भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी का प्रेस वक्तव्य
अरविंद केजरीवाल दिल्ली के शराब घोटाले के वैसे “प्लेबैक सिंगर” हैं जो सब कुछ परदे के पीछे से तय करते हैं।
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ये इतने अनुभवी हैं कि ये पढ़ते थे, लेकिन लिखते नहीं थे, यानि सारे निर्णय इनके यहां होते थे, लेकिन संबंधित मंत्री से लिखवाते थे।
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पैसे का ट्रेल दिखता है कि किस कंपनी को आपने (केजरीवाल) अपनी नीतियों द्वारा फायदा पहुंचाया और फिर वो ‘मनी ट्रेल’ तो न्यायालय ने काई मौकों पर माना है, जिस वजह से आप जेल में हैं।
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आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भारत के इतिहास के इकलौते मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने जेल जाने के बाद भी अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। यद्यपि न्यायपालिका ने उन्हें केवल विशेष शर्तों के साथ चुनाव प्रचार के लिए छोड़ा था, जिसमें यह भी था कि वे अपने केस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
इसके बावजूद केजरीवाल अपने केस के बारे में जिस तरह से अनर्गल और भ्रामक प्रचार कर रहे हैं, यह आश्चर्यजनक है। कोई व्यक्ति आईआरएस अधिकारी और आईआईटी ग्रेजुएट रहा है और वो कह रहा है कि भौतिक रूप से पैसा दिखना चाहिए ।
महोदय पैसे का ट्रेल दिखता है कि किस कंपनी को आपने (केजरीवाल) अपनी नीतियों द्वारा फायदा पहुंचाया और फिर वो ‘मनी ट्रेल’ तो न्यायालय ने काई मौकों पर माना है, जिस वजह से आप जेल में हैं।
गोवा में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने स्वीकार किया है कि उनके पास पैसा आया है। संदिग्ध रूप से उन्हीं स्रोतों से पैसा आया है, जिन स्त्रोतों को शराब घोटाले का लाभार्थी माना गया है।
केजरीवाल जिस प्रकार का प्रचार कर रहे हैं, उसके लिए हिन्दी में कहावत है कि ‘चोर मचाए शोर’ या ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’।
तकनीकी आधार पर कोर्ट ने इस विषय को माना है, और हाल ही में मनीष सिसोदिया के केस में कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया संदिग्ध थी और बिना कानूनी प्रक्रिया के निर्णय लिया गया।
इन सब के बाद कहने के लिए कुछ बचता ही नहीं है, परंतु एक मामले में यदि प्रधानमंत्री जी ने ये कहा है कि ये अनुभवी हैं तो गलत नहीं कहा है। इतने अनुभवी हैं कि पासवर्ड भी भूल गए और मोबाइल फोन एवं लैपटॉप भी गायब हो गए। ये इतने अनुभवी हैं कि ये पढ़ते थे, लेकिन लिखते नहीं थे, यानि सारे निर्णय इनके यहां होते थे, लेकिन संबंधित मंत्री से लिखवाते थे।
ये उस प्रकार के चोर हैं, जैसे फिल्मों मे प्लेबैक सिंगर होते हैं। आवाज तो उनकी होती है, लेकिन चेहरा किसी और का सामने होता है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के शराब घोटाले के वैसे प्लेबैक सिंगर हैं जो सब कुछ परदे के पीछे से तय करते हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि चोर कितना भी सयाना क्यों न हो, एक न एक दिन उसे कानून के हाथ आना ही होता है।
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