Salient points of joint press conference of Hon'ble Union Minister Shri Mansukh Mandaviya & BJP National Spokesperson Shri Shehzad Poonawalla


द्वारा श्री मनसुख मंडाविया -
12-04-2022
Press Release

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मांडविया और राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला की संयुक्त प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

भारत सरकार ने जिस तरह से कोविड टीका मैनेजमेंट किया वो अद्भुत है और ये एक नागरिक के रूप में आपके लिए मेरे लिए और देश के लिए गौरव का विषय है.

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पहले स्थिति ये थी कि कुछ अच्छा होता है तो वो दुनिया में ही होता है और उसका भारत में उदाहरण दिया जाता था। लेकिन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में स्थिति अब बिलकुल बदल चुकी है.

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मैं दो दिन पूर्व, जेनेवा में एक Vaccine Global Aliance की बैठक में भाग लेकर आया। दुनिया ने जिस तरह से भारत के कोरोना प्रबंधन और टीकाकरण अभियान को देखा है उससे वे आश्चर्यचकित हैं कि किस तरह से एक दिन में 2.5 करोड़ डोज लगाये गए।

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जिस तरह से इतने बड़े और विविधता वाले भारत देश में कोरोना प्रबंधन कुशलता पूर्वक किया गया, ये कोई छोटी बात नहीं है.

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अपने भारत देश में कभी भी ब्रेन पॉवर और मैन पॉवर की कमी नहीं थी. आज भी दुनिया के सबसे बेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट में दस में तीन रिसर्च फैलो भारत के मिलेंगे. यह हमारी ताकत है और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस ताकत को पहचाना है.

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विगत सौ वर्षों में भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के लिए कोरोना महामारी सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई.

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जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी, उस समय प्रतिदिन विशेषज्ञों के साथ हमारी समीक्षा बैठक होती थी. बैठक में विश्व के प्रमुख शहरों के आंकड़े सामने रखे जाते थे कि कितने लोगों पर वैक्सीन का परिक्षण किया गया, इसमें कितने लोगों पर वैक्सीन का क्या प्रभाव रहा इत्यादि.

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हमारे पास भी कई आंकड़े थे, हमने भी निर्णय लिया कि कोविन जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से हमलोग अपने आंकड़ों का विश्लेषण क्यों नहीं कर सकते?

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आज ICMR की स्टडी पूरे विश्व के लिए प्रभावकारी और प्रेरक साबित हुई है क्योंकि हमने यह स्टडी प्रमाणिक आंकड़ों के साथ तैयार की है.

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विगत सौ वर्षों में भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के लिए कोरोना महामारी सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई.

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जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी, उस समय प्रतिदिन विशेषज्ञों के साथ हमारी समीक्षा बैठक होती थी. बैठक में विश्व के प्रमुख शहरों के आंकड़े सामने रखे जाते थे कि कितने लोगों पर वैक्सीन का परिक्षण किया गया, इसमें कितने लोगों पर वैक्सीन का क्या प्रभाव रहा इत्यादि.

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हमारे पास भी कई आंकड़े थे, हमने भी निर्णय लिया कि कोविन जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से हमलोग अपने आंकड़ों का विश्लेषण क्यों नहीं कर सकते? आज ICMR की स्टडी पूरे विश्व के लिए प्रभावकारी और प्रेरक साबित हुई है क्योंकि हमने यह स्टडी प्रमाणिक आंकड़ों के साथ तैयार की है.

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कोविड-19 प्रबंधन में प्रभावी निगरानी और निरीक्षण के लिए रणनीतिक और नीतिगत स्तर पर नेतृत्व किया गया.

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मुख्यमंत्रियों और राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ नियमित बैठकें की गईं. साथ ही इसके लिए कैबिनेट कमिटी बनाई गई, एक टास्क फ़ोर्स बनाया गया, Empowered Groups और जॉइंट मोनिटरिंग ग्रुप बनाया गया ताकि एक तालमेल के साथ कोरोना महामारी जैसी चुनौती का सामना सफलतापूर्वक किया जा सके.

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पहले दुनिया में वैक्सीन पर रिसर्च होता था तो इसके कम से कम 10 साल बाद भारत में वो वैक्सीन आती थी. आप सोचिये कि अगर स्वदेशी वैक्सीन नहीं बनती तो हमारी क्या हालत होती.

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माननीय प्रधानमंत्री ने दूरदृष्टि अपनाते हुए देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा किया और लॉकडाउन के दौरान जब उन्होंने गरीब कल्याण पैकेज घोषित किया तब देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा जताते हुए कोविड सुरक्षा के अंतर्गत कोरोना टीका विकसित करने के लिए 900 करोड़ रुपये टीका अनुसंधान संस्थाओं को दिए.

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टीका निर्माण के दौरान भी माननीय प्रधानमंत्री जी टीका अनुसंधान केंद्र जाकर वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया.

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16 जनवरी 2021 को देश में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ और उसे बहुत तालमेल के साथ चलाया गया. प्रधानमंत्री जी भी अपनी बारी आने पर ही वैक्सीन लगवाए ।

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टीकाकरण अभियान के दौरान 10 लाख से अधिक हमारे हेल्थकेयर वर्कर इस काम में लगे। उन्होंने रेगिस्तान हो, पहाड़ हो, बर्फ हो या नदी पार करके देश भर में टीकाकरण अभियान चलाया, जो हमारे लिए गर्व की बात है।

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देश में टीका को लेकर विपक्षी पार्टियों ने कई प्रश्न उठाये लेकिन हमने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की नीति को ध्यान में रखकर एक जिम्मेदार देश होने के नाते उन देशों को भी टीके दिए जिन्हें इसकी अति आवश्यकता थी. इतना ही नहीं, हमने 150 से अधिक देशों को उस संकट की घड़ी में दवाईयां भी उपलब्ध कराई.

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दुनिया में 18 साल से अधिक के 97% लोगों को पहली डोज लगाने वाला भारत पहला देश है, 85% लोगो को दूसरी डोज भी लग चुकी है। एहतियाती या बूस्टर खुराक 2.46 प्रतिशत लग चुका है.

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15 से 18 वर्ष के 5.77 करोड़ लोगों को पहली और 3.98 करोड़ लोगों को दूसरी डोज लगाई जा चुकी है। टीकाकरण अभियान में कई माइलस्टोन भी आए जो दुनिया को आश्चर्यचकित करने वाला था.

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टीकाकरण अभियान में 10 दिन ऐसे रहे जब एक ही दिन में 1 करोड़ से ज्यादा टीके लगे. 4 अगस्त 2021 को हमने 50 करोड़, 21 अक्टूबर 2021 में 100 करोड़, 7 जनवरी 2022 में 150 करोड़ और 12 अप्रैल 2022 185 करोड़ टीके लगाये गए, जो हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मांडविया और राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आज पार्टी मुख्यालय में एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया और 7 अप्रैल से 20 अप्रैल तक भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनाई जा रही सामाजिक न्याय पखवाड़ा दिवस के तहत कोरोना टीकाकरण अभियान विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना अभी गया नहीं है, बस डाउन हुआ है. इसलिए हमें पूरी तरह सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है.

 

डॉ मनसुख मांडविया ने कोविड प्रबंधन और कोविड वैक्सीनेशन पर बोलते हुए कहा कि भारत सरकार ने जिस तरह से कोविड टीका मैनेजमेंट किया वो अद्भुत है और ये एक नागरिक के रूप में आपके लिए मेरे लिए और देश के लिए गौरव का विषय है. पहले स्थिति ये थी कि कुछ अच्छा होता है तो वो दुनिया में ही होता है और उसका भारत में उदाहरण दिया जाता था। लेकिन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में स्थिति अब बिलकुल बदल चुकी है. मैं दो दिन पूर्व, जेनेवा में एक Vaccine Global Aliance की बैठक में भाग लेकर आया। दुनिया ने जिस तरह से भारत के कोरोना प्रबंधन और टीकाकरण अभियान को देखा है उससे वे आश्चर्यचकित हैं कि किस तरह से एक दिन में 2.5 करोड़ डोज लगाये गए। जिस तरह से इतने बड़े और विविधता वाले भारत देश में कोरोना प्रबंधन कुशलता पूर्वक किया गया, ये कोई छोटी बात नहीं है. अपने भारत देश में कभी भी ब्रेन पॉवर और मैन पॉवर की कमी नहीं थी. आज भी दुनिया के सबसे बेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट में दस में तीन रिसर्च फैलो भारत के मिलेंगे. यह हमारी ताकत है और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस ताकत को पहचाना.

 

विगत सौ वर्षों में भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के लिए कोरोना महामारी सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई. जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी, उस समय प्रतिदिन विशेषज्ञों के साथ हमारी समीक्षा बैठक होती थी. बैठक में विश्व के प्रमुख शहरों के आंकड़े सामने रखे जाते थे कि कितने लोगों पर वैक्सीन का परिक्षण किया गया, इसमें कितने लोगों पर वैक्सीन का क्या प्रभाव रहा इत्यादि. हमारे पास भी कई आंकड़े थे, हमने भी निर्णय लिया कि कोविन जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से हमलोग अपने आंकड़ों का विश्लेषण क्यों नहीं कर सकते? आज ICMR की स्टडी पूरे विश्व के लिए प्रभावकारी और प्रेरक साबित हुई है क्योंकि हमने यह स्टडी प्रमाणिक आंकड़ों के साथ तैयार की है.

 

कोरोना महामारी की पहली, दूसरी और तीसरी लहर के बीच केंद्र सरकार का समग्र प्रबंधन कैसा रहा, यह जानना सबसे महत्वपूर्ण है. 24 मार्च 2020 को जब भारत में पहली बार लॉकडाउन लगाया गया था तो उसके पीछे प्रमुख वजह यह थी कि उस समय हमारे पास स्वास्थ्य संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी थी, नया वरिएंट था, इसे समझना था, इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इन सभी का विश्लेषण करके किस प्रकार प्रबंधन किया, किस प्रकार इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार की जाए, ये सारी तमाम चुनौतियाँ थीं.  संकट की इस घड़ी में देश के लोगों की घबराहट दूर कर जागरूकता भी लानी थी और हौंसला भी बढ़ाना था.

 

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कोविड-19 प्रबंधन में प्रभावी निगरानी और निरीक्षण के लिए रणनीतिक और नीतिगत स्तर पर नेतृत्व किया गया. मुख्यमंत्रियों और राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ नियमित बैठकें की गईं. साथ ही इसके लिए कैबिनेट कमिटी बनाई गई, एक टास्क फ़ोर्स बनाया गया, Empowered Groups और जॉइंट मोनिटरिंग ग्रुप बनाया गया ताकि एक तालमेल के साथ कोरोना महामारी जैसी चुनौती का सामना सफलतापूर्वक किया जा सके.  

 

पहले दुनिया में वैक्सीन पर रिसर्च होता था तो इसके कम से कम 10 साल बाद भारत में वो वैक्सीन आती थी. आप सोचिये कि अगर स्वदेशी वैक्सीन नहीं बनती तो हमारी क्या हालत होती. माननीय प्रधानमंत्री ने दूरदृष्टि अपनाते हुए देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा किया और लॉकडाउन के दौरान जब उन्होंने गरीब कल्याण पैकेज घोषित किया तब देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा जताते हुए कोविड सुरक्षा के अंतर्गत कोरोना टीका विकसित करने के लिए 900 करोड़ रुपये टीका अनुसंधान संस्थाओं को दिए. टीका निर्माण के दौरान भी माननीय प्रधानमंत्री जी टीका अनुसंधान केंद्र जाकर वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया. 16 जनवरी 2021 को देश में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ और उसे बहुत तालमेल के साथ चलाया गया. प्रधानमंत्री जी भी अपनी बारी आने पर ही वैक्सीन लगवाए । टीकाकरण अभियान के दौरान 10 लाख से अधिक हमारे हेल्थकेयर वर्कर इस काम में लगे। उन्होंने रेगिस्तान हो, पहाड़ हो, बर्फ हो या नदी पार करके देश भर में टीकाकरण अभियान चलाया, जो हमारे लिए गर्व की बात है। देश में टीका को लेकर विपक्षी पार्टियों ने कई प्रश्न उठाये लेकिन हमने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की नीति को ध्यान में रखकर एक जिम्मेदार देश होने के नाते उन देशों को भी टीके दिए जिन्हें इसकी अति आवश्यकता थी. इतना ही नहीं, हमने 150 से अधिक देशों को उस संकट की घड़ी में दवाईयां भी उपलब्ध कराई.

 

दुनिया में 18 साल से अधिक के 97% लोगों को पहली डोज लगाने वाला भारत पहला देश है, 85% लोगो को दूसरी डोज भी लग चुकी है। एहतियाती या बूस्टर खुराक 2.46 प्रतिशत लग चुका है. 15 से 18 वर्ष के 5.77 करोड़ लोगों को पहली और 3.98 करोड़ लोगों को दूसरी डोज लगाई जा चुकी है। टीकाकरण अभियान में कई माइलस्टोन भी आए जो दुनिया को आश्चर्यचकित करने वाला था. टीकाकरण अभियान में 10 दिन ऐसे रहे जब एक ही दिन में 1 करोड़ से ज्यादा टीके लगे. 4 अगस्त 2021 को हमने 50 करोड़, 21 अक्टूबर 2021 में 100 करोड़, 7 जनवरी 2022 में 150 करोड़ और 12 अप्रैल 2022 185 करोड़ टीके लगाये गए, जो हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.    

 

कोरोना वायरस के नए XE वेरिएंट स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि XE वेरिएंट ओमिक्रोन के ab1 और ab2 वेरिएंट का मिश्रित रूप है. भारत में ये वेरिएंट जनवरी में सामने आया था. हालांकि इस वेरिएंट के खतरे का सफलता पूर्वक अध्ययन हो चुका है, ये ओमिक्रोन का ही एक स्वरूप है और हम एहतियात के तौर पर लगातार इस वेरिएंट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, एक बात समझनी होगी कि कोरोना अभी गया नहीं है, बस डाउन हुआ है. इसलिए हमें पूरी तरह सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है. हमने आज अधिकारियों के साथ बैठक की थी और उन्हें निर्देश दिया है कि हर जिले में कम से कम 10 रैंडम टेस्ट हर दिन किया जाना जरूरी है. इनकी जीनोम सिक्वेंसिंग करके रेगुलर काम चलते रहना चाहिए.

 

(महेंद्र कुमार)

कार्यालय सचिव

 

 

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