Salient points of the press conference of senior BJP Leader Shri Ravi Shankar Prasad


द्वारा श्री रविशंकर प्रसाद -
09-08-2023
Press Release

 

 

भाजपा के वरिष्ठ नेता, सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

आज नौ अगस्त है, आज ही के दिन महात्मा गांधी ने अंग्रेजों ‘भारत छोड़ो’ यानि ‘क्विट इंडिया’ का नारा दिया था और उसके 5 साल बाद ही अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।

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आज जब भारत अपनी आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है और 2047 में आजादी के सौ वर्ष पूरा करने जा रहा है, तो हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने तीन बड़े आह्वान किये हैं- परिवारवाद क्विट इंडिया, भ्रष्टाचार क्विट इंडिया, तुष्टिकरण क्विट इंडिया।

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देश के लोकतंत्र की शुचिता बचाने, देश के लोकतांत्रिक अस्तित्व को बचाने और गरीबों-पिछड़ों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को “क्विट इंडिया” कराना होगा।

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परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण की राजनीति लोकतांत्रिक व्यवस्था की गंदी त्रिवेणी है, जिसके पोषक सोनिया गांधी, राहुल गांधी, लालू यादव, अखिलेश  यादव, एम के स्टालिन समेत घमंडिया गठबंधन के अन्य नेता पोषक हैं।

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कोई किसी परिवार से जुड़ा व्यक्ति राजनीति करता है, तो कोई आपत्ति नहीं, लेकिन परिवारवाद का मतलब है कि परिवार का बेटा या बेटी ही पार्टी का नेता बने और सिर्फ नेता ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री भी बने या प्रधानमंत्री का दावेदार हो, या मुख्यमंत्री बने या मुख्यमंत्री का दावेदार हो, तो इस परिवारवाद को अब देश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।

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इस परिवारवाद में साधारण कार्यकर्ता को पार्टी का नेता बनने के लिए कोई जगह नहीं है।  क्षमता हो या न हो, सामर्थ्य हो या न हो, फिर भी परिवार की अगली पीढ़ी ही प्रधानमंत्री बनेगा या प्रधानमंत्री का दावेदार होगा, मुख्यमंत्री बनेगा या मुख्यमंत्री का दावेदार होगा। साथ ही पार्टी का “बॉस” भी बनेगा।

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राहुल गांधी की पैकेजिंग, रिपैकेजिंग होती रहती है। क्या कांग्रेस के लोग यह कभी विचार करते हैं कि भारत जैसे महान देश  का नेता बनने के लिए राहुल गांधी में नेतृत्व की क्षमता है भी या नहीं?

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कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक ट्वीट आया है ‘जननायक’ राहुल गांधी। दरबारी संस्कृति में जब राग दरबारी बजता है तो कई बेसुरे राग सुनने को मिलते हैं।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने गरीब, पिछड़ों को संगठित करके उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है। इसलिए जननायक तो प्रधानमंत्री मोदी जी हैं।

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने आज केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के गठबंधन को घमंडिया गठबंधन बताते हुए कहा कि देश के लोकतंत्र की शुचिता बचाने और गरीबों-पिछड़ों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को “क्विट इंडिया” कराना होगा। परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण की राजनीति लोकतांत्रिक व्यवस्था की गंदी त्रिवेणी है, जिसके पोषक सोनिया गांधी, राहुल गांधी, लालू यादव, अखिलेश  यादव, एम के स्टालिन समेत घमंडिया गठबंधन के अन्य नेता पोषक हैं।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि आज नौ अगस्त है, आज ही के दिन महात्मा गांधी ने अंग्रेजों ‘भारत छोड़ो’ यानि ‘क्विट इंडिया’ का नारा दिया था और उसके 5 साल बाद ही अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। इसमें हमारे क्रांतिकारियों की भी बड़ी भूमिका रही है। उन सभी महान सेनानियों को विनम्र श्रद्धांजलि! आज जब भारत अपनी आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर गया है और 2047 में आजादी के सौ वर्ष पूरा करने जा रहा है, तो हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने तीन बड़े आह्वान किये हैं- परिवारवाद क्विट इंडिया, भ्रष्टाचार क्विट इंडिया, तुष्टिकरण क्विट इंडिया।

 

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाना है तो इन तीनों अभिशाप- भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को भारत छोड़ना होगा। अगर देश की राजनीति में शुचिता को बचानी है और देश के लोकतांत्रिक अस्तित्व को बचाना है, तो इन तीनों अभिशापों को भारत छोड़ना होगा।

 

कोई किसी परिवार से जुड़ा व्यक्ति राजनीति करता है, तो कोई आपत्ति नहीं, लेकिन परिवारवाद का मतलब है कि परिवार का बेटा या बेटी ही पार्टी का नेता बने और सिर्फ नेता ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री भी बने या प्रधानमंत्री का दावेदार हो, या मुख्यमंत्री बने या मुख्यमंत्री का दावेदार हो, तो इस परिवारवाद को अब देश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।

 

इस परिवारवाद में साधारण कार्यकर्ता को पार्टी का नेता बनने के लिए कोई जगह नहीं है।  क्षमता हो या न हो, सामर्थ्य हो या न हो, फिर भी परिवार की अगली पीढ़ी ही प्रधानमंत्री बनेगा या प्रधानमंत्री का दावेदार होगा, मुख्यमंत्री बनेगा या मुख्यमंत्री का दावेदार होगा। साथ ही पार्टी का “बॉस” भी बनेगा।

 

कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी का सन्दर्भ लेते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी की पैकेजिंग, रिपैकेजिंग होती रहती है। क्या कांग्रेस के लोग यह कभी विचार करते हैं कि भारत जैसे महान देश  का नेता बनने के लिए राहुल गांधी में नेतृत्व की क्षमता है भी या नहीं?

 

कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक ट्वीट आया है ‘जननायक’ राहुल गांधी की। हमलोग बिहार में लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के सिपाही रहे हैं। लोकनायक तो सुना था, अब जननायक नया नाम आ गया। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और एक बहुत लोकप्रिय नेता कर्पूरी ठाकुर थे। वे बहुत ही गरीब परिवार और पिछड़े समुदाय में पैदा हुए थे। गरीबों के अधिकारों के लिए उन्होंने सतत संघर्ष किए, इससे प्रभावित होकर बिहार की जनता ने उन्हें ‘जननायक’ उपनाम से सम्मान दिया। यहां कांग्रेस ने राहुल गांधी को जननायक बना दिया।  दरबारी संस्कृति में जब राग दरबारी बजता है तो कई बेसुरे राग सुनने को मिलते हैं।

 

अब परिवारवाद का दूसरा उदाहरण हैं, समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव नहीं रहे, तो परिवार की असहमति के बावजूद अखिलेश  यादव पार्टी के अध्यक्ष बने और मुख्यमंत्री भी। अखिलेश  यादव के कारण उनके पार्टी में क्या होता है, यह बताने की जरूरत नहीं है। 

 

परिवारवाद परिवारवाद का तीसरा उदाहण बिहार में देखने को मिलता है. बिहार में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की पूरी चाहत है कि उनका बेटा तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री से उठकर मुख्यमंत्री बन जाए। लेकिन जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार अपना पत्ता ही नहीं खोल रहे हैं। हालांकि इनकी आतंरिक राजनीति से भाजपा को कुछ नहीं कहना, लेकिन बिहार की जनता अब तय कर चुकी है और आगामी चुनाव में जबरदस्त जवाब देगी।

 

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में हुई हिंसा के बाद एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के नाते गया, तो वहां आम चर्चा सुनने को मिली कि अभिषेक बनर्जी अपनी पारी के इंतजार में बेसब्र हो रहे हैं। वहां टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के पुत्र नहीं है, तो भतीजा आ गए हैं।

 

अब दक्षिण में देखिए, तमिलनाडु में एम. करूणानीधि के पुत्र एम के स्टालिन राज कर रहे हैं। वहीं उससे सटे राज्य तेलंगाना में केसीआर परिवार से बार -बार यह स्वर सुनाई पड़ रही है कि अब मुझे राज करने दिया जाए, क्योंकि दस सालों से इंतजार कर रहे हैं।

 

इसका दूसरा वीभत्स स्वरूप है कि परिवारवाद से उभरे नेता का मानना होता है कि कुछ करना नहीं है, क्योंकि गद्दी तो अपनी है। यहां लोकतांत्रिक जिम्मेदारी पूरी करने का दायित्व भी नहीं होता। उनका मानना होता है कि कुछ भी कर लो, मेरी अपनी जगह तो सुरक्षित रहेगी ही। इस कारण, परिवारवाद की राजनीति पूरी तरह अलोकतांत्रिक और गैर जिम्मेवार होता है।

 

सरदार बल्लभ भाई पटेल देश  के बहुत बड़े नेता थे, गुजरात में उनकी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी लगी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी, राहुल गांधी या कांग्रेस अध्यक्ष अभी तक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने नहीं गए, जबकि सरदार पटेल कांग्रेस नेता रहे हैं। आज तक गुजरात कांग्रेस के नेता भी वहीं नहीं गए हैं। आखिर यह कौन सा अहंकार है कि जिसने देश  को जोड़ा, उनकी प्रतिमा पर फूल नहीं चढ़ाएंगे।

 

इंडिया गेट पर देश  के महान सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा लगी है, जिनका देश  की आजादी में अविस्मर्णीय योगदान रहा है। कभी सोनिया गांधी या राहुल गांधी इनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करने गए हैं क्या?

 

भारत एवं अन्य देशों में युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद एवं सम्मान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इंडिया गेट के समीप वॉर मेमोरियल बनवाया। परमवीर चक्र से सम्मानित सभी भारतीय सैनिकों के लिए अलग से एक वाटिका बनायी गयी है। वहां परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों को डिजिटली सम्मान देने की भी व्यवस्था की गयी है। सोनिया गांधी या राहुल गांधी वॉर मेमोरियल जाकर शहीद जवानों एवं अधिकारियों को सम्मान देना उचित नहीं समझा। चूँकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने वॉर मेमोरियाल बनवाया है, तो मैं नहीं जाउंगा। इसे कहते हैं अहंकार। इसलिए ये घमंडिया गठबंधन हैं। क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव कभी वॉर मेमोरियल गए? क्या वहां शिवपाल यादव गए? ममता बनर्जी दिल्ली अक्सर आती हैं और श्री नरेन्द्र मोदी को गाली देती हैं। सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर ममता बनर्जी या उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी एक बार भी फूल चढ़ाने  हैं क्या? यही तो घमंडिया गठबंधन की पहचान है।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने गरीब, पिछड़ों को संगठित करके उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है। इसलिए जननायक तो प्रधानमंत्री मोदी जी हैं।

 

जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार, राजद नेता तेजस्वी यादव, सपा सुप्रीमो अखिलेश  यादव जवाब दीजिए कि आपको सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, वार जाकर सम्मान देने का अवसर नहीं मिला, क्यों? आप लोगों को वार मेमोरियल जाकर देश  के शहीदों को सम्मान देने का अवसर नहीं मिला क्यों? परिवारवाद की राजनीति करने वालों को अहंकार तो आएगा ही। जहां परिवारवाद की नग्न राजनीति होगी, वहां भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण अपने आप आ जाएगा। परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण भारतीय राजनीति की गंदी त्रिवेणी है। यह अलोकतांत्रिक राजनीति की गंदी त्रिवेणी है।

 

जहां परिवारवाद है, वहां भ्रष्टाचार है। जहां भ्रष्टाचार है, वहां तुष्टिकरण है। ये तीनों बुराईयां भारतीय राजनीति की गन्दी त्रिवेणी है। टूजी घोटाले, कोयला घोटाले के समय ‘परिवार’ का ही शासन था और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कितनी चलती थी, यह सब कोई जानता है। आदर्श घोटाले, हेलीकाप्टर घोटाले, सब-मैरिन घोटाले आदि सभी घोटाले में ‘परिवार’ के किसी सदस्य का हाथ था ही।

 

हमारी आध्यात्मिक परंपरा में ‘पंच तत्व’ की बात होती है कि यह शरीर पांच तत्वों का बना है- जल, थल, अग्नि, वायु एवं आकाश और इसी में मिल भी जाना है। कांग्रेस पार्टी और उनके मित्रों ने पंच तत्व की जबरदस्त व्याख्या की है। जब तक पांच तत्व तब तक प्रामाणिक नहीं होगा, जब तक पांचों तत्वों में घोटाले न हों। उन्होंने इसे करके भी दिखाया। कांग्रेस पार्टी ने थल पर आदर्श घोटाला किया। थल पर ही ये नहीं रूके और पाताल चले गए और कोयला घोटाला कर दिया। फिर आकाश में जाकर हेलीकाप्टर घोटाला कर दिया। वायु के साथ स्पेक्ट्रम चलता है, तो उन्होंने टूजी घोटाला कर दिया। जल में सब-मैरिन घोटला कर दिया। अग्नि घोटाला में दामाद जी बीकानेर में जमीन लेकर सुगर पार्क बना रहे हैं, उन पर अभी केस चल रहा है।

 

घमंडिया गठबंधन की बड़ी पार्टी कांग्रेस का यह हाल है। वहीं बिहार में लालू प्रसाद के शासन काल में चारा और अलकतरा घोटाले हुए, जिसमें सबको सजा मिली है। उसके बाद लालू प्रसाद द्वारा रेलवे में ‘जमीन दो और नौकरी लो’ घोटाला किया। वही हाल उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सपा सरकार और  बंगाल की टीएमसी तो इन सबसे आगे है। दक्षिण भारत में भ्रष्टाचार की आवाज रोज सुनाई पड़ रही है। दरअसल, परिवारवाद को मजबूत करने के लिए भ्रष्ट लोगों का सहयोग चाहिए ही।

 

घमंडिया गठबंधन से जुड़ी पार्टियों के लिए उनकी अपनी राजनीति चमकाने के लिए तुष्टिकरण का सहारा लेते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर एमवाई नाम कहां से आता था? सेक्यूलरिज्म की दुहाई देने वाले इतने बेशर्म तरीके से तुष्टिकरण करते हुए मुस्लिम-यादव की राजनीति करते हैं। आखिर उन्हें तो बिहार और यूपी में जीतना है। उसमें ममता बनर्जी ने और तड़का लगा दिया। ये सिमी और पीएफआई पर कोई कार्रवाई नहीं करती हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही बदल दिया था। तीन तलाक समाप्त करने का विधेयक जब आया था, तब सारी ‘परिवारवाद’ पार्टियों ने महिलाओं के सम्मान से जुड़ी ऐतिहासिक विधेयक का विरोध किया था।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नौ साल के शासन में तुष्टिकरण की राजनीति को समाप्त किया है। सत्ता के गलियारों में बिचौलियों एवं दलालों की एंट्री बैन कर दी गयी। सारे शासनिक एवं प्रशासनिक कार्य ईमानदारी से होते हैं, चाहे रक्षा सौदा हो या कोई अन्य सौदा। आज राफेल, सब-मैरिन भी आ रहा है और रक्षा उपकरण निर्यात भी हो रहा है। देश  और देशवासियों का लोकतंत्र मे विश्वास बढ़ाने के लिए इन तीन अभिशापों- भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को क्विट इंडिया कराना होगा।

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