केंद्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री हरदीप सिंह पुरी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
शाहजहां शेख संदेशखाली में दलित और आदिवासी महिलाओं का यौन शोषण करता है, जमीनों पर अवैध कब्जा करता है, गुंडाराज करता है और बंगाल की ममता सरकार शाहजहां शेख को संरक्षण दे रही है। आखिर ममता बनर्जी और उनकी सरकार एक अपराधी को बचाने के लिए इतनी बेचैन क्यों है?
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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने माना कि अगर शाहजहां शेख को राज्य पुलिस के हवाले किया गया, तो संदेशखाली घटना की निष्पक्ष जांच प्रभावित हो सकती है।
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हैरान करने वाली बात है कि अपराधी, बलात्कारी या जिनके खिलाफ मामला दर्ज होता है, वे राहत के लिए ऊपरि अदालतों में अपील करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में तो ममता बनर्जी की सरकार खुद बलात्कारी को बचाने का प्रयास कर रही है।
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भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब महिला मुख्यमंत्री की पुलिस खुद महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने वाले व्यक्ति को संरक्षण दे रही है।
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मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और उच्च न्यायालय द्वारा संदेशखाली मामले में हस्तक्षेप करने के बाद भी ममता बनर्जी शाहजहां शेख को बचाने का हर संभव प्रयास कर रही हैं।
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कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्णय के बावजूद ममता बनर्जी सरकार शाहजहाँ शेख और उससे जुड़े मामलों को सीबीआई को नहीं सौंप रही है। यह अदालत की अवमानना है।
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पहले तो बंगाल पुलिस शाहजहां शेख को गिरफ्तार ही नहीं कर रही थी, उसे 55 दिनों तक संरक्षण दियाहै। संदेशखाली की महिलाओं के आंदोलन, भाजपा द्वारा बार-बार उनके लिए न्याय की मांग और कलकत्ता उच्च न्यायालय के सख्त स्टैंड के बाद उसे गिरफ्तार तो किया गया, लेकिन अब भी उसे बचाने की कोशिश हो रही है।
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केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज बुधवार को नई दिल्ली स्थित पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर एक अपराधी और बलात्कारी शाहजहां शेख को संरक्षण देने और उसकी हिरासत सीबीआई को देने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाने पर जम कर निशाना साधा। उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय का हालिया आदेश पढ़कर सुनाया जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की सरकार आरोपी शाहजहां शेख का बचाव कर रही है। उनके साथ पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती शाजिया इल्मी और पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रमुख डॉ संजय मयूख भी उपस्थित थे। राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती शाजिया इल्मी ने भी ममता बनर्जी सरकार द्वारा पीड़ित महिलाओं के प्रति इस दुर्व्यवहार को शर्मनाक करार दिया।
श्री पुरी ने कहा कि 2013 से तृणमूल कांग्रेस के साथ आया शाहजहां शेख इस इलाके का बाहुबली है। शाहजहां शेख लोगों की जमीन पर अवैध कब्जा करता था, महिलाओं के साथ यौन शोषण करता था और इलाके में गुंडाराज फैला रखा है। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय की टीम 5 जनवरी को एक मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच करने वहां गई थी। शाहजहां शेख का अत्याचार पूरे देश के सामने के बाद भी पश्चिम बंगाल पुलिस 55 दिन तक तो इस बलात्कारी को गिरफ्तार ही नहीं कर रही थी और जब पीड़ित महिलाओं ने खुलकर इसका विरोध कर शाहजहां शेख की गिरफ्तारी की मांग की तब ये मामला आगे बढ़ा। इस मामले में मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय कड़ा रुख अपनाते हुए अपना फैसला सुनाया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में पिछले 2 महीने से जो चल रहा है वो सर्वविदित है। महिलाओं के साथ हुई अत्याचार और पश्चिम बंगाल के विफल प्रशासन के कारण संदेशखाली पूरे देश में बदनाम हो चुका है। संदेशखाली देश के समृद्धतम डेल्टा के पास स्थित है जहां की जमीन प्राकृतिक संसाधनों से भरी हुई है। श्री पुरी ने कुछ आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार संदेशखाली 1 ब्लॉक में 49 प्रतिशत हिंदू, 30 प्रतिशत मुसलमान और 15 प्रतिशत ईसाई जनसंख्या निवास करती है। इसके अलावा गैर मुस्लिम जनसंख्या में अनुसूचित जाति की संख्या 30 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की संख्या 26 प्रतिशत है। संदेशखाली द्वीप पर अधिकतम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसान और मछुआरे निवास करते हैं।
श्री पुरी ने शाहजहाँ शेख और उससे जुड़े मामले को सीबीआई को सौंपने के फैसले का कुछ अंश पढ़ते हुए बताया कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को पक्षपाती और शाहजहां शेख का बचाव करने के लिए फटकार लगाई है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने 55 दिन से फरार आरोपी को बचाने के लिए जांच में देरी करने के हर संभव प्रयास किए हैंं। आरोपी शाहजहां शेख के पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से अच्छे संबंध हैं जिसका उदाहरण है कि नॉर्थ 24 परगना जिला परिषद के कर्माध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होने के बाद भी सत्तारूढ़ पार्टी यानी टीएमसी ने उसे प्रत्याशी बनाया है। न्यायालय ने ये भी कहा कि राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति, शाहजहां शेख को बचाने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने लुका छिपी की रणनीति अपनाई और इस व्यक्ति ने ये भी दिखाया है कि अगर इसे राज्य पुलिस के हवाले कर दिया गया तो ये जांच को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए निष्पक्ष और कड़ी जांच की आवश्यकता है जिससे पीड़िताओं को न्याय मिल सके।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य पुलिस आरोपी शाहजहां शेख को गिरफ्तार नहीं होने दे रही है। साथ ही, उन्होंने कहा कि जो वीडियो वायरल हो रहे हैं उनमें दिख रहा है कि अदालत में पेश होने जाते समय वह विजय जुलूस की तरह मार्च कर रहा है। यहां तक कि वह विक्ट्री साइन भी बना रहा था। उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिस पूरी तरह से पक्षपात कर रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध कर रही है। आमतौर पर, बलात्कार के आरोपी या आरोपों का सामना करने वाले व्यक्ति उच्च न्यायालय में अपील की मांग करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में सरकार आरोपियों को बचाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।
श्री पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि राजनीतिक संबद्धता से परे एक साझा मानवता निहित है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि जब कई महिलाएं शिकायतें लेकर आगे आईं, तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को भी हमलों का सामना करना पड़ा। यह न केवल कानून-व्यवस्था की गहरी गिरावट को दर्शाता है, बल्कि समाज के भीतर नैतिक मूल्यों के पतन को भी दर्शाता है। यह बहुत शर्म की बात है और बेहद निंदनीय है कि एक राज्य सरकार ऐसी घटना होने देती है और 55 दिनों तक आरोपियों के खिलाफ कोई जांच नहीं होने देती है।
इसी कड़ी में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता श्रीमती शाजिया इल्मी ने कहा कि एक महिला होने के नाते यह कहते हुए शर्म आती है कि हमारे देश में एक ऐसी राज्य सरकार हैं जिसकी मुख्यमंत्री महिला होने के बावजूद दलित और आदिवासी महिलाओं की चीख नहीं सुन पा रही हैं। ऐसे क्या मजबूरी है कि जिसके चलते ममता बनर्जी शाहजहां शेख को बचा रही हैं? शाहजहां शेख के पास ऐसे क्या राज हैं जिनका पर्दाफाश होने से ममता भयभीत हैं। मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और यहां तक की उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप करने के बाद भी ममता बनर्जी शाहजहां शेख को बचाने का हरसंभव प्रयास कर रही हैं और इसे संरक्षण दे रही हैं। भारत के राजनीतिक इतिहास में पहली बार हुआ है जब मुख्यमंत्री की पुलिस खुद महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने वाले व्यक्ति को संरक्षण दे रही है। कलकत्ता उच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी के बाद भी शाहजहां शेख को बचाने की कोशिश हो रही हैं। ममता सरकार के हालात अत्यंत तकलीफदेह हैं। पश्चिम बंगाल की सरकार को अपने इस संरक्षण के लिए नारीशक्ति के आक्रोश को झेलना होगा क्योंकि इस विरोध की शुरुआत किसी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति ने नहीं वहां की महिलाओं ने की है। ममता सरकार को शीघ्र ही महिलाओं के आक्रोश का परिणाम लोकतांत्रिक तरीके से देखने को मिलेगा।
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