Salient points of speech of Hon'ble Union Home Minister & Minister for Cooperation Sh Amit Shah while addressing Shri Ramanujacharya millennium birth anniversary celebrations in Hyderabad


द्वारा श्री अमित शाह -
08-02-2022
Press Release

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह द्वारा चिन्ना जीयार स्वामी आश्रम (हैदराबाद) में श्री रामानुजाचार्य सहस्राब्दी जयंती समारोह को संबोधित करते हुए दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

 

मैं अपने को बड़भागी और सौभाग्यशाली मानता हूँ कि आज मुझे  श्रीमन्नारायण चिन्ना जीयर स्वामी जी के आशीर्वाद से महान संतों का सान्निध्य प्राप्त हुआ। मैं स्वामी जी को इस अलौकिक कार्य के लिए उन्हें साधुवाद देता हूँ।

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चाहे किसी भी पंथ और सम्प्रदाय के अनुयायी हो, सबको कम से कम एक बार यहाँ आकर प्रेरणा जरूर लेना चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है कि हमारी यात्रा कभी रुकेगी, थमेगी और फिर से एक बार दिग्विजयी होकर पूरे विश्व में ज्ञान का प्रचार और प्रसार करेगी।

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श्रीमन रामानुजाचार्य जी ने इस संदेश को कि सभी जीव एक समान हैं और वेदों के मूल वाक्य को समय की गर्त से बाहर निकाल कर अपने कार्यों से किसी के लिए भी कटु बोले बगैर अनेक परंपराओं को तोड़ते हुए समाज के बीच रखा।

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मैं स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी होकर आया हूं। स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी की प्रतिमा अभी-अभी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और दंडी स्वामी जी के कर कमलों से उद्घाटन हुआ है। मैं अभी वहां जाकर आया हूं। इस प्रतिमा को देखने से आत्म को एक अद्भुत शांति और प्रसन्नता मिलती है।

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इस पवित्र भूमि पर Statue of Equality स्मारक के साथ वेदाभ्यास की भी व्यवस्था की गई है। वेदों की 9 की 9 शाखाओं के अभ्यास करके विद्यार्थी यहां से निकलेंगे और पूरे देश में जहां जहां जाएंगे, वहां वेद के ज्ञान, सनातन धर्म की सुगंध ज्योति को प्रज्ज्वलित करते जाएंगे।

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रामानुजाचार्य जी में कुप्रथाओं के प्रति एक विद्रोह का भाव था जिससे उन्होंने बहुत ही विनम्रता के साथ कई कुप्रथाओं को बदला। विनम्रता विद्रोह मिलते हैं तो सुधार जन्म लेता है, कुप्रथा को अविवेक करे बगैर कृतित्व से बदलने को ही सुधार कहते हैं और यह उन्होंने बहुत अच्छे से किया।

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यह भगवन रामानुजाचार्य जी के जीवन का सहस्राब्दी वर्ष है। श्री रामानुजाचार्य जी के जीवन में सब चीज एक समान है। आज एक हजार साल बाद भी उनके द्वारा दिया गया संदेश केवल भारत को बल्कि पूरे विश्व को आगे बढ़ने का रास्ता दिखा रहा है।

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रामानुजाचार्य जी ने मध्यम मार्ग को व्याख्याहित कर विशिष्ट अद्वैत की अवधारणा से भारतीय समाज में एकता लाने का क्रांतिकारी काम किया। उनके विशिष्ट अद्वैत दर्शन के कारण ही पूर्व से पश्चिम तक भारत एक सूत्र में बंधा। कई भक्ति आंदोलनों का मूल ढूंढेगे तो विशिष्ट अद्वैत में ही मिलेगा।

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सनातन धर्म पर जब-जब संकट आया है, तब-तब कोई कोई महान मनीषी और संत आये, उन्होंने सनातन धर्म की ज्योति को प्रज्जवलित किया और ज्ञान की यात्रा को आगे बढ़ाया है।

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आदि शंकराचार्य जी ने ढेर सारे मत-मतांतरों को एक करते हुए  देश को एक छत्रछाया में लाने और सनतान धर्म को एक करने का काम किया। भगवन रामानुजाचार्य जी ने सनातन धर्म के माध्यम से सभी लोगों को एक सूत्र में पिरोने का किया है।

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सनातन धर्म मेंमैं ही सत्य हूंका जड़ता और अहंकार नहीं है। हमारे यहां हमेशा से शास्त्रार्थ, खंडन और मंडान की व्यवस्था रही। श्रेष्ठ को स्वीकारने की विनम्रता भी रही। इसी के कारण सनातन धर्म लगातार आगे बढ़ता गया।

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भगवन रामानुजाचार्य जी ने महिला सशक्तिकरण के लिए भी ढेरों काम किये। एक दलित महिला के साथ शास्त्रार्थ के बाद उन्होंने उक्त महिला से कहा कि आप मेरे से ज्यादा ज्ञानी हैं। जिसके बाद उन्होंने उस महिला को दीक्षा दी मंदिर में उनकी मूर्ति बनाकर सनातन धर्म के अनुयायिओं को समता का संदेश दिया।

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जब आक्रांताओ ने भारत में मंदिरों पर आक्रमण किया और मंदिर ध्वस्त होने लगे तब रामानुजाचार्य जी ने घर में भगवान की पूजा करने की जो परम्परा सनातन धर्म को दी उसी के कारण आज सनातन धर्म बचा हुआ है।

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भगवन रामनुजाचार्य जी के दर्शन में सत्ता या परमसत् के संबंध में तीन स्तर माने गए हैं- ब्रह्म अर्थात ईश्वर, चित् अर्थात आत्म, तथा अचित अर्थात प्रकृति। वस्तुतः ये चित् अर्थात् आत्म तत्व तथा अचित् अर्थात् प्रकृति तत्त्व ब्रह्म या ईश्वर से पृथक नहीं है बल्कि ये विशिष्ट रूप से ब्रह्म का ही स्वरूप है एवं ब्रह्म या ईश्वर पर ही आधारित हैं।

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जिस कालखंड में Statue of Equality बनी उसी कालखंड में भव्य राममन्दिर का निर्माण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का पुनरोद्धार हुआ, केदारधाम बदरीधाम के पुनर्निर्माण का काम हुआ। यही कालखंड है जहाँ से सनातन धर्म को जागरूक होकर पूरे विश्व में अपने देदीप्यमान ज्ञान को पुनः आगे बढ़ाना है।

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह ने आज मंगलवार को मुचिन्तल (हैदराबाद) में चिन्ना जीयार स्वामी आश्रम में श्री श्री रामानुजाचार्य सहस्राब्दी समारोह में भाग लिया। उन्होंने आश्रम मेंस्टैच्यू ऑफ इक्वलिटीका दर्शन किया और समग्र देश की सुख, शांति और समृद्धि की मंगलकामना की। उन्होंने आश्रम में बने 108 दिव्यदेशम (मंदिर) के भी दर्शन किये। इसके पश्चात् उन्होंने आश्रम में उन्बोधन भी दिया। कार्यक्रम में श्रीमन्नारायण चिन्ना जीयर स्वामी जी, आश्रम के मुख्य ट्रस्टी और तेलंगाना प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष श्री बांदी संजय कुमार भी उपस्थित थे।

 

श्री शाह ने कहा कि श्रीमन रामानुजाचार्य जी ने इस संदेश को कि सभी जीव एक समान हैं और वेदों के मूल वाक्य को समय की गर्त से बाहर निकाल कर अपने कार्यों से किसी के लिए भी कटु बोले बगैर अनेक परंपराओं को तोड़ते हुए समाज के बीच रखा। मैं स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी होकर आया हूं। स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी की प्रतिमा अभी-अभी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और दंडी स्वामी जी के कर कमलों से उद्घाटन हुआ है। मैं अभी वहां जाकर आया हूं। इस प्रतिमा को देखने से आत्म को एक अद्भुत शांति और प्रसन्नता मिलती है। इस प्रकार के महापुरुषों के स्मारक लोगों को सालों तक काम करने की चेतना और उत्साह देते हैं। इस प्रकार के महापुरुषों के स्मारक धर्म और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देते हैं। मैं बड़ी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि भगवन रामानुजमचार्य जी का यह स्मारक आने वाले युगों-युगों तक धर्मानुरागी लोगों को प्रेरणा और उत्साह से अभिभूत करता रहेगा। चाहे किसी भी पंथ और सम्प्रदाय के अनुयायी हो, सबको कम से कम एक बार यहाँ आकर प्रेरणा जरूर लेना चाहिए।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि यहां पर देश के सभी मतों के संप्रदाय के आचार्य बैठे हुए हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि हमारी यात्रा कभी रुकेगी, थमेगी और फिर से एक बार दिग्विजयी होकर पूरे विश्व में ज्ञान का प्रचार और प्रसार करेगी। इस पवित्र भूमि पर स्मारक के साथ साथ वेदाभ्यास की भी व्यवस्था की गई है। यहां पर वेदों की 9 की 9 शाखाओं के अभ्यास किए जा रहे हैं। यहां मौजूद शाखाओं में अभ्यास करके विद्यार्थी यहां से निकलेंगे और पूरे देश में फैलकर जहां जहां जाएंगे, वहां वेद के ज्ञान की सुगंध और ज्योति को प्रज्ज्वलित करते जाएंगे। सभी प्रकार की पूजा व्यवस्था और पूजा पद्धति को भी समाहित और संरक्षित करने का काम यहां किया गया है। जातिगत भेदभाव को समाप्त करने का काम भी रामानुजाचार्य जी ने किया।

 

श्री शाह ने कहा कि श्रीमन रामानुजाचार्य जी ने समग्र विश्व को समता का संदेश दिया। उन्होंने जातिगत भेदभाव को भी समाप्त करने का काम किया। स्वामी जी का प्रयास पूरा देश याद रखेगा। भाषा की समानता के लिए भी उन्होंने बहुत काम किया। उन्होंने वेदों का सार लिया और समाज में रखा, कई क्रूर रीति-रिवाजों को तोड़ दिया। रामानुजाचार्य जी में कुप्रथाओं के प्रति एक विद्रोह का भाव था जिससे उन्होंने बहुत ही विनम्रता के साथ कई कुप्रथाओं को बदला। विनम्रता विद्रोह मिलते हैं तो सुधार जन्म लेता है, कुप्रथा को अविवेक करे बगैर कृतित्व से बदलने को ही सुधार कहते हैं और यह उन्होंने बहुत अच्छे से किया।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि यह भगवन रामानुजाचार्य जी के जीवन का सहस्राब्दी वर्ष है। श्री रामानुजाचार्य जी के जीवन में सब चीज एक समान है। आज एक हजार साल बाद भी उनके द्वारा दिया गया संदेश केवल भारत को बल्कि पूरे विश्व को आगे बढ़ने का रास्ता दिखा रहा है। इस स्मारक के बनने से भगवन रामानुजाचार्य जी के समताका संदेश भारत सहित दुनिया भर में युगों युगों तक रहेगा। यह युगों-युगों तक विश्व भर में सनातन धर्म का संदेश देता रहेगा। मैं इस महान कार्य के लिए स्वामी जी को हृदय की गहराइयों से साधुवाद देता हूँ

 

श्री शाह ने कहा कि सनातन धर्म पर जब-जब संकट आया है, तब-तब कोई कोई महान मनीषी और संत आये, उन्होंने सनातन धर्म की ज्योति को प्रज्जवलित किया और ज्ञान की यात्रा को आगे बढ़ाया है। महान संत भगवन रामानुजाचार्य भी एक ऐसे ही व्यक्ति थे जिन्होंने शंकराचार्य के बाद इसे बहुत अच्छे से किया है। आदि शंकराचार्य जी ने ढेर सारे मत-मतांतरों को एक करते हुए  देश को एक छत्रछाया में लाने और सनतान धर्म को एक करने का काम किया। भगवन रामानुजाचार्य जी ने सनातन धर्म के माध्यम से सभी लोगों को एक सूत्र में पिरोने का किया है।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मुझे विचार आता है कि सनातन धर्म में ऐसा क्या है कि जिसकी धारा अक्षुण्ण रूप से बिना काल के थपेड़ों से प्रभावित हुए अमृत धारा की तरह बही जा रही है। अध्ययन करने पर पता चलता है कि सनातन धर्म मेंमैं ही सत्य हूंका जड़ता और अहंकार नहीं है। हमारे यहां हमेशा से शास्त्रार्थ, खंडन और मंडान की व्यवस्था रही। श्रेष्ठ को स्वीकारने की विनम्रता भी रही। इसी के कारण सनातन धर्म लगातार आगे बढ़ता गया।

 

श्री शाह ने कहा कि अभी आश्रम में चारों  वेद की नौ शाखाओं का पाठ हो रहा है, लक्ष्मी नारायण महायज्ञ हो रहा है। अश्ताक्षारी मंत्र का नौ करोड़ जाप हो रहा है। इससे पता चलता है कि ज्योति कितनी पवित्र होने वाली है। पुराणों, वैदिक ऋचाओं और आगमों का भी पाठ हो रहा है। महाप्रसाद भी चैबीस घंटे वितरित किया जा रहा है। आपके प्रयास को आने वाले युगों-युगों तक याद रखेगा। भगवन रामानुजाचार्य जी ने महिला सशक्तिकरण के लिए भी ढेरों काम किये। एक दलित महिला के साथ शास्त्रार्थ के बाद उन्होंने उक्त महिला से कहा कि आप मेरे से ज्यादा ज्ञानी हैं। जिसके बाद उन्होंने उस महिला को दीक्षा दी मंदिर में उनकी मूर्ति बनाकर सनातन धर्म के अनुयायिओं को समता का संदेश दिया। मेरा श्रीमन चिन्ना जीयर स्वामी जी से परिचय तब हुआ, जब गुजरात में भूंकप आया। स्वामी जी चुपचाप बिना सरकारी सुविधा मांगे बगैर एक गांव के पुनर्निर्माण ले लगे रहे कर बैठ गये। आज वैदिक परम्परा और संस्कृति की शिक्षा देने का काम यहां शुरू है। मैं नित्य प्रार्थना करूंगा कि यह ऐसा ही अनवरत चलता रहे और सनातन धर्म की सेवा करता रहे।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भगवन रामनुजाचार्य जी के दर्शन में सत्ता या परमसत् के संबंध में तीन स्तर माने गए हैं- ब्रह्म अर्थात ईश्वर, चित् अर्थात आत्म, तथा अचित अर्थात प्रकृति। वस्तुतः ये चित् अर्थात् आत्म तत्व तथा अचित् अर्थात् प्रकृति तत्त्व ब्रह्म या ईश्वर से पृथक नहीं है बल्कि ये विशिष्ट रूप से ब्रह्म का ही स्वरूप है एवं ब्रह्म या ईश्वर पर ही आधारित हैं। जैसे शरीर एवं आत्मा पृथक नहीं हैं तथा आत्म के उद्देश्य की पूर्ति के लिए शरीर कार्य करता है उसी प्रकार ब्रह्म या ईश्वर से पृथक चित् एवं अचित् तत्त्व का कोई अस्तित्व नहीं हैं वे ब्रह्म या ईश्वर का शरीर हैं तथा ब्रह्म या ईश्वर उनकी आत्मा सदृश्य हैं। भगवन रामनुजाचार्य जी ने वेदों के आधार पर जीवन जीने का रास्ता दिखाया। उन्होंने ब्रह्मसूत्र के जटिल ज्ञान सहित वेदांत दर्शन पर आधारित अपना नया दर्शन विशिष्ट द्वैत वेदांत भी प्रतिपादित किया। रामानुजाचार्य जी ने मध्यम मार्ग को व्याख्याहित कर विशिष्ट अद्वैत की अवधारणा से भारतीय समाज में एकता लाने का क्रांतिकारी काम किया। उनके विशिष्ट अद्वैत दर्शन के कारण ही पूर्व से पश्चिम तक भारत एक सूत्र में बंधा। कई भक्ति आंदोलनों का मूल ढूंढेगे तो विशिष्ट अद्वैत में ही मिलेगा। उन्होंने भाषा की समानता के लिए भी अहर्निश कार्य किया। उन्होंने यह सिद्धांत स्थापित किया कि भक्ति एवं ज्ञान के आधार पर मोक्ष का अधिकार सभी जीव को है। उन्होंने कई ग्रंथों की भी रचना की। ब्रह्मसूत्र पर लिखे उनके दो ग्रन्थ बहुत ही लोकप्रिय हुए। उनके द्वारा लिखे गए नौ ग्रंथ आज भी अहमदाबाद से 50 किलोमीटर दूर गाँव मानसा की लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं। संत रविदास जी द्वारा प्रतिपादित ज्ञान का मूल भी भगवन रामानुजाचार्य के ही संदेशों से आया है।

 

श्री शाह ने कहा कि जब आक्रांताओं ने भारत में मंदिरों पर आक्रमण किया और मंदिर ध्वस्त होने लगे तब रामानुजाचार्य जी ने घर में भगवान की पूजा करने की जो परम्परा सनातन धर्म को दी उसी के कारण आज सनातन धर्म बचा हुआ है। जिस कालखंड में Statue of Equality बनी उसी कालखंड में भव्य राममन्दिर का निर्माण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का पुनरोद्धार हुआ, केदारधाम बदरीधाम के पुनर्निर्माण का काम हुआ। यही कालखंड है जहाँ से सनातन धर्म को जागरूक होकर पूरे विश्व में अपने देदीप्यमान ज्ञान को पुनः आगे बढ़ाना है। मैं अपने को बड़भागी और सौभाग्यशाली मानता हूँ कि आज मुझे  श्रीमन्नारायण चिन्ना जीयर स्वामी जी के आशीर्वाद से महान संतों का सान्निध्य प्राप्त हुआ। मैं स्वामी जी को इस अलौकिक कार्य के लिए एक बार पुनः साधुवाद देता हूँ।

 

महेंद्र कुमार

(कार्यालय सचिव)

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