राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
2002 के गुजरात दंगे में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को बदनाम करने और उनकी सरकार को अस्थिर और बर्खास्त करने का षड़यंत्र कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी के ईशारे पर रची जा रही थी। इसका जवाब सोनिया गाँधी को ही देना होगा, ना कि कांग्रेस के कम्यूनिकेशन प्रमुख जयराम रमेश की सफाई चाहिए।
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धीरे-धीरे, परत दर परत सबकुछ अब खुलकर सामने आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आदेश सुनाते हुए बहुत सख्त टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने श्री नरेन्द्र मोदी जी को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि इस मामले की कार्रवाई पिछले 16 सालो से चल रही है. कुछ ऐसे लोग एक षडयंत्र के तहत जानबुझकर “अल्टीरियर डिजाइन” कर इस मुद्दे को जीवित रखने का काम कर रहे थे.
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अब समय आ गया है इन लोगों पर भी क़ानूनी एवं न्यायिक कार्रवाई हो। कोर्ट की टिप्पणी के आधार पर एसआईटी गठन कर कार्रवाई शुरू हुई और तीस्ता सीतलवाड़, डी शिवकुमार एवं संजीव भट्ट की इस मामले में गिरफ्तारियां भी हुईं।
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एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखा है, जो स्पष्ट करता है कि तीस्ता सीतलवाड़ और कुछ लोग किसी मानवता के लिए नहीं, बल्कि एक राजनीतिक मंसूबे के साथ काम कर रहे थे। उनके दो प्रमुख राजनीतिक मंसूबे थे।
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पहला मंसूबा - जनता द्वारा निर्वाचित गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को अस्थिर एवं बर्खास्त करना।
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दूसरा मंसूबा - तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगे से जोड़कर ऐन-केन- प्रकारेन बदनाम और अपमानित करना। भविष्य में भारतीय जनता पार्टी और देश को नेतृत्व देने की क्षमता रखने वाले श्री नरेन्द्र मोदी को परेशान करने की भी मंशा थी।
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एसआईटी के शपथ पत्र में यह भी खुलासा हुआ है कि इस षडयंत्र के पीछे सोनिया गांधी के मुख्य राजनीतिक सलाहकार और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिवंगत अहमद पटेल थे। सच्चाई यह है कि अहमद पटेल तो सिर्फ एक मोहरा थे, जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया।
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वास्तव में, सोनिया गांधी ने अपने मुख्य राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के माध्यम से गुजरात की छवि को धूमिल करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को घेरने और अपमानित करने की चेष्टा की। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द मोदी की सरकार को बर्खास्त करने की भी कुचेष्टा की गयी। इस पूरे षडयंत्र की रचयिता सोनिया गांधी थी।
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सोनिया गांधी ने अहमद पटेल के माध्मय से इस काम के लिए तिस्ता सीतलवाड़ को पहली किस्त के रूप में 30 लाख रुपए दिए गए। इसके बाद ना जाने कितने करोड़ रुपए सोनिया गांधी ने तीस्ता सीतलवाड़ को दिए ताकि श्री नरेन्द्र मोदी को अपमानित व बदनाम और झूठे षडयंत्र में फंसाया जा सके। सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को राजनीति में प्रमोट करने के लिए तीस्ता सीतलवाड का इस्तेमाल किया।
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एसआईटी के शपथ पत्र में कहा गया है यह राशि कोई गुजरात दंगे के पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए खर्च करना था, किन्तु गुजरात रिलीफ कमिटी के नाम पर डोनेशन में प्राप्त पैसा का इस्तेमाल व्यक्तिगत खर्च के लिए किया गया।
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सोनिया गांधी ने तीस्ता सीतलवाड के षडयंत्रकारी कामों से अति प्रसन्न होकर उन्हें सिर्फ पैसा ही नहीं दिए बल्कि पद्मश्री जैसे सम्मान भी दिया।
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तीस्ता सीतलवाड सोनिया गांधी के किचेन कैबिनेट अर्थात राष्टीय सुरक्षा समिति की एक समर्पित सदस्य थीं। मीडिया रिपोर्टिंग के अनुसार तीस्ता सीतलवाड़ कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा की सीट चाहती थी। सौभाग्यवश 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गयी जिससे उनके मंसूबे पर पानी फिर गया।
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गुलबर्ग सोसायटी के फिरोज खान पठान ने फंड के अनियमित इस्तेमाल के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराया था। फिरोज खान पठान ने आरोप लगाया था कि पैसा तो हम जैसे दंगा पीड़ितों के नाम पर म्यूजियम बनाने के लिए इकट्ठा किया गया था लेकिन सारा पैसा तीस्ता सीतलवाड़ ने अपने ऊपर खर्च कर लिया ।
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गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस मामले में कहा था कि दंगा पीड़ितों के नाम पर इकठ्ठा की गयी राशि को अपने व्यक्तिगत सुख सुविधा के लिए खर्च किया गया न कि दंगा पीड़ितों को राहत देने या म्यूजियम बनाने के लिए।
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गुजरात दंगे को लेकर सिर्फ आलेख, फोटो और इंटरव्यू छपवाने आदि का सिर्फ अभियान चलाया गया। दो एनजीओ ने 2008 के बाद दंगा पीडितों के लिए म्यूजिम बनाने के नाम पर एक अभियान चलाकर बहुत बड़ी राशि इकठ्ठा की। डोनेशन से प्राप्त राशि में सबरंग ट्रस्ट से 44 प्रतिशत और सीजेपी से 35 प्रतिशत राशि व्यक्तिगत बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए, जो करोड़ों में हैं।
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सच्चाई यही है कि इस पूरे षडयंत्र की “ड्राइविंग फोर्स” सोनिया गांधी थीं। कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा और ड्राइविंग फोर्स सोनिया गांधी द्वारा श्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम व अपमानित करने, गुजरात दंगे को लेकर राजनीति करने, छलकपट से भाजपा को बदनाम करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बर्खास्त करने की पूरी कुचेष्टा की गई। इसलिए भारतीय जनता पार्टी सोनिया गांधी से इसका जवाब चाहती है ना कि कांग्रेस के कम्यूनिकेशन प्रमुख जयराम रमेश की सफाई चाहिए।
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पिछले तीन दिनों से पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को लेकर जयराम रमेश मीडिया में कागज पेश करते है और मीडिया “सच की तस्वीर” दिखाकर उन कागजों की धज्जियां उड़ा दे रही है। भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि सोनिया गांधी देश को संबोंधित कर बताएं कि श्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ षडयंत्र क्यों रचा गया ?
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने आज केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में गुजरात दंगे पर दिए गए एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 2002 के गुजरात दंगे में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को बदनाम करने, उनकी सरकार को अस्थिर और बर्खास्त करने का षड़यंत्र कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी के ईशारे पर रची जा रही थी। इसका जवाब सोनिया गाँधी को ही देना होगा, न कि कांग्रेस के कम्युनिकेशन प्रमुख जयराम रमेश द्वारा वक्तव्य जारी कर देने भर से जनता विश्वास कर लेगी।
धीरे-धीरे, परत दर परत सबकुछ अब खुलकर सामने आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आदेश सुनाते हुए बहुत सख्त टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने श्री नरेन्द्र मोदी जी को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि इस मामले की कार्रवाई पिछले 16 सालो से चल रही है. कुछ ऐसे लोग एक षडयंत्र के तहत जानबुझकर “अल्टीरियर डिजाइन” कर इस मुद्दे को जीवित रखने का काम कर रहे थे. अब समय आ गया है इन लोगों पर भी क़ानूनी एवं न्यायिक कार्रवाई हो। कोर्ट की टिप्पणी के आधार पर एसआईटी गठन कर कार्रवाई शुरू हुई और तीस्ता सीतलवाड़, डी शिवकुमार एवं संजीव भट्ट की इस मामले में गिरफ्तारियां भी हुईं।
एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखा है, जो स्पष्ट करता है कि तीस्ता सीतलवाड़ और कुछ लोग किसी मानवता के लिए नहीं, बल्कि एक राजनीतिक मंसूबे के साथ काम कर रहे थे। उनके दो प्रमुख राजनीतिक मंसूबे थे।
पहला मंसूबा - जनता द्वारा निर्वाचित गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को अस्थिर एवं बर्खास्त करना।
दूसरा मंसूबा - तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगे से जोड़कर ऐन-केन- प्रकारेन बदनाम और अपमानित करना। भविष्य में भारतीय जनता पार्टी और देश को नेतृत्व देने की क्षमता रखने वाले श्री नरेन्द्र मोदी को परेशान करने की भी मंशा थी।
एसआईटी के शपथ पत्र में यह भी खुलासा हुआ है कि इस षडयंत्र के पीछे सोनिया गांधी के मुख्य राजनीतिक सलाहकार और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिवंगत अहमद पटेल थे। सच्चाई यह है कि अहमद पटेल तो सिर्फ एक मोहरा थे, जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया। वास्तव में, सोनिया गांधी ने अपने मुख्य राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के माध्यम से गुजरात की छवि को धूमिल करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को घेरने और अपमानित करने की चेष्टा की। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द मोदी की सरकार को बर्खास्त करने की भी कुचेष्टा की गयी। इस पूरे षडयंत्र की रचयिता सोनिया गांधी थी।
सोनिया गांधी ने अहमद पटेल के माध्मय से इस काम के लिए तिस्ता सीतलवाड़ को पहली किस्त के रूप में 30 लाख रुपए दिए गए। इसके बाद ना जाने कितने करोड़ रुपए सोनिया गांधी ने तीस्ता सीतलवाड़ को दिए ताकि श्री नरेन्द्र मोदी को अपमानित व बदनाम और झूठे षडयंत्र में फंसाया जा सके। साथ ही भाजपा को आगे बढ़ने से रोका जा सके। सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को राजनीति में प्रमोट करने के लिए तीस्ता सीतलवाड का इस्तेमाल किया।
एसआईटी के शपथ पत्र में कहा गया है यह राशि कोई गुजरात दंगे के पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए खर्च करना था, किन्तु गुजरात रिलीफ कमिटी के नाम पर डोनेशन में प्राप्त पैसा का इस्तेमाल व्यक्तिगत खर्च के लिए किया गया। सोनिया गांधी ने तीस्ता सीतलवाड के षडयंत्रकारी कामों से अति प्रसन्न होकर उन्हें सिर्फ पैसा ही नहीं दिए बल्कि पद्मश्री जैसे सम्मान भी दिया।
तीस्ता सीतलवाड सोनिया गांधी के किचेन कैबिनेट अर्थात राष्टीय सुरक्षा समिति की एक समर्पित सदस्य थीं। मीडिया रिपोर्टिंग के अनुसार तीस्ता सीतलवाड़ कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा की सीट चाहती थी। सौभाग्यवश 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गयी जिससे उनके मंसूबे पर पानी फिर गया. अन्यथा, ऐसी भी संभावना थी कि तीस्ता सीतलवाड़ आज गृहमंत्री या किसी बड़े पद पर होतीं।
गुलबर्ग सोसायटी के फिरोज खान पठान ने फंड के अनियमित इस्तेमाल के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराया था। फिरोज खान पठान ने आरोप लगाया था कि पैसा तो हम जैसे दंगा पीड़ितों के नाम पर म्यूजियम बनाने के लिए इकट्ठा किया गया था लेकिन सारा पैसा तीस्ता सीतलवाड़ ने अपने ऊपर खर्च कर लिया ।
गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस मामले में कहा था कि दंगा पीड़ितों के नाम पर इकठ्ठा की गयी राशि को अपने व्यक्तिगत सुख सुविधा के लिए खर्च किया गया न कि दंगा पीड़ितों को राहत देने या म्यूजियम बनाने के लिए। गुजरात दंगे को लेकर सिर्फ आलेख, फोटो और इंटरव्यू छपवाने आदि का सिर्फ अभियान चलाया गया। दो एनजीओ ने 2008 के बाद दंगा पीडितों के लिए म्यूजिम बनाने के नाम पर एक अभियान चलाकर बहुत बड़ी राशि इकठ्ठा की। डोनेशन से प्राप्त राशि में सबरंग ट्रस्ट से 44 प्रतिशत और सीजेपी से 35 प्रतिशत राशि व्यक्तिगत बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए, जो करोड़ों में हैं। गरीबों एवं जरूरतमंदो के नाम पर इकठ्ठा की गयी राशि को आरोपियों ने व्यक्तिगत सुख सुविधा पर खर्च किया है, जो बेहद गंभीर आरोप है।
सच्चाई यही है कि इस पूरे षडयंत्र की “ड्राइविंग फोर्स” सोनिया गांधी थीं। कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा और ड्राइविंग फोर्स सोनिया गांधी द्वारा श्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम व अपमानित करने, गुजरात दंगे को लेकर राजनीति करने, छलकपट से भाजपा को बदनाम करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बर्खास्त करने की पूरी कुचेष्टा की गई । इसलिए भारतीय जनता पार्टी सोनिया गांधी से इसका जवाब चाहती है ना कि कांग्रेस के कम्यूनिकेशन प्रमुख जयराम रमेश की सफाई चाहिए। पिछले तीन दिनों से पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को लेकर जयराम रमेश मीडिया में कागज पेश करते है और मीडिया “सच की तस्वीर” दिखाकर उन कागजों की धज्जियां उड़ा दे रही है। भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि सोनिया गांधी देश को संबोंधित कर बताएं कि श्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ षडयंत्र क्यों रचा गया ?
भारतीय जनता पार्टी को एक कार्यकर्त्ता के रूप में धन्यवाद देते हैं कि भाजपा कभी भी बदले की भावना के साथ नहीं, बल्कि धैर्य के साथ काम करती है। करोड़ों साल से कहे जाने वाला कहावत आज एकबार फिर चरितार्थ हो रहा है कि “भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं।“ एसआईटी के शपथ पत्र सहित अदालत के आदेश में सबकुछ स्पष्ट कर दिया है। साबित करता है कि धैर्य रखकर काम किया जाये और बदले की भावना से काम नहीं किया जाए, तो सर्वशक्तिमान ईश्वर साथ देता है और सच्चाई सबके सामने आती है।
महेंद्र कुमार
(कार्यालय सचिव)
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