Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Shri Shehzad Poonawalla


द्वारा श्री शहजाद पूनावाला -
28-03-2024
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शहजाद पूनावाला की प्रेस वार्ता के मुख्य बिन्दु

 

इंडी गठबंधन की परिवारवादी पार्टियों का चरित्र बन चुका है कि 'लूट करो, झूठ बोलो, पकड़े जाने पर विक्टम बनो और संस्थानों पर दबाव डालो।'

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कोर्ट के निर्णय का सम्मान कर, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बजाए अरविंद केजरीवाल ने संस्थाओं पर सवाल खड़ा करके भ्रम फैलाने का प्रयास किया।

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जिन लोगों के हाथों पर इमरजेंसी के हथियार से लोकतंत्र के गला घोटने का महापाप दर्ज है, वे अपने भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए लोकतंत्र की रक्षा करने का स्वांग रचते हैं।

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अरविंद केजरीवाल ने पुरानी घिसी-पिटी दलीलों दोहराकर कोर्ट को राजनीतिक अखाड़ा बनाने की कोशिश की, परंतु उन्हें राहत नहीं मिली।

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स्वराज की बात करके राजनीति की शुरुआत करने वाले और सरकारी बंगले  लेने की झूठी कसम खाने वाले अरविंद केजरीवाल शराब घोटाला कर अपने शीशमहल में रहते हैं।

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आम आदमी पार्टी सवालों का जवाब देने के बजाय, झूठ और प्रोपेगैंडा परोस रही है, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शहजाद पूनावाला ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि लूट करो, झूठ बोलो, पकड़े जाने पर विक्टम बनो और संस्थानों पर दबाव डालो, यह इंडी गठबंधन की परिवारवादी पार्टियों का चरित्र बन गया है। आम आदमी पार्टी ने अपनी नौटंकी के लिए न्यायालय को राजनीतिक अखाड़ा बनाने का प्रयास किया। जैसे ही न्यायालय इनके विरुद्ध फैसला देता है, तो ये लोग पूरे लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाने लगते हैं।

 

भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शहजाद पूनावाला ने कहा कि इंडी गठबंधन की परिवारवादी पार्टियों का चरित्र बन चुका है कि लूट करो, झूठ बोलो, पकड़े जाने पर विक्टम बनो और संस्थानों पर दबाव डालो। यह 4 कदम, इंडी गठबंधन के काम करने का तरीका बन गया है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ट्वीट के माध्यम से देश के अधिवक्ताओं की न्यायिक प्रणाली के प्रति चिंता पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इंडी गठबंधन के चरित्र को दर्शाने वाली दो घटनाएं सामने आई हैं। जिन लोगों के राजनीतिक विरासत और हाथों पर इमरजेंसी के हथियार से लोकतंत्र के गले को काटने का महापाप दर्ज है। वे लोग लोकतंत्र बचाओ के आवरण में अपने भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्तित्व को बचाने का स्वांग रचते हैं। देश के कई जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भारत के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखा। उस पत्र में सभी वकीलों ने यह चिंता प्रकट की है कि कैसे एक पश्चिमी हित समूह, अपने भ्रष्टाचार की कमाई और लूट को कानून से बचाने के लिए काभी न्याय प्रणाली और न्यायिक व्यवस्था पर अनर्गल आरोप लगाते हैं, कभी न्याय प्रणाली पर दबाव बनाने के लिए विभिन्न प्रकार से कुतर्क करते हैं और कभी देश के न्यायिक व्यवस्था को बदनाम करने का बीड़ा उठा लेते हैं। जिस कारण देश की न्यायिक प्रक्रिया को लेकर पूरे विश्व में गलत संदेश भी चला जाता है।

 

श्री शहजाद पूनावाला ने दिल्ली की मंत्री आतिशी के हालिया प्रेस वार्ता को उल्लेख करते हुए कहा आतिशी ने कल उच्च न्यायालय से अरविंद केजरीवाल को राहत मिलने की बात कही थी लेकिन न्यायालय ने केजरीवाल कोई राहत नहीं प्रदान की है। श्री पूनावाला ने इस संदर्भ में उच्च न्यायालय के आदेश पढ़ते हुए बताया कि आतिशी ने सार्वजनिक पटल पर सरासर झूठ परोसा है। आम आदमी पार्टी के साथी कांग्रेस ने ही शराब घोटाले की सबसे पहली शिकायत दर्ज कराई थी और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की मांग की थी। आम आदमी पार्टी सिर्फ न्यायालय के निर्णय को स्वीकार नही करने, लूट मचाने, झूठ बोलने, अपने आपको पीड़ित दिखाने और संसाधनों पर दबाव डालने का काम करती है। स्वराज की बात से राजनीति की शुरुआत करने वाले लोग आज शराब घोटाले पर गए। कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने की और बड़े बड़े बंगले बनाने की झूठी कसमें खाने वाले अरविंद केजरीवाल आज उन्हीं के साथ अपने शीशमहल में बैठे हैं। आज ये लोग भ्रष्टाचार करते है और फिर कहते है हम इस्तीफा नहीं देंगे, जांच में शामिल होंगे और सरकार तिहाड़ जेल से चलाएंगे।

 

श्री शहजाद पूनावाला ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि कोर्ट के कमरे को राजनीतिक अखाड़ा बनाने के प्रयास किया गया। आम आदमी पार्टी कर चरित्र हमेशा से ही ड्रामेबाज़ी और नौटंकी का रहा है। परंतु आज जिस प्रकार से कोर्ट को राजनीतिक ड्रामे और नौटंकी का अड्डा बनाने की कोशिश की गई, उसे पूरे देश ने देखा। कोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया पर दबाव बनाने का प्रयास किया गया और अनर्गल आरोप लगाए गए। वह (अरविंद केजरीवाल) जो तथाकथित खुलासे करने वाले थे, उन्होंने सभी वहीं पुरानी घिसी-पिटी बातों को दोहराकर कोर्ट को राजनीतिक अखाड़ा बनाने की कोशिश की। यह कहना ठीक होगा क्योंकि अरविंद केजरीवाल को भी यह ठीक से समझ आएगा कि उन्होंने ओल्ड वाइन इन न्यू बोतलको प्रस्तुत करने का प्रयास किया। अरविंद केजरीवाल की जिन दलीलों को विभिन्न अदालतें ठुकरा चुकी हैं, आज उन्हीं पुरानी दलीलों को कोर्ट में नए तरीके से पेश किया गया, परंतु आज भी कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को कोई राहत नहीं दी। कोर्ट के निर्णय का सम्मान करने के बदले और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बजाए, अरविंद केजरीवाल ने न्यायिक तंत्र पर दबाव डालने, भ्रम की स्थिति पैदा करने और देश की संस्थाओं पर सवाल खड़ा करने के लिए एक नैरेटिव को गढ़ने का काम किया।

 

श्री पूनावाला ने आम आदमी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि आज आम आदमी पार्टी के वकील ने मनीट्रेल और गोवा चुनाव में उस पैसे के उपयोग को स्वीकार कर लिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना है ₹338 करोड़ का मनीट्रेल हुआ है। आम आदमी पार्टी सर्वोच्च न्यायालय के अपने पक्ष में आए निर्णय को तो स्वीकारती है, लेकिन जब यही जब उच्चतम न्यायालय मनीष सिसोदिया के जमानत खारिज करती है तो ये लोग लोकतंत्र पर प्रश्न खड़े करते हैं। इनका ये आचरण इनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है।

 

श्री पूनावाला ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता पहले तो घोटाला कर जेल गए, फिर जेल से ही घोटालों से भरे ऑर्डर दिए और केजरीवाल के गिरफ्तार होने के बाद आप नेताओं ने जनता के सामने भ्रामक और झूठी जानकारी पेश की। आम आदमी पार्टी ने शराब घोटाला किया और नई नीति से वापस पुरानी नीति पर जाना, कमीशन को 2.5 फीसद से 12 फीसदी करना, ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से सौदे किए जाना और थोक व्यापार में निजी सेक्टर को को शामिल करना इस घोटाले के प्रमाण हैं। कोविड के कठिन समय के दौरान आप ने हजारों करोड़ रुपए का घोटाला किया और आज न्यायालय ने भी मान लिया है कि इस पैसे का उपयोग गोवा चुनाव में हुआ है। ये वही लोग हैं जो पहले इस्तीफा मांगते थे और इस्तीफा देने से इनकार करते हैं। आज दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी द्वारा जारी किए अरविंद केजरीवाल के आदेश पर भी प्रश्न खड़ा होता है, क्योंकि बिना न्यायालय के आदेश के केजरीवाल जेल में रहते हुए सीएमओ के किसी भी तरह के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। आप द्वारा इस आदेश के संदर्भ में न्यायालय की अनुमति लेने पर भी संदेह खड़ा होता है। इस आदेश पर अन्य सरकारी आदेश की तरह रेफरेंस नंबर और तारीख भी नहीं थी। अगर केजरीवाल को पानी और स्वास्थ्य की समस्याएं जेल के अंदर ही समझ आ जा रही है तो उन्हें तुरंत आतिशी और सौरभ भारद्वाज का इस्तीफा ले लेना चाहिए क्योंकि मंत्री होने के बावजूद ये दोनों उस समस्या को समझ नहीं पा रहे हैं जो केजरीवाल को जेल के अंदर ही ज्ञात हो रही है। प्रश्न ये भी खड़ा होता है कि इन मंत्रियों के पास आदेश किसके माध्यम से पहुंचाया गया है। आम आदमी पार्टी इन प्रश्नों पर स्पष्टीकरण देने की जगह फिर से वही झूठ और प्रोपेगैंडा परोस रही है जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

 

श्री शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आज उच्च न्यायालय ने कांग्रेस को आयकर मामले में कोई भी राहत देने से फिर से इनकार कर दिया। इस कार्रवाई को विद्वेषपूर्ण करार देने वाली कांग्रेस को बताना चाहिए कि क्या उच्च न्यायालय भी विद्वेष की भावना से उन्हें राहत नहीं दे रहा? कांग्रेस ने उनके बैंक अकाउंट फ्रीज होने को लेकर भी झूठ फैलाया है क्योंकि सत्य ये है कि आयकर विभाग ने सिर्फ बकाया कर राशि के प्रयोग पर रोक लगाई है बाकी की राशि का उपयोग करने पर कोई रोक नहीं है। कांग्रेस ने इस मामले को लेकर अपील पर अपील दायर की लेकिन हर बार उनकी याचिका खारिज कर दी गई। श्री पूनावाला ने उच्च न्यायालय का आदेश पढ़ते हुए बताया कि कांग्रेस के ₹520 करोड़ के अवैध ट्रांजेक्शन के सबूत पाए गए हैं और कांग्रेस मुख्यालय से करोड़ो रुपए में पाए गए हैं इसीलिए इस मामले की जांच जरूरी है।

 

श्री पूनावाला ने बताया कि आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ट्वीट कर कहा भी कि कांग्रेस की संविधान और न्यायपालिका के लिए प्रतिबद्धता स्थितिपरक है, जब न्यायालय इनके पक्ष में आदेश देता है तो इनके लिए लोकतंत्र बहाल है, लेकिन जैसे ही वही न्यायालय इनके विरुद्ध फैसला देता है तो ये लोग पूरे लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं पर प्रश्न खड़े करते हैं। इनके लिए चुनाव जीतने पर ईवीएम ठीक होती है लेकिन चुनाव हारने पर ये लोग ईवीएम पर प्रश्च चिह्न खड़े करते हैं। कांग्रेस आजकल ईवीएम और न्यायालय के अलावा जनता के विवेक पर प्रश्न खड़े करने लगी है इसीलिए इनके नेता कभी नारीशक्ति तो कभी जनशक्ति का अपमान करते हैं तो कभी युवाओं का पीटने की बात करते हैं और कभी सनातन धर्म पर प्रश्न खड़े करते हैं। चुनाव के 7 फेज शुरू होने से पहले विपक्ष के मेल्टडाउन के 3 फेज शुरू हो चुके हैं जिसमें पहली इन्होंने ईवीएम और चुनाव आयोग को गाली दी, फिर जनता को और आज न्याय व्यवस्था को गाली दी है। इंडी गठबंधन के दलों पर इस पर उत्तर देना चाहिए। इस कार्रवाई को विद्वेषपूर्ण बताने वाले इंडी गठबंधन को याद रखना चाहिए इनके साथी लालू प्रसाद यादव को पहली बार 2013 में दोषी ठहराया गया था और तब यूपीए की सरकार थी। इस गठबंधन में वही टीएमसी और डीएमके हैं जिन पर यूपीए कार्यकाल में केस दर्ज हुए थे।

 

 

 

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