Salient points of press conference of Hon'ble Minister of State Smt. Meenakshi Lekhi.


द्वारा श्रीमती. मीनाक्षी लेखी -
20-04-2022
Press Release

 

केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमति मीनाक्षी लेखी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कुपोषण से निपटने के लिए 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ने राजस्थान से राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की थी।

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उससे पहले इस योजना का नाम 2017 मे न्यूट्रिशन मिशन था जिसे  2018 में पोषण अभियान का नाम देकर बहुत बड़े स्केल पर लागू किया गया।

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इस योजना का मुख्य लक्ष्य 2022 तक भारत को कुपोषण से मुक्त करना है। इस योजना के तहत शिशु के जन्म के बाद पहले 1000 दिन पर विशेष फोकस किया जा रहा है।

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इस योजना का उद्देश्य कुपोषित गर्भवती महिलाएं, नवजात और किशोर बालिकाएं पर विशेष ध्यान रखते हुए देशभर के बच्चों में पोषण स्तर को बढ़ाना है।

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अल्पपोषण के कारण बच्चों को शरीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता। इसे ध्यान में रखते हुए वर्ष 2022 तक 06 वर्ष की आयु के बच्चे में कुपोषण स्तर को 38.4 प्रतिशत है इसे घटाकर 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।

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पोषण स्तर को सुधारने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर फ्लैगशिप प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। इसमें भारत सरकार के कई सारे मंत्रालय भी आगे आए हैं।इस योजना में आंगनबाड़ी केंद्र नोडल बॉडी है।

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आंगनबाड़ी वर्कर्स को आईपेड जैसे उपकरण व अन्य सुविधाएं व ट्रेनिंग दी जा रही हैं जिससे वह बच्चों की मैपिंग करके बता सकें कि योजना का फायदा किस स्तर तक हो रहा है साथ ही, कुपोषण की दृष्टि से भारत ने कितनी प्रगति की है ।

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प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2016 में मातृ वंदना योजना शुरू कर धात्री महिलाओं और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण दूर करने का अभियान चलाया। वहीँ किशोरियों को एनीमिया और अल्पपोषण से बचने के लिए विशेष अभियान चलाया गया।

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बच्चों, महिलाओं और किशोरियों को स्वास्थ्य और मजबूत बनाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान, डी-वर्मिंग योजना, पीडीएस स्कीम से अनाज उपलब्ध कराना, नेशनल हेल्थ मिशन के तहत गांवों में दवाइयां एवं स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना आदि सभी योजनाओं पर ध्यान केन्द्रित की गयी।

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पोषण अभियान को लेकर विश्व बैंक के सहयोग से इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम चलाया जा रहा है जिसके साथ पोषण मिशन को जोड़ दिया गया है। इसे लागू करने के लिए केंद्र में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय केंद्रीकृत एजेंसी है।

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0 से 6 साल तक के बच्चे, गर्भवती महिला और धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन का गठन किया गया है। इनमें कुपोषण को चरणबद्ध तरीके से दूर करने के लिए 3 साल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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मिशन इंद्रधनुष के तहत 2014 में सरकार ने गर्भवती महिलाओं और दो साल तक के सभी बच्चों के लिए टीकाकरण शुरू किया। इसके तहत अब तक 4.10 करोड़ बच्चे वैक्सीनेटेड किये जा चुके हैं।

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मातृ वंदन योजना की शुरूआत 2016 में हुई। 1 जनवरी, 2017 से देश के सभी जिलों में  यह योजना लागू है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलिवरी कराने और स्तनपान कराने वाली को अच्छा पोषण देने के लिए 5 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। आज देश के 650 जिलों में इस योजना का फायदा उठाने वाली महिलाओं की संख्या करीब दो करोड़ है।

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वित्तीय वर्ष 2018 से 2020 के मध्य इस योजना के तहत 1.75 करोड़ पात्र लाभार्थियों को कुल 5931.95 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। अब तक प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के माध्यम से 16.49 करोड़ रुपए का भुगतान लाभार्थी महिलाओं को किया जा चुका है । वर्तमान वित्तीय वर्ष में 1.94 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था।

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक के सतस विकास एजेंडे के तहत 2030 तक सभी तरह की भूख और कुपोषण को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही लोगों, विशेष रूप से बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा है।

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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बच्चों के पोषण की चिंता करते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के साथ मिड डे मील योजना कार्यक्रम को समावेशित किया है। यह बच्चों के पोषण को बनाए रखने के साथ कोरोना की चुनौतीपूर्ण समय में उनकी प्रतिरक्षा करने में सहायक सिद्ध हुई है।

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केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमति मीनाक्षी लेखी ने आज पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और 7 अप्रैल से 20 अप्रैल तक भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनाई जा रही सामाजिक न्याय पखवाड़ा दिवस के तहत आज समर्पित पोषण अभियान के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओ पर व्यापक प्रकाश डाला।

 

केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कुपोषण से निपटने के लिए 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ने राजस्थान से राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की थी। उससे पहले इस योजना का नाम 2017 मे न्यूट्रिशन मिशन था जिसे  2018 में पोषण अभियान का नाम देकर बहुत बड़े स्केल पर लागू किया गया। इस योजना का मुख्य लक्ष्य 2022 तक भारत को कुपोषण से मुक्त करना है। इस योजना के तहत शिशु के जन्म के बाद पहले 1000 दिन पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य कुपोषित गर्भवती महिलाएं, नवजात और किशोर बालिकाएं पर विशेष ध्यान रखना है । इस योजना का मुख्य उद्देश्य देशभर के बच्चों में पोषण स्तर को बढ़ाना है। अल्पपोषण के कारण बच्चों को शरीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता। इसे ध्यान में रखते हुए वर्ष 2022 तक 06 वर्ष की आयु के बच्चे में कुपोषण स्तर को 38.4 प्रतिशत है इसे घटाकर 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।

 

माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि कुपोषण मापने के कई तरीके हैं। इसमें खून की कमी, अल्पपोषण, बच्चों का शरीरिक विकास, जन्म के समय शिशु का वजन आदि हैं। पोषण स्तर को सुधारने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर फ्लैगशिप प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। इसमें भारत सरकार के कई सारे मंत्रालय भी आगे आए हैं। इस योजना में आंगनबाड़ी केंद्र नोडल बॉडी है। इस स्कीम के तहत आंगनबाड़ी की समस्याओं को दूर करने के लिए सोशल ऑडिट कर समस्याओं को दूर करने की कोशिश की गई है। इन आंकवाडी वर्कर को आईपेड जैसे उपकरण व अन्य सुविधाएं व ट्रेनिंग दी जा रही हैं जिससे वह बच्चों की मैपिंग करके बता सकें कि योजना का फायदा किस स्तर तक हो रहा है, कुपोषण की दृष्टि से भारत ने कितनी प्रगति की है ।

 

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कुपोषण मुक्त देश बनने के अभियान की जानकारी देते हुए  केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2016 में मातृ वंदना योजना शुरू कर धात्री महिलाओं और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण दूर करने का अभियान चलाया। वहीँ किशोरियों को एनीमिया और अल्पपोषण से बचने के लिए विशेष अभियान चलाया गया। बच्चों, महिलाओं और किशोरियों को स्वास्थ्य और मजबूत बनाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान, डी-वर्मिंग योजना, पीडीएस स्कीम से अनाज उपलब्ध कराना, नेशनल हेल्थ मिशन के तहत गांवों में दवाइयां एवं स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना आदि सभी योजनाओं पर ध्यान केन्द्रित की गयी।

 

पोषण अभियान को लेकर विश्व बैंक के सहयोग से इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम चलाया जा रहा है जिसके साथ पोषण मिशन को जोड़ दिया गया है। इसे लागू करने के लिए केंद्र में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय केंद्रीकृत एजेंसी है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष काउंसिल के अध्यक्ष है। उन्होंने कहा कि देशभर में कई सारी स्कीम चल रही हैं। इन सभी योजनाओं को एक साथ जोड़कर काम किया जा रहा है। इस दौरान महिलाओं के जीवन चक्र को ध्यान में रखकर कब क्या करना है पर काम किया जा रहा है। महिलाओं के शरीर की जरूरत के आधार पर उनके भोजन में बदलाव किया जा रहा है।

 

श्रीमति मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 0 से 6 साल तक के बच्चे, गर्भवती महिला और धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन का गठन किया गया है। इनमें कुपोषण को चरणबद्ध तरीके से दूर करने के लिए 3 साल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एकीकृत बाल विकास सेवा को कवर करने के लिए अम्ब्रेला योजना बनाई गई है। 0 से 6 साल, गर्भवती महिलाओं और धात्री महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए पोषण सामाग्री सहित अन्य दिशा में काम किया जा रहा है।

 

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक के सतस विकास एजेंडे के तहत 2030 तक सभी तरह की भूख और कुपोषण को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही लोगों, विशेष रूप से बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा है। आंकाक्षी जिलो में पोषण वाटिका बनाई जाएंगी जिससे वहां की महिलाएं ही जैविक सब्जियों व अन्य फसल को उपजायेंगी जिससे उनके पोषण में सुधार आएगा।

 

बच्चों के लिए मिशन इंद्रधनुष, महिलाओं के लिए मातृवंदन योजना, गृभवती महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी के लिए जननी सुरक्षा योजना जैसी विभिन्न योजनायें चल रही है। मिशन इंद्रधनुष के तहत 2014 में सरकार ने गर्भवती महिलाओं और दो साल तक के सभी बच्चों के लिए टीकाकरण शुरू किया। इसके तहत अब तक 4.10 करोड़ बच्चे वैक्सीनेटेड किये जा चुके हैं। वहीं मातृ वंदन योजना की शुरूआत 2016 में हुई। 1 जनवरी, 2017 से देश के सभी जिलों में  यह योजना लागू है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलिवरी कराने और स्तनपान कराने वाली को अच्छा पोषण देने के लिए 5 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। आज देश के 650 जिलों में इस योजना का फायदा उठाने वाली महिलाओं की संख्या करीब दो करोड़ है। वित्तीय वर्ष 2018 से 2020 के मध्य इस योजना के तहत 1.75 करोड़ पात्र लाभार्थियों को कुल 5931.95 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। अब तक प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के माध्यम से 16.49 करोड़ रुपए का भुगतान लाभार्थी महिलाओं को किया जा चुका है । वर्तमान वित्तीय वर्ष में 1.94 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था।

 

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बच्चों के पोषण की चिंता करते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के साथ मिड डे मील योजना कार्यक्रम को समावेशित किया है। यह बच्चों के पोषण को बनाए रखने के साथ कोरोना की चुनौतीपूर्ण समय में उनकी प्रतिरक्षा करने में सहायक सिद्ध हुई है।

 

(महेंद्र पांडेय)

कार्यालय सचिव

 

 

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