Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sudhanshu Trivedi


द्वारा डॉ. सुधांशु त्रिवेदी -
11-07-2022
Press Release

 

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की एनडीए  सरकार जहां एक ओर विकास के नए सोपान छू रही है, वहीँ दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें जब तक विकास कार्यों में विघ्न डालने का मौका नहीं मिलता, उन्हें असुविधा होने लगती है. कांग्रेस इसी विघ्न संतोषी मनोवृत्ति वाली पार्टी है.

 

भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार, परिवारवाद और घातक तुष्टिकरण से भरे हुए अल्पसंख्यकवाद के युग प्रवर्तक और सभी तथाकथित सेक्युलर दलों के पथ प्रदर्शक कांग्रेस पार्टी यदा कदा प्रवचन की मुद्रा में रहती है और किसी न किसी प्रकार से निराधार आरोप लगाने की चेष्टा करती रहती है।

 

कांग्रेस पार्टी देश की एक मात्र ऐसी राजनीतिक पार्टी है जिसकी वर्तमान अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष, दोनों ही, नेशनल हेराल्ड केस में बेल पर है। नेशनल हेराल्ड केस में 90 करोड़ रुपये का  ऋण था। ये ऋण कांग्रेस पार्टी का वो संगठन नहीं चुका सका, जिसके तीन तीन अखबार चलते थे और केंद्र में कांग्रेस की सरकार भी थी। यदि कांग्रेस ने 30-30 करोड़ रुपये की सहायता पहुंचायी होती, तो वे आसानी से ऋण मुक्त हो सकते थे। मजे की बात यह है कि राजीव गांधी फांउडेशन को उसी समय, सरकारी और अन्य माध्यमों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता पहुंचाई गयी ।

 

क्या यह बात असहज नहीं है कि राजीव गाँधी फाउंडेशन जैसी उनकी निजी संस्था को सरकारी विभागों से सहायता मिलती रही.  प्रधानमंत्री रिलीफ फंड से लगातार तीन बार, वर्ष 2005-06, 2006-07 और 2007-08 में राजीव गांधी फांडडेशन को आर्थिक सहायता दिलाई गई। इतना ही नहीं, चीन के दूतावास से भी राजीव गांधी फांउडेशन को आर्थिक सहयोग मिलने के समाचार आए। भारत के बहुत बड़े खलनायक जाकिर नाईक से भी संस्था ने आर्थिक सहायता लेने वाली थी लेकिन बात सार्वजनिक होने पर संस्था ने अपने कदम वापस खींच लिया। इतनी सारी आर्थिक सहायता राजीव गांधी फाउंडेशन को कांग्रेस नेता दिला सकते थे, तो स्वतंत्रता संग्राम के समय की संस्था नेशनल हेराल्ड को क्यों नहीं ? जबकि वह समाचार पत्र था और विज्ञापन देने के लिए अधिकृत थे। इसका अर्थ है कि कांग्रेस की मंशा इधर भी धन संचित करने की थी और उधर ऋण की आड़ में भी बहुत बड़ी संपत्ति पर अपना अधिग्रहण करना था। इस प्रकार, यह दो तरफा भ्रष्टाचार का उदाहरण बनता है।

 

भारत में पहली बार प्रधानमंत्री सीधे भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे तो वह कांग्रेस के ही प्रधानमंत्री थे स्वर्गीय राजीव गांधी, जिनपर बोफोर्स घोटाले का आरोप लगा। भारत में पहली बार किसी पूर्व प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में कोर्ट आफ लॉ में खड़ा होना पड़ा तो वे थे कांग्रेस के पी वी नरसिम्हा राव। पहली बार इस देश में एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर बना, जिनके दौर में घोर भ्रष्टाचार हुआ तो वो थे कांग्रेस के डॉ मनमोहन सिंह। कांग्रेस के वर्तमान और पूर्व अध्यक्ष भ्रष्टाचार के आरोप में आज बेल पर हैं। क्या ये स्थिति कांग्रेस को किसी भी प्रकार का नैतिक आधार देती है कि वो देश के विषय में कुछ बोल सकें? सुरेन्द्र चन्द्र बनर्जी, व्योमेश चन्द्र बनर्जी, महादेव राणाडे, फिरोजशाह मेहता, लोकमान्य तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय और सरदार पटेल वाली कांग्रेस आखिर आज कहां खड़ी है ? बेबुनियाद और अनर्गल आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को अपनी खिसकती हुई जमीन और अपने ज़मीर को देखना चाहिए.

 

महेंद्र कुमार

 

(कार्यालय सचिव)

 

 

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