भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा गायत्रीकुंज, हरिद्वार (उत्तराखंड) में आयोजित ‘वसुधैव कुटुंबकम’ व्याख्यान में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु
“वसुधैव कुटुंबकम” का भाव हमारी आत्मा में रचा-बसा है। यह हमारी महान विरासत और संस्कृति का मूल आधार स्तंभ है। यही हमारी विचारधारा है, यही हमारी जीवन शैली है। हमारी सोच है सबका कल्याण, संपूर्ण विश्व का कल्याण, संपूर्ण मानवता का कल्याण। सब में हम हैं और हम में सब है - ऐसा है हमारा भाव।
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यह हम सब के लिए ख़ुशी की बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चंद्रमा पर चंद्रयान-III के टच डाउन प्वाइंट को ‘शिव शक्ति’ नाम दिया है। यह भारत की आध्यात्मिक दृष्टि से शिव शक्ति का मिलन है, उत्तर और दक्षिण का मिलन है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर कर भारत ने इतिहास रच दिया है।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत इस वर्ष G-20 की अध्यक्षता कर रहा है जिसका विचार है - वसुधैव कुटुंबकम अर्थात ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’। हम भारत के नागरिक हैं, भारत के विकास में लगे हैं लेकिन हम और हमारी विचारधारा, हमारी सोच, हमारी उपलब्धि पूरी दुनिया के लिए है।
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पाश्चात्य देश प्रकृति के दोहन पर जोर देते हैं, हम प्रकृति के साथ सहयोग पर बल देते हैं। हम एक्सप्लॉयटेशन नहीं बल्कि आवश्यकता अनुरूप यूटिलाइजेशन की बात करते हैं। उनकी शब्दावली है दोहन, शोषण, ये तेरा है, यह मेरा है जबकि हमारी सोच है सबका साथ, सबका विकास।
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‘बाजार’ शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिस्पर्धा का भाव आता है जबकि ‘परिवार’ शब्द के उपयोग में अपनापन होता है। जब ‘बाजार’ शब्द का इस्तेमाल होता है तो कुछ पाने की होड़ होती है लेकिन जब ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का उपयोग होता है तो परिवार की कल्पना आती है और कुछ देने का भाव जाग्रत होता है।
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उपनिवेशवाद में हर जगह शक्तिशाली देश ने दूसरे को दबाने की कोशिश की। साम्राज्यवाद को जन्म दिया। भारत ने कभी भी किसी भी देश पर हमला नहीं किया। हम सबके कल्याण, सबके सुख की कामना करते रहे। यही तो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का भाव है।
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हमने किसी देश पर आधिपत्य जमाने की की कोशिश नहीं की है। हमारे यहां पहला संपर्क मॉं से, फिर धरती मॉं से, फिर गंगा माँ से होना, फिर भारत मॉं से होता है। हमने प्रकृति को मातृ भाव से देखा। हमने धरती पर रहने वाले सभी जीवों से जुड़कर रहने की कोशिश की।
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बाजारवाद, पूंजीवाद, खुली प्रतिस्पर्धा सही ढंग से चलती है तो विकास होता है। जब तक ग्लोबलाइजेशन और ग्लोबल मार्किट मानवता के हित में है, तब तक ठीक है लेकिन जैसे ही इसमें गलाकाट प्रतियोगिता होने लगती है तो इसकी उपयोगिता ख़त्म हो जाती है।
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भारतीय मूल के लोग जो दूसरे देशों में रहते हैं, उनके मन में भारत और देश की विचारधारा के प्रति अटूट समर्पण है क्योंकि वे भारतीय विचारधारा को लेकर वहां गए हैं जो उनमें रचा-बसा है। वे जिस देश में गए हैं, उस देश के साथ मिलकर उस देश के विकास में लगे हुए हैं।
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यह हमारे लिए ख़ुशी की बात है कि ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं लेकिन वे ब्रिटेन के विकास में लगे हुए हैं। अमेरिका की उप-राष्ट्रपति भारतीय मूल की हैं और अमेरिका की सेवा में लगी हुई हैं। ये हमारे लिए गौरव की बात है कि उनके माध्यम से हमारे विचार प्रतिपादित होते हैं।
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पाश्चात्य जगत की विचारधारा है एजुकेशन इज कॉरपोरेट। हमारे यहाँ शिक्षा संस्कार का प्रेरणास्रोत है। शिक्षा जीवन को परिष्कृत करने का अवसर देता है। शिक्षा जीवन का अर्थ समझाने का रास्ता है।
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पहली बार देश में ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है जो देश की मिट्टी की सुगंध से सुवासित है। इसी तरह नई स्वास्थ्य नीति भी लाई गई है जिसमें प्रिवेंटिव, प्रोमोटिव और क्यूरेटिव हेल्थ केयर का सिद्धांत अपनाया गया है। अब आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को भी अपनाने पर जोर दिया जा रहा है।
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पर्यावरण की दृष्टि से हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अतुलनीय कार्य किया है। हम विश्व और पर्यावरण संरक्षण के लिए हरसंभव कदम उठाने को कृतसंकल्पित हैं।
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हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब संयुक्त राष्ट्र संघ में योग के कॉन्सेप्ट को लेकर गए तो ये नहीं कहा कि हमारा योग बल्कि उन्होंने कहा कि योग तो मानवता के लिए पूरी दुनिया को भारत का तोहफा है और योग को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाना चाहिए। यही तो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की सोच है।
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‘वसुधैव कुटुंबकम’ के भाव से इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स भी मनाया जा रहा है। इसका प्रस्ताव भी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ही रखा। उन्होंने मोटे अनाज से स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर जोर दिया और आज पूरी दुनिया इसके महत्त्व को स्वीकार कर रही है।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज रविवार को देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, गायत्रीकुंज, हरिद्वार (उत्तराखंड) में “वसुधैव कुटुंबकम” व्याख्यान माला को संबोधित किया और आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में विगत 9 वर्षों में देश में आये क्रांतिकारी बदलावों पर विस्तार से चर्चा की। ज्ञात हो कि श्री नड्डा आज एक दिवसीय प्रवास पर हरिद्वार में हैं जहाँ वे कई सार्वजनिक एवं सांगठनिक कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। आज उन्होंने ऋषिकुल विश्वविद्यालय प्रांगण में राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम “मेरी माटी, मेरा देश” कार्यक्रम के तहत “अमृत वाटिका” की स्थापना हेतु वृक्षारोपण किया। इसके पश्चात उन्होंने ऋषिकुल विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के लोकप्रिय गैर-राजनीतिक कार्यक्रम “मन की बात” को हरिद्वार विधान सभा के बूथ संख्या 174 के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सुना। ज्ञात हो कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष “मन की बात” के हर कार्यक्रम को किसी न किसी बूथ पर सुनते हैं और भाजपा कार्यकर्ताओं को इससे सीख लेने की प्रेरणा देते हैं। वे आज शाम माँ गंगा पूजन एवं आरती में भी भाग लेंगे। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या, पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, उत्तराखंड के प्रभारी एवं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री दुष्यंत गौतम एवं सांसद श्रीमती रेखा वर्मा सहित कई गणमान्य लोग उपास्थित थे।
“वसुधैव कुटुंबकम” व्याख्यान माला कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि शांतिकुंज मेरे लिए पराया नहीं बल्कि अपना है। मुझे यहाँ कई बार आने का सौभाग्य मिला है। श्रावण मास में शांतिकुंज आने का सौभाग्य मिले तो अध्यात्म की दृष्टि से और भी अच्छा हो जाता है। यहाँ ध्यात्मवाद, विकास, सोच और चांद पर पहुंचने की चर्चा हुई। हमारे वैज्ञानिकों ने भारत के दक्षिणी हिस्से से चंद्रयान-III को लॉन्च कर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा है। दुनिया में अब तक कोई भी देश ऐसा नहीं कर पाया था। यह देश के लिए गौरव की बात है। कल आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चंद्रमा पर चंद्रयान-III के टच डाउन प्वाइंट को ‘शिव शक्ति’ नाम दिया है। यह भारत की आध्यात्मिक दृष्टि से शिव शक्ति का मिलन है, उत्तर और दक्षिण का मिलन है। यह हम सब के लिए ख़ुशी की बात है कि चाँद पर चंद्रयान-III के लैंडिंग पॉइंट को शिवशक्ति नाम दिया गया है।
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आज मैं पंडित श्रीराम शर्मा जी और माता भगवती जी की पुण्यस्मृति को भी नमन करना चाहता हूँ जिन्होंने अध्यात्मवाद की दृष्टि से गायत्री परिवार, गायत्री मंत्र से अध्यात्म और करोड़ों लोगों के जीवन को परिष्कृत किया है। उनसे प्रेरणा लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में प्रकृति पर काम हो रहा है। वैज्ञानिक तरीके से अध्यात्मवाद की उपयोगिता, उसके महत्व जैसे विषयों पर विद्यार्थी एवं शोधार्थी अध्ययन कर रहे हैं। यह मानवता को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पाश्चात्य जगत की विचारधारा है एजुकेशन इज कॉरपोरेट। उनके यहाँ शिक्षा जीवन यापन का माध्यम है। हमारे यहाँ शिक्षा संस्कार का प्रेरणास्रोत है। शिक्षा जीवन को परिष्कृत करने का अवसर देता है। शिक्षा जीवन का अर्थ समझाने का रास्ता है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति के ज्ञान, सत्य एवं ममत्व को जानने का प्रयास कर रही है। इसके लिए मैं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय को बधाई देता हूँ। पहली बार देश में ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है जो देश की मिट्टी की सुगंध से सुवासित है। इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में भी देश में क्रांतिकारी बदलवाव हुआ है। 2017 में नई स्वास्थ्य नीति आई है जिसमें प्रिवेंटिव, प्रोमोटिव और क्यूरेटिव हेल्थ केयर का सिद्धांत अपनाया गया है। अब आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को भी अपनाने पर जोर दिया जा रहा है और इस क्षेत्र में व्यापक रिसर्च हो रहा है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय आज योग, आयुर्वेद एवं वनस्पति औषदि पर रिसर्च करके आगे बढ़ रही है। इसके लिए मैं विश्वविद्यालय को बधाई देता हूँ। एक ही छत के नीचे योग भी होगा, आयुर्वेद भी होगा, ऐलोपैथी और होम्योपैथी भी होगी, यही तो समग्रता की सोच है। आप इस काम को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, यह बहुत ही अच्छी बात है और इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।
श्री नड्डा ने कहा कि सेल्फ रिलायंस विषय पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय ने आदर्श ग्राम बनाने पर विचार किया। इसके लिए मैं उन्हें साधुवाद देता हूँ। हमारी कल्पना में ग्राम स्वावलंबी होता था, गांव में सारी व्यवस्था होती थी लेकिन कालांतर में ग्राम विकास के लिए शक्ति सीधे सरकार के हाथों में दे दी गई, इससे ग्राम विकास में अनगिनत रुकावटें आई। अब हमारी सरकार ग्राम शक्ति की अवधारणा को संबल दे रही है और स्थानीय निकायों को मजबूत कर रही है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय ने आदर्श ग्राम की परिकल्पना पर काफी काम किया है। विश्वविद्यालय ने नारी शक्ति, नशा मुक्ति और उसके साथ पर्यावरण के लिए स्वच्छता, वृक्षारोपण आदि पर काफी काम किया है।
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय ने व्यक्ति के निर्माण कार्य की जिम्मेदारी का जो जिम्मा लिया, वह नव युग निर्माण में काफी सहायक होगा। वा चेतना के लिए नैतिक और बौद्धिक शक्तियों को आगे बढ़ना चाहिए। एक व्यक्ति के सर्वांगीण विकास करने में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय एक पायोनियर स्थापित करेगा। इसके माध्यम से देश में परिवर्तन आएगा तो समाज परिष्कृत होगा। जब समाज में परिवर्तन आता है तो देश में परिवर्तन आता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भी विचार एवं कार्य अलग नहीं है। विकास भी होना है और विरासत को भी संभाल कर रखना है। विरासत का मतलब विरासत में मिली कोई बिल्डिंग नहीं है। विरासत का मतलब होता है विचारधारा, जीवनशैली। प्रधानमंत्री जी इसी आधार पर विकास को गति दे रहे हैं।
श्री नड्डा ने कहा कि भारत इस वर्ष G-20 की अध्यक्षता कर रहा है। G-20 का भी विचार है - वसुधैव कुटुंबकम। आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने G-20 के माध्यम से वसुधैव कुटुंबकम के विचार को दुनिया के सामने रखा है। हमारी विचारधारा है कि सबको समान दृष्टि से देखा जाय, सबके बीच में समरसता होनी चाहिए, सबके बीच में समन्वय होना चाहिए। ईश्वर का जो अंश हम में है, वही आप में भी है। हमारा और आपका समन्वय तभी संभव है, जब हम सब समरसता के साथ जीवन को आगे बढ़ाएं। लेकिन, पाश्चात्य देशों के सोचने का तरीका अलग है। इसलिए उनकी शब्दावली भी वैसी ही है। वे प्रकृति के दोहन पर जोर देते हैं, हम प्रकृति के साथ सहयोग पर बल देते हैं। हम एक्सप्लॉयटेशन नहीं बल्कि आवश्यकता अनुरूप यूटिलाइजेशन की बात करते हैं। अब पाश्चात्य देश को भी ये बात समझ में आने लगी है। इसलिए वे भी हमारी तरह बात करने लगे हैं। ग्लोबल वार्मिंग की बात होती है। आजकल ग्रीन कार्बन की चर्चा हो रही है, कार्बन उत्सर्जन की चर्चा हो रही है। ये ही देश आज भी सबसे अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। भारत ने तो हमेशा आगे बढ़ कर जिम्मेदारी निभाई है। पर्यावरण की दृष्टि से हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अतुलनीय कार्य किया है। हम विश्व और पर्यावरण संरक्षण के लिए हरसंभव कदम उठाने को कृतसंकल्पित हैं।
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बाजारवाद, पूंजीवाद, खुली प्रतिस्पर्धा सही ढंग से चलती है तो विकास होता है। जब तक ग्लोबलाइजेशन और ग्लोबल मार्किट मानवता के हित में है, तब तक ठीक है लेकिन जैसे ही इसमें गलाकाट प्रतियोगिता होने लगती है तो इसकी उपयोगिता ख़त्म हो जाती है। पाश्चात्य देशों की शब्दावली है दोहन, शोषण। उनकी सोच है ये तेरा है, यह मेरा है जबकि हमारी सोच है सबका कल्याण, संपूर्ण विश्व का कल्याण, संपूर्ण मानवता का कल्याण। सब में हम हैं और हम में सब है - ऐसी उदार सोच। इसलिए ‘बाजार’ शब्द के इस्तेमाल होने पर प्रतिस्पर्धा होती है जबकि ‘परिवार’ शब्द का उपयोग करते हैं तो इसमें अपनापन होता है। जब ‘बाजार’ शब्द का इस्तेमाल होता है तो कुछ पाने की होड़ होती है लेकिन जब ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का उपयोग होता है तो परिवार की कल्पना आती है और जब परिवार की कल्पना आती है तो कुछ देने का भाव जाग्रत होता है।
श्री नड्डा ने कहा कि उपनिवेशवाद में हर जगह शक्तिशाली देश ने दूसरे को दबाने की कोशिश की। साम्राज्यवाद को जन्म दिया। भारत ने कभी भी किसी भी देश पर हमला नहीं किया। हम सबके कल्याण, सबके सुख की कामना करते रहे। यही तो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का भाव है। हमने आत्मरक्षा जरूर की। आज कोई हमारे देश की तरफ गलत नजरों से नहीं देख सकता। हमने किसी को जीता तो विचार से जीता, प्यार से जीता, विचार से जीता। हमने किसी की संप्रभुता पर चोट नहीं पहुंचाई। दुनिया के इतिहासकार भी जब यहां आए तो उन्हें भी सबकुछ दिया, जो दे सकते थे क्योंकि हमारी आत्मा में वसुधैव कुटुम्बकम रचा-बसा है। हमने किसी देश पर आधिपत्य जमाने की की कोशिश नहीं की है। हमारे यहां पहला संपर्क मॉं से, फिर धरती मॉं से, फिर गंगा माँ से होना, फिर भारत मॉं से होता है। हमने प्रकृति को मातृ भाव से देखा। हमने धरती पर रहने वाले सभी जीवों से जुड़कर रहने की कोशिश की। हमने पाश्चात्य तरीके से दोहन एवं शोषण कर विकास करने की सोच नहीं रखी।
आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि भारत को G-20 की अध्यक्षता का मौका मिला तो हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने “वसुधैव कुटुंबकम” अर्थात पूरी दुनिया को साथ लेकर एक परिवार तरह आगे बढ़ने का विचार रखा। भारतीय मूल के लोग जो दूसरे देशों में रहते हैं, उनके मन में भारत और देश की विचारधारा के प्रति अटूट समर्पण है क्योंकि वे भारतीय विचारधारा को लेकर वहां गए हैं जो उनमें रचा-बसा है। वे जिस देश में गए हैं, उस देश के साथ मिलकर उस देश के विकास में लगे हुए हैं। यह हमारे लिए ख़ुशी की बात है कि ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं लेकिन ब्रिटेन का भला कैसे हो और वहां विकास कैसे हो, वे इस काम में लगे हुए हैं। अमेरिका की उप-राष्ट्रपति भारतीय मूल की हैं और अमेरिका की सेवा में लगी हुई हैं। ये हमारे लिए गौरव की बात है कि उनके माध्यम से हमारे विचार प्रतिपादित होते हैं।
श्री नड्डा ने कहा कि सॉफ्ट पॉवर की बात करें तो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब संयुक्त राष्ट्र संघ में योग के कॉन्सेप्ट को लेकर गए तो ये नहीं कहा कि हमारा योग बल्कि उन्होंने कहा कि योग तो मानवता के लिए पूरी दुनिया को भारत का तोहफा है और योग को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाना चाहिए। आज पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाती है। यही तो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की सोच है। इसी भाव से इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स भी मनाया जा रहा है। इसका प्रस्ताव भी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ही रखा। उन्होंने मोटे अनाज से स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर जोर दिया और आज पूरी दुनिया इसके महत्त्व को स्वीकार कर रही है।
आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने G-20 की थीम में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के अर्थ को समझाते हुए ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ का सूत्र दिया है। हम भारत के नागरिक हैं, भारत के विकास में लगे हैं लेकिन हम और हमारी विचारधारा, हमारी सोच, हमने जो भी कुछ भी पाया है - वह पूरी दुनिया के लिए है। हम इसी विचार के साथ आगे बढ़ने वाले हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने पर्यावरण की दृष्टि से ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ की अवधारणा का जिक्र किया है। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ में हमारा जीवन रचा-बसा है। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ ने मानवता और देश की विचारधारा में कैसे कैसे योगदान किया है, इस पर भी रिसर्च होना चाहिए। हमने उपनिवेशवाद को कभी भी आगे नहीं बढ़ाया है लेकिन मानवता के लिए हम हमेशा समर्पित रहते हैं।
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