भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. के. के. शर्मा की प्रेस वार्ता के मुख्य बिन्दु
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. के.के. शर्मा ने आज केंद्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के चार वर्ष के कार्यकाल में लगभग 2000 करोड़ रुपए का शराब घोटाले का आरोप लगाया। उन्होंने
सवाल पूछा कि भूपेश बघेल जिस तरह से ईडी की जांच पर प्रश्न उठा रहे हैं और जांच की आंच अपने तक पहुंचने की बात कर रहे हैं तो क्या यह उनकी आशंका है या भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति है? भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि शराब घोटाले की जवाबदेही लेते हुए भूपेश बघेल मुख्यममंत्री पद से तत्काल इस्तीफा दें।
कांग्रेस पार्टी और उसके शाही परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए डॉ के के शर्मा ने कहा कि कट, कमीशन और करप्शन के बिना कांग्रेस पार्टी रह ही नहीं सकती है। कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार रही हो या वर्तमान में जिन प्रदेशों में कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां कांग्रेस भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी है। कांग्रेस और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्याय बन गए है। ईडी जांच में खुलासा हुआ है कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा की आबकारी विभाग में मनीलॉंड्रिंग एवं भ्रष्टाचार हुए हैं, जो सीएम भूपेश बघेल की सरकार के दौरान 2019 से 2022 के बीच में हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी से सवाल पूछे-
· कांग्रेस पार्टी का अनवर ढेबर से रिश्ता क्या है?
· छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार पर एक प्राईवेट आदमी का अवैध रूप से कब्जा हो गया और मुख्यमंत्री रहते हुए भूपेश बघेल जी को 4 सालों तक पता नहीं चला, क्या ऐसा संभव है?
· आखिर शराब घोटाले के भ्रष्टाचारियों को किसका सरंक्षण प्राप्त था?
· प्रदेश के कांग्रेस सरकार के आबकारी मंत्री और राजस्व मंत्री शराब घोटाले पर मौन क्यों साधे रहे?
· छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में 2000 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार की जवाबदेही किसकी है?
· राहुल गांधी और सोनिया गांधी को जवाब देना होगा कि छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई की लूट की गयी और उनके स्वास्थ के साथ जो खिलवाड़ किया गया, उसका जिम्मेदार कौन है?
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डॉ के के शर्मा ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा कि यह मामला तब उजागर हुआ जब इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) द्वारा दिल्ली, छत्तीसगढ़ एवं पश्चिम बंगाल सहित 35 स्थानों पर सर्च आपरेशन चलाया गया था। इस सर्च आपरेशन के दौरान ईडी को छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से शराब सिंडिकेट चलाने वाले अनवर ढेबर के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले।
· शराब सिंडिकेट का सरगना अनवर ढेबर छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर का भाई है, जो किसी पद पर नहीं रहते हुए राज्य के शासन व प्रशासन में बहुत बड़ा रुतबा रखता है। अनवर ढेबर को कांग्रेस के राजनेताओं और नौकरशाहों का संरक्षण प्राप्त है।
· सभी को मालूम है कि छत्तीसगढ सरकार में शराब कारोबार राज्य सरकार द्वारा संचालित होती है। अर्थात भूपेश बघेल सरकार के अधीन सरकारी इकाई छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) द्वारा शराब के प्रोक्योरमेंट से लेकर खुदरा बिक्री तक की जाती है।
· ईडी जांच के बाद शराब घोटाले का जो पर्दाफाश हुआ है उसके अनुसार अनवर ढेबर राजनीतिक आकाओं की शह पर अधिकारियों की मिलीभगत से छत्तीसगढ़ के शराब कारोबार पर कब्जा कर लिया था। मई 2019 में अनवर ढेबर ने अपने चाहने वालों को छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोशन लिमिटेड के एमडी एवं अन्य प्रमुख पदों पर नियुक्त कराया।
· ईडी के अनुसार सिंडिकेट ने डिस्टिलर्स को निर्देश दिया कि सीएसएमसीएल द्वारा जो भी शराब खरीदी जाएग, उस पर प्रति केस 75 रुपए से 150 रुपए कमीशन देना होगा। शराब के क्वालिटी के अनुसार उसके कमीशन निर्धारित की गयी।
भूपेश बघेल सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए डॉ. के.के. शर्मा ने कहा कि अनवर ढेबर ही छत्तीसगढ़ में शराब की सरकारी खरीद से लेकर बिक्री के हर कार्य तय करने लगा।
· अनवर ढेबर यहां तक तय करने लगा कि डिस्टिलर्स कौन होगा? किसको सप्लाई का लाईसेंस दिया जायेगा? राज्य सरकार के आबकारी विभाग एवं सीएसएमसीएल में कौन कौन से अधिकारी किस स्तर पर नियुक्त होंगे? कौन सी कंपनी मैन पावर सप्लायर होगी? कौन कैश कलेक्शन वेंडर होगा? किस कंपनी से शराब की बोतल बनवायी जाएगी? कौन होलोग्राम मेकर होगा? किससे कितना कमीशन लेना है?
ईडी रिपोर्ट के हवाले से डॉ के के शर्मा ने शराब घोटाले के अनोखे तरीके को उजागर करते हुए कहा कि अनवर ढेबर ने बेहिसाब अवैध देशी शराब बनाने एवं बेचने की एक कुटिल योजना भी बनाई।
· इस योजना के तहत अवैध देशी शराब को बेचने के लिए नकली बोतल बनायी गयी। उस पर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाया। उसके बाद अवैध देशी शराब को सरकारी दुकानों में बेचने के लिए दबाव बनाया गया।
· घोटाले का अनूठा अंदाज यह था कि यह अवैध देशी शराब राज्य के सरकारी गोदामों में नहीं जाता था। अवैध शराब का स्टॉक सीधे शराब की खुदरा सरकारी दुकानों पर पहुंचाया गया और लगभग 800 सरकारी दुकानों से अवैध शराब बेची गयी। अवैध शराब की पूरी बिक्री नगद में की जाती थी और जिसका कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता था। इस अवैध बिक्री पर किसी प्रकार का टैक्स का भुगतान नहीं किया जाता था।
· ईडी की जांच से खुलासा हुआ है कि इन चार वर्षों के दौरान छत्तीसगढ़ में सरकारी दुकानों में कुल बिक्री का 30 से 40 प्रतिशत अवैध देशी शराब की बिक्री की जाती थी। इससे शराब घोटालेबाजों को लगभग 1200 से लेकर 1500 करोड़ रुपए का अवैध मुनाफा हुआ है। इसके अलावा डिस्टिलर्स को लाईसेंस देने में भी अवैध राशि वसूली गयी।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. के.के. शर्मा ने सवाल उठाया कि ईडी जांच के अनुसार शराब घोटाले का एक बड़ा हिस्सा अनवर ढेबर को मिलता था। दूसरा बड़ा हिस्सा अनवर ढेबर द्वारा अपने “राजनीतिक आका” को दिया गया, जो अवैध शराब के कारोबार को राज्यस्तर पर राजनैतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण देता था। सवाल उठता है कि जिस राज्य में शराब की खरीद से लेकर बिक्री तक की जिम्मेदारी सरकारी इकाई के पास है, उसमें कैसे एक प्राइवेट आदमी की मनमानी चल रही थी? यह स्पष्ट करता है कि बिना सरकारी संरक्षण के इतना बड़ा शराब घोटाला संभव नहीं हो सकता है।
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