Salient points of press byte of BJP Senior leader & MP Shri Ravi Shankar Prasad


द्वारा श्री रविशंकर प्रसाद -
27-06-2024
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद श्री रविशंकर प्रसाद का मीडिया बाइट

 

देश में आपातकाल लगाने की घटना को 50 साल हो गए। कल माननीय लोकसभा स्पीकर ने भारत के लोकतंत्र के काले अध्याय की चर्चा की और आज महामहिम राष्ट्रपति जी ने अभी अपने अभिभाषण में इसकी चर्चा की। सबसे घोर आश्चर्य इस बात का है कि 50 साल बाद भी कांग्रेस पार्टी अपने इस पाप को ढो रही है। जिसकी चर्चा होते ही कांग्रेस को तल्खी बढ़ जाती है और वह छटपटाने लगती है।

 

कांग्रेस पार्टी की समस्या क्या है? 1975 में कांग्रेस द्वारा की गयी लोकतंत्र की हत्या पर 50 सालों बाद चर्चा क्यों नहीं की जाए? आज देश को यह बताना जरूरी है कि आपातकाल क्यों लगाया गया था?

 

इलाहबाद उच्च न्यायालय ने राज नारायण की शिकायत पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से सम्बंधित चुनाव याचिका को सुना और इंदिरा गांधी के रायबरेली के चुनाव को निष्क्रिय घोषित कर दिया। इसके बाद इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट गईं और वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। तत्पश्चात इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल लगा दी।

 

आपातकाल में लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, नानाजी देशमुख, मधु दंडवते, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान जैसे सभी नेता गिरफ्तार हुए थे। हम सब जेपी आंदोलन के सिपाही थे और बहुत जवान छात्र थे, हम लोगों ने इसका विरोध किया था। हम लोग जेपी आंदोलन के दौरान मीसा में पहले ही बंद हो गए थे।

 

कुलदीप नैयर जैसे वरिष्ठ संपादकों को भी गिरफ्तार किया गया था, प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई थी, इंडियन एक्स्प्रेस का पब्लिकेशन बंद कर दिया गया था, कोई भी सरकार के विरुद्ध एक भी शब्द लिख या कह नहीं सकता था। देश में हजारों की संख्या में जबरन नसबंदी की गई थी और दिल्ली के तुर्कमान गेट को नेस्तनाबूत कर दिया गया था।

 

मनचाहे फैसले न लेने के कारण सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को सुपरसीड किया गया था। जस्टिस एच आर खन्ना, जिन्होंने एडीएम केस में यह कहा कि आपातकाल के बावजूद लोगों के मौलिक अधिकार निरस्त नहीं किये जा सकते, उनको एक महीने के लिए भी भारत का मुख्य न्यायधीश नहीं बनने दिया गया।

 

आपातकाल के दौरान जेल में राष्ट्रीय स्वयंसेवकों के नाखून निकाल लिए गए और यातनाएँ दी गई, कई लोगों की हिरासत में मौत हुई। किशोर कुमार ने यूथ कांग्रेस के एक कार्यक्रम में गाने से मना कर दिया तो आकाशवाणी के विविध भारती पर उनके गानों को बंद कर दिया गया, यह था आपातकाल का काला अध्याय। कांग्रेस ने इसके लिए आजतक माफी नहीं मांगी और कल जब  आपातकाल के दौरान दिवंगत हुए लोगों की याद में 2 मिनट का मौन रखा गया, तब भी ये लोग परेशान थे।

 

आज मैं डीएमके को बताना चाहूँगा कि करुणानिधि के नेतृत्व वाली सरकार को आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने जबरन बर्खास्त किया था। अखिलेश यादव, स्टालिन, कनीमोझी और तेजस्वी जी इस बात का ध्यान रखें कि उनके पिता भी जेल में बंद थे। लोकतंत्र के काले अध्याय को 50 साल हो गए तो उसपर पीड़ा व्यक्त करना भी पाप है क्या?

 

यही कांग्रेस का इतिहास है. इस पार्टी को न लोकतंत्र में विश्वास, न लोकतांत्रिक परंपराओं में और अगर थोड़ी-सी चर्चा भी कर दी जाये, तो प्रोटेस्ट करने लगते हैं। राहुल गांधी ट्वीट कर रहे हैं और स्पीकर के पास जा रहे हैं। स्पीकर साहब ने बिल्कुल सही काम किया, उन्होंने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया। उन्होंने मात्र उस समय के काले अध्याय को लोकतंत्र से जोड़कर कहा। महामहिम राष्ट्रपति जी ने बिल्कुल सही कहा कि कांग्रेस को उनके ऊपर की गई चर्चा से इतनी चोट लगती है, यह साफ दर्शाता है कि  कांग्रेस पार्टी के इरादे नेक नहीं हैं और संविधान की बात करना मात्र एक छलावा है।

 

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, भाजपा और पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी साफ-साफ कहा है कि देश में अब कभी भी आपातकाल नहीं लगेगा, किसी के भी नागरिक अधिकारों का हनन नहीं होगा। देश को यह भी बताना जरूरी है कि जब 1977 में आम चुनाव हुआ था, तो देश की जनता ऐसी जागी कि इंदिरा गांधी रायबरेली से और संजय गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे और पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस को मात्र एक सीट मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की मिली थी।

 

यह देश का इतिहास है और हमें इस लोकतंत्र पर गर्व है, संविधान की कॉपी लेकर छलावा न करें, हमें गर्व है कि इस देश के अंदर की ताकत ने आपातकाल के काले अध्याय को परास्त किया है और उसके 50 वर्ष पूर्ण होने पर हम उसका स्मरण दिलाएंगे, ताकि ऐसा आगे कभी न हो।

 

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