Salient points of the press conference of Hon'ble Union Minister Smt. Meenakshi Lekhi


द्वारा श्रीमती. मीनाक्षी लेखी -
30-05-2023
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेत्री और केन्द्रीय राज्यमंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी की प्रेसवार्ता के मुख्यबिंदु

 

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने आज केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा केजरीवाल सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करने के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में गंभीर आरोप लगाकर सिसोदिया की याचिका रद्द किया है जो स्पष्ट करता है कि मनीष सिसोदिया सीधे तौर पर शराब घोटाले में संलिप्त हैं। सही जांच के लिए मनीष सिसोदिया का जेल में रहना जरूरी है। इससे पूर्व भी ट्रायल कोर्ट द्वारा मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी गयी थी।

 

केंद्रीय मंत्री ने एक कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि जब बाड़ ही खेत को खाने लग जाए, तो बेचारा खेत क्या करे। ये कहावत दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और मनीष सिसोदिया पर सटीक बैठती है। जिन लोगों पर संवैधानिक संस्थाओं को बचाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने की जिम्मेदारी है, यदि वही भ्रष्टाचार करने लगे तो क्या होगा? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन लोगों से कानून के संरक्षण और उन्हें बनाए रखने की अपेक्षा की गई, वे ही कानून के उल्लंघनकर्ता बन गए हैं। जिन्हें दिल्ली और यहाँ की जनता की सेवा करनी थी, वे ही दिल्ली को लूटने के लिए भ्रष्ट आचरण करने के अलावा कुछ और नहीं कर रहे थे।

 

श्रीमती लेखी ने कहा कि शराब घोटाले में ईडी द्वारा दायर पहले चार्जशीट में दिल्ली की नई शराब नीति में कार्टेलाइजेशन सहित कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने का केस बना था। कुछ खास लोगों के लिए शराब बिक्री का कमीशन बढ़ाया गया जिससे दिल्ली को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाया गया। इसमें सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल हुई है।

 

कोर्ट का मानना है कि इस मामले में जो दस्तावेज प्रस्तुत किये गए हैं, उसमें जनता के एक सेवक, दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री का कार्यालय खुद ही भ्रष्टाचार में लिप्त बताया गया है। वे तत्कालीन आबकारी मंत्री और दिल्ली की नई शराब नीति के सूत्रधार हैं। यह वही व्यक्ति हैं, जो कुछ भी हरकत कर सकते हैं, गवाह एवं साक्ष्य को भी प्रभावित कर सकते हैं। गैर कानूनी तरीके से खरीद-फरोख्त जैसे काम कर सकते है। इस कारण, नई शराब नीति को लेकर जो मामले हैं, उसके मद्देनजर इनकी जमानत याचिका रिजेक्ट की जाती है।

 

दो दिन पूर्व, 27 मई 2023 को दिल्ली कोर्ट में एक सप्लीमेंट्री एफआईआर भी दायर की गयी है। जिसके पैरा संख्या 16.3 में कहा गया है कि जांच में हुए खुलासे के अनुसार ग्रुप ऑफ मिनिस्टर द्वारा  एल-1 के कीमत बढ़ाने के लिए किसी तरह का ब्योरा या रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किया गया। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर द्वारा आबकारी विभाग से इससे संबंधित रिपोर्ट नहीं ली गयी।  

 

यहाँ तक कि अरवा गोपी कृष्णा जो 5 मार्च 2021 को आबकारी आयुक्त नियुक्त हुए थे, उन्हें भी ग्रुप आफ मिनिस्टर की किसी भी बैठक में नहीं बुलाया गया और न ही वे किसी बैठक में उपस्थित रहे। सिर्फ टाइपिस्ट को बुलाया गया। गवाहों के बयानों से ये तथ्य उभरकर सामने आई है।

 

कम्प्यूटर, हार्ड डिस्क सहित जो अन्य सामान जब्त किए गए हैं, उसकी फॉरेंसिक जांच में पाया गया कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के फाइनल ड्राफ्ट की रिपोर्ट के पहले पेज पर लिखा गया था  ‘डेटा नीडेड’ अर्थात अन्य आंकड़ों की जरूरत है। इसके अलावे कई अन्य प्वाइंट जिन पर आरोपी मनीष सिसोदिया द्वारा डेटा/स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी, का उल्लेख भी किया गया है। ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स के ड्राफ्ट में यह भी प्रावधान था कि एल-1 लाइसेंस के लिए 5 प्रतिशत कमीशन अनिवार्य होगा और डिस्ट्रीब्यूटर मार्जिन पर कोई कैप भी नहीं होगा जिसे विनिर्माता द्वारा अपने चुने डिस्ट्रीब्यूटर के साथ इंडीविजुअल रूप से तय किया जा सकता है। इसके अलावा, थोक विक्रेताओं के लिए पिछले 5 वर्षों से हर साल 100 करोड़ रुपये के न्यूनतम टर्नओवर का पात्रता मानदंड था।

 

इसी तरह से स्टोरेज डिवाईस की जाँच से पता चला है कि सी अरविंद और सुनील सिंघल, जो टाईपिस्ट थे, के द्वारा यह काम 19 मार्च 2021 को रात 10:28 बजे समाप्त किया गया। उपरोक्‍त तथ्‍यों की पुष्‍टि सी अरविंद ने 164 के तहत दर्ज अपने बयान में की है।

 

ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स के ड्राफ्ट से यह तथ्य भी उभरा है कि शराब होलसेल बिजनेस में कमीशन को बढाकर 12 प्रतिशत कर दी जाए। पिछले पांच साल में, एल-1 लाइसेंस देने की क्राइटेरिया सालाना कारोबार 100 करोड़ रुपये से बढाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया जाए। इसी तरह से अन्य क्राइटैरिया भी बदले गए।

 

20-21 मई 2021 के दौरान साउथ ग्रुप वाले अभिषेक बोनपल्ली, अरुण आर पिल्लैई, बुच्ची बाबु, शरत रेड्डी, ये लोग एक चाटर्ड प्लेन से दिल्ली आए और गौरी आपर्टमेंट में एक मीटिंग हुई। उसमें आरोपी विजय नायर, अमन दीपसिंह ढल और अर्जुन पांडे भी शामिल थे, जहां  शराब घोटाले की साजिश रची गयी। लाइसेंस बदलने के लिए क्या नियम होंगे और फायदा उठाने सहित अन्य कामों की रूपरेखा भी इस मीटिंग में तैयार की गयी।

 

जांच में अन्य बातें भी उभरकर सामने आयी है। तत्कालीन आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के कहने पर इंडो स्प्रीट को लाइसेंस दिया गया, जबकि उस कंपनी के खिलाफ कार्टेलाइजेशन का अरोप था। मनीष सिसोदिया ने तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपीकृष्ण को धमका कर लाइसेंस देने का निर्देश दिया। तत्कालीन आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्णा ने 164 के बयान के तहत  इन बातों का उल्लेख किया है।

 

इन सभी तथ्यों को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आज मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को रिजेक्ट किया है। बात वहीँ आती है कि जब बाड़ ही खेत को खा जाए, तो खेत क्या करेगा? दिल्ली की केजरीवाल सरकार ही जब भ्रष्टाचर में लिप्त है, तो दिल्ली की जनता को कौन बचाएगा?

 

केजरीवाल सरकार के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का काम था दिल्ली को भ्रष्टाचार से मुक्त करना। जब वह स्वयं भ्रष्ट हो जायें और भ्रष्ट नीतियाँ लागू करें, तो आखिर दिल्ली की जनता की सेवा कौन करेगा और दिल्ली को भ्रष्टाचार से कौन बचाएगा।

 

दिल्ली में अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को दिल्ली के हित में बताते श्रीमती लेखी ने केजरीवाल द्वारा अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं से किए जा रहे मुलाकातों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा किसी को किसी से मिलने से नहीं रोक सकती लेकिन सच यह है कि भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए इस अध्यादेश का विरोध किया जा रहा है और जो भी राजनीतिक दल इस मसले पर केजरीवाल के साथ खड़े होंगे, जनता और इतिहास उन्हें भी याद रखेगी।

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