Salient points of virtual press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sambit Patra


10-05-2021
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की प्रेस वार्ता (वर्चुअल) के मुख्य बिंदु

 

मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक कोविड संक्रमण से उत्पन्न इस विषम परिस्थिति में भी देश में राजनीति हो रही है और ख़ास कर दिल्ली में इस राजनीति ने कोविड के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का प्रयास किया है।

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दिल्ली सहित कुछ राज्य सरकारें ऑक्सीजन की कमी का ठीकरा केंद्र पर फोड़ कर अपनी नाकामियों को छुपाने की कुचेष्टा कर रही हैं जबकि मुंबई में कोरोना से शानदार तरीके से लड़ाई लड़ रहे फ्रंटलाइन हीरो बीएमसी कमिश्नर श्री इकबाल सिंह चहल जी के इंटरव्यू के अनुसार सच्चाई कुछ और है।

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बीएमसी कमिश्नर श्री इकबाल सिंह चहल ने राज्य सरकारों के झूठ का पर्दाफाश करते हुए बताया कि कैसे मुंबई में ऑक्सीजन की कमी के मद्देनजर किये गए SoS कॉल पर कुछ ही सेकंड में उन्हें केंद्र की ओर से जवाब मिला और मुंबई में केंद्र सरकार की मदद से ऑक्सीजन की समस्या इतिहास बन गई।

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जब इकबाल सिंह चहल जी से पूछा गया कि राज्य ऑक्सीजन सप्लाई समेत तमाम मुद्दों पर केंद्र पर आरोप लगा रहे हैं तो इस पर उन्होंने कहा, जिस तरह की कहानियां सामने रही हैं, वे वास्तविक नहीं है। इस विषय में भारत सरकार को दोष नहीं देना चाहिए। अगर किसी को दोषी ठहराया जाना है, तो यह राज्य हैं।

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श्री इकबाल सिंह चहल का ये इंटरव्यू दिल्ली जैसे राज्य की नाकामियों को भी उजागर करता है कि वे कैसे कोविड मैनेजमेंट और ऑक्सीजन की आपूर्ति में फेल हुए और अपनी इन नाकामियों को छुपाने के लिए केंद्र सरकार पर ठीकड़ा फोड़ा जबकि केंद्र सरकार लगातार एक साल से दिल्ली को तैयारियों के लिए आगाह कर रही थी।

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26 अप्रैल को अरविन्द केजरीवाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि दिल्ली सरकार 1.34 करोड़ वैक्सीन डोज के ऑर्डर देने वाली है और इसके लिए मंजूरी दी जा चुकी है जबकि आज प्रेस कांफ्रेंस कर बता रहे हैं कि दिल्ली के पास कुछ भी नहीं है।

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सच्चाई यह है कि भारत सरकार द्वारा राज्यों को दी जा रही मुफ्त वैक्सीन डोज के अलावे दिल्ली सरकार ने केवल 5.50 लाख वैक्सीन का ऑर्डर प्लेस किया है। इसका मतलब यह है कि केजरीवाल जी ने टीवी पर कोरा झूठ बोला और अपनी इमेज चमकाने के प्रयास में दिल्ली की जनता को केवल और केवल गुमराह किया।

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दिल्ली में हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए फर्स्ट डोज का कवरेज 77.67% कवरेज था जबकि सेकंड डोज का कवरेज केवल 53% रहा। इसी तरह दिल्ली में फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए फर्स्ट डोज का कवरेज 79% था जबकि सेकंड डोज का कवरेज केवल 50% ही रहा।

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60 साल से अधिक आयु के लोगों के वैक्सीनेशन में दिल्ली में फर्स्ट डोज का कवरेज 48.88% था जबकि सेकंड डोज का कवरेज केवल और केवल 17.29% रहा। इसी तरह 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के वैक्सीनेशन में दिल्ली में फर्स्ट फेज का कवरेज भी केवल 41.08% रहा जबकि सेकंड डोज का कवरेज केवल और केवल 8.93% रहा।

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दिल्ली वासियों, केजरीवाल सरकार की ये हकीकत है। जब अरविन्द केजरीवाल को वैक्सीनेशन को लेकर राज्य में एक पॉलिसी बनानी थी, तब उन्होंने अपना पूरा फोकस विज्ञापन के जरिये अपनी इमेज चमकाने पर रखा, स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की उन्होंने तनिक भी कोशिश नहीं की की।

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जब केंद्र सरकार ने दिल्ली को 730 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की तब केजरीवाल ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को इसके लिए धन्यवाद दिया लेकिन इसके कुछ ही मिनट के पश्चात् आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा कहते हैं कि दिल्ली को तो 976 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत है। केजरीवाल सरकार, पहले आप अपने आंकड़े तो दुरुस्त कर लें।

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दिल्ली सरकार तो ट्रांसपोर्टेशन के लिए क्रायोजेनिक टैंकर की व्यवस्था कर पाती है, ही ऑक्सीजन का मैनेजमेंट कर पाती है। केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन ऑडिट कराना ही नहीं चाहती जबकि केजरीवाल सरकार के एक मंत्री इमरान हुसैन के यहाँ से 400-500 ऑक्सीजन सिलिंडर बरामद होते हैं।

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आखिर क्यों केजरीवाल सरकार मेडिकल ऑक्सीजन की ऑडिटिंग नहीं कराना चाहती। कहाँ जा रहा है ऑक्सीजन? मेडिकल ऑक्सीजन कहाँ वेस्ट हो रहा है और कहाँ खर्च हो रहा है, यह तब तक पता नहीं चलेगा जब तक कि ऑक्सीजन की ऑडिटिंग हो।

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कुछ ही हफ्ते पहले एक आरटीआई में दिल्ली सरकार से पूछा गया कि जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच केजरीवाल सरकार ने कितने वेंटीलेटर खरीदे तो जवाब आता है शून्य। मतलब एक साल में केजरीवाल सरकार ने एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा।

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केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों पर 2015-16 में 81.23 करोड़, 16-17 में 67.25 करोड़, 17-18 में 117.76 करोड़, 18-19 में 45.54 करोड़, 19-20 में 199.99 करोड़ और 2020-21 अब तक 293.16 करोड़ रुपये खर्च किये हैं जबकि स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

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2015 में सत्ता में आने से पहले केजरीवाल जी ने कहा था कि हम दिल्ली के अस्पतालों में 30 हजार बेड और जोड़ेंगे लेकिन आखिर कोई तो उनसे सवाल करे कि आपने अब तक कितने बेड जोड़े और सात साल में दिल्ली में कितने अस्पताल बनाए।

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मोहल्ला क्लिनिक पर बड़ी-बड़ी बातें की गई लेकिन क्या मोहल्ला क्लिनिक में आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है, क्या मोहल्ला क्लिनिक में ऑक्सीजन बेड हैं, क्या मोहल्ला क्लिनिक में कोविड का प्राथमिक उपचार भी हो रहा है? केजरीवाल सरकार ने मोहल्ला क्लिनिक को हो-हल्ला क्लिनिक बना कर रख दिया है।

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07 अप्रैल 2020 को एक साल पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से कहा था कि आप इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन में कन्वर्ट कर सकते हैं लेकिन केंद्र सरकार के कहने के बावजूद दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कुछ नहीं किया और आज रोना रोते हैं कि हमें ऑक्सीजन नहीं दिया जा रहा।

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दिसंबर 2020 में दिल्ली सरकार के आठ अस्पतालों में आठ PSA बनाने की बात हुई थी। पीएम केयर्स फंड से पैसे दिए जाने के बावजूद केजरीवाल सरकार एक भी PSA शुरू नहीं कर पाई। देश के अन्य राज्यों में हुआ लेकिन दिल्ली सरकार नहीं कर सकी क्योंकि वह तो विज्ञापन में व्यस्त थी।

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टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल एक बंगाली युवती के साथ तथाकथित किसान नेताओं द्वारा गैंगरेप किये जाने की खबर मीडिया में आई है जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अखबारों में तो ये खबर भी आया है कि योगेन्द्र यादव भी इस बलात्कार की घटना से वाकिफ थे लेकिन उन्होंने पुलिस को कुछ भी नहीं बताया।

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मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता अनूप सिंह छनौत और अनिल मलिक पर बलात्कार के आरोप हैं। इनकी तस्वीरें अरविन्द केजरीवाल जी के साथ हैं और ये आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।

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केंद्र सरकार के बार-बार कहने और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से आगाह किये जाने के बावजूद अरविन्द केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाये जिसका कारण है कि दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई।

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केजरीवाल सरकार हर दिन राजनीति करने के लिए झूठे आरोप लगाएगी तो हमारे पास भी तथ्यों के साथ उन्हें एक्क्स्पोज करने के अलावे कोई ऑप्शन नहीं बचेगा।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज एक प्रेस वार्ता को वर्चुअली संबोधित किया और कोविड मैनेजमेंट को लेकर दिल्ली सरकार की नाकामी और हर समय बेवजह केंद्र को कठघरे में खड़ा करने की राजनैतिक मंशा पर कड़ा प्रहार करते हुए तथ्यों के साथ केजरीवाल सरकार को तथ्यों के साथ आने की चुनौती दी। उन्होंने टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच एक बंगाली युवती के तथाकथित किसान नेताओं द्वारा किये गए यौन शोषण पर भी सवाल उठाया और कहा कि मीडिया रिपोर्टों में इस मामले में कई आप नेताओं के नाम भी सामने आये हैं।

 

मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति पर सच्चाई कुछ और

 

डॉ पात्रा ने कहा कि यह दुःख की बात है कि मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक कोविड संक्रमण से उत्पन्न इस विषम परिस्थिति में भी देश में राजनीति हो रही है और ख़ास कर दिल्ली में इस राजनीति ने कोविड के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मैं प्रेस वार्ता को शुरू करने से पहले महाराष्ट्र में बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल जी के इंटरव्यू को लेकर बात करना चाहता हूँ कि किस तरह केंद्र की आपात मदद से मुंबई में ऑक्सीजन की कमी पर काबू पाया गया। डॉ पात्रा ने श्री चहल के इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली सहित कुछ राज्य सरकारें ऑक्सीजन की कमी का ठीकरा केंद्र पर फोड़ कर अपनी नाकामियों को छुपाने की कुचेष्टा कर रही हैं जबकि सच्चाई कुछ और है। हम सब जानते हैं कि मुंबई किस तरह शानदार तरीके से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। इस विषय में माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी बात की थी। इस निर्णायक लड़ाई के फ्रंटलाइन हीरो हैं बीएमसी कमिश्नर श्री इकबाल सिंह चहल।

 

बीएमसी कमिश्नर श्री इकबाल सिंह चहल ने राज्य सरकारों के झूठ का पर्दाफाश करते हुए बताया कि कैसे कुछ ही सेकंड में उन्हें केंद्र की ओर से जवाब मिला और मुंबई की ऑक्सीजन की समस्या को केंद्र की मदद से काफी हद तक हल कर दिया गया। एक प्रतिष्ठित अखबार को दिए साक्षात्कार में बीएमसी कमिश्नर श्री इकबाल सिंह चहल ने बताया कि मुंबई में 16-17 अप्रैल की रात को ऑक्सीजन की कमी को लेकर उन्होंने अगले सुबह 7 बजे भारत सरकार के अधिकारियों, जिसमें कैबिनेट सचिव, गृह सचिव और हेल्थ सचिव शामिल थे, को SoS कॉल किया। उन्होंने यही SoS कॉल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री समेत 8 नेताओं को भेजा। लेकिन, उनके मैसेज भेजने के सिर्फ 15-20 सेकंड बाद केंद्रीय सचिव राजीव गौबा का फोन उनके पास आया और मुंबई में केंद्र सरकार की मदद से ऑक्सीजन की समस्या इतिहास बन गई।

 

इतना ही नहीं, इकबाल सिंह चहल जी से पूछा गया कि दूसरी लहर में केंद्र और राज्य ऑक्सीजन सप्लाई समेत तमाम मुद्दों पर एक दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं, ऐसे में हम इसे कैसे हल कर सकते हैं? इस पर उन्होंने कहा, जिस तरह की कहानियां सामने रही हैं, वे वास्तविक नहीं है। इस विषय में भारत सरकार को दोष नहीं देना चाहिए। अगर किसी को दोषी ठहराया जाना है, तो यह राज्य हैं।

 

दिल्ली सरकार का बदहाल कोविड मैनेजमेंट

 

ये इंटरव्यू दिल्ली जैसे राज्य की नाकामियों को भी उजागर करता है कि वे कैसे कोविड मैनेजमेंट और ऑक्सीजन की आपूर्ति में फेल हुए और अपनी इन नाकामियों को छुपाने के लिए केंद्र सरकार पर ठीकड़ा फोड़ा जबकि केंद्र सरकार लगातार एक साल से दिल्ली को तैयारियों के लिए आगाह कर रही थी। आज दुर्भाग्य की बात है कि जिस तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री हर दिन टीवी पर आकर लोगों को भ्रमित और गुमराह कर सिचुएशन को खराब कर रहे हैं और तू-तू, मैं-मैं की राजनीति कर रहे हैं, यह वास्तव में निंदनीय है। हम राजनीति नहीं करना चाहते क्योंकि यह समय सब को साथ लेकर आगे बढ़ने और कोरोना को हराने का समय है लेकिन जब झूठे आरोपों की राजनीति शुरू होगी तो हमें भी सच्चाई रखने को मजबूर होना पड़ेगा।

 

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 26 अप्रैल को अरविन्द केजरीवाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि दिल्ली सरकार 1.34 करोड़ वैक्सीन डोज के ऑर्डर देने वाली है और इसके लिए मंजूरी दी जा चुकी है जबकि आज प्रेस कांफ्रेंस कर बता रहे हैं कि दिल्ली के पास कुछ भी नहीं है। दिल्ली सरकार के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने वैक्सीन का कोई ऑर्डर नहीं दिया। सच्चाई यह है कि भारत सरकार द्वारा राज्यों को दी जा रही मुफ्त वैक्सीन डोज के अलावे दिल्ली सरकार ने केवल 5.50 लाख वैक्सीन का ऑर्डर प्लेस किया है जिसमें 4.50 लाख कोवीशिल्ड है जबकि 1 लाख कोवैक्सीन। इसका मतलब यह है कि केजरीवाल जी ने टीवी पर कोरा झूठ बोला और  अपनी इमेज चमकाने के प्रयास में दिल्ली की जनता को केवल और केवल गुमराह किया।

 

डॉ पात्रा ने केजरीवाल सरकार की वैक्सीनेशन नीति को लेकर बड़ा हमला करते हुए कहा कि सबसे पहले फेज में हेल्थकेयर वर्कर्स को वैक्सीन लगने थे। दिल्ली में हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए फर्स्ट डोज का कवरेज 77.67% कवरेज था जबकि सेकंड डोज का कवरेज केवल 53% रहा। इसी तरह दिल्ली में फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए फर्स्ट डोज का कवरेज 79% था जबकि सेकंड डोज का कवरेज केवल 50% ही रहा। 60 साल से अधिक आयु के लोगों के वैक्सीनेशन में दिल्ली में फर्स्ट डोज का कवरेज 48.88% था जबकि सेकंड डोज का कवरेज केवल और केवल 17.29% रहा। इसी तरह 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के वैक्सीनेशन में दिल्ली में फर्स्ट फेज का कवरेज भी केवल 41.08% रहा जबकि सेकंड डोज का कवरेज केवल और केवल 8.93% रहा। दिल्ली वासियों, केजरीवाल सरकार की ये हकीकत है। जब अरविन्द केजरीवाल को वैक्सीनेशन को लेकर राज्य में एक पॉलिसी बनानी थी, तब उन्होंने अपना पूरा फोकस विज्ञापन के जरिये अपनी इमेज चमकाने पर रखा, स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की उन्होंने तनिक भी कोशिश नहीं की की।

 

मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति पर राजनीति लेकिन ऑक्सीजन ऑडिटिंग पर आनाकानी

 

मेडिकल ऑक्सीजन को लेकर केजरीवाल सरकार की राजनीति पर हमला करते हुए डॉ पात्रा ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल मेडिकल ऑक्सीजन के हिसाब-किताब में भी राजनीति करते हैं। जब केंद्र सरकार ने दिल्ली को 730 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की तब केजरीवाल ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को इसके लिए धन्यवाद दिया और कहा कि दिल्ली को जितनी जरूरत थी, उतने की आपूर्ति केंद्र सरकार ने की लेकिन इसके कुछ ही मिनट के पश्चात् आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा दिल्ली सरकार का ऑक्सीजन बुलेटिन जारी करते हुए कहते हैं कि दिल्ली को तो 976 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत है। केजरीवाल सरकार, पहले आप अपने आंकड़े तो दुरुस्त कर लें। इतना ही नहीं, जो ऑक्सीजन की आपूर्ति दिल्ली सरकार को होती है, उसकी मैनेजमेंट भी केजरीवाल सरकार नहीं कर पाती। दिल्ली सरकार तो ट्रांसपोर्टेशन के लिए क्रायोजेनिक टैंकर की व्यवस्था कर पाती है, ही ऑक्सीजन का मैनेजमेंट कर पाती है। और तो और, ऑक्सीजन का हिसाब-किताब तो केजरीवाल सरकार रखना ही नहीं चाहती। केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन ऑडिट कराना ही नहीं चाहती जबकि केजरीवाल सरकार के एक मंत्री इमरान हुसैन के यहाँ से 400-500 ऑक्सीजन सिलिंडर बरामद होते हैं। क्या ऑक्सीजन सिलिंडर के उपयोग इस हालत में भी वोट बैंक के लिए किया जाएगा और यदि देश के हर विधायक इस तरह से ऑक्सीजन सिलिंडर जमा करने लगें तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई का क्या होगा? आखिर क्यों केजरीवाल सरकार मेडिकल ऑक्सीजन की ऑडिटिंग नहीं कराना चाहती। कहाँ जा रहा है ऑक्सीजन? हालत यह है कि हरियाणा जैसे कुछ राज्यों को ऑक्सीजन दिल्ली से उधार में लेना पड़ता है। अब तो मेडिकल ऑक्सीजन एक अलॉटमेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने एक टीम बनाई है लेकिन इससे पहले भी केंद्र सरकार की एक एक्सपर्ट टीम इसका काम देख रही थी। क्या कारण है कि मुंबई में अधिक मरीज होने के बावजूद मेडिकल ऑक्सीजन की कोई किल्लत नहीं हुई जबकि केजरीवाल सरकार की डिमांड बढ़ती ही जा रही। मेडिकल ऑक्सीजन कहाँ वेस्ट हो रहा है और कहाँ खर्च हो रहा है, यह तब तक पता नहीं चलेगा जब तक कि ऑक्सीजन की ऑडिटिंग हो।

 

डॉ पात्रा ने एक दैनिक में प्रकाशित के आलोक में केजरीवाल सरकार पर कोरोना की लड़ाई में फेल होने का आरोप लगाते हुए कहा इस आलेख में उन पांच बिन्दुओं को रेखांकित किया गया जहाँ केजरीवाल सरकार फेल हुई। इसमें एक ऑक्सीजन ट्रांसपोर्टर का इंटरव्यू भी किया गया था जिसमें वे बताते हैं कि बाकी सभी राज्यों के ऑर्डर्स पहले ही मिल गए थे जबकि दिल्ली सरकार का ऑर्डर सबसे लास्ट में आया। इतना ही नहीं, कुछ ही हफ्ते पहले एक आरटीआई में दिल्ली सरकार से पूछा गया कि जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच केजरीवाल सरकार ने कितने वेंटीलेटर खरीदे तो जवाब आता है शून्य। मतलब एक साल में केजरीवाल सरकार ने एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा।

 

विज्ञापन कर अंधाधुंध पैसा बहाया केजरीवाल सरकार ने

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने पिछले सात वर्षों में 800 करोड़ से अधिक रुपये केवल विज्ञापनों पर खर्चे हैं जबकि स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों पर 2015-16 में 81.23 करोड़, 16-17 में 67.25 करोड़, 17-18 में 117.76 करोड़, 18-19 में 45.54 करोड़, 19-20 में 199.99 करोड़ और 2020-21 अब तक 293.16 करोड़ रुपये खर्च किये हैं जबकि पिछले सात सालों में केजरीवाल सरकार ने एक भी नया अस्पताल नहीं खोला। केवल एफएम और टीवी पर यह कहना कि हम यह कर देंगे, वह कर देंगे, घर-घर वैक्सीन और ऑक्सीजन उपलब्ध करा देंगे, मोहल्ला क्लिनिक में सारी व्यवस्था कर देंगे, बेड की कोई कमी नहीं होने देंगे, लॉकडाउन की स्थिति नहीं आएगी लेकिन किया कुछ नहीं।

 

मोहल्ला क्लिनिक बना केजरीवाल सरकार का हो-हल्ला क्लिनिक

 

डॉ पात्रा ने कहा कि 2015 में सत्ता में आने से पहले केजरीवाल जी ने कहा था कि हम दिल्ली के अस्पतालों में 30 हजार बेड और जोड़ेंगे लेकिन आखिर कोई तो उनसे सवाल करे कि आपने अब तक कितने बेड जोड़े। कोई तो उनसे सवाल करे कि आपने सात साल में दिल्ली में कितने अस्पताल बनाए। मोहल्ला क्लिनिक पर बड़ी-बड़ी बातें की गई लेकिन क्या मोहल्ला क्लिनिक में आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है, क्या मोहल्ला क्लिनिक में ऑक्सीजन बेड हैं, क्या मोहल्ला क्लिनिक में कोविड का प्राथमिक उपचार भी हो रहा है? जवाब है - नहीं। केजरीवाल सरकार ने मोहल्ला क्लिनिक को हो-हल्ला क्लिनिक बना कर रख दिया है। हाईकोर्ट की भी इस संबंध में कड़ी टिप्पणी आई है। केजरीवाल सरकार बताये कि जिस दिल्ली में उन्होंने मोहल्ला क्लिनिक को सब सेंटर बनाया, उसका कोरोना के खिलाफ लड़ाई में क्या योगदान है?

 

केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद केजरीवाल सरकार द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था पर लापरवाही

 

भाजपा प्रवक्ता ने 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा कि यह चेतावनी की तरह है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में महज 348 आईसीयू बेड्स ही हैं। जब बीज ही नहीं बोया जाएगा तो छाँव की उम्मीद कैसे की जा सकती है? इसी तरह 07 अप्रैल 2020 को एक साल पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से कहा था कि आप इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन में कन्वर्ट कर सकते हैं लेकिन केंद्र सरकार के कहने के बावजूद दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कुछ नहीं किया और आज रोना रोते हैं कि हमें ऑक्सीजन नहीं दिया जा रहा। दिसंबर 2020 में दिल्ली सरकार के आठ अस्पतालों में आठ PSA बनाने की बात हुई थी। पीएम केयर्स फंड से पैसे दिए जाने के बावजूद केजरीवाल सरकार एक भी PSA शुरू नहीं कर पाई। देश के अन्य राज्यों में हुआ लेकिन दिल्ली सरकार नहीं कर सकी क्योंकि वह तो विज्ञापन में व्यस्त थी।

 

टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में युवती के साथ गैंगरेप और आम आदमी पार्टी की मिलीभगत

 

डॉ पात्रा ने एक और गंभीर विषय को उठाते हुए कहा कि टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल एक बंगाली युवती के साथ तथाकथित किसान नेताओं द्वारा गैंगरेप किये जाने की खबर मीडिया में आई है जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उस युवती की कोरोना से अब मृत्यु हो चुकी है। हम सब जानते हैं कि केजरीवाल जी, उनकी सरकार और केजरीवाल जी की टीम ने टिकरी बॉर्डर पर वाई-फाई और खाने-पीने की कैसे व्यवस्था कराई थी और आम आदमी पार्टी के कई नेता इस बॉर्डर पर कथित किसान आंदोलन में शामिल थे। अखबारों में तो ये खबर भी आया है कि योगेन्द्र यादव भी इस बलात्कार की घटना से वाकिफ थे लेकिन उन्होंने पुलिस को कुछ भी नहीं बताया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता अनूप सिंह छनौत और अनिल मलिक पर बलात्कार के आरोप हैं। इनकी तस्वीरें अरविन्द केजरीवाल जी के साथ हैं और ये आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।

 

अंत में भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए उसकी प्राथमिकता तय करना बहुत जरूरी होता है। केंद्र सरकार के बार-बार कहने और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से आगाह किये जाने के बावजूद अरविन्द केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाये जिसका कारण है कि दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई। केजरीवाल सरकार हर दिन राजनीति करने के लिए झूठे आरोप लगाएगी तो हमारे पास भी तथ्यों के साथ उन्हें एक्क्स्पोज करने के अलावे कोई ऑप्शन नहीं बचेगा।

 

महेंद्र पांडेय

(कार्यालय सचिव)

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