Salient points of press conference of Hon'ble Union Minister Shri Gajendra Singh Shekhawat


द्वारा श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत -
17-08-2022
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज केन्द्रीय कार्यालय में राजस्थान की लचर कानून व्यवस्था को लेकर एक प्रेसवार्ता की. उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि राजस्थान अपराध की राजधानी बन चुका है. निरंतर महिलाओं-बच्चियों के साथ दुराचार की घटनाएं हो रही हैं, लाचार प्रशासन और सरकार के सामने अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. राजस्थान की जनता आज भय के वातावरण में जी रही है।

 

केन्द्रीय मंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए सवाल पूछा कि आज राहुल गाँधी, प्रियंका वाड्रा, सोनिया गाँधी और ह्यूमन राइट्स के चैम्पियंस कहाँ है? ये लोग लोग राजस्थान के करोड़ों लोगों के लिए चुप्पी कब तोड़ेंगे? जब देश आजादी का 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, उसी दिन राजस्थान के अलवर जिले में मुस्लिमों ने गोविंदगढ़ थाना क्षेत्र के रामबास गांव में सब्जी का ठेला लगा कर गुजर बसर करने वाले चिरंजी लाल की पीट-पीट कर हत्या कर दी।

 

       चाहे मॉब लिंचिंग का मामला हो, महिलाओं के खिलाफ दुराचार तथा नाबालिग बच्चियों की तस्करी का मामला हो, या फिर दलितों के खिलाफ अत्याचार और हिंदुओं के खिलाफ बर्बरता की बात हो, कांग्रेस शासन काल में राजस्थान हर तरह के अपराध में सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है। अलवर जिले की मॉब लिंचिंग से पहले सरेआम कन्हैया लाल की हत्या हुई, फिर एक सिख के साथ मॉब लिंचिंग हुई, लेकिन राजस्थान की गहलोत सरकार अपने वोट बैंक की राजनीति के चलते चुप्पी साधे हुए हैं।

 

राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, राजस्थान रेप के मामले में, पूरे देश में पहले नंबर पर और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की तस्करी के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। क्यों यूपी मेंलड़की हूं, लड़ सकती हूंका नारा देने वाली कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को राजस्थान में लड़कियों की बदहाली नहीं दिख रही है।

 

       मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद रेपिस्टों के लिए कम सजा की पैरवी करते हैं और रेपिस्टों के लिए मौत की सजा को सही नहीं मानते। सीएम अशोक गहलोत ने कुछ दिन पूर्व कहा था कि निर्भया कांड के बाद, जब से यह किया गया कि रेपिस्ट को फांसी की सजा मिलेगी, उसके बाद बच्चियों की रेप के बाद हत्याएं बहुत बढ़ गई हैं। रेप करने वाला देखता है कि कल यह मेरे खिलाफ गवाह बन जाएगी, तो वे उसकी हत्या कर देता है। इन्हीं सब बयानों के कारण राजस्थान में लगातार ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।

 

       राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में रेप पर महिलाओं का मजाक बनाते हुए निर्लज्जता से कहते हैंक्या करें? राजस्थान मर्दों का प्रदेश है। इस बयान से कांग्रेस के और विधायक भी मुस्कुराते दिखे। इस पर भी प्रियंका वाड्रा मौन क्यों हैं?

 

ये केवल राजस्थान की कहानी नहीं है, पूरे देश में कांग्रेस नेताओं की यही कहानी है। कर्नाटक में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के विधायक बेटे ने कुछ दिन पूर्व, सरेआम महिलाओं को लेकर बेहद निंदनीय टिप्पणी की। महिलाओं के खिलाफ भर्त्सनीय टिप्पणियों से कांग्रेस नेताओं के बयान भरे-पड़े हैं।

 

       देश में सालभर में कुल 28,046 रेप के मामले दर्ज हुए। इसमें से अकेले राजस्थान 5,310 बलात्कार के केस के साथ पहले नंबर पर है। इनमें से भी एक चौथाई से ज्यादा केस ऐसे हैं, जिनमें बलात्कार पीड़िताओं की उम्र 18 वर्ष से कम है।

 

       बेहद हैरानी की बात है कि देशभर में नाबालिगों से ज्यादती की जहाँ 2,640 घटनाएं एक साल में हुई, वहीं अकेले राजस्थान में यह आंकड़ा 1,279 रहा। राज्य की निष्क्रिय पुलिस से बैखोफ हवस के दरिंदे मासूमों तक को नहीं बख्श रहे हैं।

 

       एनसीआरबी के मुताबिक एक साल में राजस्थान में 53 नाबालिग लड़कियों की तस्करी के मामले सामने आए। इनमें अधिकतर मामले ट्राइबल बेल्ट के हैं। हाल ही में खुलासा हुआ कि प्रदेश की 12 नाबालिग बच्चियों को तस्करी करके केरल ले जाया गया। आश्चर्य की बात है कि राजस्थान पुलिस की मानव तस्करी निरोधी यूनिट को इसकी भनक तक नहीं लगी।

 

हाथरस और उन्नाव की घटना पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले राहुल गाँधी और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा प्रायोजित दौरा तो करते हैं लेकिन राजस्थान की घटना पर चुप्पी साध जाते हैं। राहुल जी और प्रियंका जी, कुछ दिन तो गुजारें राजस्थान में!

 

       दुष्कर्म के अलावा राजस्थान में अब नाबालिगों की खुलेआम खरीद-फरोख्त और तेज हो गई है। इनकी गरीबी का लाभ उठाकर लड़कियों के दलाल इन्हें दूसरे राज्यों में बेच रहे हैं और सरकार बंद आंख से तमाशा देख रही है।

 

       दलितों के खिलाफ भी राजस्थान में जम कर अत्याचार हो रहा है। कांग्रेस के विधायक पानाचंद मेघवाल ने दलितों पर हो रहे लगातार अत्याचार से आहत होकर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े करते हुए इस्तीफा दे दिया।

 

राजस्थान के करौली, जोधपुर आदि जगहों पर खुलेआम तुष्टिकरण की राजनीति होते दिखी। हालात यह है कि मुख्यमंत्री गहलोत जी की रोजा इफ्तार पार्टी तक में बारां सांप्रदायिक हिंसा का आरोपी न सिर्फ बेखौफ पहुंचता है, बल्कि कांग्रेस नेताओं के साथ फोटो लेकर सोशल मीडिया तक पर डालता है।

 

       राज्य की अशोक गहलोत सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने हिंदू समुदाय में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। इसे देखकर बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए विधायक और सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कांग्रेस से अलग होने की धमकी दी है।

 

       राजस्थान की गहलोत सरकार में धर्म के आधार पर भी भेदभाव हो रहा है। रीट एग्जाम में हिंदू छात्राओं के दुपट्टे, मंगलसूत्र और चूड़ियां तक उतरवा लिए गए जबकि हिजाब पहनकर परीक्षा देने की छूट दी गई।

 

       हालात यह भी है कि हिंदू त्योहारों पर शहरों में दंगे हो रहे हैं, लेकिन असामाजिक तत्वों को पुलिस की जरा भी परवाह नहीं है। हालात इतने बदतर हैं कि हिंदू मंदिरों, राम दरबार को तोड़ा जा रहा है।

 

अवैध खनन को लेकर सरकार के मंत्रियों को बचाने के लिए चौरासी कोसी परिक्रमा के पर्वतों को भी नहीं बख्शा गया, शिकायतें भी नहीं सुनी गई और साधु विजय दास जी की बलि ले ली गई। साधु विजय दास की हत्या के लिए राजस्थान सरकार परोक्ष रूप से जिम्मेदार है

 

       हालात इतने खौफनाक हैं कि उदयपुर में वीडियो बनाकर कट्टर आतंकी सर तन से जुदा कर देते हैं और अजमेर दरगाह का खादिम सरेआम हिंदूओं और उनके देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करते हैं।

 

       सच तो यह है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार में हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक बन गए हैं। कोटा पुलिस ने आगामी गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों को कुछ प्रतिबंधों के साथ दिशा-निर्देश दिए हैं। इनमें प्रतिमाओं की ऊंचाई 3 फीट से अधिक नहीं होने की बात भी कही गई है। इससे मूर्ति कारीगरों की परेशानी बढ़ गई है।

 

       कांग्रेस की गहलोत सरकार का ध्यान सरकार चलाने पर नहीं, सरकार बचाने पर है। कांग्रेस सरकार की कार्यशैली से त्रस्त होकर अब उसके ही विधायक और पार्षद इस्तीफा दे रहे हैं। हर दिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट में जुबानी जंग चलती है, लेकिन राज्य की जनता की सुध लेने वाला कोई नहीं है।

 

बीते दिनों, जालोर में जो घटना घटी है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, किन्तु यह कहना सरासर गलत होगा कि  राजस्थान में अगड़ों-पिछड़ों के बीच वैमनस्य बढ़ रहा है। सच्चाई है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार लॉ एंड आर्डर लागू करने में पूरी तरह विफल रही है। जिस तरह की रिपोर्ट आयी है उसके अनुसार, सभी बच्चे एक ही मटके में पानी पीते थे। शिक्षक भी हर वर्ग से हैं। अगर यह केवल एक घटना होती, तो राजस्थान के लोग शायद माफ कर देते, किन्तु राजस्थान में ऐसी कई घटनाएं घटित हुई हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार समय रहते उचित कार्रवाई क्यों नहीं की? कांग्रेस के आपसी कलह का खामियाजा आखिरकार राजस्थान की जनता भुगत रही है।

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