Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sudhanshu Trivedi


द्वारा डॉ. सुधांशु त्रिवेदी -
15-06-2022
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

महात्मा गाँधी ने कहा था ‘स्वराज के लिए सबसे जरुरी है आत्म- अनुशासन’। महात्मा गांधी को जब लगा कि असहयोग आंदोलन में हिंसक घटनाएं हो रही हैं, तब उन्होंने कहा था कि यद्यपि इससे हमारा कोई संबंध नहीं है फिर भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्वतंत्रता के लिए असहयोग आंदोलन ख़त्म करते हैं।

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तब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष लाला लाजपत राय ने कहा था कि हमारा आंदोलन विफल हो गया किन्तु हमारे नेता की विराटता इससे स्थापित हुई, इसका हमें संतोष है।

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सौ साल बाद उन्हीं गांधी नाम के स्वघोषित स्वयंभू उत्तराधिकारी पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं। आजादी के बाद के दौर में, सत्ता में रहते हुए सत्ताधारी लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप कई बार लग चुके हैं। परन्तु अपनी पार्टी के अन्दर भ्रष्टाचार और पार्टी की संपत्ति का हरण करने का एक विचित्र उदाहरण  सबके सामने आया है।

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यह बेहद क्षोभ का विषय है कि भ्रष्टाचार की एक जांच को प्रभावित करने व् एजेंसियों पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी उग्र विरोध प्रदर्शन और आगजनी कर रही है और कांग्रेस शासित राज्य के दो दो मुख्यमंत्री अपने प्रदेश का कार्य छोड़कर पिछले तीन दिनों से दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

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नेशनल हेराल्ड मामला नवंबर 2012 मे यूपीए के शासन काल मे शुरु हुआ। सरकार की किसी एजेंसी द्वारा इस मामले की जांच की शुरुआत नहीं की गयी बल्कि हाईकोर्ट के निर्देश पर ही कार्रवाई हुई और हाईकोर्ट के निर्देश पर ही सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को बेल लेनी पड़ी।

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एक वो दौर था, जब कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने नेतृत्व की सोच को विराटता की संज्ञा दी थी, लेकिन आज कांग्रेस विगत तीन  दिनों से हिंसा की आड़ में भ्रष्टाचार छुपाने का प्रयास कर रही है। अब यह साफ दिखता है कि कि महात्मा गांधी के दौर से सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी तक आते आते कांग्रेस की सोच कितनी छोटी और बौनी होती चली गयी है।

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कांग्रेस पार्टी के दो नेता जब सरकार में प्रधानमंत्री थे, तब स्वयं को ही भारत रत्न अर्पित कर दिया था। उसी पार्टी और उसी परिवार के लोगों ने अध्यक्ष बनने के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो के सहयोग से बनी हुई नेशनल हेराल्ड संस्था की सारी संपत्ति एवं धन को अपने को अर्पित कर लिया।

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यह दर्शाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के स्वघोषित स्वयंभू उत्तराधिकारी वास्तविकता मे स्वतंत्रता सेनानियों व अपने कार्यकर्ताओं के साथ कैसा छल कर रहे हैं।

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स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस दावा करती थी कि आनंद भवन पार्टी को दे दिया गया था। यहां कांग्रेस नेतृत्व ने एक हाथ से एजेएल को 90 करोड़ का लोन दिया और दूसरे हाथ से एजेएल के रुप में 90 करोड़ रुपये का लोन ले भी लिया। फिर खुद ही 90 करोड़ रुपये का लोन माफ़ करके स्वयं ही यंग इडियन लिमिटेड के रुप में एजेएल पर अपना मालिकाना हक ले लिया । यानी पार्टी के कितने भवनों पर अपना आधिपत्य करके आनंद की अनुभूति प्राप्त की गयी?

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आज सुबह कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस में दो राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। कांग्रेस शासित राज्य के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के कार्य को छोड़कर विगत तीन दिनों से दिल्ली में आखिर क्या कर रहे हैं? उक्त राज्यों की जनता ने अपने प्रदेश में कांग्रेस को लोकतांत्रिक तरीके से चुना था, क्या वहां की जनता के साथ यह छल और धोखा नहीं है? भारतीय जनता पार्टी और देश की जनता को इसका उत्तर चाहिए।

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राहुल जी वर्तमान में न तो कांग्रेस अध्यक्ष हैं और ना ही सदन में नेता प्रतिपक्ष। वे केवल एक सांसद हैं, वरिष्ठ सांसद भी नहीं। उनसे कई वरिष्ठ सांसद कांग्रेस में हैं। इसका अर्थ यह है कि कांग्रेस में पद और कद दोनों का कोई महत्व अब नहीं रह गया है। कांग्रेस केवल और केवल परिवार की पार्टी बनकर रह गई है।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज केन्द्रीय कार्यालय में एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया और कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद के वर्चस्व पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बेहद क्षोभ का विषय है कि भ्रष्टाचार में लिप्त एक परिवार को बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी उग्र विरोध प्रदर्शन और आगजनी कर रही है और कांग्रेस शासित राज्य के दो दो मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के कार्य छोड़कर पिछले तीन दिनों से दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने महात्मा गाँधी का उद्धरण देते हुए कहा कि ‘स्वराज के लिए सबसे जरुरी है आत्म- अनुशासन’। महात्मा गांधी को जब लगा कि असहयोग आंदोलन में हिंसक घटनाएं हो रही हैं, तब उन्होंने कहा था कि यद्यपि इससे हमारा कोई संबंध नहीं है फिर भी नैतिक जिम्मेदारी लेते स्वतंत्रता के लिए असहयोग आंदोलन ख़त्म करते हैं। तब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष लाला लाजपत राय ने कहा था कि हमारा आंदोलन विफल हो गया किन्तु हमारे नेता की विराटता इससे स्थापित हुई, इसका हमें संतोष है। सौ साल बाद उन्हीं गांधी नाम के स्वघोषित स्वयंभू उत्तराधिकारी पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं। आजादी के बाद के दौर में, सत्ता में रहते हुए सत्ताधारी लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप कई बार लग चुके हैं। परन्तु अपनी पार्टी के अन्दर भ्रष्टाचार और पार्टी की संपत्ति का हरण करने का एक विचित्र उदाहरण  सबके सामने आया है।

 

डॉ त्रिवेदी ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला नवंबर 2012 मे यूपीए के शासन काल मे शुरु हुआ। सरकार की किसी एजेंसी द्वारा इस मामले की जांच की शुरुआत नहीं की गयी बल्कि हाईकोर्ट के निर्देश पर ही कार्रवाई हुई और हाईकोर्ट के निर्देश पर ही सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को बेल लेनी पड़ी। एक वो दौर था, जब कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने नेतृत्व की सोच को विराटता की संज्ञा दी थी, लेकिन आज कांग्रेस विगत तीन  दिनों से हिंसा की आड़ में भ्रष्टाचार छुपाने का प्रयास कर रही है। अब यह साफ दिखता है कि कि महात्मा गांधी के दौर से सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी तक आते आते कांग्रेस की सोच कितनी छोटी और बौनी होती चली गयी है।

 

कांग्रेस की गिरती हुई राजनीतिक संस्कृति पर सीधा प्रहर करते हुए डॉ त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के दो नेता जब सरकार में प्रधानमंत्री थे, तब स्वयं को ही भारत रत्न अर्पित कर दिया था। उसी पार्टी और उसी परिवार के लोगों ने अध्यक्ष बनने के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो के सहयोग से बनी हुई नेशनल हेराल्ड संस्था की सारी संपत्ति एवं धन को अपने को अर्पित कर लिया। यह दर्शाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के स्वघोषित स्वयंभू उत्तराधिकारी वास्तविकता मे स्वतंत्रता सेनानियों व अपने कार्यकर्ताओं के साथ कैसा छल कर रहे हैं।

 

डॉ त्रिवेदी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस दावा करती थी कि आनंद भवन पार्टी को दे दिया गया था। यहां कांग्रेस नेतृत्व ने एक हाथ से एजेएल को 90 करोड़ का लोन दिया और दूसरे हाथ से एजेएल के रुप में 90 करोड़ रुपये का लोन ले भी लिया। फिर खुद ही 90 करोड़ रुपये का लोन माफ़ करके स्वयं ही यंग इडियन लिमिटेड के रुप में एजेएल पर अपना मालिकाना हक ले लिया। यानी पार्टी के कितने भवनों को अपने नाम करके आनंद की अनुभूति प्राप्त की गयी? यह दर्शाता है कि आजादी के पहले के कांग्रेस नेतृत्व की भूमिका की तुलना में आज के नेतृत्व का रोल पूरी तरह से विपरीत हो गया है। मीडिया के अखबरों के हवले डॉ त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व पहले पार्टी से जुड़ी संस्था की संपत्ति अपने नाम की और आज पार्टी कार्यालय में ही उपद्रवी गतिविधियों को अंजाम देते हुए दफ्तर के बाहर तथाकथित सत्याग्रह आंदोलन के नाम पर आगजनी की गयी। यह अपने आप में कांग्रेस के वास्तविक चरित्र को उजागर करता है।

 

कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर निशाना साधते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि आज सुबह कांग्रेस के प्रेस कांफ्रेंस में दो राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। कांग्रेस शासित राज्य के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के कार्य को छोड़कर विगत तीन दिनों से दिल्ली में आखिर क्या कर रहे हैं? उक्त राज्यों की जनता ने अपने प्रदेश में कांग्रेस को लोकतांत्रिक तरीके से चुना था, क्या वहां की जनता के साथ यह छल और धोखा नहीं है? भारतीय जनता पार्टी और देश की जनता को इसका उत्तर चाहिए।

 

वंशवाद की पोषक पार्टी कांग्रेस पर सीधा निशाना साधते हुए डॉ त्रिवेदी ने कहा कि राहुल जी वर्तमान में न तो कांग्रेस अध्यक्ष हैं और ना ही सदन में नेता प्रतिपक्ष। वे केवल एक सांसद हैं, वरिष्ठ सांसद भी नहीं। उनसे कई वरिष्ठ सांसद कांग्रेस में हैं। इसका अर्थ यह है कि कांग्रेस में पद और कद दोनों का कोई महत्व अब नहीं रह गया है। कांग्रेस केवल और केवल परिवार की पार्टी बनकर रह गई है।

 

कांग्रेस पार्टी यह बात स्पष्ट करे कि सरकारी एजेंसी को काम करने से रोकने और उनपर दबाव बनाने के लिए धरना-प्रदर्शन, पुलिस के साथ झड़प करना और आगजनी को अंजाम देने का वास्तविक मन्तव्य क्या है? नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर सीधा हमला करते हुए श्री त्रिवेदी ने कहा कि सभी को पता है कि कंपनी का मालिक वही है, जो पार्टी का भी मालिक है। जब कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 2010 में 90 करोड़ का लोन दिया, उस समय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी थीं। उसके बाद एजेएल की सारी संपत्तियां कांग्रेस पार्टी के पास आ गईं फिर कांग्रेस पार्टी ने ही लोन माफ भी कर दिया। यानि ‘तेरा तूझको अर्पित, क्या लागे मेरा’ के उलट कांग्रेस का मंत्र है, तेरा मुझको अर्पित, क्या लागे तेरा।

 

जबकि हमारा नेतृत्व कहता है-

 

तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित I

 

चाहता हूं देश की धरती तूझको कुछ और दूं ।।

 

इस प्रकार, नेशनल हेराल्ड प्रकरण भारत की जांच एजेंसियों की जांच के इतिहास का अपने आप में एक अदभूत और विचित्र उदाहरण है।

 

डॉ त्रिवेदी ने नेशनल हेराल्ड मामले से संबंधित पांच मुख्य बिन्दुओं का जिक्र करते हुए कहा कि  पहली बात है कि यह मामला यूपीए सरकार में सामने आया। दूसरी बात, हाईकोर्ट के आदेश पर सोनिया जी और राहुल जी को जमानत लेनी पड़ी। तीसरी बात, कांग्रेस पार्टी के अन्दर की संपत्तियों का अधिग्रहण किया गया। चौथी बात, पहली बार ऐसा हो रहा है कि भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए हिंसा का भी सहारा लेने में किसी भी प्रकार की कोई झिझक नहीं हो रही है।  पांचवी बात, साफ दिखायी पड़ रहा है कि अब कांग्रेस पार्टी एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक परिवार की पार्टी बनकर रह गयी है। यह भारत की जनता और कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

 

महेंद्र कुमार

(कार्यालय सचिव)

 

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