भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी का प्रेस वक्तव्य
जैसा सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार द्वारा ओबीसी में शामिल कर ओबीसी कोटे के तहत मुस्लिमों को ओबीसी सर्टिफिकेट और ओबीसी आरक्षण दिया जा रहा था, उसे कल कलकत्ता हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। तृणमूल सरकार द्वारा 2010 से लेकर 2024 तक जारी किये गए ओबीसी सर्टिफिकेट को भी रद्द कर दिया गया है।
कलकत्ता हाईकोर्ट का ये निर्णय बताता है कि ममता सरकार ग़ैर-संवैधानिक तरीक़े से तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ा रही थी। एक तरह से कहा जाये तो तृणमूल कांग्रेस, मुस्लिम लीग के एजेंडा को आगे बढ़ा रही थी। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चुनावों में बड़े स्पष्ट शब्दों में इस विषय को उठाया कि किस तरह से इंडी गठबंधन, ममता, राहुल गांधी, बाक़ी जो टोला है - ये किस तरह से तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए संविधान की धज्जियां उड़ा रहें हैं। संविधान में साफ़ लिखा है कि कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता लेकिन ये इंडी गठबंधन मुस्लिम लीग के एजेंडे (जिस एजेंडे के तहत भारत का विभाजन हुआ) को फिर से आगे बढ़ाने का काम कर रहा है।
हाई कोर्ट का फ़ैसला आने के तुरंत बाद ममता बनर्जी ने कहा कि वह हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मानेंगी। क्या ममता बनर्जी संविधान से ऊपर हैं? क्या संविधान के तहत काम करना इनका काम नहीं है? क्या संविधान की रक्षा करना इनका काम नहीं है? ममता बनर्जी जी को पता होना चाहिए कि संविधान से ऊपर कोई भी नहीं है। ममता बनर्जी भी संविधान की रक्षा की शपथ लेकर ही मुख्यमंत्री बनी हैं। ममता बनर्जी का यह बयान संविधान का अपमान है।
राहुल गांधी संविधान कि पुस्तिका लेकर फिरते रहते हैं लेकिन ऐसे मुद्दों पर जब हाईकोर्ट के तरफ़ से फ़ैसला आता है और इंडी गठंबंधन के मुस्लिम तुष्टिकरण का पर्दाफाश होता है तथा इंडी गठबंधन की गतिविधियों में तुष्टिकरण की राजनीति स्पष्ट दिखाई देती है तो वे चुप्पी साध लेते हैं। ऐसे लोगों को चुनाव में भारत की जनता करारा सबक सिखाएगी। पश्चिम बंगाल में भी जनता ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ वोट कर रही है। तृणमूल कांग्रेस की करारी हार तय है।
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