स्वदेशी को और प्रोत्साहन देना तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना; साथ ही रक्षा निर्यात को केंद्रित क्षेत्र बनाना।
5) साथ ही, सरकार पूर्व सैनिकों और युद्ध विधवाओं के लिए कल्याणकारी उपायों को आगे बढ़ाना जारी रखेगी। हम विकास गतिविधियों में योगदान देने के उद्देश्य से सेवानिवृत्त अधिकारियों के लिए पर्याप्त अवसर सृजित करेंगे, जहाँ वे अपने कौशल और प्रशिक्षण का फलदायी उपयोग कर सकेंगे। शिक्षित भारतीय युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा को एक आकर्षक विकल्प बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाये जायेंगे।

आंतरिक सुरक्षा

1) सीमा पार आतंकवाद खत्म किया जायेगा।
2) विगत पाँच वर्षों में साम्प्रदायिक और जातीय हिंसा में उल्लेखनीय कमी आयी है। हमारी सरकार इस स्थिति को और सुदृढ एवम् स्थिर बनायेगी, साथ ही दंगामुक्त भारत के हमारे सपने को साकार करने की दिशा में काम करेगी।
3) हमारी पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के आधुनिकीकरण के लिए जारी कार्यक्रमों को तीव्र किया जायेगा।
4) हम संघीय अपराधों से निबटने के उद्देश्य से केंद्रीय कानून लागू करने और और संघीय एजेंसी गठित करने के लिए राजनैतिक आम सहमति बनायेंगे।
5) नेपाल सीमा से आंध्र प्रदेश तक फैले वामपंथी उग्रवाद के बढते खतरे को रोकने के लिए बहु-आयामी रणनीति ज्यादा प्रभावी ढंग से लागू की जायेगी। सरकार विभिन्न नक्सली संगठनों से जुड़ चुके भटके युवाओं को हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी। प्रभावित क्षेत्रों में जन भागीदारी से विकास गतिविधियों को तीव्र किया जायेगा।
6) राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए चल रही योजना के साथ ही लंबे समय से लंबित पुलिस सुधारों को लागू किया जायेगा। जाँच का काम कानून-व्यवस्था से अलग किया जायेगा। पुलिस स्टेशनों की संख्या अगले पाँच वर्षों में दोगुनी की जायेगी। चल पुलिस स्टेशन, संचार के बेहतर साधन, समुदाय से मैत्रीपूर्ण जुड़ाव, राजमार्ग पर पुलिस थाने, जनता से बेहतर संबंध और पुलिस की स्वतंत्रता को आवश्यक कानूनी और कार्यकारी साधनों के जरिये सुनिश्चित किया जायेगा। पुलिस और समुदाय के बीच साझेदारी को संस्थागत रूप दिया जायेगा। पुलिस और सुरक्षा बलों को गरीब, समाज के कमजोर वर्गों और महिलाओं के प्रति अधिक मैत्रीपूर्ण और अधिक संवेदनशील बनाया जायेगा।
जम्मू और कश्मीर
जम्मू और कश्मीर के हालात में सकारात्मक बदकाव लाने के लिए राजग सरकार आतंकवाद को खत्म करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगी और राज्य में शांति, सामान्य स्थिति को बनाये रखने और विकास के लिए राज्य सरकार के साथ केंद्र के सहयोग को आगे और मजबूत करेगी।
कश्मीरी पंडितों और अन्य विस्थापित लोगों की उनके मूल स्थान पर जल्द वापसी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर प्रयास किये जायेंगे। राजग सरकार राज्य के सभी तीन क्षेत्रों - जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के संतुलित विकास के लिए काम करेगी। इसे सुनिश्चित करने के लिए आम सहमति के आधार पर ये कदम उठाये जायेंगे :
1) जम्मू और लद्दाख के लिए पर्याप्त वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों के साथ स्वायत्तशासी क्षेत्रीय परिषदें।
2) तीनों क्षेत्रों की मूल जनांकिकी पहचान को संरक्षण।
3‌‌) केंद्र द्वारा कोष का समान वितरण।

पूर्वोत्तर

राजग सरकार ने विगत पाँच वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर अभूतपूर्व ध्यान दिया है। इन उपलब्धियों को समेकित किया जायेगा और टिकाऊ बनाये रखा जायेगा। आने वाले पाँच साल में हमारी प्राथमिकताएँ होंगी :
1) हिंसा का रास्ता छोड़ने के इच्छुक सभी समूहों से वार्ता के जरिये सभी प्रभावित क्षेत्रों में शांति और सामान्य स्थिति बहाल की जायेगी और ऐसे लोगों से, जो इस रास्ते पर चलना चाहते हैं, उनसे सख्ती से निबटा जायेगा।
2) सुनिश्चित करना कि पूर्वोत्तर में सभी लोगों की जातीय पहचान सुरक्षित रहे।
3) बांग्लादेश से घुसपैठ खत्म करने के लिए आईएमडीटी अधिनियम रद करना।
4) सभी को तरक्की के अवसर प्रदान करने के लिए आर्थिक विकास तेज करना।
5) भौतिक दूरी की बाधाओं से उबरने के लिए संचार के बुनियादी ढाँचे का विकास।
6) सिक्किम समेत हमारे पूर्वोत्तर राज्यों के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से सभी भारतीयों को और अधिक अवगत कराना।
7) दक्षिण-पूर्व एशिया में और अपने पूर्व दिशा के पड़ोसी देशों के साथ क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाना ।

अन्य प्रतिबद्धताएँ

1) राजग सरकार भारत के संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के आदर्श को मजबूत करना जारी रखेगी।
2) राजग का मानना है कि अयोध्या मुद्दे का शीघ्र और सौहार्दपूर्ण समाधान राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा। हम आगे भी इस पक्ष में रहेंगे कि इस मामले में न्यायपालिका के फैसले को सभी को स्वीकार करना चाहिए। इसके साथ ही परस्पर विश्वास और सद्भावना के माहौल में बातचीत और सहमति के साथ मामले के समाधान के लिए प्रयास तेज किये जाने चाहिए।
3) हमारी सरकार जम्मू और कश्मीर, पूर्वोत्तर, अंडमान एवम् निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीपसमूह के विद्यार्थियों के लिए देश भर के शिक्षण संस्थानों में 2% का "राष्ट्रीय एकता कोटा" सृजित करेगी।
4) 1,000 करोड़ रुपये की निधि के साथ एक राष्ट्रीय आपदा निषेध एवम् प्रबंधन प्राधिकरण स्थापित किया जायेगा। राज्यों को इसी तरह का प्राधिकरण स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
5) सरकार द्वीप विकास प्राधिकरण की पिछली बैठक में लिये गये निर्णयों को क्रियान्वित करेगी और अंडमान एवम् निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह के लोगों की जरूरतों पर आगे भी ध्यान देती रहेगी।
6) उपभोक्ता संरक्षण आंदोलन को और सुदृढ़ किया जायेगा।
7) राजग सरकार सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत और विश्व

विदेश नीति में भारत का उद्देश्य हमेशा से अंतरराष्ट्रीय मामलों में खुद के लिए क्रमश: व्यापक भूमिका प्राप्त करना रहा है, ताकि हम आज और कल की चुनौतियों से निबटने के लिए विश्व समुदाय की सामूहिक क्षमता में सार्थक योगदान कर सकें। राजग सरकार को पिछले पाँच साल में अपनी विदेश नीति की उपलब्धियों पर गर्व है। हम आने वाले पाँच साल में इन सफलताओं में वृद्धि करते हुए निम्नलिखित उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

1) फरवरी 2004 में इस्लामाबाद में जारी संयुक्त वक्तव्य के आधार पर जम्मू और कश्मीर सहित सभी लंबित मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए पाकिस्तान के साथ वार्ता प्रक्रिया को जारी रखना।
2) सार्क प्रक्रिया को और मजबूत करना; दक्षिण एशिया में मुक्त व्यापार को लागू करना; और इस क्षेत्र के लिए एक साझा मुद्रा के साथ दक्षिण एशियाई आर्थिक संघ की दृष्टि को साकार करने की दिशा में काम करना।
3) भारत-आसियान संबंध को प्रगाढ़ करने के लिए हमारी लुक-ईस्ट नीति को और मजबूत करना; बीआईएमएसटी-ईसी प्रक्रिया शुरू करना; मीकांग-गंगा सहयोग पहल को सक्रिय करना; कोरियाई देशों के साथ हमारे आर्थिक सहयोग को प्रगाढ़ बनाना और जापान के साथ हमारी सामरिक साझेदारी को समृद्ध करना।
4) रूस के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी को आर्थिक सहयोग के सशक्त आधार के साथ और दृढ़ करना।
5) संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हमारे बहुआयामी संबंधों को व्यापक और दृढ़ बनाना।
6) चीन के साथ अपने आर्थिक सहयोग का विस्तार करना। सीमा विवाद के परस्पर संतोषजनक समाधान तक पहुँचने के लिए चीन के साथ वार्ता प्रक्रिया को जारी रखना, जो हमारे लिए रणनीतिक हित का एक उद्देश्य है।
7) यूरोपीय संघ के साथ अपने सहयोग को सघन करना।
8) पश्चिम एशिया के देशों के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को पुनर्जीवित करना;
9) मध्य एशिया के देशों के साथ अपने सदियों पुराने संबंधों को पुनर्स्थापित करना;
10) अफ्रीका, मध्य अमेरिका, लैटिन अमेरिका के सभी देशों और ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी जैसे प्रशांत महासागर के देशों के साथ व्यापक संबंध विकसित करना।

ऊर्जा सुरक्षा हमारी विदेश नीति का एक प्रमुख उद्देश्य बनी रहेगी। इसलिए, हम दुनिया भर में नये ऊर्जा स्रोतों तक पहुँच प्राप्त करने के लिए उपयुक्त गठबंधन करने के अपने प्रयास तेज करेंगे।

राजग सरकार एक ऐसे भविष्य की कल्पना करती है जो सहकारी बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर निर्भर है और भारत उसके कई ध्रुवों में एक हो।
हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे।

राजग को दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) की उज्ज्वल उपलब्धियों पर गर्व है। हम अपने देश से पलायन कर गये समुदाय के साथ भारत के बहु-आयामी संबंध मजबूत बनाने को विशेष रणनीतिक महत्व देते हैं। हमारी सरकार ने पिछले पांच वर्षों में इस दिशा में कई ऐतिहासिक कदम उठाये, उदाहरण के लिए, चुनिंदा देशों के पीआईओ को दोहरी नागरिकता प्रदान की। इस सम्बंध में हमारी प्रतिबद्धता आगे भी जारी रहेगी।

निष्कर्ष

1999 में चुनाव के लिए हमने अपने साझा एजेंडे में कहा था, "राजग को सत्ता में आना चाहिए क्योंकि यह एक ऐतिहासिक जरूरत है और हम लोगों को यह अहसास था कि हमारा युवा लोकतंत्र बार-बार के चुनावी झटकों को सहन नहीं कर सकता, इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों की आस्था को क्षति ही पहुँचेगी।" अस्थिरता का वह दौर अब इतिहास है। राजग ने हमारी सीमाओं पर शांति और देश के भीतर सद्भाव कायम कर भारत को त्वरित विकास की नयी ऊँचाईयों पर ले जाने का काम किया है।

चूँकि हमें 2004 में नये सिरे से और ज्यादा बडे जनादेश की तलाश है, इसलिए हमारा आग्रह है कि हमारा आकलन पिछले पाँच वर्षों के हमारे प्रदर्शन के साथ ही इस एजेंडे में हमने जो दृष्टिकोण और कार्यक्रम रखा है, उसके द्वारा किया जाये। हमें गर्व है कि हमने प्रदर्शन के पैमाने को ऊँचा किया है, और अच्छे से जानते हैं कि भारतीय मतदाता अब और अधिक की उम्मीद कर रहा है।

हम जवाबदेही के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। हम इस एजेंडे में की गयी संकल्पों के क्रियान्वयन की स्थिति की छमाही रिपोर्ट देने का वादा करते हैं।
प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक विकसित राष्ट्र के रूप में भारत की एक स्फूर्तिदायक दृष्टि सामने रखी है। राजग भारत के लोगों के साथ मिलकर इस दृष्टि को साकार करने के लिए पुन: खुद को समर्पित कर देगा।

 

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