भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक संकेत, दोहरे अंकों की विकास दर हासिल करने की राह पर
कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था मजबूत सुधार दिखा रही है और अधिकांश संकेतक स्वस्थ विकास दिखा रहे हैं। हम जो देख रहे हैं वह एक मजबूत "वी" आकार की रिकवरी है न की "के" आकार की जैसा कि कुछ लोग भ्रमित करना चाहते हैं।
इस वर्ष की विकास दर में गत वर्ष के बेस का प्रभाव होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था इस वर्ष दो अंकों की विकास दर हासिल करने की राह पर है तथा आने वाले वर्ष में यह ‘हाई सिंगल डिजिट’ में होगा. यह केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा उठाये गए सुधारात्मक क़दमों के परिणाम हैं.
आर्थिक विकास का सकारात्मक संकेत देने वाली हालिया रिपोर्ट
कृषि
ग्रामीण भारत के परिवारों की कृषि भूमि और पशुधन जोत का स्थिति आकलन सर्वेक्षण, 2019
· जनवरी से दिसंबर 2019 तक किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि किसानों की आय में 59 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2012-13 में प्रति परिवार प्रति माह 6,426रु. से बढ़ कर 10,218 रु. प्रति माह हो गया है।
· कर्जदार कृषि परिवारों का प्रतिशत 2013 में 52% से घटकर 2019 में 50% हो गया है।
· सबसे कम भूमि आकार वर्ग (0.25 एकड़ से कम) में बकाया ऋण की राशि 31,100रु. प्रति परिवार से कम हो कर 26,883 रु. हो गई है। 2013 की तुलना में यह कमी 14% है और मुद्रास्फीति के समायोजन के पश्चात यह कमी 50% से अधिक है।
· 2013-14 में कृषि विभाग के लिए बजट आवंटन रु. 21,933.50 करोड़। इसे 5.5 गुना से अधिक बढ़ाकर रु. 2021-22 में 1,23,017.55 करोड़ रूपये।
मैन्युफैक्चरिंग
एक प्रमुख कंसल्टेंसी फर्म की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व स्तर पर दूसरा सबसे अधिक मांग वाला विनिर्माण गंतव्य बनने के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका से आगे निकल गया है।
श्रम (लेबर)
जुलाई 2019 से जून 2020 की अवधि को कवर करने वाले आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की वार्षिक रिपोर्ट 2019-2020 के प्रमुख निष्कर्ष।
· 2017-18 में श्रम बल की भागीदारी दर 36.9%, 2018-19 में 37.5% थी। यह बढ़कर 40.1% हो गया है। महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर में वृद्धि और भी प्रभावशाली है। 2017-18 में यह 17.5%, 2018-19 में 18.6% और 2019-2020 में 22.8% थी।
· 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1%, 2018-19 में 5.8% थी और 2019-2020 में और कम होकर 4.8% हो गई है।
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कर संग्रहण
प्रत्यक्ष कर:
प्रत्यक्ष कर संग्रह 16 सितंबर,21 तक 5.66 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 3.28 लाख करोड़ था । यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चालू वित्त वर्ष में संग्रह 2019-2020 (पूर्व-कोविड) की इसी अवधि की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक है।
जीएसटी
अगस्त 2021 में जीएसटी संग्रह 1,12,020 करोड़ रहा। यह पिछले साल के इसी महीने में जीएसटी राजस्व से 30% अधिक है और अगस्त 2019 (प्री-कोविड) की तुलना में 14% अधिक है। जीएसटी संग्रह, लगातार नौ माह 1 लाख करोड़ का आंकड़ा पार करने के पश्चात जून 2021 में, कोविड की दूसरी लहर के कारण 1 लाख करोड़ से कुछ नीचे चला गया था लेकिन अर्थव्यवस्था की मजबूती को दिखाते हुए जुलाई और अगस्त 2021 का जीएसटी संग्रह फिर 1 लाख करोड़ को पार कर गया है।
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स, 2021:
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा तैयार किए गए ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2021 में भारत दो रैंक चढ़कर 46वें स्थान पर पहुंच गया है। जीआईआई में निरंतर सुधार अपार ज्ञान पूंजी, जीवंत स्टार्ट-अप इको सिस्टम और सार्वजनिक और निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए कार्यों के कारण है।
निर्यात वृद्धि:
अगस्त 2021 में भारत का व्यापारिक निर्यात 33.14 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जो अगस्त 2020 में 22.83 बिलियन अमरीकी डॉलर से 45.17% अधिक था और अगस्त 2019 (पूर्व कोविड) में 25.99 बिलियन अमरीकी डॉलर से 27.5% अधिक था। अप्रैल-अगस्त 2021 में भारत का माल निर्यात 163.67 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जो अप्रैल-अगस्त 2020 की तुलना में 66.92% और अप्रैल-अगस्त 2019 की तुलना में 22.93% अधिक था।
हाल के कदम जो आने वाले वर्षों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगे
दूरसंचार क्षेत्र में सुधार:
भुगतान पर अधिस्थगन, स्वचालित मार्ग से 100% FDI, AGR का युक्तिकरण (समायोजित सकल राजस्व)
राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना [एनएमपी]:
बुनियादी ढांचे पर खर्च, पीपीपी में सुधार, अनुबंध डिजाइन, प्रतिस्पर्धा, संपत्ति का हस्तांतरण नहीं, 20 साल की समय सीमा।
बैड बैंक:
एएमसी, एआरसी से 2 लाख करोड़ रूपये की रिकवरी का लक्ष्य।
पूर्वव्यापी कर हटाया गया जो विदेशी निवेश में बड़ी बाधा थी.
टीकाकरण अभियान: प्रभावशाली है, मजबूत सकारात्मक भावनाओं और सेवाओं, पर्यटन जैसे क्षेत्रों में मदद करेगा
अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत प्रारंभ
पीएलआई - कपड़ा, ऑटोमोबाइल, फार्मा, रक्षा एवं अन्य उद्योग
राष्ट्रीय ब्लॉकचेन रणनीति लागू होने वाली है
उपरोक्त सकारात्मक तथ्यों के बाद भी मुझे यह स्वीकार करने में कोई भी संकोच नहीं है कि अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों में अभी भी समस्याएं हैं. केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार और हमारी पार्टी आबादी के कुछ हिस्सों में आर्थिक चिंताओं के प्रति सजग है और उस पर ध्यान देने के उपाय किये जा रहे हैं .
भाजपा बाजार आधारित अर्थव्यवस्था पर विश्वास करती है एवं दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधारों और कुशल एवं पारदर्शी बाजारों पर काम कर रही है।
सरकार आगामी वित्तीय वर्ष की बजट प्रक्रिया प्रारंभ करने वाली है एवं पार्टी स्तर से पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी सभी हितधारकों की समस्याओं एवं सुझावों को सरकार तक पहुंचाएगी.
महेंद्र पांडेय
(कार्यालय सचिव)
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