Salient points of press conference of senior BJP leader and Union Minister, Shri Ravi Shankar Prasad on 22 September 2018


22-09-2018
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद जी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

गैर-जिम्मेदाराना व शर्मनाक बयान देते हुए देश के लोकप्रिय जननेता प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को अपशब्द कहकर राहुल गाँधी ने खुद के चेहरे पर कालिख लगाने का काम किया है। यह राहुल गाँधी की हताशा और वैचारिक एवं राजनैतिक दिवालियेपन को दिखाता है

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राहुल गाँधी का पूरा आरोप ही झूठ की बुनियाद पर टिका हुआ है। राहुल का झूठ खुद-बी-खुद ही जनता के सामने उजागर होता जा रहा है

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एक ऐसा व्यक्ति जो भ्रष्टाचार, जमीन और शेयर की लूट में नेशनल हेराल्ड मामले में अपनी माँ के साथ चार्जशीटेड है, उस से अच्छाई की उम्मीद भी कैसे की जा सकती है. ऐसे ट्रैक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति राहुल गाँधी पर न तो देश की जनता कोई विश्वास करती है, ही कोई और

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राहुल गाँधी का पूरा का पूरा परिवार 2G, 3G, कोल स्कैम, कॉमनवेल्थ घोटाला, आदर्श घोटाला न जाने अन्तरिक्ष से लेकर पाताल तक कितने घोटालों में लिप्त है, ऐसे व्यक्ति की कोई विश्वसनीयता नहीं है, यही एक परिवार देश में भ्रष्टाचार की जननी है

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10 सालों में कांग्रेस राफेल डील क्यों नहीं कर पाई? राहुल गाँधी की यूपीए सरकार ने इस डील को इसलिए रोक दिया क्योंकि कांग्रेस परिवार को इस डील में पर्याप्त घूस नहीं मिला था

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डसॉल्ट एवियेशन का रिलायंस के साथ करार यूपीए सरकार के दौरान हुआ था, राहुल गाँधी इस पर जवाब दें

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मोदी सरकार की राफेल डील डील गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील है. इसमें बिचौलियों की कोई जगह नहीं है, इसलिए कांग्रेस पार्टी बौखलाई हुई है

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मोदी सरकार की राफेल डील कांग्रेस की यूपीए सरकार से सस्ती है

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राहुल गाँधी कभी राफेल की कीमत 526 करोड़ रुपये बताते हैं, कभी 700 करोड़ रुपये बताते हैं, कभी 520 करोड़ रुपये बताते हैं तो कभी कुछ और। आखिर राहुल गाँधी इतने कन्फ्यूज क्यों हैं, इसका सीधा मतलब है कि वे अकारण एक कागजी मुद्दा गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं

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डसॉल्ट एवियेशन ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में यह भी स्पष्ट किया है कि उसकी ऑफसेट पार्टनरशिप रिलायंस के साथ-साथ BTSL, DEFSYS, Kinetic, Mahindra, Maini, SAMTEL कंपनियों से भी हुई है और 100 से अधिक कम्पनियों से बातचीत चल रही है। तो ये कहना कि पूरा ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट रिलायंस को मिला है, यह भी पूर्ण रूप से गलत है

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राफेल की डील की ही नहीं तो फिर राहुल गाँधी कैसे कह सकते हैं कि हमने इस प्राइस पर राफेल फ्रांस से खरीदे? आखिर राहुल गाँधी किस हद तक झूठ बोलने की सीमा को पार कर सकते हैं

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद जी ने आज पार्टी के केन्द्रीय मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया और झूठ के पर्याय बन चुके राहुल गाँधी पर को उनके अनर्गल प्रलापों पर करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी का पूरा आरोप ही झूठ की बुनियाद पर टिका हुआ है। राहुल का झूठ खुद-बी-खुद ही जनता के सामने उजागर होता जा रहा है।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि राहुल गाँधी ने देश के अत्यंत ही लोकप्रिय जननेता, ईमानदारी के प्रतीक और ग्लोबल लीडर श्री नरेन्द्र मोदी जी को अपशब्द कहा है। आजाद भारत में आज तक किसी भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने देश के प्रधानमंत्री के लिए ऐसे गलत शब्दों का प्रयोग नहीं किया है और न ही आज तक पहले ऐसा कभी कहा गया है। यह राहुल गाँधी की हताशा और वैचारिक एवं राजनैतिक दिवालियेपन को दिखाता है।

 

उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी से अच्छे व्यवहार की कोई अपेक्षा भी नहीं की जा सकती है, क्योंकि उनमें न तो कोई गुण है और न ही कोई काबिलियत। वे केवल एक परिवार में जन्म लेने के कारण कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि एक ऐसा व्यक्ति जो भ्रष्टाचार, जमीन की लूट और शेयर की लूट में नेशनल हेराल्ड के मामले में अपनी माँ के साथ चार्जशीटेड है, ऐसे व्यक्ति से अच्छाई की अपेक्षा कैसे की जा सकती है?

 

श्री प्रसाद ने कहा कि गैर-जिम्मेदाराना व शर्मनाक बयान देते हुए प्रधानमंत्री को अपशब्द कहकर राहुल गाँधी ने खुद के चेहरे पर कालिख लगाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी का पूरा का पूरा परिवार 2G, 3G, कोल स्कैम, कॉमनवेल्थ घोटाला, आदर्श घोटाला न जाने अन्तरिक्ष से लेकर पाताल तक कितने घोटालों में लिप्त है, ऐसे व्यक्ति की कोई विश्वसनीयता नहीं है, यही एक परिवार देश में भ्रष्टाचार की जननी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में भ्रष्टाचार बंद है, बिचौलियों के दरवाजे बंद हैं इसलिए कांग्रेस की झल्लाहट को हम समझ सकते हैं क्योंकि बिचौलियों को गाँधी परिवार ही पूरा प्रोटेक्शन दिया करती थी, जो मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से पूरी दुनिया जानती है।

 

10 सालों में कांग्रेस राफेल डील क्यों नहीं कर पाई? राहुल गाँधी की यूपीए सरकार ने इस डील को इसलिए रोक दिया क्योंकि कांग्रेस परिवार को इस डील में पर्याप्त घूस नहीं मिला था

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राफेल डील पर राहुल गाँधी के खोखले झूठ का जवाब देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि 01 जून 2001 को सैद्धांतिक रूप से वायुसेना के लिए 126 एयरक्राफ्ट के रिप्लेसमेंट की बात कही गई थी। 28 अगस्त 2007 को यूपीए-I ने इसके लिए RFP इश्यू किया। इसके पांच साल बाद जनवरी, 2012 में यूपीए-II ने निगोशिएशन के बाद डसॉल्ट एवियेशन को L1 पाया। अर्थात् यूपीए ने निर्णय लेने में RFP जारी करने के बाद 5-6 साल लगा दिया। मतलब यह कि डील फाइनल करने में कांग्रेस की यूपीए सरकार को 8-9 साल लग गए। यहाँ एक चौंकाने वाली बात यह है कि 27 जून 2012 को कांग्रेस सरकार ने फिर से इस डील को री-एग्जामिन करने की बात कह दी। राहुल गाँधी को स्पष्ट करना चाहिए कि डील फाइनल हो जाने के बावजूद केवल छः महीने में यूपीए सरकार ने डसॉल्ट एवियेशन के साथ डील को फिर से री-एग्जामिन करने को क्यों कहा? राहुल गाँधी की यूपीए सरकार ने इस डील को इसलिए रोक दिया क्योंकि कांग्रेस परिवार को इस डील में पर्याप्त घूस नहीं मिला था।          

 

डसॉल्ट एवियेशन का रिलायंस के साथ करार यूपीए सरकार के दौरान हुआ था

 

श्री प्रसाद ने कहा कि इतना ही नहीं मीडिया में आई ख़बरों से यह भी पता चलता है कि 2012 में ही डसॉल्ट एवियेशन का रिलायंस के साथ निगोशिएशन हुआ था और दोनों कंपनियों के बीच MoU भी साइन हुआ था। फरवरी 2012 में एक अंग्रेजी समाचार पत्र में इस बाबत एक रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई थी। तब तक तो हम सत्ता में भी नहीं आये थे। मोदी सरकार 26 मई 2014 को गठित हुई जबकि डसॉल्ट एवियेशन और रिलायंस के बीच MoU कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान ही साइन हो गया था।

 

मोदी सरकार की डील गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट: बिचौलियों की कोई जगह नहीं 

 

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार जब जनता के आशीर्वाद से 2014 में सत्ता में आई तो हमने सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उसे प्राथमिकता देना शुरू किया जिसे कांग्रेस की यूपीए सरकार लगातार 10 साल तक नजरअंदाज करती रही। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने डिफेन्स एक्विजिशन प्रोसेस के तहत गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील की। 10 अप्रैल 2015 को ज्वायंट स्टेटमेंट आया और इसके बाद सभी बिंदुओं पर गौर करते हुए 23 सितंबर 2017 को इस डील पर हस्ताक्षर किये गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार के 10 वर्षों के मुकाबले मोदी सरकार ने तीन सालों में ही वायुसेना की जरूरतों के मुताबिक़ डील को अंजाम दिया, हमें इसके लिए अपने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी पर गर्व है।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि हमने वायुसेना की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से पूरी तरह से तैयार 36 राफेल विमानों की डील की। बाकी विमान भारत में तैयार किये जायेंगे ताकि यहाँ तकनीक उन्नत हो सके, उद्योग लग सके और रोजगार का अवसर उपलब्ध हो सके।     

 

मोदी सरकार की राफेल डील कांग्रेस की यूपीए सरकार से सस्ती

 

राफेल विमानों के मूल्य की चर्चा करते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि हमने जो राफेल विमान खरीदी है, वह यातायात के लिए नहीं बल्कि दुश्मनों पर प्रहार के लिए लिया है। उन्होंने कहा कि जो मूल विमान का निगोशिएशन कांग्रेस की यूपीए सरकार ने किया था उसकी तुलना में मोदी सरकार की डील 9% सस्ती है और घातक हथियारों के साथ राफेल की कीमत यूपीए सरकार की निगोशिएशन की तुलना में 20% कम है। अब राहुल गाँधी जहाज की डिटेल्स जानना चाहते हैं, इसका सीधा मतलब है कि राहुल गाँधी पाकिस्तान और चीन के हाथों खेल कर रहे हैं क्योंकि वे विमान की मारक क्षमता की डिटेल्स पाकिस्तान और चीन को उपलब्ध कराना चाहते हैं।

 

राहुल गाँधी को तो राफेल का कॉस्ट भी नहीं पता

 

श्री प्रसाद ने कहा कि राहुल गाँधी ने देश की संसद में फ्रांस के राष्ट्रपति को राफेल मामले में कोट किया जबकि फ़्रांस सरकार ने तत्काल इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी को कोई ज्ञान ही नहीं है, उन्हें पता ही नहीं है कि वे क्या बोल रहे हैं। वे कभी राफेल की कीमत 526 करोड़ रुपये बताते हैं, कभी 700 करोड़ रुपये बताते हैं, कभी 520 करोड़ रुपये बताते हैं तो कभी कुछ और ही दाम बताते हैं। आखिर राहुल गाँधी इतने कन्फ्यूज क्यों हैं, इसका सीधा मतलब है कि राहुल गाँधी बिना किसी कारण के एक कागजी मुद्दा गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

 

रिलायंस को डसॉल्ट एवियेशन का पार्टनर चुनने में सरकार की कोई भूमिका ही नहीं

 

डसॉल्ट एवियेशन ऑफसेट क्लॉज़ की चर्चा करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ऑफसेट क्लॉज़ कांग्रेस की यूपीए सरकार ने फाइनल किया था। इस क्लॉज़ का यह मतलब हुआ कि कुछ जहाज बन कर आयेंगे और बाकी का निर्माण भारत में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विमान बनाने वाली कम्पनी जिसके साथ समझौता हुआ है, वह किस कम्पनी को अपना सहयोगी चुनती है, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती। इसी विषय पर कल ही फ्रांस सरकार का अधिकृत बयान आया है जिसमें कहा गया है कि फ्रांस सरकार की राफेल डील में किसी भारतीय औद्योगिक इकाई को चुनने में कोई भूमिका नहीं है, यह कंपनी के ही अधिकार क्षेत्र में ही आता है और आगे भी कंपनी ही यह तक करेगी। इस विषय में डसॉल्ट एवियेशन की भी प्रेस विज्ञप्ति आई है जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रिलायंस का चुनाव डसॉल्ट एवियेशन ने किया और इसमें सरकारों की कोई भूमिका नहीं है। इतना ही नहीं, डसॉल्ट एवियेशन ने अपनी विज्ञप्ति में यह भी स्पष्ट किया है कि उसकी ऑफसेट पार्टनरशिप रिलायंस के साथ-साथ BTSL, DEFSYS, Kinetic, Mahindra, Maini, SAMTEL कंपनियों से भी की गई है और 100 से अधिक कम्पनियों से पार्टनरशिप के लिए बातचीत चल रही है। तो ये कहना कि पूरा ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट रिलायंस को मिला है, यह भी पूर्ण रूप से गलत है।

 

राफेल डील यूपीए सरकार ने की ही नहीं तो कांग्रेस की सरकार ने राफेल खरीदे कैसे?

 

राहुल गाँधी को लगातार झूठ बोलने की मशीन बताते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि जब कांग्रेस की यूपीए सरकार ने राफेल की डील की ही नहीं तो फिर राहुल गाँधी कैसे कह सकते हैं कि हमने इस प्राइस पर राफेल फ्रांस से खरीदे? आखिर राहुल गाँधी किस हद तक झूठ बोलने की सीमा को पार कर सकते हैं। ये वही राहुल गाँधी हैं जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर गवाही की मांग की थी और सेना की वीरता को खून की दलाली की संज्ञा दी थी। राहुल गाँधी एंड कम्पनी को देश की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है, देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करना इनकी आदत हो चुकी है। इसलिए कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी की प्रासंगिकता और विश्वसनीयता दोनों बिलकुल ख़त्म हो गई है।

 

कांग्रेस पर करारा प्रहार जारी रखते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि जिसके पूरे परिवार ने बोफोर्स मामले में घूस लेकर भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार की हो, जिसने मामा क्वात्रोच्चि को देश से भगाने के लिए सरकार को मजबूर किया हो, जिसने सरकार के सहयोग से अपने बहनोई के माध्यम से गरीब किसानों की जमीन की लूट में संलिप्त हो, ऐसे ट्रैक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति राहुल गाँधी पर न तो देश की जनता कोई विश्वास करती है, दुनिया में ही कोई उनकी बातों को कोई भाव देता है।  

 

 

(महेंद्र पांडेय)

कार्यालय सचिव

 

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