Salient points of address by Hon'ble Home Minister & senior BJP leader Shri AmitShah in West Bengal after paying tributes to ShahidKhudiram Bose Inbox


19-12-2020
Press Release

 

माननीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह जी द्वारा पश्चिमी मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल) स्थित शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात् दिए गए मीडिया वक्तव्य के मुख्य बिंदु

 

खुदीराम बोस जितने बंगाल के थे, उतने ही पूरे भारत के थे और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जितने उत्तर प्रदेश के थे, उतने ही पश्चिम बंगाल के भी थे।

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हमें देश के लिए मरने का मौका तो नहीं मिला, मगर देश के लिए जीने का मौका जरूर मिला है। हमें वीर शहीद खुदीराम बोस को याद करते हुए उन्हीं के बताये मार्ग पर प्रशस्त होना चाहिए और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एक मजबूत, सशक्त और सुरक्षित भारत का निर्माण करना चाहिए।

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आज मुझे देश की स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले वीर शहीद खुदीराम बोस जी के जन्म स्थान पर आकर यहाँ की पावन मिट्टी को अपने कपाल पर लगाने का सौभाग्य मिला है। स्वतंत्रता संग्राम में पश्चिम बंगाल और बंगाली सपूतों का योगदान भारत कभी भुला नहीं सकता है। खुदीराम बोस इसी परंपरा के वाहक थे। वे ऐसे वीर युवा थे जिनमें केवल 18 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए, हाथ में गीता लिए देश के लिए फांसी के फंदे को चूमने का साहस था। उस वक्त उनकी लोकप्रियता देश भर में इतनी थी कि कुछ बुनकरों ने धोती पर खुदीराम बोस लिखना शुरू कर दिया था और वह धोती बंगाल के युवाओं के लिए आजादी के आंदोलन में प्रेरणा स्रोत का प्रतीक बन गई थी। वंदे मातरम का नारा जो वीर शहीद खुदीराम बोस ने फांसी के फंदे पर चढ़ते हुए बोला था, वह पूरे बंगाल और भारत के युवाओं के लिए आजादी के स्वप्न का नारा बन गया था।

 

यह संयोग ही है कि आज ही के दिन महान देशभक्त पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को फी फांसी दी गई थी। आज इन तीनों वीर शहीदों का शहादत दिवस भी है। उन्होंने अग्रेजों के खिलाफ देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया था। मैं आज उन तीनों वीर शहीदों को भी नमन करता हूँ। 

 

मैं जब बंगाल आया हूं, तो यहाँ आकर, इस भूमि की मिट्टी को सर पर लगा कर एक नई चेतना और नई ऊर्जा का अनुभव कर रहा हूं। मैं आज यहां से देशभर के युवाओं से भी कहना चाहता हूं कि हमें देश के लिए मरने का मौका तो नहीं मिला, मगर देश के लिए जीने का मौका जरूर मिला है। हमें वीर शहीद खुदीराम बोस को याद करते हुए उन्हीं के बताये मार्ग पर प्रशस्त होना चाहिए और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एक मजबूत, सशक्त और सुरक्षित भारत का निर्माण करना चाहिए।

 

जो बंगाल की राजनीति करते हैं, उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि खुदीराम बोस जितने बंगाल के थे, उतने ही पूरे भारत के थे और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जितने उत्तर प्रदेश के थे, उतने ही पश्चिम बंगाल के भी थे। भारत के लिए संघर्ष करने वाले और देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने भी इस प्रकार की ओछी राजनीति की कल्पना नहीं की होगी। कम से कम आज जब इन वीर शहीदों का शहादत दिवस है, तो इस दिन सबको ओछी राजनीति से ऊपर उठ कर आना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है।

 

मैं एक बार पुनः वीर शहीद खुदीराम बोस की शहादत को याद करते हुए उन्हें प्रणाम करता हूं। सालों साल तक उनका सर्वोच्च बलिदान देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा, उन्हें देश के लिए जीने का संकल्प लेने के लिए मजबूर भी करेगा और जिन्होंने संकल्प लिया है, उनके संकल्प को मजबूत भी करेगा। मैं पुनः एक बार उनके परिजनों के चरणों में प्रणाम करके अपनी बात को समाप्त करता हूं।

 

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