Hindi version of article "15 Questions that Expose Congress Party’s Falsehood on Rafale" by Union Minister, Shri Arun Jaitley on 29 August 2018


29-08-2018
Press Release

 

 

15 सवाल जो राफेल पर कांग्रेस पार्टी के झूठ का पर्दाफाश करते हैं

                                                                                -अरुण जेटली

ये सवाल क्यों जरूरी हैं?

भारत के चारों ओर सुरक्षा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए रक्षा तैयारी के उच्चतम मानकों की आवश्यकता है। कारगिल के अनुभव के बाद सशस्त्र बलों और रक्षा मंत्रालय का मानना था कि युद्ध के समय भारतीय वायुसेना की लक्ष्य भेदने की क्षमता में मूलभूत सुधार की जरूरत है। इस जरूरत को पहली बार रक्षा मंत्रालय द्वारा सन् 2001 में दर्ज किया गया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह महसूस किया गया कि भारतीय वायुसेना के पास उपयुक्त हथियारों से लैस सबसे बेहतर एयरक्राफ्ट होने चाहिए। 1 जून, 2001 को तत्कालीन रक्षा मंत्री ने सैद्धांतिक रूप से 126 replacement aircrafts की खरीद की आवश्यकता यानि Acceptance of Necessity  को अपनी मंजूरी दी थी।

यूपीए सरकार के सत्ता में आने के बाद Defence Acquisition Council (DAC) ने 126 मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट्स की खरीद के लिए Acceptance of Necessity (AoN) को अपनी स्वीकृति दी। युद्ध की स्थिति में बिना हथियारों के विमान का कोई उपयोग नहीं होता। यह सिर्फ एक उड़ने वाला इंस्ट्रूमेंट भर रह जाता है। हमारे सैन्य बलों की लड़ाकू क्षमता को यह विमान सिर्फ तभी बढ़ाता है जब इसमें लक्ष्यभेदी हथियार भरे हों। यूपीए सरकार ने 28 अगस्त, 2007 को एक request for proposal (RFP) जारी किया और उसे दो वेंडर मिले - M/s Dassault Aviation और M/s EADS. लेकिन डील पर बातचीत शुरू करने में यूपीए सरकार को 5 वर्ष और लग गए। जनवरी 2012 में Contract Negotiation Committee (CNC) ने Dassault Aviation का नाम L1 बिडर के रूप में तय किया।

27 जून, 2012 को डील को फिर से परखने का निर्देश दिया गया था। इसके कारण क्या थे, यह यूपीए सरकार को ही सबसे बेहतर पता होगा। लेकिन प्रभावी रूप से इसका मतलब था 11 वर्षों की पूरी कवायद का किनारे लग जाना और प्रक्रिया को नए सिरे से आरंभ करना। समय बीतने के साथ भारतीय वायुसेना की ताकत कमजोर पड़ती जा रही थी। यूपीए सरकार के इस धीमे और लापरवाही भरे रुख ने राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों से भी समझौता करने का काम किया था।

एनडीए ने क्या किया

10 अप्रैल, 2015 को भारत सरकार और फ्रांस सरकार ने एक संयुक्त बयान जारी कर बताया कि भारत ने फ्रांस सरकार से 36 राफेल विमान खरीदने का निर्णय किया था। 2007 के L1 बिड को लेकर Dassault ने जो शर्तें बताई थीं, उससे बेहतर शर्तों पर यह समझौता किया गया था। 13 मई, 2015 को DAC ने इस समझौते को अपनी मंजूरी दी और आखिरकार एक विस्तृत प्रक्रिया को पूरा करने के बाद 23 सितंबर, 2016 को इस समझौते पर दस्तखत किए गए।

झूठा अभियान

दो सरकारों के बीच हुए समझौते पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस पार्टी ने असत्य पर आधारित एक फर्जी अभियान चला रखा है। इस अभियान में जो दलीलें मुख्य रूप से दी जा रही हैं वे हैं:

1)     एनडीए सरकार करार की अधिक कीमत दे रही है। 2007 में यूपीए सरकार को Dassault से जो ऑफर मिला था उसके मुताबिक अगर सौदा हुआ होता तो यह कीमत कम होती। 

2)     निर्धारित प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। जैसे Contract Negotiation Committee सौदे की बातचीत में शामिल नहीं रही और डील पर Cabinet Committee on Security (CCS) की मंजूरी नहीं ली गई।

3)     भारत में एक निजी उद्योगपति का फेवर किया गया और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के हित से समझौता किया गया। 

जिन मुद्दों को उठाया गया है वे सब पूरी तरह से झूठ पर आधारित हैं। राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों और उनके जिम्मेदार नेताओं से यह अपेक्षा रहती है कि रक्षा सौदों पर सार्वजनिक बहस में उतरने से पहले वे बुनियादी तथ्यों से खुद को अवगत रखेंगे। कांग्रेस पार्टी और इसके नेता श्री राहुल गांधी इस मामले में तीन प्रकार से दोषी हैं:

1)    यूपीए ने डील में एक दशक से भी ज्यादा विलंब किया। यह निस्संदेह राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता है।

2)    मूल्य निर्धारण और प्रक्रिया को लेकर जो कुछ भी श्री राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने कहा है वो हर तरह से झूठ है।

3)    इन मुद्दों को उठाने का प्रयास रक्षा खरीद में और देरी करना है ताकि भारत की रक्षा तैयारी में और रुकावट बने।

सवाल

इसलिए मैंने कांग्रेस पार्टी और इसके अध्यक्ष से निम्नलिखित सवाल पूछने का निर्णय किया है। इन पर किस तरह के जवाब आ सकते हैं, यह कहने की जरूरत नहीं है। यह भी हो सकता है कि मुद्दो को भटका दिया जाए और झूठ के प्रसार में जुटे राहुल गांधी और उनकी पार्टी मुझसे सत्य को स्थापित करने वाले विशिष्ट तथ्य लेकर आने की मांग करें। कहने की जरूरत नहीं कि मैं गोपनीयता संबंधी नियम से बंधा हूं, जो करार का हिस्सा है और इसलिए मैं जो भी पूछूंगा और कहूंगा, वह एक सीमा से बंधा होगा। श्री राहुल गांधी और उनकी पार्टी से मेरे सवाल इस प्रकार है:

विलंब को लेकर

(1) यूपीए एक ऐसी सरकार थी जो decision- making paralysis की शिकार थी। क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि लड़ाकू विमानों को लेने में एक दशक से अधिक का विलंब यूपीए सरकार की अयोग्यता और अनिर्णय के कारण हुआ?

 

(2) क्या इस विलंब ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ गंभीर रूप से समझौता नहीं किया? क्या हमारी सेनाओं को medium multi-role combat aircraft की आवश्यकता नहीं है जिससे वे लक्ष्यों की सटीक पहचान कर उसे ध्वस्त कर सकें। ऐसा विशेष रूप से तब जब हमारे दो पड़ोसी देशों ने पहले से ही इस क्षेत्र में अपनी क्षमता मजबूत कर रखी है?

 

(3) क्या यूपीए सरकार द्वारा विमानों की खरीद में विलंब और इसे खत्म करने जैसी स्थिति में लाने के पीछे कहीं वैसी ही वजहें तो नहीं थीं जैसा पूर्व में हुए रक्षा सौदों में देखा गया? उदाहरण के लिए 155 मिमी बोफोर्स तोप की खरीद से जुड़ा सौदा।

 

निराधार तथ्य

 (4) ऐसा क्यों हैं कि राहुल गांधी ने इस साल अप्रैल और मई में दिल्ली और कर्नाटक में प्रत्येक विमान की कीमत 700 करोड़ रुपये बताई? संसद में उन्होंने इसे घटाकर 520 करोड़ रुपये कर दिया। रायपुर में उन्होंने इसकी कीमत बढ़ाकर 540 करोड़ रुपये कर दी तो वहीं जयपुर में उन्होंने दो कीमतों का जिक्र किया, एक भाषण में उन्होंने विमान की कीमत 520 करोड़ रुपये बताई, तो दूसरे भाषण में 540 करोड़ रुपये। हैदराबाद में उन्होंने 526 करोड़ रुपये की एक नई कीमत बताई। सत्य का एक रूप होता है, जबकि झूठ के अनेक रूप होते हैं। क्या राफेल विमानों की खरीद से जुड़े तथ्यों को जाने बिना ये आरोप लगाए जा रहे हैं ?

 

(5)क्या राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी को विमानों की कीमत की तुलनात्मक जानकारी है?  क्या राहुल गांधी को 2007 में  L-1 bid  में बताई गई विमान की कीमत के बारे में जानकारी है? क्या उन्हें जानकारी है कि समझौते में एक Escalation Clause भी था, जिसके तहत 2015 में जब एनडीए ने समझौता किया था, तो उससे कीमतें और बढ़ी होंगी?  क्या उन्हें पता है कि जब तक विमानों की आपूर्ति नहीं हो जाती, तब तक Escalation Clause की वजह से कीमतों का बढ़ना जारी रहेगा? क्या इसी अवधि के दौरान रुपये और यूरो के विनिमय दर में आए बदलाव पर विचार किया गया हैं?

 

(6) क्या उन्हें इस तथ्य की जानकारी है कि Escalation Clause के साथ जिस मूल कीमत  पर विमान खरीदा जाना था,  उसकी तुलना में एनडीए ने बेहतर शर्तों के साथ विमान की कीमतों पर समझौता किया है। एनडीए द्वारा किए गए सौदे में विमान की मूल कीमत यूपीए की डील की तुलना में 9 प्रतिशत सस्ती है?

 

(7) क्या श्री राहुल गांधी इससे इनकार कर सकते हैं कि 2007 में यूपीए के समय के एल-1 ऑफर में हथियारों के साथ विमान खरीद की जो कीमत बताई गई थी, वह एनडीए के समय की डील से 20% अधिक है?

 

 (8) क्या श्री राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस तथ्य से इनकार कर सकते हैं कि कुल अनुबंध लागत, जिसमें विमान की मूल कीमत के अलावा हथियार और दूसरे साजोसामान शामिल हैं, उसके लिए एनडीए की शर्तें 2007 में बताई गई यूपीए की शर्तों से ज्यादा अनुकूल हैं?

 

निजी उद्योगों की भूमिका

(9)  क्या श्री राहुल गांधी और कांग्रेस इससे इनकार कर सकते हैं कि राफेल विमान की आपूर्ति के संबंध में भारत सरकार और किसी निजी कंपनी के बीच कोई समझौता नहीं हुआ है? सच्चाई यह है कि 36 राफेल विमानों को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाने के बाद भारत भेजा जा रहा है और इन 36 विमानों से संबंधित कोई भी निर्माण कार्य भारत में नहीं होना है।

 

(10) यूपीए की Offset Policy के तहत प्रावधान था कि कोई भी Original Equipment Manufacturer (OEM) निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र से कितने भी भारतीय भागीदारों का चयन Offset आपूर्ति के लिए कर सकता है? इसका भारत सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए यह कहना कि भारत सरकार द्वारा किसी भी निजी इंडस्ट्री को लाभ पहुंचाया गया है, बिलकुल गलत है। क्या राहुल गांधी और उनकी पार्टी इससे इनकार कर सकते हैं ?

 

प्रक्रिया को लेकर

(10)        क्या श्री राहुल गांधी और उनकी पार्टी इस तथ्य से अवगत हैं कि रक्षा उपकरणों को प्राप्त करने के दो तरीकें हैं- या तो प्रतिस्पर्धी बोली के जरिए या फिर Inter-Governmental Agreement से।

 

(12) क्या श्रीमान गांधी और उनकी पार्टी इस तथ्य को नकार सकते हैं कि यूपीए सरकार ने ही 2007 में राफेल को तकनीक के आधार पर स्वीकार किया और कीमत की प्रतिस्पर्धा में उसे L-1 बिडर के रूप में चुना था?

 

(13)  क्या श्री राहुल गांधी और उनकी पार्टी इस तथ्य से इंकार कर सकते हैं कि रक्षा जरूरतों को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए भारत सरकार और फ्रांस सरकार 36 राफेल विमानों की आपूर्ति को लेकर सहमत हुए? क्या इस सौदे की शर्तें 2007 में यूपीए सरकार के समय की शर्तों से बेहतर नहीं हैं?

 

(14) क्या वे इस तथ्य से इंकार कर सकते हैं कि समझौते पर हस्ताक्षर होने से पहले 14 महीनों तक Price Negotiation Committee और Contract Negotiation Committee ने बातचीत की?

 

(15) क्या इस तथ्य को भी वे नकार सकते हैं कि समझौता होने से पहले, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने इस सौदे को स्वीकृत किया था?

मैं, उपरोक्त प्रश्नों को पूछ रहा हूं और आशा करता हूं कि श्री राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की ओर से तुरंत इनका जवाब मिलेगा।

 

 

 

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