भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा जारी प्रेस वक्तव्य
कांग्रेस पार्टी नेहरू-गाँधी परिवार की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है - इस पर एक परिवार के सिवाय किसी और का कोई अधिकार नहीं है ************* प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा कांग्रेस को एक गैर नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की चुनौती देने वाले बयान से कांग्रेस पार्टी के कई रागदरबारियों को तीखी मिर्ची लगी है जो अपनी ‘वफादारी' साबित करने के लिए आपे से बाहर हो रहे हैं ************* प्रधानमंत्री जी बिलकुल सही हैं। सार्वजनिक सेवा के उद्देश्य से स्थापित किये गए एक जवाबदेह राजनीतिक दल की बजाय कांग्रेस पार्टी को एक राजवंश की सेवा के उद्देश्य से महज एक पारिवारिक उपक्रम भर बना दिया गया है ************* देश के प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे श्री पी. वी. नरसिम्हा राव जी के पार्थिव शरीर को कांग्रेस के केन्द्रीय कार्यालय में घुसने तक नहीं दिया गया। श्री सीताराम केसरी को एक परिवार के इशारे पर ‘वफादार गुंडों' द्वारा मारपीट कर जिस तरह पार्टी मुख्यालय से बाहर किया गया, ये पूरा देश जानता है ************* आचार्य कृपलानी जैसे दिग्गज नेता जिन्होंने महात्मा गाँधी और सरदार पटेल जी के साथ राष्ट्र के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उनके साथ भी '50 और '60 के दशक में एक परिवार द्वारा दुर्व्यवहार किया गया ************* आजादी के बाद से कांग्रेस का इतिहास ऐसे तमाम उदाहरणों से भरा पड़ा है जहां ‘एक परिवार’ की पूजा के कारण कई बड़े नेताओं के साथ न केवल दुर्व्यवहार किया गया बल्कि साजिश कर उन्हें दरकिनार भी किया गया ************* कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष योग्यता के आधार पर नहीं, एक परिवार में जन्म लेने से तय होता है। जिस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र ही नहीं है, वह पार्टी देश का कभी भी भला नहीं कर सकती ************* देश की लगभग 1650 राजनीतिक पार्टियों में केवल और केवल भारतीय जनता पार्टी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जहां बूथ स्तर पर काम करने वाला व्यक्ति भी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है और एक अत्यंत गरीब परिवार में जन्म लेने वाला देश का प्रधानमंत्री *************
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा कांग्रेस को एक गैर नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की चुनौती देने वाले बयान से कांग्रेस पार्टी के कई रागदरबारियों को तीखी मिर्ची लगी है जो अपनी ‘वफादारी' साबित करने के लिए आपे से बाहर हो रहे हैं। जाहिर है, प्रधानमंत्री जी के सटीक निशाने ने एक दुखती रग पर करारा प्रहार किया है।
प्रधानमंत्री जी बिलकुल सही हैं। 1978 में कांग्रेस (इंदिरा) की स्थापना के बाद से एक ही परिवार के चार सदस्यों ने अधिकतम समय तक इस पार्टी का नेतृत्व किया है। इस प्रकार, सार्वजनिक सेवा के उद्देश्य से स्थापित किये गए एक जवाबदेह राजनीतिक दल की बजाय कांग्रेस पार्टी को एक राजवंश की सेवा के उद्देश्य से महज एक पारिवारिक उपक्रम भर बना दिया गया है।
कांग्रेस पार्टी नेहरू-गाँधी परिवार की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है - इस पर एक परिवार के सिवाय किसी और का कोई अधिकार नहीं है।
कांग्रेस के दो हालिया गैर-पारिवारिक पार्टी अध्यक्षों के साथ सबसे कुत्सित तरीके से दुर्व्यवहार किया गया। देश के प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे श्री पी. वी. नरसिम्हा राव जी के पार्थिव शरीर को कांग्रेस के केन्द्रीय कार्यालय में घुसने तक नहीं दिया गया। पार्टी के दिग्गज नेता और कांग्रेस अध्यक्ष रहे श्री सीताराम केसरी को ‘वफादार गुंडों' द्वारा जिस तरह मारपीट कर पार्टी मुख्यालय से बाहर किया गया, ये पूरा देश जानता है और हम सब यह भी जानते हैं कि यह किसके इशारे पर हुआ था।
इतिहास में यदि थोड़ा और पीछे जाएँ तो स्पष्ट पता चलता है कि बाबू जगजीवन राम, एस निजलिंगप्पा और के. कामराज जैसे दिग्गज नेताओं को एक परिवार द्वारा किस तरह प्रताड़ित किया गया था। नीलम संजीव रेड्डी को वरिष्ठता के बावजूद ‘एक परिवार' द्वारा पार्टी अध्यक्ष नहीं बनने दिया गया था। श्री यू. एन. ढेबर को श्रीमती इंदिरा गाँधी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था।
आचार्य कृपलानी जैसे दिग्गज नेता जिन्होंने महात्मा गाँधी और सरदार पटेल जी के साथ राष्ट्र के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उनके साथ भी ‘50 और ‘60 के दशक में एक परिवार द्वारा दुर्व्यवहार किया गया। उनका अपराध बस ये था कि वे नेहरू सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव लेकर आये थे।
आजादी के बाद से कांग्रेस का इतिहास ऐसे तमाम उदाहरणों से भरा पड़ा है जहां ‘एक परिवार’ की पूजा के कारण कई बड़े नेताओं के साथ न केवल दुर्व्यवहार किया गया बल्कि साजिश कर उन्हें दरकिनार भी किया गया। एक परिवार के लिए कई बड़े नेताओं को आगे नहीं बढ़ने दिया गया।
कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष योग्यता के आधार पर नहीं, एक परिवार में जन्म लेने से तय होता है। श्रीमती सोनिया गाँधी के बाद कांग्रेस पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा, यह सबको पहले से पता था लेकिन भारतीय जनता पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा - यह किसी को भी नहीं मालूम क्योंकि यहाँ पद योग्यता, राष्ट्रभक्ति और विचारधारा के प्रति समर्पण भाव के आधार पर तय किये जाते हैं। जिस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र ही नहीं है, वह पार्टी देश का कभी भी भला नहीं कर सकती। देश की लगभग 1650 राजनीतिक पार्टियों में केवल और केवल भारतीय जनता पार्टी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जहां बूथ स्तर पर काम करने वाला व्यक्ति भी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है और एक अत्यंत गरीब परिवार में जन्म लेने वाला देश का प्रधानमंत्री।
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(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव
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