Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr Sudhanshu Trivedi


द्वारा डॉ. सुधांशु त्रिवेदी -
20-06-2022
Press Release

 

भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी की प्रेसवार्ता के मुख्य बिंदु

 

मई 2014 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश की जनता ने जो जनादेश दिया था, वो सिर्फ सरकार बदलने के लिए नहीं बल्कि एक विचार, मानसिकता और युग बदलने के लिए था। भारत दुनिया का शायद इकलौता देश होगा जिसका व्यापक सांस्कृतिक प्रभाव पूरे विश्व में पड़ता रहा है।

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देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव वर्ष मन रहा है और पिछले दो सालो से कोरोना की वजह से योग दिवस का आयोजन उस रुप में नहीं हो पाया, जैसा अपेक्षित था।

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इसलिए, भारतीय जनता पार्टी कल अंतराष्ट्रीय योग दिवस को व्यापक और विराट रूप में आयोजित करने जा रही है.

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चूँकि देश आजादी का 75वां वर्ष मन रही है, इसलिए भाजपा के नेता एवं कार्यकर्त्ता द्वारा देश के 75 हजार स्थानों पर अंतरराष्टीय योग दिवस मनाया जाएगा। इस वर्ष के योग दिवस पर उसका थीम है ‘मानवता के लिए योग’।

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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर कल मैसूर में रहेंगे और मैसूर पैलेस ग्राउंड में योग करेंगे।

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नडडा जी कल नोयडा स्टेडियम में रहेंगे और वहां योग करेंगे। भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष, जन प्रतिनिधि और पार्टी के पदाधिकारी देश के विभिन्न स्थानों पर योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

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केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनने के ठीक बाद, 27 सितंबर 2014 को ही अंतरराष्टीय योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट में रखा गया.

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भारत का विश्व पर सौम्य सांस्कृतिक प्रभाव के साथ साथ हमारी कूटनीतिक सफलता का भी यह प्रमाण था कि संयुक्त राष्ट के 193 देशों में 177 देश इसके समर्थक ही नहीं बल्कि सह प्रस्तावक बने। संयुक्त राष्ट के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में प्रस्तावक बनने का यह एक रिकार्ड है।

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भारत के राजनैतिक इतिहास में भाषाई मर्यादा को निम्नतम स्तर पर ले जाने की शुरुआत आज से 15 साल से पूर्व, 2007 में, गुजरात विधान सभा चुनाव के समय, सोनिया गाँधी जी ने ‘मौत का सौदागर’ जैसे अपशब्द का इस्तेमाल किया था जबकि सोनिया जी उस समय केंद्र में सत्ताधारी दल और गठबंधन की नेता थीं.

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इसके बाद से लगातार माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए घृणा और वैमनस्य में मर्यादा की सारी सीमाएं लांघी गईं जिसमें उनके लिए निकृष्ट से निकृष्टतम और जातिसूचक शब्दों का उपयोग एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया.

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2014 के लोकसभा चुनाव में जिस नेता ने प्रधानमंत्री मोदी जी के लिए बोटी बोटी काट दूंगा जैसे अपशब्द का इस्तेमाल किया था, उस समय वह कांग्रेस का नेता नहीं बल्कि सपा का नेता था. इस बयान के अगले दिन राहुल जी उनके लिए प्रचार करने भी गए और बाद में बोटी बोटी काट देने वाला बयान देने वाले नेता को कोटि कोटि नमन करते हुए राहुल जी उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर उत्तर प्रदेश कांग्रेस का उपाध्यक्ष भी बना दिया. 

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कुछ दिन पहले कांग्रेस के एक नेता ने माननीय प्रधानमंत्री जी के मृत्यु की कामना अत्यंत घृणित संज्ञा के साथ की लेकिन कांग्रेस ने उसके लिए कोई कार्रवाई नहीं की. कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय का भी बयान अनायास नहीं बल्कि उसी निम्न मानसिकता का प्रतीक है.

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प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रति घृणा में आकंठ डूब कर मर्यादा की समस्त सीमाओं को ध्वस्त करते हुए कांग्रेसी नेताओं द्वारा तकरीबन 80 से अधिक बार गाली या समकक्ष मर्यादाहीन शब्दों का प्रयोग किया है, इसके पूर्ववर्ती रिकार्ड भी उपलब्ध है.

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शायद इसलिए देश की जनता ने उनकी यह स्थिति पहुंचायी है कि वे 136 साल में सबसे बुरे दौर मे है। कांग्रेस पार्टी जितने निम्नतम स्तर पर जाए लेकिन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का देश के प्रति कार्य करने का संकल्प है और उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की जो प्रतिबद्धता है, उसमे कोई कमी नहीं आने वाली है, हम देश सेवा में आगे बढ़ते रहेंगे.

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भारतीय जनता पार्टी इस बात का जवाब चाहती है कि कांग्रेस नेता अबू हुसैन द्वारा माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए नागपुर में दिया गया बयान और आज सुबोध कांत सहाय द्वारा दिया गया बयान, जिसमें सीधे सीधे प्रधानमंत्री जी के लिए हिंसा और मृत्यु की कामना जैसे शब्दों का प्रयोग किया है, उसके लिए कांग्रेस ने अब तक क्या कार्रवाई की है?

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कांग्रेस नेतृत्व ने अब तक इसके लिए किसी नेता के खिलाफ क्या कोई अनुशासनात्मक काररवाई की है? इसका जवाब चाहिए.

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किसी की मृत्यु का आह्वान करते हैं तो क्या यह प्रत्यक्ष हिंसा नहीं है? यदि इसके बाद भी गांधी के स्वघोषित, स्वयंभू, होलसोल कॉपीराईट होल्डर्स को इसमें कोई हिंसा नजर नहीं आती है, तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि फिर उनके हिसाब से गांधीवाद की परिभाषा क्या है?

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने आज केन्द्रीय कार्यालय में 21 जून को आयोजित होने वाले 8वें अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव वर्ष मन रहा है और पिछले दो सालो से कोरोना की वजह से योग दिवस का आयोजन उस रुप में नहीं हो पाया, जैसा अपेक्षित था। इसलिए, भारतीय जनता पार्टी कल 8वां अंतराष्ट्रीय योग दिवस को व्यापक और विराट रूप में आयोजित करने जा रही है. चूँकि देश आजादी का 75वां वर्ष मन रही है, इसलिए भाजपा के नेता एवं कार्यकर्त्ता द्वारा देश के 75 हजार स्थानों पर अंतरराष्टीय योग दिवस मनाया जाएगा।

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि मई 2014 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश की जनता ने जो जनादेश दिया था, वो सिर्फ सरकार बदलने के लिए नहीं बल्कि एक विचार, मानसिकता और युग बदलने के लिए था। भारत दुनिया का शायद इकलौता देश होगा जिसका व्यापक सांस्कृतिक प्रभाव पूरे विश्व में पड़ता रहा है।

 

पूरब में इंडोनेशिया देश की बात की जाए, तो निशिया एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ होता है द्वीप और इंडो का अर्थ भारतीय यानि इंडोनेशिया का अर्थ हुआ भारतीय द्वीप। इसी प्रकार, पश्चिम में कोलम्बस भारत की खोज करते करते गलती से अमेरिका पहुंच गए और वहां के मूल निवासियो को इंडियन कहा, जिसे आज रेड इंडियन के नाम से जाना जाता है। भारत का दुनिया पर इतना व्यापक सांस्कृतिक प्रभाव होने के बावजूद, दुर्भाग्यवश आजादी के बाद लंबे समय तक कभी इसका समुचित प्रयोग नहीं किया गया।

 

केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनने के ठीक बाद, 27 सितंबर 2014 को ही अंतरराष्टीय योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट में रखा गया. भारत का विश्व पर सौम्य सांस्कृतिक प्रभाव के साथ साथ हमारी कूटनीतिक सफलता का भी यह प्रमाण था कि संयुक्त राष्ट के 193 देशों में 177 देश इसके समर्थक ही नहीं बल्कि सह प्रस्तावक बने। संयुक्त राष्ट के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में प्रस्तावक बनने का यह एक रिकार्ड है। धर्म, मत, संप्रदाय और जाति से अलग हटकर विश्व के देशों द्वारा अंतराष्ट्रीय योग दिवस का समर्थन किया गया. आज 200 से अधिक देशों में अंतरराष्टीय योग दिवस को स्वीकार किया गया है और यह माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक शक्ति के उद्भव के सफल प्रयोग का ही परिणाम है।

 

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर कल मैसूर में रहेंगे और मैसूर पैलेस ग्राउंड में योग करेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नडडा जी कल नोयडा स्टेडियम में रहेंगे और वहां योग करेंगे। भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष, जन प्रतिनिधि और पार्टी के पदाधिकारी देश के विभिन्न स्थानों पर योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

 

इस वर्ष के योग दिवस पर उसका थीम है ‘मानवता के लिए योग’। भारतीय सभ्यता ही एकमात्र ऐसी सभ्यता है जो सिर्फ मानवता ही नहीं, बल्कि देवता तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करती है। योग हमारे शारीरिक व्यायाम के साथ साथ शरीर की विभिन्न ऊर्जाओं के योग से लेकर आंतरिक आत्म शक्ति तक का मार्ग प्रशस्त करता है। इसलिए इस बार का थीम ‘मानवता के लिए योग’ रखा गया है। हमें विश्वास है कि पिछले आठ वर्षो में जिस सफलता के साथ अंतराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन हुआ है, कल का आयोजन भी उसी सफलता के साथ होगा. भारतीय जनता पार्टी देश की आम जनता से आग्रह करती है कि कि वे भी योग दिवस कार्यक्रम में शामिल हों। व्यक्तिगत स्वास्थ्य, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य में बेहतर संतुलन के लिए भी योग आवश्यक है और भारत की इस महान सांस्कृतिक धरोहर के लिए हम सभी को गर्व करना चाहिए।

 

दूसरी ओर, विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस पार्टी द्वारा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति लगातार इस्तेमाल किये जा रहे अपशब्दों पर राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि  भारत के राजनैतिक इतिहास में भाषाई मर्यादा को निम्नतम स्तर पर ले जाने की शुरुआत आज से 15 साल से पूर्व, 2007 में, गुजरात विधान सभा चुनाव के समय, सोनिया गाँधी जी ने ‘मौत का सौदागर’ जैसे अपशब्द का इस्तेमाल किया था जबकि सोनिया जी उस समय केंद्र में सत्ताधारी दल और गठबंधन की नेता थीं. इसके बाद से लगातार माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए घृणा और वैमनस्य में मर्यादा की सारी सीमाएं लांघी गईं जिसमें उनके लिए निकृष्ट से निकृष्टतम और जातिसूचक शब्दों का उपयोग एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में जिस नेता ने प्रधानमंत्री मोदी जी के लिए बोटी बोटी काट दूंगा जैसे अपशब्द का इस्तेमाल किया था, उस समय वह कांग्रेस का नेता नहीं बल्कि सपा का नेता था. इस बयान के अगले दिन राहुल जी उनके लिए प्रचार करने भी गए और बाद में बोटी बोटी काट देने वाला बयान देने वाले नेता को कोटि कोटि नमन करते हुए राहुल जी उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर उत्तर प्रदेश कांग्रेस का उपाध्यक्ष भी बना दिया. 

 

कुछ दिन पहले कांग्रेस के एक नेता ने माननीय प्रधानमंत्री जी के मृत्यु की कामना अत्यंत घृणित संज्ञा के साथ की लेकिन कांग्रेस ने उसके लिए कोई कार्रवाई नहीं की. कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय का भी बयान अनायास नहीं बल्कि उसी मानसिकता का प्रतीक है. प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रति घृणा में आकंठ डूब कर मर्यादा की समस्त सीमाओं को ध्वस्त करते हुए कांग्रेसी नेताओं द्वारा तकरीबन 80 से अधिक बार गाली या समकक्ष मर्यादाहीन शब्दों का प्रयोग किया है, इसके पूर्ववर्ती रिकार्ड भी उपलब्ध हैं. शायद इसलिए देश की जनता ने उनकी यह स्थिति पहुंचायी है कि वे 136 साल में सबसे बुरे दौर मे है। कांग्रेस पार्टी जितने निम्नतम स्तर पर जाए लेकिन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का देश के प्रति कार्य करने का संकल्प है और उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का जो समर्पण है, उसमे कोई कमी नहीं आने वाली है, हम देश सेवा में आगे बढ़ते रहेंगे.

 

कांग्रेस पार्टी द्वारा माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए जितना भी निम्तम और नफ़रत भरे शब्दों का इस्तेमाल किया गया लेकिन पिछले आठ सालों में प्रधानमंत्री मोदी जी को उतरोत्तर देश की जनता का आशीर्वाद मिलता रहा. भारतीय जनता पार्टी को इस बात का जवाब चाहिए कि कांग्रेस नेता अबू हुसैन द्वारा माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए नागपुर में दिया गया बयान और आज सुबोध कांत सहाय द्वारा दिया गया बयान, जिसमें सीधे सीधे प्रधानमंत्री जी के लिए हिंसा और मृत्यु की कामना जैसे शब्दों का प्रयोग किया है, उसके लिए कांग्रेस ने अब तक क्या कार्रवाई की है? कांग्रेस नेतृत्व ने अब तक इसके लिए किसी नेता के खिलाफ क्या कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की है? इसका जवाब चाहिए. किसी की मृत्यु का आह्वान करते हैं तो क्या यह प्रत्यक्ष हिंसा नहीं है? यदि इसके बाद भी गांधी के स्वघोषित, स्वयंभू, होलसोल कॉपीराईट होल्डर्स को इसमें कोई हिंसा नजर नहीं आती है, तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि फिर उनके हिसाब से गांधीवाद की परिभाषा क्या है?

 

 

महेंद्र कुमार

 

(कार्यालय सचिव)

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