भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
हार की निश्चितता से विक्षिप्त हुआ विपक्ष अब भाजपा पर 150 डीएम को फोन करने का झूठा आरोप लगा रहा है जबकि निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रमाण पेश नहीं कर पा रहा है।
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पहले कांग्रेस का नारा था “सारे भारत से नाता है और सरकार चलाना आता है ” लेकिन अब जनता ने बता दिया है कि सरकार चलाना किसे आता है इसीलिए इनका नारा बदल कर हो गया है- “लोकतंत्र नहीं सुहाता है, इसलिए केवल बवाल मचाना आता है”।
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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए ने विकास के साथ विश्वास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा, लेकिन विपक्षी दलों का एकमात्र मंत्र था -भ्रम और भ्रम के आधार पर भय फैलाकर चुनाव लड़ना।
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कौन सी ऐसी शक्तियां हैं, जिन्होंने देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की और पूरा देश जानना चाहता है कि आखिर ये लोग कौन हैं? कई शक्तियां भाजपा सरकार नहीं बनने देने के लिए देश में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रही हैं।
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कांग्रेस पार्टी को न तो सरकार चलाने आती है और न ही विपक्ष की भूमिका निभाने आती है।
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विपक्ष के अनुसार जहां वे विजयी होते हैं वहां चुनाव आयोग अच्छा काम करता है लेकिन जहां हारते हैं वहां गलत काम करता है। जय पराजय होते रहती है परन्तु कांग्रेस को लोकतंत्र के ऊपर आक्षेप नहीं लगाने चाहिए।
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इस चुनाव में विपक्ष ने समाज में अराजकता पैदा करने के लिए संपत्ति हड़पने जैसे तमाम हथकंडे अपना लिए थे।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में लोकसभा चुनाव में दुष्प्रचार करने और चुनावी प्रक्रिया पर अनर्गल आरोप लगाने के लिए कांग्रेस और इंडी एलायंस की करारी आलोचना की।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि देश में पिछले दिनों बहुत ही व्यवस्थित रूप से मतदान हुआ और देश में चुनाव होते रहते हैं, लेकिन विपक्ष द्वारा लोकतंत्र की प्रतिष्ठा पर प्रश्न नहीं खड़े करने चाहिए थे। विपक्षी दलों के नेताओं ने आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया, तो उस पार्टी ने उसे स्वीकार किया, क्योंकि विपक्षी पार्टियों को सरकार के प्रति अपशब्दों का प्रयोग स्वीकार्य है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को लोकतंत्र के प्रति कुठाराघात और राष्ट्र की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास स्वीकार्य नहीं है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए ने विकास के साथ विश्वास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा, लेकिन विपक्षी दलों का एकमात्र मंत्र था -भ्रम और भ्रम के आधार पर भय फैलाकर चुनाव लड़ना। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने लोकतंत्र, संविधान और आरक्षण खत्म होने का दुष्प्रचार से लेकर देश को उत्तर-दक्षिण में बांटने तक के अनर्गल और भड़काऊ बयान दिए, परन्तु निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर उठाए गए सवालों का युक्तिसंगत और तकनीकी उत्तर दिए।
राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ त्रिवेदी ने कहा कि चुनाव में हार की निश्चितता से ऐसा प्रतीत होता है की विपक्ष के मन में विक्षिप्तता भर गई है। इसलिए विपक्ष ने 150 डीएम को फोन करने जैसे अनर्गल आरोप लगाए हैं परन्तु निर्वाचन आयोग के प्रमाण मांगने पर ये लोग 7 दिन का समय मांगने लगे और प्रमाण नहीं पेश कर पाए हैं। इस 2024 के चुनाव में विपक्ष ने समाज में अराजकता पैदा करने के लिए संपत्ति हड़पने जैसे तमाम हथकंडे अपना लिए थे।
डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पिछले वर्ष के तेलंगाना और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव हुए, तब कांग्रेस पार्टी ने दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाओं के परिणाम पर कोई सवाल खड़े नहीं किए। क्या कर्नाटक और तेलंगाना में ही निर्वाचन आयोग ने सही काम किया? क्या निर्वाचन आयोग ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में गलत काम किया? विपक्ष के अनुसार जहां वे विजयी होते हैं वहां चुनाव आयोग अच्छा काम करता है, लेकिन जहां वे हारते हैं वहां गलत काम करता है। जय पराजय होते रहती है, परन्तु कांग्रेस को लोकतंत्र के ऊपर आक्षेप नहीं लगाने चाहिए। सत्य तो यह है कि कांग्रेस के हाथ से सत्ता गई, तो दोबारा लौट कर नहीं आई है। 1967 में कांग्रेस तमिलनाडु से गई, लेकिन आज तक सत्ता में वापिस नहीं आई, 1977 में कांग्रेस पश्चिम बंगाल से गई लेकिन अभी तक लौट कर नहीं आ पाई, यह अनेक बार हार चुके है और हारे तो ऐसे हारे कि कभी लौट कर नहीं आ पाए।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि 20 घंटे के बाद लोकसभा चुनाव के परिणाम आने वाले हैं, परन्तु कौन सी ऐसी शक्तियां हैं, जिन्होंने देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की और पूरा देश जानना चाहता है कि आखिर ये लोग कौन हैं? मीडिया रिपोर्ट्स में भी पता चला है कि कई शक्तियां भाजपा सरकार नहीं बनने देने के लिए देश में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रही हैं। पहले कांग्रेस का नारा था “सारे भारत से नाता है और सरकार चलाना आता है ” लेकिन अब जनता ने बता दिया है कि सरकार चलाना किसे आता है और इनका नारा बदल कर हो गया है “लोकतंत्र नहीं सुहाता है, इसलिए केवल बवाल मचाना आता है”। चुनाव प्रक्रिया पर किसी भी तरह का आघात कोई भी देशवासी स्वीकार करने को तैयार नहीं है। चुनाव की हार जीत के लिए कांग्रेस को परिपक्व विपक्ष की भूमिका निभाना भाजपा से सीखना चाहिए। सर्वाधिक चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने कभी भी इस प्रकार का आचरण नहीं अपनाया। अब साबित हो गया है कि कांग्रेस को न तो सरकार चलाना आता है और न ही विपक्ष की भूमिका निभाना आता है।
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