Salient points of speech : Hon'ble Union Home Minister & Minister for Cooperation Shri Amit Shah while addressing 7th Rashtriya Adhiveshan of Sahkar Bharti in Lucknow (UP)


द्वारा श्री अमित शाह -
17-12-2021
Press Release

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा लखनऊ में आयोजित सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

 

देश का आर्थिक विकास कई सारे रास्तों से संभव है लेकिन हर व्यक्ति का देश के आर्थिक विकास में योगदान हो और इसका फायदा देश के हर एक व्यक्ति तक पहुंचे, यह सहकारिता के माध्यम से ही संभव है। आत्मनिर्भर भारत की कल्पना भी सहकारिता के सफल मॉडल के बगैर साकार नहीं हो सकती।

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देश के हर नागरिक का समान विकास वामपंथी सिद्धांत से हो सकता है और ही पूंजीवाद के सिद्धांत से। यह केवल और केवल सहकारिता के रास्ते ही संभव है। इसे कई सहकारी संस्थाओं ने कर दिखाया है। लिज्जत पापड़, अम्मूल ब्रांड और इफ्को जैसी संस्था भी भी सहकारिता की ही एक सक्सेस स्टोरी है, एक सफल मॉडल है।

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सहकारी संस्थाओं का एग्रीकल्चर फाइनेंस में 19% से 22%, खाद के वितरण में 35%, खाद के उत्पादन में 25%, चीनी के उत्पादन में 31%, दूध की खरीदी और उत्पादन में 20%, गेहूं खरीद की व्यवस्था में 13% और धान की खरीदारी में लगभग 20% योगदान है।

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सहकारी संस्थाओं का मुनाफ़ा किसी एक व्यक्ति या संस्था के बैंक एकाउंट में नहीं, बल्कि करोड़ों छोटे-छोटे लोगों के बैंक एकाउंट में पहुंचता है। देश के अर्थतंत्र को गति देने में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान होने वाला है।

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मैं आप सबको यह भरोसा देता हूँ कि अब को-ऑपरेटिव के साथ कोई सेकंड ग्रेड सिटिजन जैसा व्यवहार नहीं कर पायेगा और यह बहुत ही कम समय में दिखना शुरू हो जाएगा क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं मानते हैं कि सहकारिता के बगैर देश का सम-विकास असंभव है।

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पैक्स कृषि व्यवस्था की आत्मा है। प्राइमरी एग्रीकल्चर सोसायटी को कम्पयूटराइज करने का काम केंद्र की श्री नरेन्द्र मोदी सरकार कुछ ही समय में करने जा रही है। मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट में भी परिवर्तन किया जाएगा लेकिन परिवर्तन करने से पहले हम मसौदे को सुझावों के लिए डेढ़ माह तक वेबसाईट पर रखने वाले हैं।

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प्राकृतिक खेती का फायदा किसानों को कैसे मिले, इसके लिए भूमि की व्यवस्था कैसे हो, उत्पाद के लिए समुचित प्रक्षिक्षण की व्यवस्था कैसे बने, फिर उत्पादों के सर्टिफिकेशन और उसके मार्केटिंग की व्यवस्था कैसे विकसित हो, इस सबके लिए सहकारी संस्थाओं को आगे आना होगा।

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पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले हम दो राज्यों को हाथ में लेंगे जहाँ ऑर्गेनिक खेती के मार्केटिंग चेन की व्यवस्था होगी ताकि प्राकृतिक खेती करने वालों को पूरा फायदा उनके बैंक एकाउंट में प्राप्त हो सके।

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सहकारी संगठनों, सहकारी समितियों, विशेषज्ञों की मांग और सहकारिता को देश के विकास का एक प्रमुख कारक मानते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। मैं यह बखूबी समझता हूँ कि यह कोई पद नहीं बल्कि एक विशेष जिम्मेदारी है।

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एक सहकारी संगठन को देश की अर्थव्यवस्था में जुड़ने और लोगों को अपने से जोड़ने के लिए तीन हिस्सों में रणनीति बनानी चाहिए। उन्हें सहकारिता की दृष्टि से विकसित, विकासशील और अविकसित राज्यों की तीन अलग-अलग कैटेगरी बनानी चाहिए। सहकार भारती को उन राज्यों में अपनी गतिविधियाँ बढ़ानी चाहिए जहाँ सहकारिता का विचार निर्बल हो रहा है।

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सहकारी समितियों में प्रशिक्षण के लिए कानून में समयानुकूल परिवर्तन, पारदर्शी चुनाव की व्यवस्था, पारदर्शी नियुक्ति पद्धति की व्यवस्था, ओपन मेंबरशिप के लिए नीतियां और इसके नियमित ऑडिट के संस्कार को भी लागू करना होगा, तभी सहकारिता आंदोलन को गति मिलेगी। इन समस्याओं पर आप यदि एक पॉलिसी डॉक्यूमेंट सहकारिता मंत्रालय को देंगे तो हम सभी राज्य सरकारों के साथ मिल कर उसे प्रभावी रूप से लागू कर सकते हैं।

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अभी तीन दिन पहले ही यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बाबा श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया है। औरंगजेब द्वारा मंदिर को तोड़े जाने से लेकर आज तक जो भी श्रद्धालु वहां जाते थे, दुखी मन से सोचते थे कि इस पवित्र जगह का जीर्णोद्धार कैसे होगा?

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आज बाबा विश्वनाथ की नगरी को दिव्यता और भव्यता देने का कार्य हमारे प्रधानमंत्री जी ने किया है। हो सके तो आप सब सहकारी प्रतिनिधि भी बाबा विश्वनाथ के दर्शन करके जाइयेगा, आपको दिव्य शांति का अनुभव होगा।

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दूसरी बार जब जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने तो उनके कर-कमलों से अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का कुछ महीने पहले ही भूमिपूजन भी संपन्न हुआ है और कुछ माह बाद हम भव्य मंदिर में प्रभु श्रीराम के दर्शन भी कर सकेंगे।

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कई सालों से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक व्यवस्था चरमराई हुई थी। 2017 में भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश आज देश का महत्वपूर्ण कंट्रीब्यूटर है, देश के विकास का ग्रोथ इंजन है।

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माफियाओं, अपराधियों, अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार को उत्तर प्रदेश की सीमाओं से खदेड़ने का काम पिछले पांच वर्षों में योगी आदित्यनाथ सरकार ने किया है।

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मुझे विश्वास है कि सहकार भारती, सहकारिता के क्षेत्र में नया बदलाव लाने के लिए बनाए गए नए सहकारिता मंत्रालय की सहायक बनेगी और सहकारिता के सिद्धांत को मजबूती देगी।

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह जी ने आज लखनऊ में सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित किया और देश के विकास के साथ देश के सभी लोगों के सम-विकास में सहकारिता की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, सहकार भारती के अध्यक्ष श्री रमेश वैद्य, भारत सरकार में मंत्री श्री बी एल वर्मा, सहकार भारती के महामंत्री डॉ उदय जोशी, उत्तर प्रदेश सहकारिता मंत्री श्री मुकुट बिहारी वर्मा, स्वागत समिति के अध्यक्ष एवं सांसद श्री संतोष गंगवार, सहकार भारती, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष श्री रमाशंकर और सहकार भारती, उत्तर प्रदेश के महामंत्री श्री प्रवीण सिंह जादौन सहित 27 राज्यों के 600 से अधिक जिलों से आये लगभग 3000 से अधिक सहकारी प्रतिनिधि उपस्थित थे।  

 

श्री शाह ने कहा की स्वर्गीय लक्ष्मण राव जी द्वारा सहकार भारती की स्थापना से लेकर आज तक मेरा सहकार भारती के विचार से अटूट नाता रहा है। सहकारिता के अमूल्य विचार का संरक्षण और संवर्धन करने, इस विचार की मजबूती के लिए प्रशिक्षण की चिंता करने और सहकारिता को मूल रूप से अखिल भारतीय आंदोलन बनाने में सहकार भारती का विशेष योगदान रहा है। सहकार भारती का उद्देश्य चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि सहकारिता की भावना को मजबूत कर देश के विकास में सहकारिता की विशेष भूमिका सुनिश्चित करना है। मैं आप सब पदाधिकारियों और सहकारी प्रतिनिधियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ कि आप आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की पूर्ति में एक साधन बन कर कार्य कर रहे हैं। सहकार भारती के रूप में जन-जन के विकास की आकांक्षा के साथ जो एक बीज बोया गया था, आज वह बटवृक्ष के रूप में फलित होता हुआ हम देख रहे हैं।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्षों से सहकारी संगठनों, सहकारी समितियों, विशेषज्ञों और लाखों लोगों की यह मांग थी कि सहकारिता को मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सरकार में एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाना चाहिए जो सहकारिता के आंदोलन को एक नई ऊर्जा दे, उत्साह दे और देश के विकास में योगदान दे। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता के व्यापक उद्देश्य को समझते हुए जन-जन के विकास की अवधारणा के साथ सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। मैं अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली समझता हूँ कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने मुझे देश का पहले सहकारिता मंत्री बनने का अवसर प्रदान किया। मैं यह भी बखूबी समझता हूँ कि यह कोई पद नहीं बल्कि एक विशेष जिम्मेदारी है।

 

श्री शाह ने कहा कि देश में सहकारिता की कितनी सार्थकता बची हुई है, यह देश के विकास में कितना योगदान दे सकता है - इन सब बातों पर लंबे समय से बहस चल रही है। लेकिन, हमें यह ध्यान होना चाहिए कि लिज्जत पापड़ भी सहकारिता की ही एक सक्सेस स्टोरी है, अमूल ब्रांड भी सहकारिता का ही एक सफल मॉडल है और इफ्को जैसी संस्था भी इसी सहकारिता के सिद्धांत पर चलते हुए कृषि के विकास और किसानों के कल्याण के प्रति समर्पित होकर कार्य कर रही है। हकारिता के इन सफल मॉडल्स के आधार पर देश भर में अलग-अलग तरह की कई संस्थाएं खड़ी हुई जिनका देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान है। सहकारी संस्थाओं का एग्रीकल्चर फाइनेंस में 19% से 22%, खाद के वितरण में 35%, खाद के उत्पादन में 25%, चीनी के उत्पादन में 31%, दूध की खरीदी और उत्पादन में 20%, गेहूं खरीद की व्यवस्था में 13% और धान की खरीदारी में लगभग 20% योगदान है। इन सभी क्षेत्रों में इतनी बड़ी व्यवस्था सहकारिता के माध्यम से देश भर में चल रही है। इतना ही नहीं, इन सारी गतिविधियों का मुनाफ़ा भी किसी एक व्यक्ति या एक संस्था के बैंक एकाउंट में नहीं जाता बल्कि करोड़ों छोटे-छोटे लोगों के बैंक एकाउंट में पहुंचता है। देश के अर्थतंत्र को गति देने में आने वाले दिनों में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान होने वाला है। आत्मनिर्भर भारत की कल्पना भी सहकारिता के सफल मॉडल के बगैर साकार नहीं हो सकती। इसके माध्यम से देश के छोटे से छोटे व्यक्ति की आय को बढ़ाने और उन्हें सम्मान दिलाने का कार्य हो सकता है।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश का आर्थिक विकास कई सारे रास्तों से संभव है लेकिन हर व्यक्ति का देश के आर्थिक विकास में योगदान हो और इसका फायदा देश के हर एक व्यक्ति तक पहुंचे, यह सहकारिता के माध्यम से ही संभव है। सहकारिता के सिद्धांत को नई गति देने जब आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की है, उस वक्त सहकारिता से जुड़े हम सभी लोगों, सहकारी समितियों और सहकार भारती जैसे संगठनों को दृढ़ संकल्पित होकर आदरणीय प्रधानमंत्री जी के निर्णय के साथ खड़े रहना चाहिए। गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में सहकारिता के माध्यम से काफी अच्छा कार्य हो रहा है। अब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी इस दिशा में कई कार्य हो रहे हैं लेकिन अभी भी कई ऐसे राज्य हैं जहाँ सहकारिता आंदोलन समाप्ति के कगार पर है। सहकार भारती को इन जगहों पर अपनी गतिविधियाँ बढ़ानी चाहिए और हर जिले, हर तहसील और हर गाँव में सहकारिता की सफल इकाई चले, इस तरह का कार्य होना चाहिए।

 

श्री शाह ने कहा कि एक सहकारी संगठन को देश की अर्थव्यवस्था में जुड़ने और लोगों को अपने से जोड़ने के लिए तीन हिस्सों में रणनीति बनानी चाहिए। उन्हें सहकारिता की दृष्टि से विकसित, विकासशील और अविकसित राज्यों की तीन अलग-अलग कैटेगरी बनानी चाहिए। साथ ही, सहकारी समितियों में प्रशिक्षण के लिए कानून में समयानुकूल परिवर्तन, पारदर्शी चुनाव की व्यवस्था, पारदर्शी नियुक्ति पद्धति की व्यवस्था, ओपन मेंबरशिप के लिए नीतियां और इसके नियमित ऑडिट के संस्कार को भी लागू करना होगा, तभी सहकारिता आंदोलन को गति मिलेगी।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई इनिशिएटिव लिए हैं। भारत सरकार व्यापक विचार विमर्श से नई सहकारी नीति लाने के लिए कृतसंकल्पित है। सहकारिता मंत्रालय कुछ ही समय में इसकी गतिविधियों को शुरू करेगा। जैसे, कृषि व्यवस्था में पैक्स उसकी आत्मा है। प्राइमरी एग्रीकल्चर सोसायटी को कम्पयूटराइज करने का काम केंद्र की श्री नरेन्द्र मोदी सरकार कुछ ही समय में करने जा रही है। इसके बाद हर पैक्स को डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक से, फिर सभी डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंकों को स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक से और अंत में सभी  स्टेट को-ऑपरेटिव बैंकों को नाबार्ड से जोड़ा जाएगा। मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट में भी परिवर्तन किया जाएगा लेकिन परिवर्तन करने से पहले हम मसौदे को मंत्रालय की वेबसाईट पर जनता और सहकारी संगठनों के सुझाव के लिए डेढ़ माह तक रखने वाले हैं। प्रशिक्षण की दृष्टि से भी आमूल-चूल परिवर्तन होगा। अभी तक सहकारी समितियों को चलाने वाले या प्रचार प्रसार से जुड़े लोगों का ही प्रशिक्षण होता था लेकिन मेरा यह स्पष्ट मानना है कि प्राइमरी मेंबर का सही से प्रशिक्षण होने पर ही सहकारी समितियां अधिक जवाबदेह और फलदायी होगी और इससे संगठन में अधिक पारदर्शिता भी आएगी।

 

श्री शाह ने कहा कि सहकार के क्षेत्र में नए-नए आयाम कैसे जोड़े जाएँ, उसके लिए भी एक टास्क फोर्स काम कर रहा है। सहकारिता क्षेत्र में जो सहकारी गतिविधि चल रही है, वह एक दायरे में सिमट कर रह जाए, इसके लिए भी भारत सरकार काम कर रही है। आजकल देश भर में प्राकृतिक खेती बढ़ रही है। रासायनिक खाद के उपयोग के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति लगातार क्षीण होती जा रही है। इसलिए प्राकृतिक खेती की ओर लोगों का झुकाव भी बढ़ा है और ऑर्गेनिक फूड की संस्कृति भी पनप रही है। लेकिन इसका फायदा किसानों को कैसे मिले, इसके लिए भूमि की व्यवस्था कैसे हो, उत्पाद के लिए समुचित प्रक्षिक्षण की व्यवस्था कैसे बने, फिर उत्पादों के सर्टिफिकेशन और उसके मार्केटिंग की व्यवस्था कैसे विकसित हो, इस सबके लिए सहकारी संस्थाओं को आगे आना होगा। अमूल ने इस पर प्राथमिक दृष्टि से प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए अपनी सहमति व्यक्त की है और इस पर आगे भी काम करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है जो एक स्वागत योग्य कदम है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले हम दो राज्यों को हाथ में लेंगे जहाँ ऑर्गेनिक खेती के मार्केटिंग चेन की व्यवस्था होगी ताकि प्राकृतिक खेती करने वालों को पूरा फायदा उनके बैंक एकाउंट में प्राप्त हो सके। मैं आप सबको यह भरोसा देता हूँ कि अब को-ऑपरेटिव के साथ कोई सेकंड ग्रेड सिटिजन जैसा व्यवहार नहीं कर पायेगा और यह बहुत ही कम समय में दिखना शुरू हो जाएगा क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं मानते हैं कि सहकारिता के बगैर देश का सम-विकास असंभव है। देश के हर नागरिक का समान विकास वामपंथी सिद्धांत से हो सकता है और ही पूंजीवाद के सिद्धांत से। यह केवल और केवल सहकारिता के रास्ते ही संभव है। इसे कई सहकारी संस्थाओं ने कर दिखाया है। आज लगभग 36 लाख महिलायें अमूल के साथ जुड़ कर सम्मान से जीवन यापन कर रही हैं।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी संगठनों को अपनी पहुँच तो बढ़ानी चाहिए ही, साथ ही संगठन के सुगंध को भी बढ़ाने की ओर ध्यान देना चाहिए। सहकारिता के क्षेत्र में कई व्यवस्थाएं जो सुचारू रूप से नहीं चल रही हैं, उसके लिए सहकार भारती को एक थिंक टैंक के रूप में भी काम करना चाहिए। इसके लिए सहकार भारती को अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ मिल कर काम करना चाहिए और इससे निकले निष्कर्ष को भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के साथ साझा करना चाहिए जैसे कि सहकारी समितियों में पारदर्शी चुनाव कैसे हों, ओपन मेंबरशिप किस तरह से हो, प्रशिक्षण का मॉडल कैसा हो, नियुक्तियों में भ्रष्टाचार को कैसे ख़त्म किया जा सकता है आदि। इन्हीं सब समस्याओं के कारण आज सहकारिता का विचार निर्बल हो रहा है। समस्याओं का समाधान ढूँढने का भी काम होना चाहिए। आप यदि एक पॉलिसी डॉक्यूमेंट बना कर सहकारिता मंत्रालय को देंगे तो हम सभी राज्य सरकारों के साथ मिल कर उसे प्रभावी रूप से लागू कर सकते हैं।

 

श्री शाह ने कहा कि अभी तीन दिन पहले ही यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बाबा श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया है। औरंगजेब द्वारा मंदिर को तोड़े जाने से लेकर आज तक जो भी श्रद्धालु वहां जाते थे, दुखी मन से सोचते थे कि इस पवित्र जगह का जीर्णोद्धार कैसे होगा? आज बाबा विश्वनाथ की नगरी श्री काशी विश्वनाथ धाम को दिव्यता और भव्यता देने का कार्य हमारे प्रधानमंत्री जी ने किया है। हो सके तो आप सब सहकारी प्रतिनिधि भी बाबा विश्वनाथ के दर्शन करके जाइयेगा, आपको दिव्य शांति का अनुभव होगा। अयोध्या में भगवान् श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य श्रीराम मंदिर बने, इसके लिए देश एवं दुनिया के कई लोग समर्पित भाव से लगे रहे लेकिन वह शुभ दिन नहीं आया। दूसरी बार जब जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने तो उनके कर-कमलों से कुछ महीने पहले ही भूमिपूजन भी संपन्न हुआ है और कुछ माह बाद हम भव्य मंदिर में प्रभु श्रीराम के दर्शन भी कर सकेंगे।

 

उत्तर प्रदेश की चर्चा करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी लगभग 22 करोड़ है। दुनिया के कई देशों की आबादी भी इतनी नहीं है। कई सालों से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक व्यवस्था चरमराई हुई थी। 2017 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 300 से अधिक सीटों पर विजय के साथ प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ जी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। आज मैं विश्वास के साथ कह रहा हूँ कि उत्तर प्रदेश आज देश का महत्वपूर्ण कंट्रीब्यूटर है, देश के विकास का ग्रोथ इंजन है। माफियाओं, अपराधियों, अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार को उत्तर प्रदेश की सीमाओं से खदेड़ने का काम पिछले पांच वर्षों में योगी आदित्यनाथ सरकार ने किया है। मुझे विश्वास है कि सहकार भारती, सहकारिता के क्षेत्र में नया बदलाव लाने के लिए बनाए गए नए सहकारिता मंत्रालय की सहायक बनेगी और सहकारिता के सिद्धांत को मजबूती देगी।

 

महेंद्र कुमार

(कार्यालय सचिव)

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