Salient points of the press conference of Hon'ble Union Minister Shri Gajendra Singh Shekhawat.


द्वारा श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत -
07-06-2023
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की प्रेस वार्ता के मुख्य बिन्दु

 

2004-2014 की अवधि में, यूपीए सरकार के कार्यकाल में, एक के बाद घोटाले हुए। इस दौरान, सामरिक, आर्थिक मोर्चे पर देश कमजोर हुआ। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था से जनता का विश्वास धीरे धीरे कम होते चला गया। यूपीए कार्यकाल में, देश की जनता को अनुभव होने लगा कि बाड़ ही खेत को खा रही है।

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देश की जनता ने 30 साल बाद, एक पार्टी को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर दिया। 2014 में केंद्र की सत्ता का बागडोर सँभालने के बाद माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य नागरिक के जीवन को ऊपर उठाने का संकल्प लेते हुए काम करने शुरु किए।

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हमारी नीति बनी राष्ट्र प्रथम और इसी को ध्यान में रखते हुए भारत के हित मे नीति और योजनाएं बनाई गईं और उसे कार्यान्वित भी किया गया।

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प्रधानमंत्री ने हरेक घर तक पेयजल पहुंचाने की व्यवस्था का संकल्प लेकर काम शुरु किया। 2019 से अबतक 9 करोड़ घरों में नल से पेयजल पहुंचाया जा चुका है, जबकि इससे पहले 3.23 करोड़ घरों तक ही नल से पेय जल पहुंचता था।

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2004 से 2014 तक पेयजल, स्वच्छता, सिंचाई और उसके आधुनिकीकरण को लेकर वाटर सेक्टर के बजट पर 26,278 करोड़ रुपये व्यय हुए थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बीते नौ साल में इस मद में 2.80 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए, जो 10-11 गुना अधिक है।

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वर्ष 2023-24 में 97,277 करोड़ रुपये जलशक्ति के लिए आवंटित किये गए हैं। यूपीए सरकार के दस सालों में जितनी राशि इस मद में खर्च हुई थी उससे चार गुनी राशि सिर्फ एक साल में आंवटित की गयी है।

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प्रत्येक व्यक्ति के घर तक योजना का लाभ पहुंचे, इस लक्ष्य को लेकर 2024 तक हरेक घर में नल से शुद्ध पेयजल पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले साढ़े तीन से चार साल के प्रयासों से गुजरात, पंजाब, बिहार, तेलंगाना में शतप्रतिशत घरों में नल से जल पहुंच रहे हैं।

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केन्द्र शासित प्रदेश, पुदुचेरी, अंडमान निकोबार, दादरा नगर हवेली, दमन और दीव  में भी शतप्रतिशत घरों में नल से जल पहुंच रहे हैं। 2023 तक कई राज्यों में यह आंकड़ा छूने का लक्ष्य लेकर काम हो रहे हैं।

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में केंद्र सरकार के 9 साल पूरे होने पर मंत्रालय द्वारा किये गए कार्यों का विस्तार से उल्लेख किया।

 

केंद्रीय मंत्री ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2004-2014 की अवधि में, यूपीए सरकार के कार्यकाल में, एक के बाद घोटाले हुए। इस दौरान, सामरिक, आर्थिक मोर्चे पर देश कमजोर हुआ। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था से जनता का विश्वास धीरे धीरे कम होते चला गया। युपीए कार्यकाल में, देश की जनता को अनुभव होने लगा कि बाड़ ही खेत को खा रही है।

 

देश की जनता ने 30 साल बाद, एक पार्टी को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर दिया। 2014 में केंद्र की सत्ता का बागडोर सँभालने के बाद माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य नागरिक के जीवन को ऊपर उठाने का संकल्प लेते हुए काम करने शुरु किए। हमारी नीति बनी राष्ट्र प्रथम और इसी को ध्यान में रखते हुए भारत के हित मे नीति और योजनाएं बनाई गईं और उसे कार्यान्वित भी किया गया।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपलब्धियों को यदि एक पंक्ति में विश्लेषित किया जाए तो यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि देश की संवैधानिक संस्थाओं से जनता का जो विश्वास खत्म-सा हो गया था, मोदी सरकार ने पिछले नौ सालों में उस विश्वास को पुनर्स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है।

 

यूपीए कार्यकाल में लगभग 69 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास शौचालय की सुविधा नहीं थी। देश में 18 हजार गांव बिना बिजली के थे। देश में लगभग 4 करोड़ परिवारों के घरों में बिजली नहीं थी। देश के 4 करोड़ परिवार चिन्हित किए गए, जिनके पास घर नहीं थे। देश में करोड़ों परिवार के पास बैंक खाते नहीं थे, उन्हें बिचौलिए पर निर्भर होना पड़ता था। सामान्य लोगों के लिए जो योजनाएं चलायी जाती थी उसका आकार इतना छोटा होता था कि उसका समाज पर व्यापक असर दिखायी नहीं पड़ता था।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इन व्यवस्थाओं को बदला, जो आज सामान्य जन के जीवन में दृष्टिगोचर हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने 2019 में हरेक घर में स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की बात कही थी। उस वक्त तक  देश के मात्र 16 प्रतिशत घरों में ही नल से शुद्ध पेयजल पहुंचने की व्यवस्था थी। देश की 84 प्रतिशत घरों की माताओं एवं बहनों को बाहर जाकर पेयजल लाना पड़ता था। वे सिर पर मटका रखकर जल लाने के लिए अभिशप्त थीं।

 

प्रधानमंत्री ने हरेक घर तक पेयजल पहुंचाने की व्यवस्था का संकल्प लेकर काम शुरु किया। 2019 से अबतक 9 करोड़ घरों में नल से पेयजल पहुंचाया जा चुका है, जबकि इससे पहले 3.23 करोड़ घरों तक ही नल से पेय जल पहुंचता था।

 

2004 से 2014 के कालखंड में जलशक्ति एक अलग मंत्रालय नहीं था, अलग अलग मंत्रालयों में इस विषय पर चर्चा होती थी। इस कारण यह विषय इतना जटील बन जाता था कि उसकी व्यापक उत्पादकता नहीं मिल पाती थी। 2004 से 2014 तक पेयजल, स्वच्छता, सिंचाई और उसके आधुनिकीकरण को लेकर वाटर सेक्टर के बजट पर 26,278 करोड़ रुपये व्यय हुए थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बीते नौ साल में इस मद में 2.80 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए, जो 10-11 गुना अधिक है।

 

2019 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इंटीग्रेटेड मिनिस्ट्री फॉर वाटर सब्जेक्ट बनाकर जलशक्ति मंत्रालय नाम दिया। विगत पांच सालों में सबसे ज्यादा बजट आवंटित होने वाले देश के पांच मंत्रालयों में से एक जलशक्ति मंत्रालय भी है। सिर्फ इस साल वर्ष 2023-24 में 97,277 करोड़ रुपये जलशक्ति के लिए आवंटित किये गए हैं। यूपीए सरकार के दस सालों में जितनी राशि इस मद में खर्च हुई थी उससे चार गुनी राशि सिर्फ एक साल में आंवटित की गयी है।

 

प्रत्येक व्यक्ति के घर तक योजना का लाभ पहुंचे, इस लक्ष्य को लेकर 2024 तक हरेक घर में नल से शुद्ध पेयजल पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले साढ़े तीन से चार साल के प्रयासों से गुजरात, पंजाब, बिहार, तेलंगाना में शतप्रतिशत घरों में नल से जल पहुंच रहे हैं। केन्द्र शासित प्रदेश, पुद्दुचेरी, अंडमान निकोबार, दादरा नगर हवेली, दमन और दीव  में भी शतप्रतिशत घरों में नल से जल पहुंच रहे हैं। 2023 तक कई राज्यों में यह आंकड़ा छूने का लक्ष्य लेकर काम हो रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने निर्देश दिया है कि सिर्फ पीने का पानी पहुंचाना ही नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जाए और इस दिशा में भी काम किये जा रहे हैं। प्रत्येक जिला और अनेक प्रखंडों में एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लेबोरेट्री बनायी गयी है, जो पेजयल की गुणवत्ता टेस्ट करता है। कोई भी आम आदमी एक नॉमिनल शुल्क पर यहाँ पेयजल की गुणवत्ता टेस्ट करा सकता है।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि गांव की माताओं एवं बहनों से यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि वे कस्बे में जाकर पीने का पानी टेस्ट करा पाएंगी। इस कारण हमलोगों ने 20 लाख से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षित किया। उनको स्टार्टअप से निर्मित हैंडी डिवाईस फिल्ड टेस्टिंग किट दी गयी, जिसके माध्यम से पानी की गुणवत्ता टेस्ट की जा सके।  आज देष में डेढ़ करोड़ से ज्यादा पानी के सैंपल टेस्ट हुए हैं। उस टेस्ट के आधार पर तुरंत कार्रवाई की जाती है। इसके लिए एक एसओपी भी बनायी गयी है।

 

इसी दिशा में ग्राम पंचायत और महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर पेयजल स्वच्छता की जिम्मेदारी ग्राम समिति को दी गयी है। 5.24 लाख गांवों में विलेज वाटर एडं सैनिटेशन कमिटी का निमार्ण किया गया है, जिसमें 10 से लेकर 21 सदस्य होते हैं और इसमें 50 प्रतिशत महिलाएं ही होती हैं। इससे भी ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है। सेंसर बेस्ड वाटर टेस्टिंग बनाने के लिए स्टार्टअप हेकेथान से क्षमता हासिल की गयी है, पिछले डेढ साल में 200 स्थानों पर इसका पायलट टेस्ट किया गया है और अब इसे अन्य स्थानों पर भी आगे बढ़ाया जा रहा है।

 

जलशक्ति मंत्रालय के अधीन ही स्वच्छता का विषय आता है। मोदी सरकार में 11 करोड़ शौचालय बने हैं। यूनाईटेड नेशन के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल की अपेक्षा थी कि 2023 तक हर व्यक्ति तक शौचालय पहुंचे। यह लक्ष्य हमने 2019 में ही प्राप्त कर लिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सिर्फ यही हमारे लिए लक्ष्य नहीं था, बल्कि यह एक पायदान था। इससे ऊपर, खुले में शौच से मुक्त परिकल्पना के साथ संपूर्ण स्वच्छता पूरा करना है। इसके तहत, सॉलिड वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, फेकल वेस्ट आदि प्रबंधन की क्षमता बनाने की दिशा में काम किये जा रहे हैं।

 

इस योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ जोड़ा गया। देश के 53 प्रतिशत गांव खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं। देश में 853 प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन की यूनिट बनायी गयी है। 1.20 लाख वेस्ट कलेक्शन सेंटर और सेग्रीगेशन शेड बनाए गए हैं। 684 बायोगैस प्लांट 207 जिलों में बनाए गए हैं, जहाँ से उत्पादित गैस पेट्रोलियम कंपनियां एक निश्चित दर पर खरीद लेती हैं।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के अमृतकाल में हर जिले में 75 अमृतसरोवर निर्माण करने की योजना बनायी। देश के 700 जिलों में अमृतसरोवर बनाने की पहल की गयी। लगभग 50 हजार अमृतसरोवर बनाने की परिकल्पना की गयी थी, किन्तु अबतक देश में लगभग 56 हजार अमृतसरोवर बन चुके हैं। इसके अलावा लगभग 56 हजार अमृतसरोवर निमार्णाधीन है।

 

भूगर्भ जल की खोज के लिए देश के 25 लाख स्क्वायर किलोमीटर की मैपिंग की गयी। हेलीबांड तकनीक का इस्तेमाल भी किया गया। इसके तहत भूगर्भ कहां मिल सकता है और उसे किस तरह से रिचार्ज किया जा सकता है, इसकी जानकरी पंचायत स्तर पर देने के लिए काम हो रहे हैं।

 

केंद्रीय मंत्री ने विपक्ष को आड़े लेते हुए कहा कि देश में सिंचाई के अनेक प्रोजेक्ट रुके हुए थे, जिन पर वर्षों से काम नहीं हो रहे थे। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लाकर उसे गति प्रदान की गयी। इसके लिए 106 परियोजनाओं को चिन्हित किए गए। आज उन परियोजनाओं में से 53 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। परियोजना पूर्ण होने से 24.80 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो रही है। इसके अतिरिक्त, लगभग 60 लाख एकड़ की सिंचाई क्षमता सृजित किए हैं, जिससे देश के लाखों किसानों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है।

 

छोटे एवं लघु सिंचाई से जुड़ी 6,213 योजनाओं को कार्यान्वित किये गए हैं। पिछले नौ सालों में इस मद में 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा व्यय किये गए हैं। तालाबों के संरक्षण और उसे पुनर्जीवित करने के लिए 2 हजार करोड़ की लागत से 228 परियोजनाओं पर काम किये गए हैं।अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया के तीसरा सबसे बड़ा बांधों वाला देश है। देश के 25 प्रतिशत बांध 75 साल की उम्र प्राप्त कर चुके हैं। देश के बांधों के रख रखाव एवं उसके संरक्षण को लेकर कोई आपरेटीव कानून नहीं था। जलशक्ति मंत्रालय के प्रयासों से संसद में डैम सेफ्टी का कानून बनाया गया। आज देश के सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में इस कानून के अनुरुप एसडीएसओ और एसडीएसई कमिटी की स्थापना की गयी है, जिससे बांध निरीक्षण की प्रक्रिया सुगम और सहज हुई है।

 

 नमामि गंगे परियोजना के लिए समन्वित प्रयासों से काम हो रहे हैं। 436 प्रोजेक्ट में से 248 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। आज गंगा नदी का  जल अधिकांश क्षेत्रों में जैसे होना चाहिए वैसा हो गया है। यूनाईटेड नेशन ने पिछले दशक में रिस्टोरेशन की प्रविष्टियाँ मांगी थी, उसमें नमामि गंगे की भी प्रविष्टि भेजी गयी थी, जिसमें दुनिया के टॉप टेन इनिशिएटिव में इसे पांचवें स्थान पर लिस्ट किया गया। अब गंगा से बढ़कर गंगा की सहायक नदियों पर भी काम शुरु किये गए हैं, जिसका परिणाम तीन चार साल में दिखने लगेगा। गंगा के अलावा 6 अन्य बड़ी नदी बेसिन पर काम करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किये जा रहे हैं। साथ ही, 1,500 करोड़ रुपये की लागत से अन्य नदियों की सफाई पर भी काम हो रहे हैं।

 

जल जीवन मिशन को लेकर नोबेल पदक विजेता माइकल क्रेमर ने अपने एक अध्ययन में पाया कि जल जीवन मिशन से प्रतिवर्ष 1.36 लाख लोगों का जीवन बचाया जा सकेगा। आज 3.60 लाख करोड़ रुपये से दुनिया का सबसे बड़ा पेयजल कार्यक्रम देश में चल रहा है।

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