Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Shri Gaurav Bhatia.


द्वारा श्री गौरव भाटिया -
14-08-2024
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

कल कलकत्ता उच्च न्यायालय ने  पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।

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 ममता बनर्जी का यह कहना कि मैं 10 तारीख के बाद इस मामले की जांच को स्थानांतरित कर दूँगी, आखिरकार ममता बनर्जी कीनिर्ममताका कारण क्या है?

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एक पीड़ित परिवार अपनी बेटी के लिए न्याय मांग रहा है और एक महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पीड़ा-दर्द नहीं हो रही, इससेनिर्ममता बनर्जीकी न्याय देने की क्षमता पर संदेह उठता है।

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उच्च न्यायालय के निर्णय से स्पष्ट होता है कि सीएम ममता बनर्जी किसी को बचा रही हैं। जनता को जानने का हक है कि वो बलात्कारी हत्यारा कौन हैं और ममता बनर्जी उसे क्यों बचा रही हैं?

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ममता बनर्जी द्वारा अपराधी को संरक्षण देने के कारण ही पीड़िता के माता-पिता को तीन घंटे इंतजार कराया गया और पार्थिव शरीर देखने नहीं दिया गया।

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टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी अपना नैतिक कर्तव्य नहीं निभा रही है, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि ऐसी कोई जघन्य घटना पश्चिम बंगाल में दोबारा हो।

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ममता बनर्जी की आँखें नहीं खुली हैं लेकिन आज पूरा देश आक्रोशित है, सारा देश इंसाफ की मांग कर रहा है और इंसाफ के तराजू पर ममता बनर्जी बहुत हल्की पड़ चुकी हैं।

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 देश की सबसे प्रतिष्ठित पार्टी होने के नाते भारतीय जनता पार्टी पीड़ित महिला के परिवार के साथ खड़ी है और यह आश्वासन देती है कि पीड़िता को न्याय मिलेगा एवं अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाएगी।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। श्री भाटिया ने कहा कि पश्चिम बंगाल के सीएम ममता बनर्जी कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में एक पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी महिला डॉक्टर की बलात्कार और हत्या मामले के अपराधियों को बचा रहीं हैं, इसलिए उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इस जघन्य अपराध में एफआईआर दर्ज करने में देरी करना, पीड़िता के परिवारजनों को 3 घंटे तक पार्थिव शरीर नहीं दिखाना और प्रिंसिपल को संरक्षण देना, आदि ममता सरकार की इस अपराध में संलिप्तता को दर्शाता है।

 

श्री भाटिया ने कहा कि कोलकाता में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप होता है और निर्मम हत्या कर दी जाती है। कल कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस मामले में एक आदेश पारित किया है और पूरी जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। ये आदेश अवलोकन बहुत चिंताजनक है और दर्शाता है कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। ममता बनर्जी से कुछ सवाल पूछे जाने आवश्यक है क्योंकि पश्चिम बंगाल और भारत की हर जनता को यह जानने का हक है कि जब ममता बनर्जी या यूं कहेंनिर्ममता बनर्जीको जब पीड़िता के परिवार के साथ खड़ा होना था, तब वो किसको बचाने की साजिश रच रहीं थीं?

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक पीड़ित परिवार जो अपनी बेटी के लिए न्याय मांग रहा है, लेकिन प्रदेश की महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पीड़ा-दर्द नहीं हो रहा है। साथ ही, निर्ममता बनर्जीकी न्याय देने की क्षमता पर सवाल उठ रहा है।निर्ममता बनर्जीपीडिता को न्याय नहीं दिलवा पा रही है। ऐसी परिस्थिति को देखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया है। उच्च न्यायालय के इस निर्णय से यह पता चलता है कि ममता बनर्जी किसी को बचा रही हैं। जनता को जानने का हक है कि वो बलात्कारी-हत्यारा कौन हैं और ममता बनर्जी उसे क्यों बचा रही हैं?

 

श्री भाटिया ने कहा कि अपराध स्थल पर घटना घटने के बाद पहले 48 घंटे साक्ष्य संग्रहण और फोरेंसिक जांच के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। जब ये जघन्य अपराध घटित हुआ, तब उसके एक दिन बाद ममता बनर्जी ने बयान दिया किसीबीआई जांच ट्रान्सफर कर दूंगी, लेकिन कुछ दिनों बाद, तो ममता बनर्जी पर सवाल उठता है कि कुछ दिनों बाद क्यों? तुरंत क्यों नहीं? यदि तुरंत ही इस मामले को सीबीआई को सौंप दी जाती, तो सीबीआई निष्पक्ष जांच करती और अपराध स्थल को सुरक्षित करती, ताकि सबूत इकट्ठा होते और अपराधी को सख्त से सख्त सजा मिलती। लेकिन, टीएमसी प्रमुख और सीएम ममता बनर्जी ने सीबीआई को सौंपने के मामले में कहा था कि “अभी नहीं, कुछ दिनों के बाद।“

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि देश का कानून कहता है कि जब भी कोई जघन्य अपराध होता है, तो उसमें एफआईआर होना अनिवार्य है। दुःख की बात यह है कि एफआईआर नहीं किया गया, बल्कि पुलिस ने कहा कि ये अप्राकृतिक मौत का मामला है। श्री भाटिया ने पीड़ित परिवार की दलील के पैराग्राफ 13 का उल्लेख करते हुए बताया कि "माता-पिता ने बताया कि 10 अगस्त, 2024 को सुबह करीब 10:53 बजे उन्हें अस्पताल के अधिकारियों से फोन आया। आरजी कार मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सहायक अधीक्षक ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब है।" इसके कुछ ही समय बाद सुबह 11:15 बजे उसी सहायक अधीक्षक ने दावा किया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। यह निष्कर्ष केवल 22 मिनट में निकाला गया। यह देखते हुए कि लड़की का यौन उत्पीड़न किया गया था और उसका शव अभी भी अपराध स्थल पर था, यह नई कहानी क्यों गढ़ी जा रही थी? इसके बाद एक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। श्री भाटिया ने सवाल पूछते हुए कहा कि यह किसके कारण हुआ कि लड़की के माँ-बाप को तीन घंटे तक इंतजार कराया गया और उसके बाद उन्हें उनकी बेटी का पार्थिव शरीर को देखने नही दिया गया। यह ममता बनर्जी द्वारा अपराधी को संरक्षण देना नहीं है तो और क्या है?

 

श्री भाटिया ने कहा कि प्रिन्सिपल को इस मामले की एफआईआर लिखवानी चाहिए थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। यह प्रिन्सिपल की जिम्मेदारी थी कि सरकारी अस्पताल में सभी डॉक्टर्स, पैरामेडिक स्टाफ और सभी नागरिक सुरक्षित हो, लेकिन अपनी जिम्मेदारी निभाने की जगह वह सबूतों को नष्ट करने में लगा था। श्री भाटिया ने कहा कि ममता सरकार को जिस प्रिन्सिपल के खिलाफ कार्रवाई करके उसे निलंबित करना चाहिए था, किनती ममता सरकार उसे कोलकाता के दूसरे मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल बनाकर स्थानांतरित कर देती है। एक तरफ बेटी के साथ बलात्कार और निर्मम हत्या की जाती है और दूसरी तरफ प्रिन्सिपल को पुरस्कार दिया जाता है। जब यह जघन्य घटना हुई, तब ममता सरकार और प्रिन्सिपल कहां सो रहे थे?

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार के उपयुक्त प्राधिकारी को इस्तीफ़ा देने के कारणों पर विचार करना चाहिए। यदि भले ही इस्तीफ़ा स्वीकार न किया गया हो, संबंधित विभाग के एक ज़िम्मेदार उच्च अधिकारी से कम से कम यह उम्मीद की जा सकती है कि वह तुरंत प्रिंसिपल को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दे और उन्हें समान ज़िम्मेदारी वाला कोई अन्य पद नहीं सौंपे। इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि "वकील अपने मुवक्किल को तुरंत छुट्टी पर जाने का निर्देश दे, अन्यथा अदालत को आवश्यक आदेश पारित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।"

 

श्री भाटिया ने कहा कि ममता बनर्जी पीड़ित परिवार के साथ नहीं हैं, बल्कि उस प्रिन्सिपल का समर्थन कर रही हैं, जिसका कार्य संदेहास्पद है। आरोपी अभी भी खुले में घूम रहे हैं और सबूतों को नष्ट किए जा रहे हैं, जो कि अत्यंत चिंताजनक है। जानकारी मिल रही है कि जिस जगह पर इस कुकर्म को अंजाम दिया गया, उस स्थान का नवीनीकरण किया जा रहा है, नवीनीकरण की आड़ में सबूतों को नष्ट किया जा रहा है। हाई कोर्ट भी यह कहता है कि किसी भी घटना के 48 घंटों के अंदर बिना समय नष्ट किये तुरंत जांच होनी चाहिए। एक-एक क्षण जरूरी है, नहीं तो सबूतों को नष्ट कर दिया जाएगा और आरोपी भाग जाएगा। सत्ता बनी रहे और सच्चाई सामने न आए, इसके लिए ममता सरकार भरसक प्रयास कर रही है, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह आदेश पारित करके यह मामला सीबीआई के हांथ में सौंप दिया है। सीबीआई इस मामले की गहन जांच करेगी और आरोपी बच नहीं पाएंगे और इन्हें फांसी की सजा मिलेगी। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है की अगर जांच में थोड़ी भी देरी हुई तो सबूतों को क्षतिग्रस्त किया जा सकता है।  

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि ऐसी ही घटना संदेशखाली में हुई थी जहां महिलाओं का धर्म देखते हुए उन्हें प्रताड़ित किया गया, उनका यौन उत्पीडन किया गया और आरोपी शाहजहां शेख को ममता बनर्जी का संरक्षण मिलता रहा। तब भी कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित की थी और उसके बाद आरोपी शाहजहां शेख की गिरफ्तार हुई थी। इसी तरह 2 मई को विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद महिलाओं की हत्याएं हुई और कोई एफआईआर नहीं लिखी गई, इसके बाद निष्पक्ष जांच के आदेश देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने विवेचना को स्थानांतरित किया था। यह स्पष्ट है कि ममता बनर्जी अपने प्रशासन का इस्तेमाल करके महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने का प्रयास करती है। पीड़ित परिवार को 3 घंटे तक उनकी बेटी के पार्थिव शरीर तक जाने से रोकना और पीड़ित परिवार का यह कहना कि हमारा विश्वास अब ममता सरकार पर नहीं है यह पश्चिम बंगाल की स्थिति के बारे में बहुत कुछ बताता है। जिस प्रिन्सिपल को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन न कर पाने के कारण बर्खास्त कर देना चाहिए था उसे संरक्षण देकर 12 घंटे के भीतर कहीं और स्थानांतरित करना, बहुत ही चिंताजनक है। 10 तारीख को ममता बनर्जी का यह कहना कि मैं कुछ दिन के बाद जांच को स्थानांतरित कर दूँगी, ममता बनर्जी से उनकी इसनिर्ममताके कारण पर सवाल होने चाहिए, क्योंकि निष्पक्ष जांच और पोस्टमार्टम के लिए 48 घंटे ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। अगर इसके बाद ममता बनर्जी अपनी कुर्सी पर बनी रहती है, तो बंगाल की कोई भी महिला सुरक्षित महसूस नहीं करेगी। ममता बनर्जी ने अपना नैतिक कर्तव्य नहीं निभाया है, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि ऐसी कोई घटना पश्चिम बंगाल में दोबारा हो। ममता बनर्जी की आँखें नहीं खुली हैं, लेकिन आज पूरा देश आक्रोशित है, सारा देश इंसाफ की मांग कर रहा है और इंसाफ के तराजू पर ममता बनर्जी बहुत हल्की पड़ चुकी हैं। देश की सबसे प्रतिष्ठित पार्टी होने के नाते भारतीय जनता पार्टी पीड़ित महिला के परिवार के साथ खड़ी है और यह आश्वासन देती है कि पीड़िता को न्याय मिलेगा और अपराधियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाई की जाएगी।

 

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