भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी द्वारा कर्नाटक में लैंड स्कैम के संबंध में की गई प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
कर्नाटक में जबसे कांग्रेस की सरकार आई है, भ्रष्टाचार के एक के बाद एक नए अध्याय सामने आ रहे हैं। पहले महर्षि वाल्मीकि एससी-एसटी फंड में भ्रष्टाचार, फिर मूडा में जमीन घोटाला और अब एक और लैंड स्कैम सामने आया है।
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कांग्रेस सरकार को लगता है कि सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड वेलफेयर से ज्यादा वेलफेयर कोई और करेगा, यानी इनके लिए फैमिली वेलफेयर और कांग्रेस वेलफेयर ज्यादा बड़ा है।
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जिस बैंगलोर को सॉफ्टवेयर और आईटी में सर्वश्रेष्ट कहा जाता है, वहां ऑक्शन की प्रक्रिया नहीं की गई। कर्नाटक सरकार ने देश की डिजिटल कैपिटल में ई-ऑक्शन क्यों नहीं कराई? यह कांग्रेस की मंशा पर प्रश्न उठाता है।
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भारतीय जनता पार्टी राज्य को जिस विकास की राह पर ले जा रही थी, कांग्रेस ने कर्नाटक को उस रास्ते से भटका दिया है और अपने कुछ नेताओं के विकास में लग गई है।
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कर्नाटक कांग्रेस ई-ऑक्शन नहीं कर रही है, क्योंकि कांग्रेस ‘डीबीटी-डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर’ में नहीं, बल्कि ‘डीबीसी-डायरेक्ट बेनीफिट टू कांग्रेस’ में विश्वास रखती है।
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जैसे ही यह घटनाएं प्रकाश में आईं तो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दिल्ली आए और खड़गे जी कर्नाटक गए। पता नहीं कौन किसे बचाने या कौन किसे निपटाने गया?
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चंद हजार रुपए बांट कर सैकड़ों करोड़ों रुपए की मलाई कैसे खाई जाती है, यह इंडी गठबंधन की सरकारों ने करके दिखाया है। कर्नाटक का यह प्रकरण इसका जीता-जागता उदाहरण है।
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राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान में, किस-किस के लिए कौन सा सामान और किस भ्रष्टाचारी के लिए मिष्ठान है, इसका जवाब भी उन्हें देना होगा।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज बुधवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष और उनके परिवार के ऊपर आरोप है कि जमीन आवंटन की श्रेणी में जो 71 लोग कतार में थे, उन्हें दरकिनार कर जमीन का आवंटन किया गया। डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि कर्नाटक सरकार ई-ऑक्शन नहीं कर रही है, क्योंकि कांग्रेस ‘डीबीटी- डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर’ में नहीं, बल्कि ‘डीबीसी- यानी डायरेक्ट बेनीफिट टू कांग्रेस’ में विश्वास रखती है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि कर्नाटक में जबसे कांग्रेस की सरकार आई है, भ्रष्टाचार के एक के बाद एक नए अध्याय सामने आ रहे हैं। पहले महर्षि वाल्मीकि एससी-एसटी बोर्ड का भ्रष्टाचार किया और फिर एससी-एसटी के पैसों का दुरुपयोग करके गाड़ियां और ज्वेलरी खरीदी गईं। पहले ये घोटाले से इनकार करते रहे, बाद में खुद मुख्यमंत्री को स्वीकार करना पड़ा। इसके बाद मुख्यमंत्री के परिवार के ऊपर मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी में जमीन के घोटाले का विषय सामने आया, जिस पर राज्यपाल ने केस चलाने की अनुमति भी दी। अब एक और नया घोटाला सामने आया है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि 14 फरवरी 2024 को डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड वेलफेयर कर्नाटक सरकार ने एक जमीन के आवंटन को लेकर लेटर लिखा, लेकिन वो जमीन किसी और को आवंटित कर दी गई। आवंटन की प्रक्रिया और किसे आवंटित किया गया यह तो एक पक्ष है, मगर कांग्रेस सरकार को लगता है कि सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड वेलफेयर से ज्यादा वेलफेयर कोई और करेगा। यानी इनके लिए फैमिली वेलफेयर और कांग्रेस वेलफेयर ज्यादा बड़ा है। यह वेलफेयर उसको मिला, जो राज्य सरकार में सबसे अधिक शक्तिशाली है। कांग्रेस अध्यक्ष और उनके परिवार के ऊपर स्पष्ट आक्षेप लगे हैं कि श्रेणी में जो 71 लोग कतार में थे, उन्हें दरकिनार कर जमीन का आवंटन किया गया। जिस बैंगलोर को सॉफ्टवेयर और आईटी में सर्वश्रेष्ट कहा जाता है, वहां ऑक्शन की प्रक्रिया नहीं की गई। कर्नाटक सरकार ने देश की डिजिटल कैपिटल में ई-ऑक्शन क्यों नहीं कराई? यह कांग्रेस की मंशा पर प्रश्न उठाता है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भारत में जब डिजिटल परिवर्तन लेकर आए तो उन्होंने डीबीटी किया। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ई-ऑक्शन नहीं कर रही है, क्योंकि कांग्रेस ‘डीबीटी-डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर’ में नहीं, बल्कि ‘डीबीसी-यानी डायरेक्ट बेनीफिट टू कांग्रेस’ में विश्वास रखती है।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि डिजिटल ऑक्शन में चीजों को नियंत्रित करना आसान नहीं है। बिना डिजिटल नीलामी किए 1 रुपये में से 85 पैसे कमाए जा सकते हैं, लेकिन डिजिटल ऑक्शन में यह संभव नहीं है। जैसे ही यह घटनाएं प्रकाश में आईं, तो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दिल्ली आए और खड़गे जी कर्नाटक गए। पता नहीं कौन किसे बचाने या कौन किसे निपटाने गया? यह मामला सरकार का है या सरकार में छिपी सरकार का है? कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं के पास फंड पहुंच रहे हैं, मगर कर्नाटक की स्थिति खराब है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एफडीआई में भारी गिरावट आई है। 2021-22 में कर्नाटक का एफडीआई 1.63 लाख करोड़ रुपए था, जो 2024 में घटकर 54 हजार करोड़ रुपए हो गया है। यह 2021-22 के मुकाबले घटकर लगभग एक तिहाई हो गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय जनता पार्टी राज्य को जिस विकास की राह पर ले जा रही थी, कांग्रेस ने कर्नाटक को उस रास्ते से भटका दिया है और अपने कुछ नेताओं के विकास में लग गई है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि चाहे वह कांग्रेस की सरकार हो, आम आदमी पार्टी की सरकार हो या इंडी गठबंधन के किसी अन्य दल की सरकार हो, चंद हजार रुपए बांट कर सैकड़ों करोड़ों रुपए की मलाई कैसे खाई जाती है, यह इंडी गठबंधन की सरकारों ने करके दिखाया है। कर्नाटक का यह प्रकरण इसका जीता-जागता उदाहरण है। कर्नाटक सरकार के भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद कांग्रेस को इसका उचित उत्तर देना होगा। राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान में, किस-किस के लिए कौन सा सामान और किस भ्रष्टाचारी के लिए कौन सा मिष्ठान बचाकर रखा गया है, इसका जवाब भी उन्हें देना होगा।
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भारतीय जनता पार्टी
(केन्द्रीय कार्यालय)
6ए, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली
28 अगस्त 2024, बुधवार
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी द्वारा कर्नाटक में लैंड स्कैम के संबंध में की गई प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
कर्नाटक में जबसे कांग्रेस की सरकार आई है, भ्रष्टाचार के एक के बाद एक नए अध्याय सामने आ रहे हैं। पहले महर्षि वाल्मीकि एससी-एसटी फंड में भ्रष्टाचार, फिर मूडा में जमीन घोटाला और अब एक और लैंड स्कैम सामने आया है।
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कांग्रेस सरकार को लगता है कि सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड वेलफेयर से ज्यादा वेलफेयर कोई और करेगा, यानी इनके लिए फैमिली वेलफेयर और कांग्रेस वेलफेयर ज्यादा बड़ा है।
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जिस बैंगलोर को सॉफ्टवेयर और आईटी में सर्वश्रेष्ट कहा जाता है, वहां ऑक्शन की प्रक्रिया नहीं की गई। कर्नाटक सरकार ने देश की डिजिटल कैपिटल में ई-ऑक्शन क्यों नहीं कराई? यह कांग्रेस की मंशा पर प्रश्न उठाता है।
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भारतीय जनता पार्टी राज्य को जिस विकास की राह पर ले जा रही थी, कांग्रेस ने कर्नाटक को उस रास्ते से भटका दिया है और अपने कुछ नेताओं के विकास में लग गई है।
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कर्नाटक कांग्रेस ई-ऑक्शन नहीं कर रही है, क्योंकि कांग्रेस ‘डीबीटी-डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर’ में नहीं, बल्कि ‘डीबीसी-डायरेक्ट बेनीफिट टू कांग्रेस’ में विश्वास रखती है।
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जैसे ही यह घटनाएं प्रकाश में आईं तो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दिल्ली आए और खड़गे जी कर्नाटक गए। पता नहीं कौन किसे बचाने या कौन किसे निपटाने गया?
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चंद हजार रुपए बांट कर सैकड़ों करोड़ों रुपए की मलाई कैसे खाई जाती है, यह इंडी गठबंधन की सरकारों ने करके दिखाया है। कर्नाटक का यह प्रकरण इसका जीता-जागता उदाहरण है।
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राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान में, किस-किस के लिए कौन सा सामान और किस भ्रष्टाचारी के लिए मिष्ठान है, इसका जवाब भी उन्हें देना होगा।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज बुधवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष और उनके परिवार के ऊपर आरोप है कि जमीन आवंटन की श्रेणी में जो 71 लोग कतार में थे, उन्हें दरकिनार कर जमीन का आवंटन किया गया। डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि कर्नाटक सरकार ई-ऑक्शन नहीं कर रही है, क्योंकि कांग्रेस ‘डीबीटी- डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर’ में नहीं, बल्कि ‘डीबीसी- यानी डायरेक्ट बेनीफिट टू कांग्रेस’ में विश्वास रखती है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि कर्नाटक में जबसे कांग्रेस की सरकार आई है, भ्रष्टाचार के एक के बाद एक नए अध्याय सामने आ रहे हैं। पहले महर्षि वाल्मीकि एससी-एसटी बोर्ड का भ्रष्टाचार किया और फिर एससी-एसटी के पैसों का दुरुपयोग करके गाड़ियां और ज्वेलरी खरीदी गईं। पहले ये घोटाले से इनकार करते रहे, बाद में खुद मुख्यमंत्री को स्वीकार करना पड़ा। इसके बाद मुख्यमंत्री के परिवार के ऊपर मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी में जमीन के घोटाले का विषय सामने आया, जिस पर राज्यपाल ने केस चलाने की अनुमति भी दी। अब एक और नया घोटाला सामने आया है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि 14 फरवरी 2024 को डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड वेलफेयर कर्नाटक सरकार ने एक जमीन के आवंटन को लेकर लेटर लिखा, लेकिन वो जमीन किसी और को आवंटित कर दी गई। आवंटन की प्रक्रिया और किसे आवंटित किया गया यह तो एक पक्ष है, मगर कांग्रेस सरकार को लगता है कि सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड वेलफेयर से ज्यादा वेलफेयर कोई और करेगा। यानी इनके लिए फैमिली वेलफेयर और कांग्रेस वेलफेयर ज्यादा बड़ा है। यह वेलफेयर उसको मिला, जो राज्य सरकार में सबसे अधिक शक्तिशाली है। कांग्रेस अध्यक्ष और उनके परिवार के ऊपर स्पष्ट आक्षेप लगे हैं कि श्रेणी में जो 71 लोग कतार में थे, उन्हें दरकिनार कर जमीन का आवंटन किया गया। जिस बैंगलोर को सॉफ्टवेयर और आईटी में सर्वश्रेष्ट कहा जाता है, वहां ऑक्शन की प्रक्रिया नहीं की गई। कर्नाटक सरकार ने देश की डिजिटल कैपिटल में ई-ऑक्शन क्यों नहीं कराई? यह कांग्रेस की मंशा पर प्रश्न उठाता है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भारत में जब डिजिटल परिवर्तन लेकर आए तो उन्होंने डीबीटी किया। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ई-ऑक्शन नहीं कर रही है, क्योंकि कांग्रेस ‘डीबीटी-डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर’ में नहीं, बल्कि ‘डीबीसी-यानी डायरेक्ट बेनीफिट टू कांग्रेस’ में विश्वास रखती है।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि डिजिटल ऑक्शन में चीजों को नियंत्रित करना आसान नहीं है। बिना डिजिटल नीलामी किए 1 रुपये में से 85 पैसे कमाए जा सकते हैं, लेकिन डिजिटल ऑक्शन में यह संभव नहीं है। जैसे ही यह घटनाएं प्रकाश में आईं, तो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दिल्ली आए और खड़गे जी कर्नाटक गए। पता नहीं कौन किसे बचाने या कौन किसे निपटाने गया? यह मामला सरकार का है या सरकार में छिपी सरकार का है? कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं के पास फंड पहुंच रहे हैं, मगर कर्नाटक की स्थिति खराब है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एफडीआई में भारी गिरावट आई है। 2021-22 में कर्नाटक का एफडीआई 1.63 लाख करोड़ रुपए था, जो 2024 में घटकर 54 हजार करोड़ रुपए हो गया है। यह 2021-22 के मुकाबले घटकर लगभग एक तिहाई हो गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय जनता पार्टी राज्य को जिस विकास की राह पर ले जा रही थी, कांग्रेस ने कर्नाटक को उस रास्ते से भटका दिया है और अपने कुछ नेताओं के विकास में लग गई है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि चाहे वह कांग्रेस की सरकार हो, आम आदमी पार्टी की सरकार हो या इंडी गठबंधन के किसी अन्य दल की सरकार हो, चंद हजार रुपए बांट कर सैकड़ों करोड़ों रुपए की मलाई कैसे खाई जाती है, यह इंडी गठबंधन की सरकारों ने करके दिखाया है। कर्नाटक का यह प्रकरण इसका जीता-जागता उदाहरण है। कर्नाटक सरकार के भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद कांग्रेस को इसका उचित उत्तर देना होगा। राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान में, किस-किस के लिए कौन सा सामान और किस भ्रष्टाचारी के लिए कौन सा मिष्ठान बचाकर रखा गया है, इसका जवाब भी उन्हें देना होगा।
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