भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा का वक्तव्य


13-12-2015
Press Release
   
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा का वक्तव्य

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व राजग सरकार ने भारतीय विदेश नीति और कूटनीति को नया आयाम दिया है। श्री मोदी के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज विश्वभर में भारत की जय-जयकार हो रही है। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर भारत न सिर्फ मजबूती से अपने हितों की रक्षा कर रहा है बल्कि आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का हल निकालने में भी आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहा है। पूरब के संबंध में श्री मोदी ने ‘एक्ट ईस्ट’ की नीति अपनाई है। जापान के प्रधानमंत्री श्री शिन्जो आबे की 11 से 13 दिसंबर तक भारत की सफल यात्रा इसका एक उदाहरण है। श्री आबे की इस यात्रा के दौरान ‘मेक इन इंडिया’, ‘बुलेट ट्रेन’ और परमाणु ऊर्जा सहित 16 महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी भारत और जापान के बीच हुए ऐतिहासिक समझौतों का स्वागत करती है। साथ ही भारत-जापान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने और एक नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मोदी सरकार को बहुत-बहुत बधाई देती है।

श्री आबे की यात्रा के दौरान भारत और जापान ने असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग के बारे में महत्वपूर्ण ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। जापान की हाई स्पीड रेल प्रौद्योगिकी शिंकनसेन सिस्टम के माध्यम से मुम्बई-अहमदाबाद सेक्टर पर हाईस्पीड रेल शुरू करने का ऐतिहासिक निर्णय भी किया है। जापान ने 12 अरब डॉलर का असाधारण पैकेज और तकनीकी सहायता की प्रतिबद्धता भी जताई है। जापान यह कर्ज भारत को ज्यादा अवधि और रियायती ब्याज दर पर देगा। जानकारी के अनुसार, जापान भारत को ये कर्ज महज 0.1 फीसद ब्याज दर पर देगा जिसमें से पहले 15 वर्षों में इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा। यह क्रांतिकारी परियोजना भारतीय रेल के इतिहास में एक नया अध्याय साबित होगी। जापान इससे पूर्व सितम्बर, 2014 में भी भारत को 35 अरब डालर डॉलर की वित्त और निवेश की सहायता देने की प्रबितद्धता जता चुका है।

श्री आबे की ऐतिहासिक यात्रा में दूसरा महत्वपूर्ण समझौता मोदी सरकार के लोकप्रिय ‘मेक इन इंडिया’ के संबंध में हुआ है। अब भारत में बनी हुई कारें जापान जाएंगी। इससे भारत की तरक्की में चार चांद लगेंगे।

भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा-नीत गठबंधन सरकार की जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता और उद्योगों एवं व्यवसाय को प्रोत्साहित करने वाली सरल नीतियों का ही प्रभाव है कि विश्व के कई देश भारत के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत भारत में ही मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को अपना समर्थन जाहिर करते हुए जापान ने करीब 12 अरब डॉलर का एक कोष सृजित करने का फैसला लिया है जो जापानी कंपनियों को भारत में विनिर्माण के लिए दिया जाएगा। इसके साथ ही जापान ने भारत के लिए एक ओवरसीज डेवलपमेंट असिस्टेंस के तहत पांच अरब डालर की सहायता की भी प्रतिबद्धता जतायी है।

दोनों देशों के बीच भारत में ‘जापान औद्योगिक टाउनशिप: जेआईटी’ के विकास परियोजना की प्रतिबद्धता पर सहमति बनी जिसके तहत जापान इस परियोजना में निवेश करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देगा। इस परियोजना के तहत कम से कम इस प्रकार के 13 टाउनशिप विचाराधीन हैं। इसके साथ ही ओडीए रिण योजनाओं तथा अन्य सुविधाओं का इस्तेमाल करते हुए चेन्नई बेंगलुरू औद्योगिक कोरिडोर (सीबीआईसी) परियोजना के अगले स्तर पर ठोस क्रियान्वयन पर भी सहमति जतायी गई। इसके साथ ही जापान भारत के स्मार्ट सिटी परियोजना में काफी निवेश कर रहा है। इससे भारत में औद्योगिक क्रांति की धार और तीव्र होगी और देश में युवाओं के लिए रोजगार के बेहतर और असीम अवसर का निर्माण होगा। साथ ही यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाई स्पीड ग्रोथ की परिकल्पना को साकार करने में मदद मिलेगी।

जापानी प्रधानमंत्री श्री आबे ने भी मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों जैसे- "मेक इन इंडिया,” "डिजिटल इंडिया,” "स्किल इंडिया,” "स्वच्छ भारत” और "स्मार्ट सिटी” की सराहना भी की।

श्री मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार ने जापान के साथ जो समझौते किए हैं उनका सीधा फायदा युवाओं को होगा। "मेक इन इंडिया,” जैसे कार्यक्रमों में रोजगार के अवसर मिलने के अलावा 10 हजार भारतीय युवा अगले पांच वर्षों में जापान की यात्रा पर जाएंगे।

भारत ने भी जापान के साथ विशेष संबंधों को मान्यता देते हुए 01 मार्च, 2016 से व्यापारिक उद्देश्यों सहित जापानी नागरिकों को आगमन पर वीजा की सुविधा प्रदान करने का फैसला किया है। इससे भारत आने वाले जापानी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे देश में रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरण व प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और गोपनीय सैन्य सूचना के संरक्षण के लिए सुरक्षा उपायों के संबंध में भी समझौता हुआ। दोनों देशों के बीच सूचना तथा खुफिया सूचनाओं को साझा करने पर भी सहमति बनी। साथ ही यूएस-2 एम्फीबियन एयरक्राफ्ट सहित रक्षा उपकरणों के लिए संयुक्त परियोजनाओं की भारत में शुरुआत की संभावनाएं तलाशने पर सहमति भी जताई गई। इससे भारत में रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और भारत में रोजगार के अवसर बनेंगें। दोनों देशों में साउथ चाइना सी, आतंकवाद की चुनौतियों तथा संयुक्त राष्ट्र सुधार समेत अन्य वैश्विक मुद्दों पर गौर करने के साथ ही आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। दोनों देश नियमित तौर पर भारत-अमेरिका मालाबार अभ्यास में जापान की भागीदारी पर भी सहमत हुए हैं। इस तरह श्री आबे की यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों में मील का पत्थर साबित होगी।

(श्री अरुण कुमार जैन)
कार्यालय सचिव

 

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