Salient points of Press Conference of Senior BJP Leader & Union Minister Shri Piyush Goyal


21-11-2019
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

इलेक्टोरल बांड्स चुनाव सुधार और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे ईमानदार एवं पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया को संचालित करने में काफी मदद मिली है

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इलेक्टोरल बांड्स को लेकर कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे अनर्गल आरोप बेबुनियाद और तथ्य से परे हैं। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के इस दुष्प्रचार की कड़ी भर्त्सना करती है

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इलेक्टोरल बांड्स को लेकर झूठा एजेंडा वही लोग चला रहे हैं जो ईमानदारी और पारदर्शिता में यकीन नहीं रखते हैं और जिनके लिए भ्रष्टाचार करने के दरवाजे एक-एक करके बंद होते जा रहे हैं। इलेक्टोरल बांड्स से भ्रष्टाचार और बेईमानी के पैसे की राजनीति में एंट्री पर रोक लगी है

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भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा भ्रष्टाचार और काले-धन के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि जो राजनीतिक दल इलेक्टोरल बांड्स का विरोध कर रहे हैं, वे ही ख़ुशी-ख़ुशी उसी माध्यम से चंदा स्वीकार भी कर रहे हैं। यह दुष्प्रचार पराजित और निराश दलों के गठबंधन का वैचारिक दिवालियापन है

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जीप घोटाले, बोफोर्स, टूजी और कोलगेट से लेकर हाल ही में कांग्रेसी नेताओं के घर से इलेक्शन कमीशन द्वारा करोड़ों नकदी की जब्ती इस बात का इशारा है कि कांग्रेस किस तरह भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई रही है और उसने किस तरह चुनावों में भ्रष्टाचार किया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में सरकार ने बजट 2017-18 में 20,000 रुपये की पूर्व की सीमा से नकद चंदे की सीमा को घटाकर 2,000 रुपये कर दिया जिससे चुनाव में काफी हद तक काले-धन पर रोक लग सकी

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इलेक्टोरल बांड में एक इनबिल्ट केवाईसी तंत्र होता है जबकि पुरानी प्रणाली में चंदा देने वाले की साख के आकलन करने का कोई तरीका नहीं था। चूंकि चुनावी बांड के साथ कोई नाम जुड़ा नहीं है, इसलिए उत्पीड़न का कोई डर नहीं है

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इलेक्टोरल बांड किसी एक पार्टी के लिए जारी किये जाते हैं जो किसी एक विशेष बैंक के खाते में ही क्रेडिट हो सकता है। साथ ही यह इलेक्टोरल बांड केवल 15 दिनों के लिए ही वैध रहता है और यह गैर-हस्तांतरणीय भी है

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बांड पर एक इंविसिबल सीरियल नंबर होता है जिसे हर कोई नहीं देख सकता। ऐसा इसलिए ताकि डोनेशन देने वालों का कोई उत्पीड़न हो। इन बॉन्ड्स को केवल एक ही स्थान पर एनकोड किया जा सकता है। यह शेल कंपनियों से निपटने में भी काफी प्रभावी रहा है

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31 मार्च, 2017 को वित्त विधेयक के पारित होने और 2 जनवरी, 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना की अधिसूचना के बीच, भारतीय रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग के साथ इस मुद्दे पर सरकार ने गहन विचार विमर्श किया और कई सुझावों को भी बांड में शामिल किया गया

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इलेक्टोरल बॉन्ड पूरी तरह से ईमानदार डोनेशन के लिए है। अब वे लोग जो राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं लेकिन राजनीतिक प्रतिशोध से डरते हैं, इसमें योगदान देने में सक्षम होंगे

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया और इलेक्टोरल बांड्स को लेकर कांग्रेस एंड कंपनी द्वारा चलाये जा रहे दुष्प्रचार भाजपा को घेरने के कुत्सित प्रयासों की कड़ी आलोचना करते हुए कांग्रेस पर जम कर निशाना साधा।

 

श्री गोयल ने कहा कि इलेक्टोरल बांड्स चुनाव सुधार और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे ईमानदार एवं पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया को संचालित करने में काफी मदद मिली है। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड्स को लेकर झूठा एजेंडा वही लोग चला रहे हैं जो ईमानदारी और पारदर्शिता में यकीन नहीं रखते हैं और जिनके लिए भ्रष्टाचार करने के दरवाजे एक-एक करके बंद होते जा रहे हैं। इलेक्टोरल बांड्स को लेकर कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे अनर्गल आरोप बेबुनियाद और तथ्य से परे हैं। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के इस दुष्प्रचार की कड़ी भर्त्सना करती है।

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इलेक्टोरल बांड्स से भ्रष्टाचार और बेईमानी के पैसे की राजनीति में एंट्री पर रोक लगी है। जीप घोटाले, बोफोर्स, टूजी और कोलगेट से लेकर हाल ही में कांग्रेसी नेताओं के घर से इलेक्शन कमीशन द्वारा करोड़ों नकदी की जब्ती इस बात का इशारा है कि कांग्रेस किस तरह भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई रही है और उसने किस तरह चुनावों में भ्रष्टाचार किया। भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा भ्रष्टाचार और काले-धन के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि जो राजनीतिक दल इलेक्टोरल बांड्स का विरोध कर रहे हैं, वे ही ख़ुशी-ख़ुशी उसी माध्यम से चंदा स्वीकार भी कर रहे हैं। यह झूठ पराजित और निराश दलों के गठबंधन का वैचारिक दिवालियापन है।

 

श्री गोयल ने बताया कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने ने आईटी अधिनियम में संशोधन किया था और डोनेशन को व्यय के रूप में माना गया था। इससे अर्थव्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था में ईमानदारी को बढ़ावा मिला था। उसी के अनुरूप, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में सरकार ने बजट 2017-18 में 20,000 रुपये की पूर्व की सीमा से नकद चंदे की सीमा को घटाकर 2,000 रुपये कर दिया जिससे चुनाव में काफी हद तक काले-धन पर रोक लग सकी। चुनावी बांड पारदर्शिता लाने और सिस्टम से काले धन को हटाने के लिए चुनाव सुधार की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इलेक्टोरल बांड में एक केवाईसी तंत्र होता है जबकि पुरानी प्रणाली में चंदा देने वाले की साख के आकलन करने का कोई तरीका नहीं था। चूंकि चुनावी बांड के साथ कोई नाम जुड़ा नहीं है, इसलिए उत्पीड़न का कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड किसी एक पार्टी के लिए जारी किये जाते हैं जो किसी एक विशेष बैंक के खाते में ही क्रेडिट हो सकता है। साथ ही यह इलेक्टोरल बांड केवल 15 दिनों के लिए ही वैध रहता है और यह गैर-हस्तांतरणीय भी है। बांड पर एक इंविसिबल सीरियल नंबर होता है जिसे हर कोई नहीं देख सकता। ऐसा इसलिए ताकि डोनेशन देने वालों का कोई उत्पीड़न हो। इन बॉन्ड्स को केवल एक ही स्थान पर एनकोड किया जा सकता है। यह शेल कंपनियों से निपटने में भी काफी प्रभावी रहा है।

 

श्री गोयल ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और भारत निर्वाचन आयोग के साथ इलेक्टोरल बांड्स पर गहन विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2017 को वित्त विधेयक के पारित होने और 2 जनवरी, 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना की अधिसूचना के बीच, आरबीआई और चुनाव आयोग के साथ इस मुद्दे पर सरकार की कई बार बातचीत हुई और कई सुझावों को भी बांड में शामिल किया गया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इलेक्टोरल बॉन्ड का कोई दुरुपयोग कर सके, इसका नकदीकरण केवल योग्य पंजीकृत पार्टियों द्वारा और 15 दिनों के भीतर ही किया जा सकता है।

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के कई फायदे हैंए। पहले वाली सिस्टम ने काले धन का सृजन किया और व्यवस्था में नकदी को बढ़ावा दिया क्योंकि डोनेट करने वाले राजनीतिक प्रतिशोध के डर से अपने राजनीतिक योगदान की घोषणा करने से हिचक रहे थे। हालांकि नई प्रणाली में, डोनेशन देने वाले को बैंकिंग कैशलेस चैनल का उपयोग करके चंदा देना होता होता है और राजनीतिक दलों को भी उनके बैंक खाते में ही धन प्राप्त होता है। चंदा देने वालों और राजनीतिक दल का डेटा आयकर अधिकारियों को आसानी से प्राप्त हो सकता है।

 

श्री गोयल ने उल्लेख किया कि इलेक्टोरल बॉन्ड पूरी तरह से ईमानदार डोनेशन के लिए है। बांड भारतीय स्टेट बैंक का एक बैंकिंग साधन है, एक राजनीतिक दल को इसे एक घोषित बैंक खाते में जमा करना होता है। डोनर को चेक, डीडी, एनईएफटी / आरटीजीएस या डायरेक्ट डेबिट के माध्यम से आवेदक के खाते में दान करना होगा। इसलिए, कैश को चंदे की प्रक्रिया से हटा दिया गया है। हालाँकि, अब वे लोग जो राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं लेकिन राजनीतिक प्रतिशोध से डरते हैं, इसमें योगदान देने में सक्षम होंगे।

 

COMPARISON

 

S.

New System

Old system

  1.  

Inbuilt KYC requirement for donors.

Anonymous/ pseudonymous donors

  1.  

KYC compliance ensures clean tax-paid money.

Unclean money from unidentifiable sources

  1.  

EBs cannot be used as collateral

 

  1.  

Donors to donate only through a transparent mechanism using cheque, and online transactions. (contributions only below ₹2000 can be made through cash)

Non-transparent system

  1.  

No name of donee and donor. Hence, no fear of harassment.

Reluctance of donors to pay by cheque because of identity becoming known and fear of harassment

  1.  

This is the first step in substantially cleaning up the electoral funding process. An amount of ₹6,129 cr in 12 tranches has been received by different political parties.

Only marginal improvements in political funding were effected through earlier reform measures allowing tax exemptions to political parties disclosing donations in a prescribed manner. The mechanism of “pass-through” electoral trusts introduced by UPA government also had limited success.

7. 

Issued to a particular registered political party, redeemable in a designated bank account of that party. EBs are non-transferable instruments, valid for only 15 days. Hence, cannot equivalent to cash.They can be purchased only from a specified bank using a banking instrument.

 

Based on cash donations

8. 

Accounting entries in the books of political parties for EBs received by them ensuring audit trail.

No audit trail

 

 

(महेंद्र पांडेय)

कार्यालय सचिव

 

 

 

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