Salient points of the Press Conference of BJP National Spokesperson Dr. Sambit Patra (MP)


द्वारा श्री संबित पात्रा -
26-06-2024
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॅा संबित पात्रा की प्रेस वार्ता के के मुख्य बिन्दु

 

संविधान बचाओ के नारे लगाने और संविधान की प्रति खरीदकर हाथ में पकड़ने से संविधान की रक्षा नहीं होती है, बल्कि संविधान की प्रति के प्रति हृदय में सम्मान होने से संविधान बचता है।

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 1975 में इंदिरा गांधी ने सत्ता की भूख के लिए देश में आपातकाल लागू किया था और आज राहुल गांधी की इसी सत्ता की भूख के कारण इंडी गठबंधन डगमगा रहा है।

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आज जब 18वीं लोकसभा चल रही होती है, तब लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आपातकाल पर निंदा प्रस्ताव रखा, जिसमें श्री ओम बिरला ने आपातकाल के दौरान जो-जो बाधाएं थीं, उन सभी दिक्कतों को उजागर किया।

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आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने कहा था कि संविधान का कोई आधारभूत तंत्र नहीं है।

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 राहुल गांधी भी यह जानते हैं कि हमारे परिवार ने गलती की है, लेकिन सत्ता की भूख के कारण असमंजस की स्थिति में हैं।

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आपातकाल के दौरान मीसा कानून में परिवर्तन करके प्राकृतिक न्याय को बाधित किया गया था। 1 लाख 40 हजार लोगों को जेल में डाला गया था। लगभग 22 कस्टोडियल डेथ हुई थी।

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आज सदन में लोकतांत्रिक तरीके से स्पीकर का चुनाव किया गया और पूरी कैबिनेट को साथ लेकर चलने की बात आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने की, वहीं 50 साल पहले इंदिरा गांधी ने बिना कैबिनेट की अनुमति के आपातकाल लगाया था।

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 जब 50 वर्ष पहले भारतवर्ष को पता चला था कि इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल लगाया है, तब केवल भारतवर्ष को ही नहीं, बल्कि इंदिरा गाँधी के कैबिनेट को भी आश्चर्य हुआ था, क्योंकि उन्हें भी मालूम नहीं था कि आपातकाल लगा दिया गया है।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व लोकसभा सांसद डॉ. संबित पात्रा ने आज केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कांग्रेस कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा बिना कैबिनेट की सहमति से लगाए गए आपातकाल की कड़ी निंदा करते हुए न्याय के नाम पर संविधान की किताब हाथ में लेकर घूमने वाले राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा।

 

डॉ. पात्रा ने कहा कि आज 26 जून है और आज से 50 वर्ष पहले जब भारत प्रात:काल उठा था, तब भारत के प्रत्येक नागरिक को मालूम पड़ा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया है। इंदिरा गाँधी ने जब देश में आपातकाल लगाया है, तब केवल भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि इंदिरा गाँधी के कैबिनेट को भी आश्चर्य हुआ था, क्योंकि उन्हें भी मालूम नहीं था कि आपातकाल लगा दिया गया है। इंदिरा गाँधी ने 25 और 26 जून के मध्यरात्रि के आस पास चिट्ठी भेजकर, बिना अपने कैबिनेट की सहमति के, राष्ट्रपति से हस्ताक्षर करवाए, अगले दिन कैबिनेट की बैठक हुई और पोस्ट फैक्टो पर मोहर लगाने का काम इंदिरा गांधी द्वारा अपनी कैबिनेट से करवाया गया।

 

सांसद डॉ. पात्रा ने कहा कि एक तरफ लोकतांत्रिक तरीके से सदन में स्पीकर का चुनाव किया जाता है और आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा पूरी कैबिनेट को साथ लेकर चलने की बात की जाती है, वहीं दूसरी तरफ आज से 50 वर्ष पहले बिना कैबिनेट की अनुमति के इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगा दिया जाता है। आज के लोकसभा की इस प्रक्रिया ने सबको एक सीख दी है। उन्होंने कहा कि श्री ओम बिरला जी ने आपातकाल पर निंदा प्रस्ताव रखते हुए, आपातकाल के दौरान जो-जो विघ्न बाधाएं थीं, उन सब दिक्कतों को उजागर किया और उन्होंने बताया कि कैसे मीसा कानून में परिवर्तन करके नैचुरल जस्टिस को बाधित किया गया था। 1 लाख 40 हजार लोगों को जेल में डाला गया था। लगभग 22 कस्टोडियल डेथ हुई थीं। जिन लोगों को जेल में डाला था, उनमें अटल बिहारी वाजपेयी, श्री लालकृष्ण आडवाणी समेत भारतीय जनसंघ के नेता के नाम शामिल है। चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, देवीलाल, एम. करुणानिधि, एम के स्टालिन, शरद यादव और आज धन्यवाद प्रस्ताव रखने वाले टी. आर. बालू जी भी आपातकाल में जेल गए थे।

 

डॉ. पात्रा ने कहा कि विडंबना है, जैसे ही श्री ओम बिरला जी आपातकाल पर निंदा प्रस्ताव रखते हैं, वैसे ही कांग्रेस नेता सदन में खड़े हो जाते हैं और हो-हल्ला करने लगते हैं कि ये अलोकतांत्रिक है, कौन सी इमरजेंसी? कांग्रेस नेता सदन छोड़कर भाग रहे थे, लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता बैठे हुए थे। राहुल गांधी जी उठें या न उठें, चिल्लाएं या न चिल्लाएं, वो एक बार अखिलेश यादव जी को देखें और एक बार अपने लोगों को देखें। ऐसी परिस्थिति तब उत्पन्न होती है, जब आप अन्यायी होते हैं और कांग्रेस पार्टी न्यायवान दिखने की कोशिश करती है। राहुल गाँधी द्वारा संविधान की प्रति हाथ में पकड़ने से संविधान नहीं बचता है। संविधान की प्रति के प्रति हृदय में सम्मान होने से संविधान बचता है।

 

सांसद डॉ. पात्रा ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल के दौरान संविधान में कई बार संशोधन किये गए। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा देश में 42वां संविधान संशोधन लाया गया, जो भारत के इतिहास में सबसे गलत निर्णय था, जिसके माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया था। देश में किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होने पर सर्वोच्च न्यायालय कोई दखल नहीं दे सकता था, प्रेस की स्वतंत्रता छीन ली गई थी।

 

भारत के संविधान की एक आधारभूत संरचना है, जिसे मौलिक अधिकार कहते हैं। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने कहा था कि संविधान का ऐसा कोई आधारभूत तंत्र नहीं है और संविधान के आधारभूत ढांचे को बदला जा सकता है। जो लोग भारत के संविधान को हाथ में पकड़ कर कल शपथ ले रहे थे, आज वह असमंजस में दिख रहे थे, जब समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद उनका साथ नहीं दे रहे थे। आज सदन के अंदर परिस्थिति देखने लायक थी, जब माननीय श्री ओम बिरला ने कहा कि जो लोग आपातकाल में जेल गए थे और जिन परिवारों की क्षति हुई है, उन सभी परिवारों के प्रति संवेदशीलता दिखाते हुए मौन रखेंगे, तब भी कांग्रेस पार्टी के लोग हुड़दंग मचा रहे थे, नारेबाजी कर रहे थे, लेकिन अन्य विपक्षी दलों के नेता शांतिपूर्वक खड़े थे, तब विपक्षी दलों के इन नेताओं को देखकर राहुल गांधी को असमंजस की स्थिति में खड़े होना पड़ा। 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भ्रष्ट चुनावी प्रक्रिया के मामले में इंदिरा गांधी केस हार गई थी, लेकिन सत्ता की भूख के लिए  देश में आपातकाल लागू किया था और आज राहुल गांधी की इसी सत्ता की भूख के कारण इंडी गठबंधन डगमगा रहा है। राहुल गांधी भी यह जानते हैं कि उनके परिवार ने गलती की है, लेकिन सत्ता की भूख के कारण असमंजस की स्थिति में हैं।

 

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