BJP memorandums submitted to ECI


13-03-2019
Press Release

दिनांक: 13 मार्च, 2019

सेवा में,
मुख्य निर्वाचन आयुक्त / निर्वाचन आयुक्त
निर्वाचन सदन, अशोका रोड, नई दिल्ली – 110001

 

विषय : 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में निष्पक्ष चुनाव को चुनौतियाँ

मान्यवर,

इस पत्र के द्वारा पश्चिम बंगाल के वर्त्तमान राजनीतिक हिंसा के वातावरण की ओर हम आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं।

राजनीतिक हिंसा और हत्या बंगाल में प्रत्येक दिन के जीवन का हिस्सा बन गया है। राज्य में नागरिक अपने चुनाव अधिकार का प्रयोग करने से डरे हुए हैं।  राज्य में नौकरशाही एवं सरकारी कर्मचारी भिन्न-भिन्न कारणों से राज्य सरकार के राजनीतिक योजना का हिस्सा बन गए हैं, जिस कारण प्रदेश में पक्षपातपूर्ण वातावरण बन गया है।  पिछले दो चुनाव में विशेष रूप से 2014 का लोकसभा चुनाव एवं 2016 का विधानसभा चुनाव से पश्चिम बंगाल में भय एवं हिंसा का वातावरण पश्चिम बंगाल के जनजीवन में व्याप्त हो गया है।  

पिछले पंचायत चुनाव में बंगाल के वर्तमान सरकार और मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी  के प्रशासन के अंतर्गत पूरे प्रदेश में जिस तरह की हिंसात्मक घटनाएं हुईं, वह स्वतन्त्र भारत के इतिहास की सबसे बड़ी चुनावी हिंसा थी, जिसमे कुल 100 लोगों की हत्या हुई,जिनमें 62 तो भारतीय जनता पार्टी के ही कार्यकर्त्ता थे। कई जगहों पर तो वर्तमान सरकार ने विरोधी दलों का नामांकन तक भी नहीं भरने दिया, जिसका परिणाम यह रहा की 34% सीटों पर चुनाव ही नहीं हुआ। इसका बेजा लाभ वर्तमान सत्ताधारी दल को


 

मिला और उन 34% सीटों पर वर्तमान राज्य सरकार की पार्टी के कार्यकर्त्ता निर्विरोध चुने गए। लोकतंत्र और मताधिकार के लिहाज से यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस ग्राम पंचायत में विरोधी दल के प्रत्याशी ग्राम पंचायत चुनाव जीते वो तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और राज्य पुलिस के डर से अपने प्रदेश स्थित घर वापस नहीं आ पाए. वो अपने परिवार और प्रदेश से बाहर एक निर्वासित की तरह रह रहें हैं।    

वर्त्तमान परिस्थिति में बंगाल की नौकरशाही अपनी सीमाएँ लाँघ चुकी है।  राज्य में निष्पक्ष काम करने वाले अधिकारी के मन में भी वर्त्तमान सरकार का भय इतना है की वो निष्पक्ष भाव से काम नहीं कर पा रहें हैं। यह भय वहां के लोकतंत्र के लिए चुनौतियों है और समाज में तनावपूर्ण वातावरण बना रहा है।

बंगाल का एक बड़ा हिस्सा बंगलादेश सीमा से लगता है। घुसपैठ प्रदेश की एक बहुत बड़ी समस्या है। आये दिन बंगाल में लाखों के जाली नोट, बम धमाका, हथियारों का जखीरा में मिलता है। इस बात की पूरी संभावना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी वे इनका भरपूर करेंगे, जैसा कि पिछले साल के पंचायत चुनाव में पश्चिम बंगाल में देखने को मिला था।

इस पृष्ठभूमि में जब हम 2019 के चुनाव में जा रहें है तो चुनाव आयोग से निवेदन है कि वो संविधान के अनुच्छेद 324 के प्रदत शक्ति का उपयोग कर अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करते हुए पूरे पश्चिम बंगाल को संवेदनशील राज्य घोषित करें। इसके साथ-साथ हम चुनाव आयोग से यह भी निवेदन करते हैं कि पश्चिम बंगाम में निष्पक्ष चुनाव करवाने हेतु निम्नलिखित निर्देश देने कि कृपा करें।

  1. राज्य के लिए विशेष आब्जर्वर की नियुक्ति करें

  2. मतदाता सूची के लिए विशेष आब्जर्वर की नियुक्ति करें


 

  1. विशेष मीडिया आब्जर्वर की नियुक्ति करें

  2. राज्य में कानून व्यवस्था के लिए पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति करें

  3. पुलिस आब्जर्वर व सामान्य आब्जर्वर को विशेष शक्ति प्रदान करें

  4. अन्य प्रावधान के अंतर्गत राज्य सरकार के द्वारा नियुक्त सिविक  वालंटियर को चुनाव ड्यूटी से हटायें

चुनाव आयोग से निवेदन है कि वो पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष चुनाव के लिए उसे संवेदनशील प्रदेश घोषित करें। हम आशा करते हैं कि चुनाव आयोग का यह कदम लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा और राज्य में निष्पक्ष चुनाव कराएगा।

 

आदर सहित

 

(निर्मला सीतारमण) (रवि शंकर प्रसाद) (भूपेंद्र यादव)

 

(कैलाश विजयवर्गीय) (मुकुल रॉय) (ओम पाठक)

 

(संजय मयूख) (नीरज)

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दिनांक : 13-3-2019

सेवा में,
मुख्य चुनाव आयुक्त
निर्वाचन सदन, अशोका रोड, नई दिल्ली

मान्यवर,
पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होना है. प्रथम चरण का नोटिफिकेशन
18 मार्च से है। विगत छह महीनों में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों एवं उनके
क्रियान्वयानों से यह स्पष्ट हो चुका है कि बंगाल के प्रशासन के अंतर्गत निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं
है। वर्तमान बंगाल सरकार के नेतृत्व में प्रशासन का पूरी तरह से राजनीतिकरण हो गया है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत चुनाव आयोग का यह दायित्व है कि वह देश में
निष्पक्ष चुनाव की स्थिति को सुनिश्चित करे। चुनाव आयोग का यह दायित्व भी है कि वह देश में
चुनाव गतिविधियों को पूरी तरह से निर्देशित कर निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक कदम उठाते हुए
करवाई करे।
पिछले पंचायत चुनाव में बंगाल के वर्तमान सरकार और मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी के
प्रशासन के अंतर्गत पूरे प्रदेश में जिस तरह की हिंसात्मक घटनाएं हुईं, वह स्वतन्त्र भारत के इतिहास
की सबसे बड़ी चुनावी हिंसा थी, जिसमे कुल 100 लोगों की हत्या हुई,जिनमें 62 तो भारतीय जनता
पार्टी के ही कार्यकर्त्ता थे। कई जगहों पर तो वर्तमान सरकार ने विरोधी दलों का नामांकन तक भी नहीं
भरने दिया, जिसका परिणाम यह रहा की 34% सीटों पर चुनाव ही नहीं हुआ। इसका बेजा लाभ
वर्तमान सत्ताधारी दल को मिला और उन 34% सीटों पर वर्तमान राज्य सरकार की पार्टी के कार्यकर्त्ता
निर्विरोध चुने गए। लोकतंत्र और मताधिकार के लिहाज से यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस ग्राम पंचायत में
विरोधी दल के प्रत्याशी ग्राम पंचायत चुनाव जीते वो तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और राज्य पुलिस
के डर से अपने प्रदेश स्थित घर वापस नहीं आ पाए. वो अपने परिवार और प्रदेश से बाहर एक
निर्वासित की तरह रह रहें हैं।
बंगाल में राजनीतिक हिंसा चरम पर है। प्रतिदिन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की
हत्या, उनके साथ मारपीट, उनके परिवार वालों को प्रताड़ित कराना और उनपर फर्जी तरीके से

गंभीर मुकदमें प्रदेश सरकार करवा रही है।
बंगाल का एक बड़ा हिस्सा बंगलादेश सीमा से लगता है। घुसपैठ प्रदेश की एक बहुत बड़ी
समस्या है। आये दिन बंगाल में लाखों के जाली नोट, बम धमाका, हथियारों का जखीरा में मिलता है।
इस बात की पूरी संभावना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी वे इनका भरपूर करेंगे, जैसा कि
पिछले साल के पंचायत चुनाव में पश्चिम बंगाल में देखने को मिला था।
उपरोक्त घटनाओं से यह स्पष्ट है किवर्तमान प्रदेश सरकार के नेतृत्व में प्रदेश में पारदर्शिता व
राजनैतिक संवेदनशील का संकट पैदा हो गया है। वहां कानून व्यवस्था को संभालने में प्रशासन पूरी
तरह से असफल रहा है और आम नागरिक का संवैधानिक अधिकार तक छीन चुका है।
अतः चुनाव आयोग से निवेदन है कि पश्चिम बंगाल की जनता के संवैधानिक अधिकार की रक्षा
तथा निष्पक्ष चुनाव कराने हेतु, प्रदेश को चुनाव की दृष्टि से पूरे प्रदेश को संवेदनशील राज्य घोषित
करें।
चुनाव आयोग द्वारा पूर्व में पंजाब राज्य में भी इस प्रकार की कार्यवाही की जा चुकी है।
राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिती की रिपोर्ट आयोग द्वारा तत्काल मांगी जाये। पूरे प्रदेश हेतू
स्पेशल आब्जर्वर की नियुक्ति की जायें।
आदर सहित

(निर्मला सीतारमण ) (रवि शंकर प्रसाद) (भूपेन्द्र यादव)

(कैलाश विजयवर्गीय) (मुकुल रॉय) ( अनिल बलूनी)

(ओम पाठक)

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दिनांक : 13-03-2019

सेवा में,
मुख्य चुनाव आयुक्त
निर्वाचन सदन, अशोका रोड,
नई दिल्ली

मान्यवर,
पिछले दिनों सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर CBI द्वारा बंगाल के चर्चित चिट-फंड घोटालें में लिप्त
पुलिस आयुक्त श्री राजीव कुमार से पूछताछ पर बंगाल के मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी द्वारा
जिस तरह इस मामले का राजनीतिकरण किया है, यह देश के संघीय ढांचा के लिए एक खतरे
का संकेत है। पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए जब सीबीआई उनके आवास पर
गई तो कोलकाता पुलिस के द्वारा सीबीआई अधिकारी के साथ धक्कामुक्की कर उन अधिकारी को
थाने ले जाया गया। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश आला
अधिकारी श्री सुरजीत कर पुरकायस्थ (स्टेट सिक्यूरिटी एडवाइजर), श्री वीरेन्द्र (महानिदेशक
पुलिस), श्री अनुज शर्मा (वर्तमान पुलिस कमिश्नर) आदि श्री राजीव कुमार के घर आये। इसके
बाद आपस में विचार-विमर्श करके पश्चिम की मुख्यमंत्री इन सभी आला अधिकारियोंव अन्य के
साथ धरने पर बैठ गयीं। इस घटना का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश चीफ सेक्रेटरी,
डीजीपी और कुमार राजीव कुमार को अवमानना का नोटिस भेजा।
श्री राजीव कुमार को पुलिस कमिशनर पद से हटाकर ADG, CID पद पर नियुक्त किया गया
है। श्री सुरजीत कर पुरकायस्थ वर्तमान में स्टेट सिक्यूरिटी एडवाइजर पद पर है। पूर्व में भी श्री
राजीव कुमार को प्रदेश की मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव से पूर्व पुलिस आयुक्त

पद पर नियुक्ति किया था, इनके नियुक्ति के ढाई महीनें बाद ही इनकी संदेहात्मक भूमिका को
देखते हुए 2016 के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने इन्हें आयुक्त पद से हटा दिया था।
पिछले साल पंचायत चुनाव के दौरान श्री सुरजीत कर पुरकायस्थ प्रदेश के महानिदेशक पद पर
थे। पंचायत चुनाव में हुई हिंसात्मक घटना को रोकने में यह बिलुकल विफल रहे। पंचायत
चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्त्ताओं द्वारा फैलाई गई अराजकता को इन्होने
जानबूझकर बढ़ावा दिया।
उपर्युक्त घटना क्रम में इनकी संलिप्तता को देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि बंगाल में निष्पक्ष
चुनाव करवाने हेतु श्री राजीव कुमार को बंगाल से बाहर नियुक्ति दी जाए तथा श्री सुरजीत कर
पुरकायस्थ को प्रदेश प्रशासन में इनकी संलग्नता से इनको दूर रखा जाये।
पिछले दिनों प्रदेश के मुख्य सचिव श्री मलय डे और गृह सचिव अतरी भट्टाचार्य की भूमिका भी
पक्षपातपूर्ण रही है। विपक्षी दलों की जनसभाओं और राजनीतिक बैठकों के आदेश को निरस्त
करके उन्होंने प्रशासनिक पारदर्शिता को तार-तार किया। अतः हमारी मांग है कि इन दोनों को
पद से तुरंत हटाया जाये।
बंगाल में सिविक पुलिस की नियुक्ति और कार्यशैली पूरी तरह से असंवैधानिक है। वर्तमान
सरकार द्वारा अनैतिक रूप से इसका उपयोग लॉ एंड आर्डर के क्षेत्र में भी किया जा रहा है।
अनेक विडियो फुटेज ऐसे हैं, जिनमे ये लाठी चार्ज भी करते हैं। सिविक पुलिस की कार्यप्रणाली
वर्तमान सरकार के कैडर के रूप में व्याप्त हो चुकी है। अतः इनकी अनैतिक गतिविधि को देखते
हुए इन्हें चुनाव प्रणाली से बिलकुल दूर रखा जाये।
बंगाल में निष्पक्ष चुनाव करवाने हेतु निम्नलिखित अधिकारीयों को अबिलम्ब बंगाल से दूर रखा
जाये:-

1. श्री मलय डे , मुख्य सचिव
2. श्री अतरी भट्टाचार्य , गृह सचिव
3. श्री राजीव कुमार, आईपीएस
4. श्री सुरजीत कर पुरोकायस्थ , आईपीएस (रिटायर)
5. श्री वीरेंदर , आइपीएस
6. श्री अनुज शर्मा , आइपीएस

आदर सहित

(निर्मला सीतारमण ) (रवि शंकर प्रसाद)

(भूपेन्द्र यादव) (कैलाश विजयवर्गीय)

(मुकुल रॉय) (श्री ओम पाठक) (श्री अनिल बलूनी)

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