Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Shri Gaurav Bhatia


द्वारा श्री गौरव भाटिया -
27-10-2022
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता करके “पाक अधिकृत कश्मीर” संकट के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि राष्ट्रहित पर भारी पड़ी जवाहर लाल नेहरु की निजी महात्वाकांक्षा, इसलिए पीओके बना और कश्मीरी पंडित विस्थापित हुए। श्री भाटिया ने कहा कि 27 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक दिन है क्योंकि इसी दिन जम्मू एवं कश्मीर का विलय भारत में हुआ था। आज यह भी याद करने का दिन है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ऐतिहासिक भूल की बहुत बड़ी कीमत देश, देशवाशियों और कश्मीर के नागरिकों को चुकानी पड़ रही है।

 

जवाहर लाल नेहरू की 5 ऐतिहासिक भूलों पर आज सवाल पूछा जाना चाहिए और आत्मचिन्तन भी किया जाना चाहिए, क्योंकि इस एतिहासिक भूल के कारण लाखो लोग अपने ही देश में विस्थापित हुए और हजारों लोगों की जानें गईं। इसके लिए कांग्रेस पार्टी को देश से माफी मांगनी चाहिए।

 

देश के कानून एवं न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू जी ने इस विषय पर प्रकाश डालते हुए अहम मुददे उठाए हैं। प्रधानंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आज पूरे विश्व को दिशा दे रहा है। लोकतंत्र मजबूत होते हुए भी देश में आत्मचिन्तन किया जाता है और इतिहास में की गयी भूलों से सीखता है। जबकि कांग्रेस पार्टी ने नेहरू जी की पांच ऐतिहासिक भूलों को दबाए रखने का कुत्सित प्रयास करते हुए झूठ फैलाया गया और सत्य को छिपाया गया।   

 

यह ऐतिहासिक सत्य है कि कश्मीर विलय मामले में स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू द्वारा अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं को महत्व दी गयी और देश हित की अनदेखी की गयी।  नेहरू जी ने खुद कहा था कि कश्मीर के राजा हरि सिंह जुलाई में अपने राज्य का भारत में विलय चाहते थे। जब जुलाई 1947 में कश्मीर को भारत में विलय की बात हो रही थी तब नेहरू जी ने अपनी निजी महात्वाकांक्षा को बल देते हुए आखिर क्यों राष्ट्र हित को दरकिनार कर दिया?

 

·        हर कोई जानता है कि नेहरू जी की दोस्ती शेख अब्दुला के साथ थी। उन्होंने दोस्ती ऐसी निभाई की आजाद भारत को पाकिस्तानी आक्रांता का सामना करना पड़ा। परिणामस्वरूप, भारत के अभिन्न अंग पर पीओके बन गया और पाकिस्तान का उस पर अनाधिकृत कब्जा हो गया। 

 

·        यदि नेहरू जी कश्मीर को भारत में विलय मामले पर सही समय पर फैसला ले लेते तो आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) का मसला नहीं होता। कश्मीरी पंडित भाई-बहनों प्रताड़ना भी नहीं झेलनी पड़ती। आज यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ कि नेहरू जी अपनी निजी महत्वाकांक्षा पर ही ध्यान देते हुए अपनी दोस्ती शेख अब्दुल्लाह से निभाते रहे?

 

·        प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय कर जवाहर लाल नेहरू जी की उस ऐतिहासिक भूल को सुधार दिया। देश में जो गलतियाँ कांग्रेस ने की, उसकी कीमत देश को चुकानी पड़ी और भारतीय जनता पार्टी उन गलतियों को सुधार कर रही है।

 

·        हमने देखा भी है कि भारत ने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र में अपना पक्ष रखा था। देखा जाए तो यह भी नेहरू की एक बड़ी भूल थी कि देश के अन्दरूनी मामले को संयुक्त राष्ट्र में रखा और पाकिस्तान को हौवा बना दिया।

 

देश की जनता सवाल पूछ रही है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के नक़्शे कदम पर चलते हुए यदि समय पर कश्मीर को लेकर त्वरित कार्रवाई होती तो यह समस्या नहीं होता। जैसे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 560 रजवाड़ों का भारत में विलय कराया था। नेहरू जी यदि सरदार वल्लभ भाई पटेल के रास्ते पर चलकर कश्मीर का विलय कराते तो संभवतः आज देश को जिहादी आतंकवाद नहीं देखना पड़ता।

 

·        ऐसा क्यों हुआ कि जब राजा हरि सिंह जी के साथ कश्मीर विलय का समझौते पर हस्ताक्षर हो रहा था तब जवाहर लाल नेहरू ने शेख अब्दुल्लाह के साथ अपनी दोस्ती निभाते हुए क्यों कहा था कि राजा हरि सिंह  पाकिस्तान से मदद मांग रहे हैं?

 

·        नेहरू जी ने कहा था कि परिस्थिति देखते हुए वहां प्रोविजनल सरकार के गठन की जरूरत है। शेख अब्दुला कश्मीर में लोकप्रिय हैं और उन्हें कश्मीर में सरकार गठन करने के लिए कहा जा सकता है। ऐसा करते हुए नेहरु जी ने देश की अखंडता को ध्यान में नहीं रखा गया और निजी महात्वाकांक्षा को महत्त्व दिया गया।

 

कांग्रेस नेता कहते थे कि अनुच्छेद 370 एक प्रोविजनल इंस्टूमेंट है जो घिसते-घिसते घिस जाएगा। उन्हें सांप्रदयिक और तुष्टिकरण की राजनीति करनी थी, इस कारण वे लोग अस्थायी प्रोविजन को समाप्त नहीं कर सके।

 

·        आज सवाल पूछा जाना चाहिए कि आजादी के बाद जितने भी इन्स्टूमेंट आफ एक्सेसन पर हस्ताक्षर हुए वे सभी शब्दश: एक जैसे थे।

·        कश्मीर का भारत में विलय का इन्स्टूमेंट आफ एक्सेसन पर हस्ताक्षर हुआ था, वह भी शब्दश: समान था। इसके बाद जवाहर लाल नेहरू जी उसमें स्थायी और स्पेशल प्रोविजन शब्द ले आये जिसके कारण देश को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

·        यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जो गलतियां कांग्रेस पार्टी ने की है उसकी कीमत देश को क्यों चुकानी पड़ी है?

·        सवाल यह है कि कश्मीर का भारत में विलय को प्रोविजनल क्यों बताया गया?  जबकि कश्मीर के राजा हरि सिंह ने इस विलय को प्रोविजनल नहीं बताया था। कांग्रेस पार्टी की यह एक बहुत बड़ी भूल थी।

 

सवाल यह है कि आजादी के वक्त जब इंडिपेंडेंस  एक्ट के तहत सभी रियासतों का भारत में विलय हो रहा था, तब इस एक्ट के तहत विलय का एप्रुवल लेने का कोई प्रावधान नहीं था। कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में जवाहर लाल नेहरू ने एप्रुवल लेने का प्रावधान डाला था।

 

·        खासबात यह है कि कश्मीर विलय में इस तरह की कार्रवाई के लिए सरदार पटेल की सहमती नहीं थी। जवाहर लाल नेहरू के घनिष्ठ एन गोपालस्वामी अयंगर ने अनुच्छेद 370 प्रस्तावित किया था।

 

·        कांग्रेस आज भी बदली नहीं है, बांटने की सोच अभी भी वैसी ही है। जब अनुच्छे 370 को संशोधित करने के लिए संसद में बिल लाया गया था, उस वक्त गृहमंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि जान दे देंगे किन्तु एक इंच जमीन नहीं देंगे। तब कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने पूछा था कि यह संशोधन कैसे ला रहे हैं? संशोधन इस लिए नहीं आ सकता है क्योंकि यह मामला संयुक्त राष्ट्र में लंबित है।

 

यह साफ दर्शाता है कि जब भारत को मजबूत करने के लिए संविधान के दायरे में रहकर कोई प्रयास किया जाता है तो कांग्रेस पार्टी अपनी ओछी राजनीति करने के लिए विरोध करती है। आज के दिन कांग्रेस पार्टी को पूरे देश से माफ़ी मंगनी चाहिए ।

 

 

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