Salient points of press conference : Hon'ble Union Minister & Senior BJP Leader Shri Ravi Shankar Prasad on 23.03.2021


23-03-2021
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद जी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार शासन करने का नैतिक अधिकार पूरी तरह से खो चूकी है और यह सरकार विकास की नहीं बल्कि महालूट और वसूली करने वाली सरकार है।

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महाराष्ट्र में चल रहा लूट और वसूली का घटनाक्रम पूरी तरह ऑटो पायलट मोड में है और भ्रष्टाचार की ये गाड़ी किस किस रास्ते से कैसे गुजरेगी, इसकी कई किस्तें आनी अभी बाकी हैं.

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भारत के इतिहास में ये पहली बार हुआ कि किसी पुलिस कमिश्नर ने लिखा कि राज्य के गृह मंत्री जी ने मुंबई से 100 करोड़ रुपये महीना वसूली का टार्गेट तय किया है।

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100 करोड़ रुपये का टार्गेट था सिर्फ मुंबई से तो कृपया करके उद्धव ठाकरे और शरद पवार जी बताएं कि पूरे महाराष्ट्र का टार्गेट क्या था? अगर एक मंत्री का टार्गेट 100 करोड़ था तो बाकी मंत्रियों का टार्गेट क्या था?

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महाराष्ट्र के गृहमंत्री श्री देशमुख द्वारा 100 करोड़ रूपये उगाही का निर्देश क्या स्वयं के लिए था या उनकी पार्टी एनसीपी के लिए या फिर पूरे महाराष्ट्र सरकार के लिए थी?

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महाराष्ट्र में ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर भी वसूली चल रही थी। वो भी छोटे मोटे ऑफिसर्स की ही नहीं बल्कि बड़े बड़े भारतीय पुलिस सेवा अधिकारीयों की भी।

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जांच में ये बात उभरकर सामने आई कि ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट में बहुत रसूखदार और ब्रोकर्स लोग शामिल थे जिनके संबंध सत्ताधारी पार्टी के इर्द-गिर्द थे, सबूत के तौर पर वैध तरीके से प्राप्त डिजिटल कन्वर्सेशन को भी सामने रखा गया है.

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महाराष्ट्र जैसे राज्य में बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग में वसूली हो रही है, तो लगा मुख्यमंत्री कार्रवाई करेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दोषियों पर कार्रवाई करने की बजाये ईमानदार अधिकारियों पर ही गाज गिराई  फलतः इन दोनों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना पड़ा, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

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कई आरोपों से घिरे सचिन वाजे वर्षों तक सस्पेंड था, फिर वो  शिवसेना का सदस्य बना, वर्षों बाद ,कोरोना काल में उन्हें पुनर्बहाल किया गया और उस समय महाराष्ट्र सरकार द्वारा कहा गया कि कोरोना में पुलिस वाले बीमार पड़ रहे हैं इसलिए इनको लिया जा रहा है।

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वाजे की पुनर्बहाली के बाद उन्हें ही 100 करोड़ वसूली का टार्गेट दिया जाता है। फिर एंटीलिया का मामला सामने आता है जिसमें एक उद्योगपति के घर के बाहर एक संदिग्ध स्कार्पियो गाड़ी में कई जिलेटिन की छड़ें मिली थी, जो एक विस्फोटक पदार्थ है.

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यदि कहीं कोई विस्फोटक सामग्री मिलती है तो एनआईए को अधिकार है वह उसकी जांच करे साथ ही, एनआईए के सेक्शन 8 में एक अन्य प्रावधान है कि इससे जुड़ा कोई अपराध हो, तो एनआईए उसकी भी जांच कर सकती है.

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जब एनआईए उस विस्फोटक सामग्री वाली गाड़ी की जांच कर रही है तो उस जांच में उस गाड़ी के मालिक की संदेहास्पद मृत्यु की जांच की जिम्मेवारी महाराष्ट्र सरकार द्वारा एनआईए को क्यों नहीं दी जा रही है, जबकि एनआईए द्वारा प्रदेश सरकार से इस संबंध में आग्रह भी किया गया है.

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क्या इससे यह निष्कर्ष निकाला जाए कि इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ी साजिश की  संदिग्ध परिस्थितियों की व्यापक जांच को रोका जा रहा है?

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आखिर महाराष्ट्र सरकार को कौन चला रहा है? महाराष्ट्र का शो कौन चला रहा है? क्या यह महाराष्ट्र के इतिहास में सर्वाधिक उलझनों वाली सरकार है, जिनके नेता कुर्सी पर तो बैठे हैं लेकिन उनके पास कोई अथॉरिटी नहीं है?

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आखिर यह कौन सी अघाड़ी है जो तिगाड़ी पर खड़ी है?  इस वसूली अघाड़ी की राजनीतिक दिशा क्या है?

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आखिर शरद पवार जी की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो गृह मंत्री देशमुख का इतना बचाव कर रहे हैं वो भी गलत तरीके से। शरद पवार को राजनीतिक विश्वसनीयता हासिल है, लेकिन किस मजबूरी के तहत वह अनिल देशमुख का बचाव कर रहे हैं?

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने आज भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया और महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार शासन करने का नैतिक अधिकार पूरी तरह से खो चूकी है और यह सरकार विकास की नहीं बल्कि महालूट और वसूली करने वाली सरकार है।

 

श्री प्रसाद ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा का महाराष्ट्र में चल रहा लूट और वसूली का घटनाक्रम पूरी तरह ऑटो पायलट मोड में है और भ्रष्टाचार की ये गाड़ी किस किस रास्ते से कैसे गुजरेगी, इसकी कई किस्तें आनी अभी बाकी हैं. महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार विकास की नहीं बल्कि महालूट और वसूली करने वाली सरकार है.  भारत के इतिहास में ये पहली बार हुआ कि किसी पुलिस कमिश्नर ने लिखा कि राज्य के गृह मंत्री जी ने मुंबई से 100 करोड़ रुपये महीना वसूली का टार्गेट तय किया है।

 

श्री प्रसाद ने दो दिन पूर्व पटना में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उठाए गए सवालों को दोहराते हुए कहा कि 100 करोड़ रुपये का टार्गेट था सिर्फ मुंबई से तो कृपया करके उद्धव ठाकरे और शरद पवार जी बताएं कि पूरे महाराष्ट्र का टार्गेट क्या था? अगर एक मंत्री का टार्गेट 100 करोड़ था तो बाकी मंत्रियों का टार्गेट क्या था? श्री प्रसाद ने महाराष्ट्र सरकार से एक अन्य सवाल उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री श्री देशमुख द्वारा 100 करोड़ रूपये उगाही का निर्देश क्या स्वयं के लिए था या उनकी पार्टी एनसीपी के लिए या फिर पूरे महाराष्ट्र सरकार के लिए थी? इन तीनों प्रश्नों में से किसी का भी जवाब अब तक नहीं आया है और इन सवालों का जवाब शरद पवार के साथ साथ उद्धव ठाकरे को भी देना होगा क्योंकि यह भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा मामला है.  

 

श्री प्रसाद ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा कुछ दस्तावेजों के साथ आज सुबह की गई प्रेस वार्ता का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर भी वसूली चल रही थी। वो भी छोटे मोटे ऑफिसर्स की ही नहीं बल्कि बड़े बड़े भारतीय पुलिस सेवा अधिकारीयों की भी। महाराष्ट्र इंटेलिजेंस विभाग की अफसर रश्मि शुक्ला ने पूरे मामले की तहकीकात की जिसमें ये बात उभरकर सामने आई कि ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट में बहुत रसूखदार और ब्रोकर्स लोग शामिल थे जिनके संबंध सत्ताधारी पार्टी के इर्द-गिर्द थे, सबूत के तौर पर वैध तरीके से प्राप्त डिजिटल कन्वर्सेशन को भी सामने रखा गया है. इस रिपोर्ट को 2020 में महाराष्ट्र के तत्कालीन डीजीपी सुबोध जयसवाल ने राज्य के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को भेजा ताकि प्रदेश के मुख्यमंत्री इसपर कुछ संज्ञान ले सकें. महाराष्ट्र जैसे राज्य में बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग में वसूली हो रही है, तो लगा मुख्यमंत्री कार्रवाई करेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाये दोनों ईमानदार अधिकारियों- रश्मि शुक्ला और सुबोध जयसवाल पर ही गाज गिराई  फलतः इन दोनों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना पड़ा, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

 

श्री प्रसाद ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि कई आरोपों से घिरे सचिन वाजे वर्षों तक सस्पेंड था, फिर वो  शिवसेना का सदस्य बना, वर्षों बाद ,कोरोना काल में उन्हें पुनर्बहाल किया गया और उस समय महाराष्ट्र सरकार द्वारा कहा गया कि कोरोना में पुलिस वाले बीमार पड़ रहे हैं इसलिए इनको लिया जा रहा है। उसके बाद उन्हें ही 100 करोड़ वसूली का टार्गेट दिया जाता है। फिर एंटीलिया का मामला सामने आता है जिसमें एक उद्योगपति के घर के बाहर एक संदिग्ध स्कार्पियो गाड़ी में कई जिलेटिन की छड़ें मिली थी, जो एक विस्फोटक पदार्थ है. यदि कहीं कोई विस्फोटक सामग्री मिलती है तो एनआईए को अधिकार है वह उसकी जांच करे साथ ही, एनआईए के सेक्शन 8 में एक अन्य प्रावधान है कि इससे जुड़ा कोई अपराध हो, तो एनआईए उसकी भी जांच कर सकती है. जब एनआईए उस विस्फोटक सामग्री वाली गाड़ी की जांच कर रही है तो उस जांच में उस गाड़ी के मालिक की संदेहास्पद मृत्यु की जांच की जिम्मेवारी महाराष्ट्र सरकार द्वारा एनआईए को क्यों नहीं दी जा रही है, जबकि एनआईए द्वारा प्रदेश सरकार से इस संबंध में आग्रह भी किया गया है.   
 
श्री प्रसाद ने कहा की क्या इससे यह निष्कर्ष निकाला जाए कि इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ी साजिश की  संदिग्ध परिस्थितियों की व्यापक जांच को रोका जा रहा है? भारतीय जनता पार्टी इस पूरे प्रकरण में न तो किसी के प्रति टिप्पणी करना चाहती है और न किसी का पक्ष लेना चाहती है, सिर्फ तथ्यों को सार्वजनिक करने की कोशिश कर रही है जिससे कई संदेहास्पद सवाल खड़े हो रहे हैं.  

 
श्री प्रसाद ने महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा की आखिर महाराष्ट्र सरकार को कौन चला रहा है? महाराष्ट्र का शो कौन चला रहा है? क्या यह महाराष्ट्र के इतिहास में सर्वाधिक उलझनों वाली सरकार है, जिनके नेता कुर्सी पर तो बैठे हैं लेकिन उनके पास कोई अथॉरिटी नहीं है? इस प्रकरण में यदि शिवसेना से कुछ पूछा जाए तो कहते हैं एनसीपी से पूछो, एनसीपी से पूछा जाए तो वे कहते हैं मुख्यमंत्री से पूछिये, वही फैसला करने वाले हैं और कांग्रेस से पूछा जाए तो वे ये कहते हुए पल्ला झाड़ लेते हैं कि उन दोनों बड़ी पार्टियों से पूछिये. आखिर यह कौन सी अघाड़ी है जो तिगाड़ी पर खड़ी है?  इस वसूली अघाड़ी की राजनीतिक दिशा क्या है? 

 
श्री प्रसाद ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशान साधते हुए कहा की आखिर शरद पवार जी की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो गृह मंत्री देशमुख का इतना बचाव कर रहे हैं वो भी गलत तरीके से। शरद पवार को राजनीतिक विश्वसनीयता हासिल है, लेकिन किस मजबूरी के तहत वह अनिल देशमुख का बचाव कर रहे हैं? मैं शरद पवार जी से कहना चाहूंगा कि आप कृपया देश को बताएं कि गलत तथ्यों के आधार पर आपको महाराष्ट्र के गृहमंत्री को क्यों डिफेंड करना पड़ा?

 
श्री प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के शासन में घटित किसी भी घटना पर आवाज उठाई जाती है तो कहा जाता है कि महाअघाड़ी सरकार को बदनाम करने की साजिश है. पालघाट में साधुओं की हत्या के मामले में जब निष्पक्ष जांच की मांग की गई तो कहा गया महाअघाड़ी को बदनाम करने की साजिश है और पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई भी अब तक नहीं की. कुछ माह पूर्व जब एक पूर्व नेवी अधिकारी को शिवसैनिक गुंडों ने बुरी तरह पीटकर घायल कर दिया था तो उस पर भी जब मांग उठी तो कहा गया हमारी महाअघाड़ी सरकार को बदनाम करने की साजिश हो रही है. फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या मामले में जब पूरे देश में रोष पैदा हुआ था तो उसमें भी कहा गया महाअघाड़ी सरकार को बदनाम करने की साजिश हो रही है. अब जब भ्रष्टाचार का मामला उठाया जा रहा है तो महाराष्ट्र सरकार द्वारा वही तर्क दिया जा रहा है की महाअघाड़ी को बदनाम करने की साजिश की जा रही है.   

 

महेंद्र पांडेय

(कार्यालय सचिव)

 

 

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