Salient points of the joint press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sudhanshu Trivedi (MP) and Shri Pravesh Verma (MP)


द्वारा डॉ. सुधांशु त्रिवेदी -
23-08-2022
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी एवं सांसद श्री प्रवेश साहिब सिंह की संयुक्त प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी एवं सांसद श्री प्रवेश साहिब सिंह ने आज केन्द्रीय कार्यालय में संयुक्त प्रेसवार्ता को संबोधित किया. उन्होंने शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और आबकारी एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर सीधा निशाना साधा.

 

सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि दिल्ली की आबकारी नीति और कट्टर ईमानदारी की कारगुजारी हम बताना चाहते हैं. दिल्ली की आबकारी नीति में नियमों एवं शर्तों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसकी पूरी तरह से अनदेखी की और नियमों का उल्लंघन किया। 

 

सबसे बड़ा नीतिगत विषय यह है कि शराब कारोबार में उत्पादक, होलसेलर एवं वितरक एक ही कंपनी के  नहीं होने चाहिए और ना ही अप्रत्यक्ष रूप में इनमें कोई आपसी संबंध होने चाहिए, क्योंकि इससे बाजार में मोनोपॉली व दुरुपयोग की संभावना बनी रहती है। वास्तविकता यह है कि केजरीवाल सरकार की शराब नीति में उत्पादक, होलसेलर एवं वितरक आपस में जुड़े हुए हैं ।

 

दिल्ली की जनता जानना चाहती है कि जब एक्साईज डिपार्टमेंट ने 25 अक्टूबर 2021 में  दिल्ली सरकार को शराब घोटाले से संबंधित नोटिस दिया तो अरविन्द केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया ने उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की? आखिमनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति की खुली धज्जियां उड़ाते हुए शराब घोटाले को अंजाम होने क्यों दिया? इस मामले में अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को टेक्नीकल जवाब देना चाहिए ना कि पॉलिटिकल।

 

अरविन्द केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया पूरी निर्लज्जता के साथ मीडिया के सामने आकर अपने “कट्टर ईमानदार” होने का दावा तो पेश कर रहे हैं, जबकि इन कट्टर ईमानदारी के स्वयंभू होलसोल कॉपीराइट रखने वालों के शासनकाल में बड़ा शराब घोटाला हुआ.

 

दिल्ली के एक्साईज डिपार्टमेंट ने 25 अगस्त 2021 को नोटिस जारी कर पूछा था कि चेन्नई के एक शराब उत्पादक कंपनी ने शराब वितरण के लिए  एल-1 टेंडर भरा था. एक अन्य कंपनी के माध्यम से उस कंपनी ने जोन नम्बर 4, 22 एवं 23  में कार्टेल बनाकर टेंडर भरा।

 

शराब उत्पादन की एक कंपनी दिल्ली में शराब वितरण करने वाली कंपनियों से जुड़ा है, उसे तीन जोन का लाइंसेंस भी मिल जाता है। इस प्रकार, दिल्ली में नयी आबकारी नीति की धज्जियां उड़ायी गयी।  अन्य तीन शराब कम्पनियां जो उत्पादक हैं, वही कंपनी वितरक कंपनी का शेयर होल्डर भी है.

 

यह भारतीय जनता पार्टी का आरोप नहीं है, बल्कि दिल्ली के एक्साइज डिपार्टमेंट ने दस महीने पहले इस तथ्य को सामने रखते हुए दिल्ली सरकार से पूछा था। इसलिए दिल्ली सरकार यह कह कर बचाव नहीं कर सकती कि उसे कोई जानकारी नहीं थी।

 

अरविन्द केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया ने नई आबकारी नीति में एक सोची समझी रणनीति के तहत बदलाव किया, जो शराब घोटाले के रुप में उभरकर सामने आया है। 

 

भारतीय जनता पार्टी को केजरीवाल और सिसोदिया की तथाकथित “कट्टर ईमानदारी” पर जवाब नहीं चाहिए और ना ही उनकी बिरादरी की जानकारी चाहिए, सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल सरकार द्वारा आबकारी में की गयी “बदकारी” पर जवाब चाहिए। वास्तविकता यह है कि दिल्ली की शराब नीति मामले में आम आदमी पार्टी 'झूठ और भ्रम की उत्पादक, वितरक और विक्रेता, तीनों  है।

 

सांसद श्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी मनीष सिसोदिया से केमिस्ट्री से जुड़ा सवाल पूछती है, तो वे इतिहास का जवाब देते हैं। शिक्षा कम शराब मंत्री मनीष सिसोदिया इस वजह से केमिस्ट्री के सवाल का जवाब नहीं दे रहे क्योंकि दिल्ली के 60 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में केमिस्ट्री की पढ़ाई हो ही नहीं रही है।

 

दिल्ली में होलसेलर शराब माफिया होलसेलर रिटेलर को कमीशन की राशि क्रेडिट नोट के रूप में देते थे, जिसे कैश कर आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के घर पहुंचा दिया जाता था। शिक्षा कम शराब मंत्री सिसोदिया जी न तो क्रेडिट नोट के बारे में कोई जवाब दे रहे और ना ही इसका जवाब दे रहे हैं कि आखिर कमीशन 2 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया?

 

सिसोदिया जी ने दावा किया है कि दिल्ली में दूकानें कम खुलने के कारण शराब से राजस्व कम आया, जबकि आंकड़े उनके दावे को गलत ठहरा रहा है। वर्ष 2019-20 में 10 हजार करोड़ रुपए की शराब बिक्री हुई जबकि 2020-21 में 7,860 करोड़ रुपए की शराब की बिक्री हुई। दिल्ली में नई आबकारी नीति आने के बाद महज 7 महीने में 10 हजार करोड़ रुपए की शराब की बिक्री हुई। यानि कम दूकानें खुलने के बावजदू केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति में डेढ़ गुणा ज्यादा शराब बिकी है। 

 

2019-20 में 4,221 करोड़ रुपए एक्साइज ड्यूटी का संग्रहण हुआ था जबकि 2020-21 में 3,300 करोड़ रुपए का संग्रहण हुआ। दूसरी ओर, नई आबकारी नीति आने से दिल्ली के एक्साइज ड्यूटी संग्रहण में भारी नुकसान हुआ है। नई आबकारी नीति के तहत महज 158 करोड़ रुपए एक्साइज ड्यूटी का संग्रहण हुआ। मनीष सिसोदिया जी इसका जवाब दें कि नई आबकारी नीति के तहत एक्साइज ड्यूटी संग्रहण में लगभग 3,000 करोड़ रुपए और राजस्व में लगभग 3,500 करोड़ रुपए का नुकासन हुआ है या नहीं ? इस प्रकार, नई आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को जो 6,500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, आखिर वो पैसा कहां गया?

 

दिल्ली एक ऐसा राज्य है जहां शराब मंत्री ही शिक्षा मंत्री भी हैं। एक तरफ शिक्षा की बात करते हैं और दूसरी ओर शराब पीने की उम्र घटा देते हैं। शिक्षा कम शराब मंत्री मनीष सिसोदिया का एक वायरल वीडिया हैं जिसमें वे बच्चों को बताते हैं कि परीक्षा की कॉपी खाली नहीं छोड़ना, जवाब न आए तो फिल्म की कहानी लिखा देना। ठीक इसी प्रकार, शराब घोटाले पर जनता को जवाब देने के बदले अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसेदिया सहित उनके नेता आपस में एक दूसरे को भारत रत्न देने और प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने मे लगे हैं।

 

आबकारी नीति के लिए बनायी गई कमिटी की सिफारिश के अनुसार शराब बेचने के लिए स्कीम चलाकर उसे प्रचारित-प्रसारित नहीं कर सकते हैं। केजरीवाल सरकार में शराब की एक पेटी पर एक पेटी मुफ्त देने की स्कीम चलायी गई। परिणाम हुआ कि अन्य राज्य के लोगों द्वारा दिल्ली में आकर शराब की खरीददारी की गई। 

 

नई आबकारी नीति के लिए बनायी गयी कमिटी की यह भी सिफारिश थी कि सरकार के नियंत्रण में बनी एक इकाई के अन्दर ही शराब का होलसेल ऑपरेशन चलाया जाना चाहिए, जैसे कर्नाटक में कर्नाटक स्टेट बीवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (केएसबीसीएल) के तहत होलसेल ऑपरेशन चलाया जाता है।

 

देश की जनता जानना चाहती है कि -:

 

·        आम आदमी पार्टी सरकार ने अब तक इसका आखिर कोई जवाब क्यों नहीं दिया कि एल-1 अर्थात होलसेल का कमीशन 2  प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया?

 

·        जहां एमसीडी का मार्केट नहीं है, वहां शराब दूकानें नहीं खुल सकती हैं, किन्तु वहां भी शराब की दुकानें खोल दी गईं।

 

·        दिल्ली में लगभग 800 शराब दूकानें खोलने का लक्ष्य था यानि जो 800 लोगों को एक-एक दुकान के लाइसेंस देने थे, तो कंपनियों के कार्टेल बनाकर लाइसेंस क्यों दिए गए?

 

कमिटी के सिफारिश के अनुसार, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में भी शराब की मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, होलसेलर, वितरक या रिटेलर एक नहीं होगा। इसके विपरीत, कई ऐसी कंपनियों को लाइसेंस दिए गए गए जो मैन्युफैक्चरिंग के साथ साथ होलसेलर और वितरक भी हैं। शराब कंपनियों के जो 144 करोड़ रुपए माफ कर दिए गए, वह भी कमिटी की सिफारिश के खिलाफ था।

 

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