Salient points of the press conference : Hon'ble Union Minister Smt. Meenakshi Lekhi.


द्वारा श्रीमती. मीनाक्षी लेखी -
28-07-2022
Press Release

 

केंद्रीय मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

केंद्रीय मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने आज पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया और पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के गिरफ्तार मंत्रियों के भ्रष्टाचार पर जम कर हमला बोलते हुए उनसे इस पर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा।

 

पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी के भ्रष्टाचार पर करारा परहार करते हुए श्रीमती लेखी ने कहा कि मैं देश की जनता को याद दिलाना चाहती हूँ कि जो लोग पश्चिम बंगाल में माँ, माटी और मानुष का नारा देकर आये थे, आज वे बस माया-माया-माया और मनी-मनी-मनी कर रहे रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की सरकार माया और मनी से आगे कुछ भी सोच ही नहीं रही। इसके अलावे तृणमूल कांग्रेस की सरकार के पास कहने के लिए कुछ भी है ही नहीं। तृणमूल कांग्रेस सरकार में वर्तमान उद्योग मंत्री और राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी मित्र अर्पिता मुखर्जी के घरों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के छापे में 50 करोड़ रुपये से अधिक की नकद राशि, लगभग 9 किलो सोना, विदेशी मुद्रा और कई अवैध संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुई है। यह भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है।

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पार्थ चटर्जी की एक और मित्र मोनालिसा दास का नाम भी भ्रष्टाचार के मामले में रहा है। इनके नाम पर दर्जनों फ़्लैट के होने का दावा कई मीडिया रिपोर्ट्स में किया गया है। मोनालिसा दास वर्ष 2014 में आसनसोल में काजी नजरूल विश्वविद्यालय में भर्ती हुई और वर्तमान में उसी विश्वविद्यालय में बंगाली विभाग का नेतृत्व कर रही हैं। महज 8 वर्षों में विभाग अध्यक्ष बन जाना भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

 

श्रीमती लेखी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के छापे में डायमंड सिटी में पार्थ चटर्जी से जुड़े तीन फ़्लैट मिले हैं। यहां एक सुपर लग्जरी फ्लैट उनके पार्थ चटर्जी जी के पालतू कुत्तों के लिए था। इस घोटाले में मंत्री पार्थ चटर्जी की एक मित्र के पास से यदि 50 करोड़ रुपये से अधिक की नकद राशि बरामद होती है तो ज़रा सोचिये इस घोटाले में कितना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ होगा! मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ में अर्पिता मुखर्जी ने खुलासा किया है कि पार्थ चटर्जी उसके घर कोमिनी बैंककी तरह इस्तेमाल करते थे। इतना ही नहीं, अर्पिता मुखर्जी ने ईडी को यह भी बताया कि भ्रष्टाचार का पैसा नीचे से ऊपर तक जाता था। अब ये पैसा ऊपर कहाँ-कहाँ तक जाता था, इसका पता चलना जरूरी है। हम चाहते हैं कि ईडी इस मामले के तह तक जाए और इस पूरे मामले का खुलासा हो।

 

आखिर इतने बड़े भ्रष्टाचार के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी चुप क्यों हैं? अभी तक पार्थ चटर्जी तृणमूल कांग्रेस में मंत्री क्यों बने हुए हैं? क्यों पार्थ चटर्जी को अब तक तृणमूल कांग्रेस ने मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं किया है? इस सवाल का जवाब पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश की जनता जानना चाहती है।

 

पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार की ही तरह दिल्ली की केजरीवाल सरकार के एक और मंत्री के भ्रष्टाचार और इस पर दिल्ली उच्च न्यायालय की कड़ी टिप्पणी पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लेते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन के घर से लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक की राशि और बेनामी संपत्तियों के कागजात बरामद हुए। सत्येन्द्र जैन की गिरफ्तारी से एक महीना पहले ही प्रवर्तन निदेशालय ने सत्येन्द्र जीने की एक संपत्ति को अटैच भी किया था। भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाने के बावजूद सत्येन्द्र जैन को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बर्खास्त नहीं किया।

 

श्रीमती लेखी ने कहा कि कल, 27 जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय में सत्येन्द्र जैन से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत के संविधान की अखंडता को बनाए रखने के लिए मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी है। इस बात पर मुख्यमंत्री को विचार करना है कि क्या कोई व्यक्ति जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है या उन पर नैतिक पतन से जुड़े अपराधों का आरोप लगाया गया है, उन्हें नियुक्त किया जाना चाहिए या नहीं। उन्हें मंत्री के रूप में बने रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।  

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई सत्येन्द्र जैन के मामले में सुनवाई के दौरान भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बयान को उद्धृत करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के जनक बाबा साहब ने कहा था कि सुशासन केवल अच्छे लोगों के हाथ में होता है। भले ही अदालत अच्छे या बुरे के फैसले में नहीं पड़ सकती, लेकिन यह निश्चित रूप से संवैधानिक पदाधिकारियों को हमारे संविधान के लोकाचार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की याद दिला सकती है। ऐसी धारणा है कि मुख्यमंत्री को ऐसे संवैधानिक सिद्धांतों से अच्छी सलाह और मार्गदर्शन मिलेगा। दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि यह अदालत पूरी तरह से डॉ भीमराव अंबेडकर की टिप्पणियों से सहमत है और उम्मीद करती है कि मुख्यमंत्री लोगों का नेतृत्व करने के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति करते समय लोकतंत्र की नींव रखने वाले विश्वास को कायम रखते हैं।

 

श्रीमती लेखी ने कहा कि यह समझ से परे है कि जब अदालत इस तरह की कड़ी टिप्पणी कर रही है तो भ्रष्टाचार में संलिप्त दिख रहे ऐसे मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने में दिल्ली के मुख्यमंत्री क्यों डर रहे हैं? आखिर उनकी ऐसी क्या मजबूरी है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठा पा रहे?

 

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