भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की कथित किसान न्याय योजना किसानों के साथ अन्याय है।
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छत्तीसगढ़ में किसानों के हक़ के पैसों को टुकड़ों में कांग्रेस सरकार द्वारा दिया जा रहा है। पता नहीं किसानों को पूरा पैसा मिलते-मिलते कितना समय बीत जाएगा। भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि छत्तीसगढ़ के किसानों को एक ही क़िस्त में उनका पूरा हक़ मिलना चाहिए।
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कांग्रेस ने 2018 के विधान सभा चुनाव में किसानों के फसल ऋण को माफ़ करने और आर्थिक सहायता पहुंचाने का वादा किया था लेकिन डेढ़ साल का समय बीत जाने के बाद भी कांग्रेस आज तक वादे को सही अर्थों में पूरा करने में विफल रही है।
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छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस लगातार किसानों की मांग को अनसुना करती रही। इतना ही नहीं, गंगाजल हाथ में लेकर वादे को पूरा करने की कसमें भी खाई गई थी। बाद में कांग्रेस द्वारा कहा गया कि इसे अप्रैल, 2020 तक हर हाल में पूरा कर दिया जाएगा लेकिन उन्होंने अपना वादा नहीं निभाया।
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कांग्रेस ने अपने ही घोषणापत्र के वादे को किसान न्याय योजना का नाम दे दिया है। अब कांग्रेस किसानों के लिए 5700 करोड़ रुपये का पैकेज तो जरूर लाई है लेकिन किसानों को अभी केवल इस पैकेज का केवल एक चौथाई हीसा ही दिया जा रहा है।
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कोरोना के संकट से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के किसानों को कांग्रेस के वायदे के मुताबिक़ उनका पूरा हक़ इस समय एक साथ मिलना चाहिए था ताकि वे कोरोना का मज़बूती से मुकाबला कर पाते।
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किसानों के हक़ के पैसे को भी टुकड़ों में तोड़ कर चार किस्तों में दिए जाने के कांग्रेस सरकार ने फैसले ने किसानों के सम्मान को चोट पहुंचाया है। किसानों के साथ इससे बड़ा अन्याय और क्या हो सकता है जो उनके हक़ की राशि भी किस्तों में दी जा रही है।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में कोविड-19 से कारण लॉकडाउन के समय कृषि एवं किसानों के लिए 1.76 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई। इतना ही नहीं, किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के खाते में अब पांचवीं क़िस्त भी डाली जा रही है।
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लगभग 41 करोड़ गरीबों, दिव्यांगों, महिलाओं और किसानों के अकाउंट में लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार अब तक 52,606 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता पहुंचा चुकी है। इसके साथ ही, हर वर्ग के लिए केंद्र सरकार ने देश की जीडीपी के लगभग 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की संवेदनशीलता और दूरदर्शिता को दिखाता है।
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मोदी सरकार ने गरीब मजदूरों के लिए मनरेगा के तहत 40 हजार करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। इतना ही नहीं, मनरेगा के तहत मजदूरों के दैनिक वेतन और न्यूनतम मजदूरी दिवस को भी बढ़ाया गया है। ऐसी व्यवस्था की गई है कि मजदूरों को मानसून में भी काम मिले लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने गरीब और मजदूरों की अनदेखी की। छत्तीसगढ़ में मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है, यह गंभीर चिंता का विषय है।
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प्रदेश में क्वारंटाइन सेंटर में अव्यवस्था का आलम यह है कि यहाँ न पानी और खाने की व्यवस्था है, न शौचालय की और न ही साफ-सफाई की जिसके कारण कोरोना के प्रसार का ख़तरा और बढ़ गया है।
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(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव
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