Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Shri Rajiv Pratap Rudy.


द्वारा श्री राजीव प्रताप रूडी -
10-04-2022
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद श्री राजीव प्रताप रुड़ी की प्रेसवार्ता के मुख्यबिंदु

 

2009 से 2014 के पांच सालों में कृषि बजट में 8.5 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई थी, वहीं माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार आने के बाद 2014 से 2019 के बीच कृषि बजट में लगभग 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई हुई है। यह आंकड़ा मोदी सरकार के किसान हितैषी नीयत, नीति और नेतृत्व का प्रमाण है।

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भारत के कृषि उत्पादों को दुनियाभर में पसंद किया जा रहा है. देश के कृषि उत्पादों का रिकॉर्ड निर्यात हो रहा है.

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वाणिज्य मंत्रालय के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का कृषि निर्यात 19.92 प्रतिशत बढ़कर 50.21 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह वृद्धि दर उल्लेखनीय है क्योंकि यह वित्त वर्ष 2020-21 में अर्जित 41.87 बिलियन डॉलर में 17.66 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है.

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वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान चावल का निर्यात 9654 मिलियन डॉलर के साथ शीर्ष विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला था जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9.35 प्रतिशत बढ़ कर 8829 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

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वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान गेहूं के निर्यात ने 2118 मिलियन डॉलर के साथ सर्वकालिक ऊंचाई को छू लिया जो वित्त वर्ष 2020-21 जब इसने 567 मिलियन डॉलर तक पहुंचा था, की तुलना में 273 प्रतिशत बढ़ गया।

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वित्त वर्ष 2021-22 में डेयरी उत्पाद 96 प्रतिशत बढ़ कर 634 मिलियन डॉलर तक पहुंच गए जो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 323 मिलियन डॉलर थे।

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ये आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं कि अन्तराष्ट्रीय बाजारों में भारत के कृषि उत्पाद किस प्रकार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है. भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल, गेहूं, गन्ना, सब्जी, फल और कपास का उत्पादक बन चुका है।

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एमएसपी का यदि तुलनात्मक अध्ययन करें तो 2013 में देश में धान का जो MSP था वो 2021-22 में लगभग 43% बढ़ा है।

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गेहूं का MSP 2013-14 से पूरे 7 साल में लगभग 41% बढा है। खरीफ की फसल में धान का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 2010-11 में एक हजार रुपये प्रति क्विंटल था वह 2021-22 में बढ़कर 1,940 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुँच गया.

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रबी की फसल में गेंहू का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य  2010-11 में 1,120 रुपये प्रति क्विंटल था वह 2021-22 में बढ़कर 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया. एमएसपी में यह वृद्धि पूरे देश के किसानों के लाभकारी साबित हुआ है.

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स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिशों को मनमोहन सिंह सरकार ने 10 साल तक ठंडे बस्ते में डाले रखा लेकिन केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद उसे फ़ौरन लागू किया गया। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने फसलों पर लागत मूल्य का डेढ़ गुना एमएसपी देने का निर्णय लिया। मोदी सरकार के 8 बरसों में अब तक रबी और खरीफ फसलों की एमएसपी चार बार बढ़ाई जा चुकी है।

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी किसानों को सबल और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनसे जुड़ी कई कल्याणकारी योजनायें लागू की हैं.

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24 फरवरी, 2019 को आरम्भ हुई किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक 10 किस्तों में11.78 करोड़ किसानों को लगभग 1.82 लाख करोड़ रुपए का लाभ सीधे उनके बैंक एकाउंट में दिया जा चुका है। कोरोना महामारी के दौरान किसान सम्मान निधि के माध्यम से 1.30 लाख करोड़ रुपए की राशि हस्तांतरित की गई।

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जनवरी 2016 को  आरम्भ हुए फसल बीमा योजना के तहत 36 करोड़ अप्लिकेशन स्वीकृत हुए हैं जिसमे अब तक 1,07,059 करोड़ रुपये का क्लेम का भुगतान किसानों को किया जा चुका है।

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कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन के लिए केंद्र सरकार ने 2021-22 के बजट में कृषि ऋण का लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2013-14 में मात्र 7.3 लाख करोड़ था.

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स्वायल हेल्थ कार्ड के उपयोग से फ़र्टिलाइज़र का उपयाग 10-15 प्रतिशत कम हो गया साथ ही, प्रत्येक वर्ष लगभग 6,500 करोड़ रुपये का लाभ सिर्फ स्वायल हेल्थ कार्ड के परिक्षण से किसानों को मिल रहा है. अब तक 23 करोड़ किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड दिए जा चुके हैं.

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इससे फ़र्टिलाइज़र सब्सिडी में 8-10 प्रतिशत की बचत हुई है जबकि फार्म प्रोडक्शन में 5-7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. धान के फसल में यूरिया की खपत लगभग 9 फीसदी और डीएपी की खपत लगभग 7 प्रतिशत कम हुई है.

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अब पूरे देश में 100 फीसदी यूरिया नीम कोटेड है। इससे यूरिया की कालाबाजारी रुक गई है और किसानों को कभी इसकी किल्लत नहीं होती है। नीम कोटेड यूरिया न सिर्फ खेती की लागत घटाती है, बल्कि इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है।

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कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत 1 लाख करोड़ रुपए का फंड बनाया गया है जिसके तहत  11,632 प्रोजेक्ट्स के लिए अब तक 8,585 करोड़ रुपए ऋण की मंजूरी दी जा चुकी है।

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केंद्र सरकार ने 2019-20 में 6,865 करोड़ रुपए से 2027-28 तक देश में 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन को बढ़ावा देने के लिए एक योजना शुरू की।  इसके तहत किसानों के लिए कम ब्याज दर पर लोन की सुविधा उपलब्ध है. एफपीओ के सदस्य किसानों को अधिकतम 15 लाख रुपए का लोन दिया जा रहा है.

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एफपीओ के माध्यम से किसानो को तकनीकी, मार्केटिंग, ऋण, प्रोसेसिंग, सिंचाई आदि की सुविधाएं दी जाती हैं.  देश के हर ब्लॉक में एक किसान उत्पादक संगठन होगा और लगभग 4,000 एफपीओ पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं।

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सरकार ने 6,865 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ 2027-28 तक 10,000 एफपीओ के गठन और संवर्द्धन की योजना को मंजूरी दी है।

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हर खेत को पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत 2015 में की गई। कुसमु योजना के तहत साल 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने का लक्ष्य रखा गया है।

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने अगले 5 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 100 लाख हेक्टेयर भूमि कवर करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को दुरुस्त करने का लक्ष्य भी तय किया है।

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के किसानों को अपने फसलों को लेकर होने वाली समस्या को सुलझाने के लिए ई-नाम पोर्टल की शुरुआत की. ई–नाम पोर्टल के तहत करीब 1.73 करोड़ किसान इस ऑनलाइन मंडी से रजिस्टर्ड हो चुके हैं और इसके माध्यम से अब तक लगभग 1.87 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हो चुका है।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद श्री राजीव प्रताप रुड़ी ने आज पार्टी के केन्द्रीय मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और पार्टी के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमसामाजिक न्याय पखवाड़ाके तहत प्रधानमंत्री किसान योजना के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रही विकास यात्रा पर विस्तार से चर्चा की.

 

माननीय सांसद ने कहा कि भारत के कृषि उत्पादों को दुनियाभर में पसंद किया जा रहा है. देश के कृषि उत्पादों का रिकॉर्ड निर्यात हो रहा है. वाणिज्य मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि  वाणिज्य मंत्रालय के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का कृषि निर्यात 19.92 प्रतिशत बढ़कर 50.21 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह वृद्धि दर उल्लेखनीय है क्योंकि यह वित्त वर्ष 2020-21 में अर्जित 41.87 बिलियन डॉलर में 17.66 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है.

 वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान चावल का निर्यात 9654 मिलियन डॉलर के साथ शीर्ष विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला था जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9.35 प्रतिशत बढ़ कर 8829 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान गेहूं के निर्यात ने 2118 मिलियन डॉलर के साथ सर्वकालिक ऊंचाई को छू लिया जो वित्त वर्ष 2020-21 जब इसने 567 मिलियन डॉलर तक पहुंचा था, की तुलना में 273 प्रतिशत बढ़ गया। वित्त वर्ष 2021-22 में डेयरी उत्पाद 96 प्रतिशत बढ़ कर 634 मिलियन डॉलर तक पहुंच गए जो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 323 मिलियन डॉलर थे। ये आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं कि अन्तराष्ट्रीय बाजारों में भारत के कृषि उत्पाद किस प्रकार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है. भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल, गेहूं, गन्ना, सब्जी, फल और कपास का उत्पादक बन चुका है।

 

माननीय सांसद ने कृषि क्षेत्र के लिए आवंटित बजट का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए कहा कि 2009 से 2014 के पांच सालों में कृषि बजट में 8.5 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई थी, वहीं माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार आने के बाद 2014 से 2019 के बीच कृषि बजट में लगभग 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई हुई है। यह आंकड़ा मोदी सरकार के किसान हितैषी नीयत, नीति और नेतृत्व का प्रमाण है।

 

माननीय सांसद ने कहा कि एमएसपी का यदि तुलनात्मक अध्ययन करें तो 2013 में देश में धान का जो MSP था वो 2021-22 में लगभग 43% बढ़ा है। गेहूं का MSP 2013-14 से पूरे 7 साल में लगभग 41% बढा है। खरीफ की फसल में धान का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 2010-11 में एक हजार रुपये प्रति क्विंटल था वह 2021-22 में बढ़कर 1,940 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुँच गया और रबी की फसल में गेंहू का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य  2010-11 में 1,120 रुपये प्रति क्विंटल था वह 2021-22 में बढ़कर 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया. एमएसपी में यह वृद्धि पूरे देश के किसानों के लाभकारी साबित हुआ है.

स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिशों को मनमोहन सिंह सरकार ने 10 साल तक ठंडे बस्ते में डाले रखा लेकिन केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद उसे फ़ौरन लागू किया गया। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने फसलों पर लागत मूल्य का डेढ़ गुना एमएसपी देने का निर्णय लिया। मोदी सरकार के 8 बरसों में अब तक रबी और खरीफ फसलों की एमएसपी चार बार बढ़ाई जा चुकी है।

इसके अतिरिक्त, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी किसानों को सबल और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनसे जुड़ी कई कल्याणकारी योजनायें लागू की हैं. मसलन, 24 फरवरी, 2019 को आरम्भ हुई किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक 10 किस्तों में11.78 करोड़ किसानों को लगभग 1.82 लाख करोड़ रुपए का लाभ सीधे उनके बैंक एकाउंट में दिया जा चुका है। कोरोना महामारी के दौरान किसान सम्मान निधि के माध्यम से 1.30 लाख करोड़ रुपए की राशि हस्तांतरित की गई। जनवरी 2016 को  आरम्भ हुए फसल बीमा योजना के तहत 36 करोड़ अप्लिकेशन स्वीकृत हुए हैं जिसमे अब तक 1,07,059 करोड़ रुपये का क्लेम का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन के लिए केंद्र सरकार ने 2021-22 के बजट में कृषि ऋण का लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2013-14 में मात्र 7.3 लाख करोड़ था.  स्वायल हेल्थ कार्ड के उपयोग से फ़र्टिलाइज़र का उपयाग 10-15 प्रतिशत कम हो गया साथ ही, प्रत्येक वर्ष लगभग 6,500 करोड़ रुपये का लाभ सिर्फ स्वायल हेल्थ कार्ड के परिक्षण से किसानों को मिल रहा है. अब तक 23 करोड़ किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड दिए जा चुके हैं. इससे फ़र्टिलाइज़र सब्सिडी में 8-10 प्रतिशत की बचत हुई है जबकि फार्म प्रोडक्शन में 5-7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. धन के फसल में यूरिया की खपत लगभग 9 फीसदी और डीएपी की खपत लगभग 7 प्रतिशत कम हुई है. अब पूरे देश में 100 फीसदी यूरिया नीम कोटेड है। इससे यूरिया की कालाबाजारी रुक गई है और किसानों को कभी इसकी किल्लत नहीं होती है। नीम कोटेड यूरिया न सिर्फ खेती की लागत घटाती है, बल्कि इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत 1 लाख करोड़ रुपए का फंड बनाया गया है जिसके तहत  11,632 प्रोजेक्ट्स के लिए अब तक 8,585 करोड़ रुपए ऋण की मंजरूी दी जा चुकी है।

 

केंद्र सरकार ने 2019-20 में 6,865 करोड़ रुपए से 2027-28 तक देश में 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन को बढ़ावा देने के लिए एक योजना शुरू की।  इसके तहत किसानों के लिए कम ब्याज दर पर लोन की सुविधा उपलब्ध है. एफपीओ के सदस्य किसानों को अधिकतम 15 लाख रुपए का लोन दिया जा रहा है. एफपीओ के माध्यम से किसानो को तकनीकी, मार्केटिंग, ऋण, प्रोसेसिंग, सिंचाई आदि की सुविधाएं दी जाती हैं.  देश के हर ब्लॉक में एक किसान उत्पादक संगठन होगा और लगभग 4,000 एफपीओ पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। सरकार ने 6,865 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ 2027-28 तक 10,000 एफपीओ के गठन और संवर्द्धन की योजना को मंजूरी दी है।


हर खेत को पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत 2015 में की गई। कुसमु योजना के तहत साल 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने का लक्ष्य रखा गया है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने अगले 5 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 100 लाख हेक्टेयर भूमि कवर करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को दुरुस्त करने का लक्ष्य भी तय किया है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के किसानों को अपने फसलों को लेकर होने वाली समस्या को सुलझाने के लिए ई-नाम पोर्टल की शुरुआत की. ई – नाम पोर्टल के तहत करीब 1.73 करोड़ किसान इस ऑनलाइन मंडी से रजिस्टर्ड हो चुके हैं और इसके माध्यम से अब तक लगभग 1.87 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हो चुका है।

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