Salient points of press conference of BJP National Spokesperson & MP, Smt. Meenakshi Lekhi on 08 October 2018


08-10-2018
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता व सांसद श्रीमती मिनाक्षी लेखी जी की प्रेसवार्ता के मुख्य बिंदु

 

मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ट्यूटी में कटौती और तेल निर्माता कंपनियों (OMC) के साथ मिलकर उपभोक्ताओं को 2.50 रुपये प्रति लीटर की राहत दी है.

 

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मोदी सरकार के इस कल्याणकारी निर्णय के बाद भाजपा शासित तमाम राज्य सरकारों ने भी पेट्रोल और डीजल पर 2.50 रूपये प्रति लीटर राहत देने का फैसला लिया है.

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भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के चार साल के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब पेट्रोलियम पर उत्पाद शुल्क में कटौती की गई है.

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आम जनता के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए गैर-भाजपा शासित राज्य तेल की कीमतों पर भ्रामक बयानबाजी करने के बजाय तेल की कीमत  कम करके दिखाएँ

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राज्यों को तेल की कीमतों से ज्यादा फायदा होता है जबकि केंद्र का संग्रह वही बना हुआ है

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फिर भी कई गैर-बीजेपी और गैर-एनडीए राज्यों ने अपनी जनता को किसी भी प्रकार का लाभ देने की कोई पहल नहीं की है।

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जब जनता को राहत देने की बात आती है तो राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल जैसे नेता केवल ट्वीट और अनर्गल बयानों तक अपने को सीमित रख देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं

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तेल की कीमतों में वृद्धि के पीछे मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कारक जिम्मेवार 

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कच्चे तेल की कीमत अधिक होने का असर देश की मुद्रा पर भी पड़ा है और डॉलर में मजूबती का अधिकतर वैश्विक मुद्रा पर असर हुआ है। 

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पेट्रोल और डीजल के दाम में केंद्र सरकार ने 2.50 रुपये प्रति लीटर की कमी की है। केंद्र सरकार ने उत्पाद कर में 1.50 रुपये प्रति लीटर की दर से कटौती कर उपभोक्ता को लगातार बढ़ रहे ईंधन के दाम से थोड़ी राहत दिलाने की कोशिश की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उत्पाद कर में 1.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई है जबकि तेल विपणन कंपनियों को एक रुपये प्रति लीटर का दबाव वहन करना होगा

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों से पेट्रोल और डीजल में वैट पर इतनी ही राशि की कटौती करने की अपील करते हुए कहा कि इस संबंध में वह राज्यों को पत्र लिखेंगें। जेटली जी की अपील पर कई राज्यों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अतिरिक्त राहत दी।

भाजपा/एनडीए शासित राज्य सकरारों ने अपन यहां वैट/बिक्री कर में इसी के बाराबर (2.50 रुपए प्रति लीटर) की कमी की है. केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा समेत अधिकतर भाजपा शासित राज्यों ने वैट में 2.50 रुपये की कटौती की है. इससे इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल की प्रभावी कीमत पांच रुपये प्रति लीटर कम हो गई है.महाराष्ट्र ने सिर्फ पेट्रोल पर वैट में 2.50 रुपये की कटौती की है. इस प्रकार वहां डीजल की कीमत सिर्फ 2.50 रुपये और पेट्रोल की कीमत पांच रुपये प्रति लीटर कम हो गई हैं.

वहीं कर्नाटक और केरल ने ईंधन की कीमतों में और कटौती करने से मना कर दिया है ।

भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के चार साल के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब पेट्रोलियम पर उत्पाद शुल्क में कटौती की गई है. नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच नौ किस्तों में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपये और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गई थी. जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसमें दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी.

ग्राहकों को तीन तरीके से कीमत कटौती का फायदा पहुंचाने की व्यस्था की गयी है. इसमें पहला लाभ डीजल, पेट्रोल पर केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में डेढ़ रुपये प्रति लीटर की कटौती से, दूसरा पेट्रोलियम विपणन कंपनियां एक रुपये प्रति लीटर का बोझ खुद उठाने से तथा राज्यों में वैट या अन्य शुल्क कम किए जाने से मिलेगा. पेट्रोलियम कीमतें बढ़ने से राज्यों का राजस्व बढ़ा है और राज्यों के लिए ढाई रुपये प्रति लीटर तक बोझ वहन करना आसान होगा.

यह उन राज्यों और उनके नेताओं के लिए परीक्षा की घड़ी है जो सिर्फ मौखिक सहानुभूति जताते हैं और ट्वीट करते रहते हैं. इस बार यदि अन्य राज्य सरकारें ऐसा नहीं करती हैं तो जनता उनसे सवाल जरूर पूछेगी. 

सरकारी पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के एक रुपये प्रति लीटर का बोझ वहन करने के निर्देश को पेट्रोल-डीजल पर फिर से सरकारी नियंत्रण स्थापित करने के तौर पर देखा जा सकता है, 

परंतु, आम जनता के हित में यह आवश्यक है और, सर्वहितकारी, लोक कल्याणकारी सरकार की ज़िम्मेवारियाँ भी यही होती हैं, जिन्हें NDA सरकार ने बख़ूबी पूरा किया है।

सरकारी कंपनियों की आय पर इस एक रुपये प्रति लीटर कीमत वहन करने का सालाना बोझ 10,700 करोड़ रुपये होगा. इसमें करीब आधा बोझ इंडियन ऑयल पर और बाकी का बोझ हिस्सेदारी हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम पर जा सकता है. 

केंद्र पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 19.48 और 15.33 रुपए प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क लगा रहा था. महाराष्ट्र में पेट्रोल पर वैट 39.12 प्रतिशत वैट था. जबकि तेलंगाना में डीजल पर सबसे अधिक 26 प्रतिशत की दर से वैट लगता है. दिल्ली में पेट्रोल पर 27 प्रतिशत और डीजल पर 17.24 प्रतिशत की दर से वैट लागू है. आज तेल विपणन कंपनियों की स्थिति पहले से अच्छी है और वे एक रुपए लीटर का बोझ उठा सकती हैं.

केंद्र सरकार द्वारा राज्यों से कहा जा रहा है कि केन्द्र की 2.50 रुपये की कटौती की तर्ज पर सभी राज्य भी 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती को प्रभावी करें. यह काम राज्यों के लिए आसान है. वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि राज्य सरकारों का एडवैलोरम टैक्स है. राज्यों का औसत VAT 29 फीसदी है. इसलिए कच्चा तेल का दाम बढ़ने पर राज्यों को अधिक इजाफा होता है. वहीं केन्द्र की कमाई स्थिर रहती है.

हाल ही में तेल पर वैट कटौती करने वाली केरल सरकार ने कहा कि वह अभी कर कटौती नहीं करेगी। केरल सरकार ने केंद्र से तेल की कीमत 2014 के स्तर पर लाने की मांग की और कहा कि वह तभी इसपर विचार कर सकती है।

पिछले महीने कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और आंध्रप्रदेश सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती की।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम को लेकर बनी अनिश्चितता और अपेक्षा से अधिक राजस्व संकलन को देखते हुए उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने का फैसला लिया गया।

पिछले साल केंद्र द्वारा उत्पाद कर में रुपये की कटौती करने के बाद सिर्फ राजग शासित राज्यों ने ही तेल पर वैट में कटौती की थी।

श्रीमती लेखी ने तेल की कीमतों का आंकलन और विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष के आलोचक क्रूड ऑइल में तेजी का राजनीतिक फायदा उठाते हैं। यह उनके बयानों से भी साफ होता है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जब दो दिन पूर्व तेल की कीमतें घटाई गईं तो इन आलोचकों ने सराहना करने की बजाय तर्क दिया कि यह खराब अर्थव्यवस्था है।  उन्होंने कहा कि केंद्र एक निश्चित राशि, 19 रुपये प्रति लीटर, का शुल्क  लेता है। लेकिन इसका 42 फीसदी  राज्यों को पास जाता है। राज्य स्वतंत्र रूप से इसपर अपने वैट भी चार्ज करते हैं। देश में वैट दर लगभग 26-30 फीसदी है। इस प्रकार, कुछ महीने पहले राज्यों को कम लागत वाली कीमत का लगभग 29 फीसदी मिल रहा था। अब उन्हें बढ़ी हुई कीमत पर 29 फीसदी मिलता है।

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार ने पेट्रोल डीसल की क़ीमतों पर VAT में कमी से इंकार कर दिया है । इससे दिल्ली की जनता को केंद्र सरकार की उत्पाद कर घटाने के फ़ैसले से राहत नहीं मिलेगी । सच्चाई ये है की दिल्ली सरकार ने पिछले तीन वर्षों में पेट्रोल पर VAT की दर बीस प्रतिशत से बढ़ाकर सत्ताईस प्रतिशत कर दिया तथा डीज़ल को बारह प्रतिशत से बढ़ाकर साढ़े सोलह प्रतिशत कर दिया इससे जनता पर अतिरिक्त व्यय बढ़ा है । उन राज्यों में जहाँ की राजकोषीय घाटा तीन प्रतिशत से कम है, वहाँ सरकारें पेट्रोलीयम पर VAT की दरों में कटौतियाँ कर सकती हैं। वर्तमान में दिल्ली में राजकोषीय घाटा तीन प्रतिशत से कम (0.3% के आसपास) होने से दिल्ली सरकार बड़े आराम से VAT की दरें काम कर सकती थी, परंतु, केजरीवाल सरकार को जनता के मामलों से कोई मतलब नहीं ।

श्रीमती लेखी ने कहा कि राज्यों को तेल की कीमतों से ज्यादा फायदा होता है जबकि केंद्र का संग्रह वही बना हुआ है। फिर भी कई गैर-बीजेपी और गैर-एनडीए राज्यों ने अपनी जनता को किसी भी प्रकार का लाभ देने की कोई पहल नहीं की है। श्रीमती लेखी ने आम जनता के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए गैर-भाजपा शासित राज्यों को चुनौती देते हुए कहा कि वे तेल की कीमतों पर भ्रामक बयानबाजी करने के बजाय तेल की कीमत  कम करके दिखाएँ । 

(महेंद्र पांडेय)

कार्यालय सचिव

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