Hindi: Article "Benefits of the Aadhaar - where it stands today" by Hon'ble Union Minister, Shri Arun Jaitley on 06 Jan 2019


10-01-2019
Press Release
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आधार के फायदे, आज कहां है यह ?         

   06जनवरी,2019

अरूण जेटली

हर नागरिक के लिए एक अलग यूनिक आइडेंटी नंबर (यूआईडी) तैयार करने का विचार यूपीए शासनकाल में श्री नंदन नीलेकनि को आया। उन्हें इस विचार को जन्म देने, पहल करने का और कार्यान्वित करने का श्रेय जाता है। लेकिन तब आधार को वैधानिक मान्यता नहीं थी। इसके लिए कोई कानून नहीं था। इस कारण से कानूनी चुनौतियां पैदा हुईं। यूपीए सरकार में अंतर्विरोध बहुत थे। जब श्री नीलेकनि ने इस विचार को आगे बढ़ाया तो एक वरिष्ठ मंत्री ने उसमें अड़ंगा लगा दिया। प्रधान मंत्री अनिर्णय की स्थिति में थे। आधार के लिए नामांकन होता रहा लेकिन साधारण गति से।

बीजेपी जब विपक्ष  में थी तो उसे इस मामले में कुछ संदेह था खासकर गैरनागरिकों के नामांकन के बारे में। सरकार बनने के तुरंत बाद श्री नंदन नीलेकनि ने माननीय प्रधान मंत्री के नरेन्द्र मोदी के सामने एक प्रजेंटेशन रखा जिसमें मैं भी मौजूद था।

प्रजेंटेशन की समाप्ति पर प्रधान मंत्री ने वहां उपस्थित सभी से सलागह-मशविरा किया। तुरंत फैसला करने के अपने स्वभाव के अनुरूप उन्होंने आधार के मामले में इस दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया।

कानूनी बाधा

यूपीए के समय का कानून अपर्याप्त था। इसमें यूआईडी देने के तरीके की व्यवस्था थी। लेकिन निजता पर इसमें पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। इसमें यह भी स्पष्ट नहीं था कि यूआईडी किस काम में आएगा। एनडीए सरकार ने इस मामले की पुनर्समीक्षा की और कानून को पूरी तरह से बदल दिया गया। नए कानून का सार-मर्म यह था कि सरकार गरीबों को सब्सिडी देने में जन स्रोतों का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल करती है। अनजान लोगों को सब्सिडी देने में बहुत बड़ी राशि जा रही थी। कई दावेदार तो ऐसे थे जिनका कोई अस्तितव नहीं था। कई अन्य इसके हकदार नहीं थे। कई मामले ऐसे थे जिनमें दोहराव हो रहा था ओर इस प्रकार से बायोमेट्रिक्स पर आधारित यूनिक आइडेंटीटी इस तरह के भ्रम को खत्म कर देगा और उन्हें ही राहत मिलेगी जो इसके वास्तविक हकदार हैं। नए कानून का ध्येय यही था। संसद में जब यह कानून पारित हो गया इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने यूनिक आइडेंटीटी के पूरे विचार को मान्य ठहराया और निजता के अधिकार के हनन का मामला कह कर इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं को रद्द कर दिया। उसने कहा कि आधाऱ संवैधिनिक विश्वास, सीमित सरकार और अच्छे शासन के विचार पर खरा उतरता है तथा गरीब वर्ग के लोगों का सशक्तिकरण करता है। उसने कई सुरक्षा उपायों को भी उसमें जोड़ा ताकि इसका दुरूपयोग न हो सके। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आधार की संकल्पना में संतुलन पैदा किया।

प्रदर्शन

आधार (टारगेटेड डेलिवरी ऑफ फाइनेंशियल ऐंड अदर सब्सिडीज, बेनिफिट्स ऐंड सर्विसेज) बिल 2016 को संसद से 16 मार्च 2016 में मंजूरी मिली। इसे 26 मार्च को नोटिफाई किया गया। इस कानून के कुछ अंश जो पहले नोटिफाई नहीं किए जा सके, 12 सितंबर, 2016 को किए गए। 

पिछले 28 महीनों में 122 करोड़ से भी ज्यादा आधार नंबर जारी किए गए। 18 साल से ऊपर के देश की वयस्क आबादी का 99 प्रतिशत इसकी ज़द में आ गया है।

कई सरकारी स्कीम जिनमें कुछ डीबीटी के तहत थे, आधार से जोड़ दिए गए। 22.80 करोड़ पहल और उज्जवला का लाभ पाने वालों को रसोई गैस सब्सिडी उनके आधार से जुड़े बैंक खातों के जरिये दिए गए। 58.24 करोड़ राशन कार्ड धारकों को भी इससे जोड़ दिया गया है। 10.33 करोड़ मनरेगा कार्ड धारकों को उनकी मजदूरी डीबीटी के जरिये उनके बैंक खातों में जमा किए गए। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम का लाभ पाने वाले 1.93 करोड़ लोगों तथा अन्य को भी लाभ मिल रहा है। इनकम टैक्स विभाग ने 21 करोड़ पैन कार्ड भी उनके आधार नंबरों से जोड़ रखा है।

अब तक 2579 करोड़ प्रमाणीकरण किए जा चुके हैं। हर दिन 2.7 करोड़ प्रमाणीकरण किए जाते हैं। आधार की क्षमता हर दिन 10 करोड़ लेन-देन के प्रमाणीकरण करने की है।

सरकार का अनुमान है कि आधार का इस्तेमाल करके पिछले वर्षों से 18 मार्च 2018 तक 90,000 करोड़ रुपए की बचत हो चुकी है। कई डुप्लीकेट लाभ प्राप्तकर्ता, बिना अस्तित्व वाले लाभ प्राप्तकर्ता और फर्जी लोग बाहर किए जा चुके हैं। वर्ल्ड बैंक की डिजिटल डिविडेंड रिपोर्ट के मुताबिक भारत आधार का इस्तेमाल करके हर साल 77,000 करोड़ रुपए बचा सकता है। आधार से हो रही बचत से आय़ुषमान भारत जैसी तीन योजनाओं के लिए धन मिल सकता है।

ज्यादातर योजनाओं में सीधे लाभ 63.52 करोड़ प्राप्तकर्ताओं के खातों में जाता है जो आधार से 15 दिसंबर 2018 तक जुड़े हैं।

आधार से लगभग 425 करोड़ सब्सिडी का लेन-देन होता है। आधार से कुल सब्सिडी जो जमा की गई है वह 169.868 करोड़ रुपए की है। बिचौलियों की छुट्टी हो जाने से लाभ सीधे बैंक खातो में जा रहा है। यह अद्भुत टेक्नोलॉजी सिर्फ भारत में लागू है। आधार से बचाया गया धन सहजता से कहीं और गरीबों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

आधार गेम चेंजर है। इसका विकास यही कहानी कहता है। यूपीए जिसमें बहुत विरोधाभास और अंतर्विरोध था, आधार के प्रति खास गंभीर नहीं था। इसका श्रेय लेने की बजाय उसके वकील इसे अदालत में चुनौतियां देते रहे और टेक्नोलॉजी- विरोधी तथा आधार-विरोधी दिखते रहे। एक दृढ़ निश्चयी प्रधान मंत्री ने इसे कर दिखाया।

दो लोगों को इसका खास श्रेय जाता है। श्री नंदन नीलेकनि जिन्होंने इसे शुरू किया और डॉक्टर अजय भूषण पाडेय जिन्होंने इसे सही दिशा और विस्तार दिया। उन्होंने इसके खिलाफ आई कानूनी चुनौतियों का मुकाबला करने की सरकारी रणनीति बनाई।

 

           

                                                        

 

 

                                   

 

 

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