Press statement issued by BJP National Spokesperson Syed Shahnawaz Hussain on 08.06.2020


08-06-2020
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज़ हुसैन का कांग्रेस पर हमला

 

मोदी सरकार ने कांग्रेस की सोनिया-मनमोहन सरकार के समय लूट, घोटाले और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी मनरेगा योजना को प्रभावी और मजदूरों के लिए अधिक उपयुक्त बनाया है

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सोनिया-मनमोहन सरकार ने मनरेगा पर 10 वर्षों में लगभग पौने दो करोड़ रुपये खर्च किये थे (जिसका एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया) जबकि मोदी सरकार के छः वर्षों में अब तक 3.95 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये जा चुके हैं.

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जनता के दिलों में हाशिये पर चल रही कांग्रेस पार्टी को मीडिया में बने रहने के लिए सरकार पर बेबुनियाद आरोप मढ़ने की आदत पड़ गई है, इसलिए बिना किसी तथ्य के किसी भी मुद्दे पर वह विवाद खड़ा करने की कोशिश करती है

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सोनिया गाँधी और कांग्रेस नेताओं को कुछ भी बोलने से पहले आंकड़ों पर गौर फरमाना चाहिए ताकि उन्हें पता चले कि मनरेगा को किस तरह यूपीए कार्यकाल में लूट-खसोट का पर्याय बना दिया गया था

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यूपीए के 10 वर्षों के जमाने में मनरेगा के लिए साल की शुरुआत में मीडिया को दिखाने के लिए जो बजट आवंटित किया जाता था, उसमें भी बाद में कटौती कर ली जाती थी जबकि मोदी सरकार ने उदारता से धन जारी कर  इस  योजना को नया जीवन दिया है

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जनता के दिलों में हाशिये पर चल रही कांग्रेस पार्टी को मीडिया में बने रहने के लिए सरकार पर बेबुनियाद आरोप मढ़ने की आदत पड़ गई है, इसलिए बिना किसी तथ्य के किसी भी मुद्दे पर वह विवाद खड़ा करने की कोशिश करती है. कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी और कांग्रेस नेताओं द्वारा मनरेगा को लेकर बिना मतलब के सरकार पर सवाल खड़े करना दर्शाता है कि कांग्रेस के पास जनता के सरोकार का कोई मुद्दा नहीं है. कांग्रेस को कुछ भी बोलने से पहले आंकड़ों पर गौर फरमाना चाहिए ताकि उन्हें पता चले कि उन्होंने मनरेगा को किस तरह लूट-खसोट का पर्याय बना दिया था.

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार ने कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय लूट, घोटाले और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी मनरेगा योजना को प्रभावी और मजदूरों के लिए अधिक उपयुक्त बनाया है. साथ ही, इसके लिए कृषि क्षेत्र के इतर कार्यों की भी व्यवस्था की गई है. मोदी सरकार ने कांग्रेस की सोनिया-मनमोहन सरकार की तुलना में हर साल मनरेगा के लिए जहां अधिक बजट का प्रावधान किया है, वहीं मजदूरी को भी बढ़ाया है. सच्चे अर्थों में, मोदी सरकार ने मनरेगा को और अधिक पारदर्शी एवं प्रभावी बनाया है. कांग्रेस की सोनिया-मनमोहन सरकार के समय मनरेगा पर 10 वर्षों में लगभग पौने दो करोड़ रुपये खर्च किये गए (जिसका एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया) जबकि मोदी सरकार के छः वर्षों में अब तक 3.95 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये जा चुके हैं.

 

यूपीए के 10 वर्षों के जमाने में मनरेगा के लिए साल की शुरुआत में मीडिया को दिखाने के लिए जो बजट आवंटित किया जाता था, उसमें भी बाद में कटौती कर ली जाती थी जबकि मोदी सरकार ने उदारता से धन जारी कर  इस  योजना को नया जीवन दिया है. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने मनरेगा के लिए 2015-16 में में 37,000 करोड़, 2016-17 में 48,000 करोड़, 2017-18 में 55,000 करोड़, 2018-19 में 61,000 करोड़, 2019-20 में 60,000 करोड़ और 2020-21 में 61,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया. कोरोना महामारी के समय प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए मोदी सरकार ने चालू वित्त वर्ष में बजटीय प्रावधान के अतिरिक्त मनरेगा के लिए 40,000 करोड़ रुपये देने का एलान किया है. इस तरह वर्ष 2020-21 में मनरेगा का बजट कुल एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को भी पार कर गया. इससे 300 करोड़ व्यक्ति कार्य दिवस पैदा करने में मदद मिलेगी और शहरों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों को काम दिया जा सकेगा. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि मोदी सरकार मजदूरों के कल्याण के लिए किस तरह संवेदनशील होकर कटिबद्धता से कार्य कर रही है.

 

कांग्रेस की सोनिया-मनमोहन सरकार के समय यह जुमला आम था कि मनरेगा में हजारों करोड़ रुपए गड्ढा खोदने और फिर उन्हें भरने में बहाए गए। कई अखबारों ने मनरेगा के तहत बड़े गड़बड़झालों को उजागर किया था. कांग्रेस के समय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना यानी मनरेगा पर 10 वर्षों में लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये खर्च किये गए लेकिन हालात ये थे कि सवा-सवा करोड़ के तालाब बने पर तालाब का नामोनिशां था और ही पानी का, सवा-सवा लाख के कुंए बने लेकिन दो फुट भी गहरे नहीं. बीस-बीस लाख की सड़कें बनीं लेकिन वह भी कागजों पर. मृतक लोगों के नाम पर जॉब कार्ड बनवाये गए और बेरोजगार पिसते रहे. ये सोनिया-ममोहन सरकार के समय महालूट की मुकम्मल गाथा के कुछ किस्से भर हैं.   

 

कांग्रेस की सोनिया-मनमोहन सरकार के समय मनरेगा के कार्यों का कोई मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं था जिसके कारण कार्य धरातल पर दिखाई ही नहीं देते थे. कांग्रेस सरकार के समय इस पर अमल दयनीय था. मोदी सरकार ने मनरेगा के तहत कार्यक्रमों की शर्तों में ऐसे बदलाव किए, जिससे मनरेगा के तहत श्रम का बेहतर उपयोग होने लगा। सरकार का जोर भी ऐसे निर्माणों पर है, जिनका लंबी अवधि तक सार्वजनिक उपयोग हो सके। कांग्रेस सरकार के समय एक दिक्कत यह भी थी कि मनरेगा के तहत काम ही नहीं था, इसके लिए कांग्रेस की सरकारों ने दूरदर्शिता भी नहीं दिखाई. विगत वर्ष के बजट में मोदी सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया था जिसके तहत जल संचय की कई योजनाओं की घोषणा की गई थी. मोदी सरकार ने पानी बचाने के अभियान के लिए कुल पांच प्रकार के कार्यों की योजना बनाई थी जिसमें चार कार्यों को मनरेगा के तहत करने की संस्तुति दी गई. इसमें जल संरक्षण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, परंपरागत तालाबों और जलाशयों की मरम्मत, बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर और वृक्षारोपण का काम शामिल है.

 

ग्रामीण विकास विभाग ने कोविड-19 महामारी में मजदूरों के सामने आने वाली समस्या को देखते हुए मजदूरी को 1 अप्रैल से संशोधित कर दिया है. अब इसमें 20 रुपये प्रतिदिन की औसत राष्ट्रीय वृद्धि की गई है. इससे हर राज्य के मनरेगा श्रमिक को अब हर कार्य दिवस में 20 रुपये ज्यादा मिलेंगे. पहली बार मानसून के सीजन में भी मनरेगा के तहत मजदूरों को काम उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है. साथ ही, मोदी सरकार ने मनरेगा के तहत फंड को भी तुरंत रिलीज करने का फैसला किया है. सरकार ने मनरेगा के तहत पूर्व बकाये का भुगतान भी राज्यों को कर दिया है.

 

(महेंद्र पांडेय)

कार्यालय सचिव

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