Salient points of the joint press conference of Hon'ble Union Minister Shri Ashwini Vaishnaw & Shri Kiren Rijiju and Dr. Sudhanshu Trivedi (M.P.)


द्वारा डॉ. सुधांशु त्रिवेदी -
01-07-2024
Press Release

 

केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, श्री किरेन रिजिजू एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी की संयुक्त प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद में सम्पूर्ण हिन्दु समाज को हिंसक और असत्यवादी बताकर, हिन्दु समाज का घोर अपमान किया है।

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राहुल गांधी द्वारा संवैधानिक पद लोकसभा अध्यक्ष के पद के खिलाफ गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी करना बेहद  ही दुखद है : श्री अश्विनी वैष्णव

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कांग्रेस पार्टी ने पहले भी सेना पर सवाल उठाकर, देश को भ्रमित करने का प्रयास किया है। इंदिरा गांधी ने भी संसद, न्याय प्रणाली और नौकरशाही जैसी देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का कार्य किया : श्री अश्विनी वैष्णव

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नए सांसद अपने पहले सत्र में वरिष्ठ सांसदों से सीखते हैं लेकिन 282 नए सांसदों को अपने पहले सत्र में उचित माहौल देखने को नहीं मिला, क्योंकि राहुल गांधी ने संसदीय लोकतंत्र के स्तर को पूरी तरह गिरा दिया : श्री किरेन रिजिजू

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी का ज्ञानवर्धन करना चाहिए और समझाना चाहिए कि भारत की संसदीय गरिमा को कम करें: श्री किरेन रिजिजू

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2010 में तत्कालीन गृह मंत्री श्री पी चिदंबरम और 2013 में पूर्व गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने भी हिंदुओं को आतंकवादी बताकर उनका अपमान किया था: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

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हिंदुओं को हिंसक और असत्यवादी बताना, संसद की बहस के दौरान ईश्वर के चित्रों को सामने रखना और राजनीति को इससे जोड़ना एक नेता प्रतिपक्ष को शोभा नहीं देता। संसद में देवी देवताओं के चित्र प्रस्तुत करना आपत्तिजनक है : डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

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कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पीडब्लूडी मंत्री सतीश जारकीहोली ने भी हिन्दू शब्द को गंदा कहा था: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

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राहुल गांधी ने बहुत सारे ईश्वर का नाम लिया, लेकिन राहुल गांधी ने लोकसभा में ईश्वर के नाम की शपथ क्यों नहीं ली? जब राहुल गांधी ईश्वर के नाम की शपथ नहीं ले रहे हैं और ईश्वर में निष्ठा नहीं रख रहे हैं, तो फिर ईश्वर के चित्र क्यों दिखा रहे हैं?

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, श्री किरेन रिजिजू और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज सोमवार को संसद की लाइब्रेरी में संयुक्त प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य पर जमकर निशाना साधा। श्री वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का चरित्र देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का रहा है। श्री रिजिजू ने कहा कि संसद किसी नेता या परिवार से नहीं, अपितु नियम और व्यवहार से चलता है। राहुल गांधी ने संसदीय लोकतंत्र के स्तर को पूरी तरह गिरा दिया। डॉ त्रिवेदी ने कहा कि संसद में जिस तरह से भगवान शंकर के चित्र को दिखाया जा रहा था, वह बेहद ही आपत्तिजनक था।

 

केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राहुल गांधी ने अयोध्या में मुआवजे पर भी भ्रामक बातें की। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन ने अयोध्या में लोगों को दिए गए मुआवजे के आंकड़े जारी किया हैं। करीब 4215 दुकानदारों को 1253 करोड़ रुपए प्रदान किया गए हैं। इसके अलावा दुकानों का स्थानांतरण में भी प्रशासन ने जनभागीदारी के साथ कार्य किया है। आज संसद में राहुल गांधी ने सम्पूर्ण हिन्दु समाज को हिंसक और असत्यवादी बताकर, हिन्दु समाज का घोर अपमान किया है। कांग्रेस ने यह भी पहली बार नहीं किया है। 2010 में तत्कालीन गृह मंत्री श्री पी चिदंबरम ने हिंदुओं को आतंकवादी कहा था। 2013 में पूर्व गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे जी ने भी हिंदुओं को आतंकवादी बताया था। 2021 में राहुल गांधी ने कहा था कि हिन्दुत्ववादियों को देश से बाहर निकालने को कहा था और आज सम्पूर्ण हिंदुओं को असत्यवादी और हिंसक कहा। राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष के पद की गरिमा को नीचा और कमजोर करने का काम किया है। समूचा देश राहुल गांधी के इस बयान से दुखी है और इस बयान की जितनी निंदा की जाए वह कम है। हिंदुओं को हिंसक और असत्यवादी बताना, संसद की बहस के दौरान ईश्वर के चित्रों को सामने रखना और राजनीति को इससे जोड़ना एक नेता प्रतिपक्ष को शोभा नहीं देता।

 

श्री वैष्णव ने कहा कि हमारी संसदीय व्यवस्था में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी, सुष्मा स्वराज जी और श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी ने कार्य किया है। राहुल गांधी ने सत्ता में रहते हुए भी कोई जिम्मेदारी नहीं ली थी। मगर आज पहली बार कोई जिम्मेदारी संभालने के बाद भी राहुल गांधी ने अति गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य दिए। राहुल जी ने कहा की अग्निवीर योजना में शहीदों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता, मगर इससे बड़ा झूठ हो नहीं सकता है। माननीय रक्षा मंत्री जी ने सदन में अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी को स्पष्ट किया कि अग्निवीर योजना में शहीदों को 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है। राहुल जी को केस स्टडी कर, अपने तथ्यों को दोबारा देखना चाहिए। ऐसा पहली बार नही है जब कांग्रेस ने सेना पर सवाल खड़े किए हो, कांग्रेस पार्टी ने पहले भी सेना पर सवाल उठाए हैं और देश को भ्रमित करने का प्रयास किया है।

 

केंद्रीय मंत्री श्री वैष्णव ने कहा कि राहुल गांधी ने संवैधानिक पद लोकसभा अध्यक्ष के पद पर भी गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की, जो बहुत ही दुखद है। यह भी पहली बार नहीं हुआ, राहुल गांधी ने प्रेस क्लब में स्वयं अपनी पार्टी की गठबंधन सरकार के पारित ऑर्डिनेन्स की प्रति को फाड़ दिया था। यूपीए सरकार के समय देश की संवैधानिक व्यवस्था को कांग्रेस की गैर-संवैधानिक व्यवस्था नेशनल अड्वाइज़री कमेटी (एनएसई) के अध्यक्षा के रूप में सोनिया गांधी चलाती थी। कांग्रेस का चरित्र देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का रहा है। इंदिरा गांधी ने भी संसद, न्याय प्रणाली और नौकरशाही जैसी देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का कार्य किया। राहुल गांधी भारतीय संस्कृति के अनुरूप किए गए व्यवहार को नहीं समझ सकते हैं, क्योंकि उन्हें संस्कृति के बारे में जानकारी ही नहीं है।

 

केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आज संसद के विशेष सत्र में सही तरीके से बहस शुरू हुई, जिसमें राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। कल आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देंगे। 2004 से जब राहुल गांधी कोई पद पर नहीं थे, तो उनके व्यवहार में नाटकीय और मजाक झलकता था। लेकिन आज राहुल गांधी लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं और एक संवैधानिक पद पर हैं, तो हम लोग उम्मीद कर रहे हैं, कि वे परिपक्वता के साथ अपने व्यवहार और आचरण में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। आज राहुल गांधी के भाषण के दौरान जो हमने देखा है, बार-बार पीठासीन अधिकारी की कुर्सी से उन्हें बोला गया कि आप बात करते समय तर्क और पीठ स्पीकर की तरफ न करें, क्योंकि नियमानुसार जब कोई सांसद सदन में बोलता है तो उसकी पीठ, पीठासीन अधिकारी की तरफ नहीं होनी चाहिए। बहस का लेवल इस तरह गिर गया है कि आज से पहले किसी ने इसके बारे में सोचा भी नहीं होगा।

 

श्री रिजिजू ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी, लाल कृष्ण आडवाणी जी, जॉर्ज फर्नांडीस जी और प्रणब मुखर्जी जी से नए सांसद बहुत कुछ सीखते थे। लेकिन राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष होते हुए नए सांसदों के पास सीखने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। नए सांसद अपने पहले सत्र में वरिष्ठ सांसदों से सीखते हैं और 282 नए सांसदों को अपने पहले सत्र में उचित माहौल देखने को नहीं मिला। राहुल गांधी ने संसदीय लोकतंत्र के स्तर को पूरी तरह गिरा दिया। संसद किसी नेता या परिवार से नहीं अपितु नियम और व्यवहार से चलता है। राहुल गांधी ने स्पीकर महोदय को माइक बंद करने, सांसदों को बर्खास्त करने बात करते हैं मगर माननीय राष्ट्रपति के अभिभाषण पर एक शब्द नहीं बोला। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद उनको धन्यवाद प्रेषित किया जाता है और राहुल गांधी ने इस औपचारिकता के लिए एक शब्द नहीं कहा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी का ज्ञानवर्धन करना चाहिए और समझाना चाहिए कि भारत की संसदीय गरिमा को कम करें

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सासंद डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि 20 जनवरी 2013 को तत्कालीन गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने जयपुर में यह कहा था कि भाजपा और आरएसएस की तरफ से हिंसक गतिविधियां और ट्रेनिंग कैम्प चलाए जा रहे हैं। जब सदन पटल पर उनसे इस विषय पर सवाल पूछा गया, तो 20 फरवरी 2013 को सुशील कुमार शिंदे ने खेद व्यक्त किया था। राहुल गांधी को सुशील कुमार शिंदे से सीख लेते हुए खेद व्यक्त करना चाहिए। जब आप सत्ता में थे, तो आपके पास सभी चीजें थी, तब आप गलत हुए तो मतलब आज आप सिर्फ हिन्दू समाज का अपमान नहीं कर रहे हैं, बल्कि सरकार को झूठा सिद्ध कर रहे हैं। राहुल गांधी ने जो बोला है यह आज के समय में कांग्रेस की फितरत बन चुकी है। उन्होंने सम्पूर्ण हिन्दू समाज को हिंसक कहा, कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष, जो इस समय पीडब्लूडी मंत्री है, सतीश जारकीहोली हिन्दू शब्द को गंदा बोल चुके हैं। इनकी भारत जोड़ो यात्रा में जॉर्ज पोन्नैया ने कहा था कि मैं जूते पहनता हूँ ताकि भारत की धरती का स्पर्श न हो जाए। इनके गठबंधन के लोगों ने ही हिन्दू धर्म के नाश और उसकी तुलना कोरोना वायरस के साथ की थी।

 

डॉ. त्रिवेदी ने कहा था कि आज राहुल गांधी ने अभय मुद्रा की बात करते हुए इस्लाम में भी अभय मुद्रा बता दी, जबकि इस्लाम में कोई चित्र नहीं होता है, तो उन्हें अभय मुद्रा कहाँ से दिख गई? डॉ. त्रिवेदी ने राहुल गांधी से सवाल पुच्छे कि उन्हें कोई इल्म हुआ है या ऊपर से कोई ऊपर से कोई फजल हुआ है कि उन्हें अभय मुद्रा दिख गई? संसद में जिस तरह से भगवान शंकर के चित्र को दिखाया जा रहा था, वह बेहद ही आपत्तिजनक था, इसपर लोकसभा अध्यक्ष ने भी कहा था कि जिनको हम पूजते हैं उनके ऐसे चित्र यहाँ प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं। राहुल गांधी शिव जी की तस्वीर दिखा रहे थे और कहते हैं कि हम हिन्दू धर्म की शक्ति से लड़ेंगे, जबकि शिव और शक्ति एक ही हैं। डॉ. त्रिवेदी ने राहुल गाँधी से सवाल पूछे कि राहुल गांधी ने बहुत सारे ईश्वर का नाम लिया, लेकिन राहुल गांधी ने लोकसभा में ईश्वर के नाम की शपथ क्यों नहीं ली? जब राहुल गांधी ईश्वर के नाम की शपथ नहीं ले रहे हैं और ईश्वर में निष्ठा नहीं रख रहे हैं, तो फिर ईश्वर के चित्र क्यों दिखा रहे हैं?  2014 में राहुल गांधी ने शपथ ईश्वर के नाम की ली थी, तो फिर 2014 से 2024 में ऐसा क्या बदल गया कि वे ईश्वर के नाम की शपथ से सत्यनिष्ठा पर गए हैं और फिर सदन के पटल पर ईश्वर के चित्र दिखाने लगे? इसलिए राहुल गांधी को गंभीरता और परिपक्वता के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें और आचरण रखें।

 

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