भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और बार-बार मुंह खाने के बावजूद राफेल पर कांग्रेस के दुष्प्रचार पर जम कर हमला बोला। विदित हो कि आज कांग्रेस ने फ़्रांस में एक न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के बाद शुरू हुई प्राथमिक जांच पर सवाल उठाते हुए राफेल डील पर एक बार पुनः प्रश्नचिह्न लगाए थे।
प्रेस कांफ्रेंस के मुख्य बिंदु:
- यदि किसी देश का कोई एनजीओ किसी आरोप के खिलाफ शिकायत करता है और उसका वित्तीय अभियोजन निकाय तदनुसार जांच का आदेश देता है, तो इसे भ्रष्टाचार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। दरअसल, फ्रांस की एक एनजीओ ‘शेरपा' ने फ्रांस की पब्लिक प्रॉसिक्यूशन सर्विसेज की फाइनेंसियल शाखा (PNF) से राफेल के संबंध में एक शिकायत दर्ज कराई है जिस पर पीएनएफ ने एक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की है। यह ठीक वैसी ही प्रक्रिया है कि कोई फाइल जब किसी अधिकारी के पास आता है तो वह इसे आगे बढ़ाते हुए इस पर नोट लिखता है कि appropriate steps to be taken as per rules. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन इस पर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी जिस तरह से राजनीति कर रहे हैं वह दुखद है।
- कांग्रेस पार्टी आज झूठ तथा भ्रम की पर्यायवाची बन चुकी है और राहुल गाँधी तो झूठ की फैक्ट्री पहले से ही बने हुए हैं। राहुल गाँधी और कांग्रेस ने आज फिर से राफेल को लेकर कांग्रेस ने झूठ बोला है और जनता के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश की है। जहां तक जांच की बात है तो भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपना निर्णय पहले ही सुना दिया है और सीएजी ने भी राफेल को लेकर अपनी रिपोर्ट को जनता के बीच रखा है।
- हिंदुस्तान की जनता ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और सीएजी की रिपोर्ट, दोनों को देखा है। राहुल गाँधी को तो गलतबयानी के लिए सुप्रीम कोर्ट से फटकार भी मिली थी और उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से माफी भी मांगनी पड़ी थी।
- ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गाँधी किसी कम्पीटेटिव कंपनी के एक एजेंट के रूप में बात कर रहे हैं। राफेल डील हिंदुस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा डिफेंस डील होगा जिसमें गाँधी परिवार को कोई भी दलाली या कमीशन खाने का मौक़ा नहीं मिल पाया।
- 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने जो भ्रम फैलाने की कोशिश की थी, वो भी उनके काम नहीं आई थी और सर्वोच्च अदालत के बाद जनता की अदालत में भी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की भव्य जीत हुई और हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार बनी।
- राफेल डील को लेकर कांग्रेस और राहुल गाँधी ने बार-बार झूठ बोला है और राफेल की कीमत को लेकर बार-बार अपने बयान बदला है। सच्चाई यह है कि सोनिया गाँधी - मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने राफेल डील फाइनल करने में देरी की और देश की सुरक्षा हितों के साथ खिलवाड़ किया। कांग्रेस की यूपीए सरकार 10 वर्षों में भी इस डील को कर नहीं पाई।
- राफेल डील पर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि केंद्र सरकार ने राफेल डील को सही तरीके से अंजाम दिया है, इसलिए इसकी फिर से समीक्षा करने की कोई जरूरत नहीं है। इसको लेकर जो पुनर्विचार याचिका दायर की गई है, उसमें भी कोई मेरिट नहीं है। इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि राफेल देश के लिए अतिमहत्वपूर्ण है और कई वर्षों से लंबित है। राफेल डील में मोदी सरकार ने पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी बरती है, इसलिए अब कोई और जांच जरूरी नहीं है।
- राहुल गांधी ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के हवाले से भी झूठ बोला। राहुल के इन आरोपों को ओलांद ने खारिज कर दिया था किया और इस पर फ्रांस सरकार ने आधिकारिक बयान भी जारी किया था।
- राहुल गांधी ने राफेल डील पर केंद्र सरकार को घेरने के लिए संसद में भी झूठ बोला था। उन्होंने कहा था कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने उनसे स्वयं कहा कि इस डील में कोई गोपनीय धारा नहीं है। राहुल के इस झूठ के बाद फ्रांस सरकार ने उसे खारिज करते हुए बयान जारी किया था और कहा था कि समझौता पार्टियों को क्लासिफाइड जानकारी साझा करने की इजाजत नहीं देता है।
- राहुल गांधी ने राफेल डील का जिक्र करते हुए कई मौकों पर विमान की अलग-अलग कीमतें बताईं। संसद में उन्होंने कहा कि राफेल विमान 520 करोड़ रुपये में खरीदा जा रहा था, तो कर्नाटक में इसकी कीमत 526 करोड़ रुपये बताई। राजस्थान में राफेल का दाम 540 करोड़ बताया तो दिल्ली में एक रैली में उन्होंने इसकी कीमत 700 करोड़ रुपये बताई। इससे साफ है कि राहुल को यूपीए सरकार के दौरान होने वाली डील में विमान के सही दाम तक नहीं पता थे।
- राहुल गांधी ने हमेशा यह भ्रम भी फैलाने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट ने डील में गंभीर अनियमितता पाई है। इस प्रकार उन्होंने लिहाजा, उन्होंने कोर्ट में विचाराधीन मामले में प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की। जबकि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की शह पर अपील करने वालों की याचिकाएं खारिज कर दी थीं और स्पष्ट कहा था कि इस डील में सरकार ने कुछ गलत नहीं किया।
- राहुल गाँधी ने झूठ बोला कि अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने HAL को डील नहीं दी। वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि राफेल सौदे में डसॉल्ट कंपनी से मतभेदों के कारण HAL को यह करार नहीं मिला, न कि किसी दबाव के कारण।
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल डील पर फ्रांसीसी मीडिया की रिपोर्ट ट्विस्ट करते हुए यह बताने की कोशिश की कि दसॉल्ट को भारत से डील करने के लिए अंबानी को ऑफसेट पार्टनर बनाना पड़ा। जबकि सच्चाई यह है कि सुप्रीम कोर्ट और दसॉल्ट के सीईओ कह चुके हैं कि ऑफसेट पार्टनर के चयन में भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं था। ऑफसेट के एमाउंट को भी लेकर राहुल गाँधी ने झूठ बोला। ऑफसेट पार्टनर्स में रिलायंस के साथ कई भारतीय कंपनियां शामिल हैं।
- राफेल पर मनगढ़ंत आरोप लगाने के दौरान ही राहुल गांधी ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने सैन्य अधिग्रहण के नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया। इस डील पर सुनवाई के वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वे इस बात से सहमत हैं कि इस प्रक्रिया पर वास्तव में संदेह करने का कोई अवसर नहीं है। मतलब कोर्ट ने कहा कि डील में पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी बरती गई है।
महेंद्र पांडेय
(कार्यालय सचिव)
To Write Comment Please लॉगिन