भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा जारी शोक-संदेश
भारत मां के परम आराधक, निवृत्त-जगद्गुरू शंकराचार्य, पद्मभूषण पूज्य गुरुदेव स्वामी श्री सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज के ब्रह्मलीन होने से अत्यंत दुखी हूँ। वे ज्ञान, धर्म, अध्यात्म और सादगी के एक ऐसे प्रतीक थे जिन्होंने पूरे विश्व में सनातन संस्कृति की पताका फहराई। उन्होंने नर सेवा को ही नारायण सेवा मान अपना पूरा जीवन जन-कल्याण हेतु समर्पित कर दिया।
सतातन संस्कृति के पुरोधा और विश्व में वैदिक संस्कृति का प्रचार करने में जगद्गुरू शंकराचार्य सदैव अग्रणी रहते थे। पूज्य स्वामी जी अल्पायु में ही शंकराचार्य बने और सेवा का धर्म निभाने के लिए साधु समाज के सबसे बड़े पद को छोडऩे में भी जरा-सा वक्त नहीं लिया। परम पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज का जीवन एक मिसाल है, जो संत समाज के साथ-साथ मानव जीवन को भी आलोकित कर रहा है। भारतवर्ष की महान सभ्यता और संस्कृति के वे सच्चे प्रवर्तक थे।
पूज्य गुरुदेव स्वामी श्री सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज का निधन सनातन धारा, संत समाज, राष्ट्रवादी चिंतकों एवं समस्त राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। भारत की महान सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के साथ-साथ मानव जीवन के कल्याण के लिए किये गए अमूल्य योगदान हेतु राष्ट्र उनका सदैव ऋणी रहेगा।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज माँ भारती के एक सच्चे उपासक थे, हरिद्वार का भारत माता मंदिर जिसका परिचायक है। उनके विचार, ज्ञान और दर्शन आने वाली पीढ़ियों को धर्म और राष्ट्रसेवा के लिए सदैव प्रेरित करते रहेंगे। मैं उनके अनुयायियों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। ॐ शांति, ॐ शांति, ॐ शांति…
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